शब्द रूप (सुबंत प्रकरण, संस्कृत व्याकरण)
संस्कृत में शब्द रूप (Shabd Roop) : वाक्य की सबसे छोटी इकाई को शब्द कहते हैं और जब ये शब्द वाक्य में प्रयुक्त होते हैं तो उन्हें पद (सार्थक शब्द) कहते हैं, पदों के पाँच रूप होते हैं- संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण, अव्यय और क्रिया। क्रियापदों को छोड़कर संज्ञा और संज्ञा सूचक शब्द सुबंत के अंतर्गत आते है इन्हीं शब्दों को जब संस्कृत के वाक्यों में पदों के रूप में प्रयुक्त किया जाता तो इन्हें संस्कृत शब्द रूप (Shabd Roop) कहते हैं।
प्रातिपदिक के उत्तर प्रथमा से लेकर सप्तमी तक 7 विभक्तियाँ होती हैं- प्रथमा, द्वतीया, तृतीया, चतुर्थी, पंचमी, षष्ठी, सप्तमी। कोई शब्द जब इन सात रूपों (विभक्तियों) में होता है तब वह पद सुबन्त (सुप्) कहलाता है।
किसी व्यक्ति, वस्तु स्थान, भाव (क्रिया) आदि का बोध कराने वाले शब्दों को संज्ञा कहते हैं। संस्कृत भाषा में प्रयोग करने के लिए इन शब्दों को ‘पद’ बनाया जाता है। संज्ञा, सर्वनाम आदि शब्दों को पद बनाने हेतु इनमें प्रथमा, द्वितीया इत्यादि विभक्तियाँ लगाई जाती हैं। इन शब्द रूपों (पदों) का प्रयोग प्रायः पुलिङ्ग, स्त्रीलिङ्ग और नपुंसकलिङ्ग तथा एकवचन, द्विवचन और बहुवचन में भिन्न-भिन्न रूपों में होता है। इन्हें प्रायः शब्द रूप (Shabdarupa) कहा जाता है।
संज्ञा आदि शब्दों में जुड़ने वाली विभक्तियाँ सात होती हैं। इन विभक्तियों के तीनों वचनों (एक, द्वि, बहु) में बनने वाले रूपों के लिए जिन विभक्ति-प्रत्ययों की पाणिनि द्वारा कल्पना की गई है, वे ‘सुप्’ कहलाते हैं। इनका परिचय इस प्रकार है-
विभक्ति | एकवचन | द्विवचन | बहुवचन |
---|---|---|---|
प्रथमा | सु (स् = : ) | औ | जस् (अस्) |
द्वितीया | अम् | औट् (औ) | शस् (अस्) |
तृतीया | टा (आ) | भ्याम् | भिस् (भिः) |
चतुर्थी | ङे (ए) | भ्याम् | भ्य: |
पंचमी | ङसि (अस्) | भ्याम् | भ्य: |
षष्ठी | ङस (अस्) | ओस् (ओ:) | आम् |
सप्तमी | ङि (इ) | ओस् (ओ:) | सुप् (सु) |
ये प्रत्यय शब्दों के साथ जुड़कर अनेक शब्द रूप बनाते हैं।
इन विभक्तियों के अतिरिक्त सम्बोधन में प्रायः प्रथमा विभक्ति होती है इसलिए सम्बोधन का रूप प्रथमा के जैसा होता है। कुछ शब्दों के सम्बोधन में कुछ अंतर पाया जाता है। अत: सम्बोधन का शब्द रूप अलग कर दिया गया है। सर्वनाम शब्दों का सम्बोधन नहीं होता है।
शब्द रूप के भेद
रूप निर्देश से शब्द रूप भेद को स्पष्ट किया गया है। अतः शब्दों के विभिन्न रूपों में भेद होने के कारण ‘संज्ञा’ आदि शब्दों को तीन वर्गों में विभक्त किया जा सकता है-
- संज्ञा शब्द
- सर्वनाम शब्द
- संख्यावाचक शब्द
संज्ञा शब्दों के अन्त में ‘स्वर’ और ‘व्यंजन’ दोनों होने के कारण इन्हें पुनः दो भेदों में बांटा जाता है-
- अजंत/स्वरान्त
- हलंत/व्यंजनांत
संज्ञा (Noun) Shabd Roop
किसी व्यक्ति, वस्तु, स्थान, भाव, या गुण के नाम को विशेष्य पद (संज्ञा) कहते है। जैसे – राम:, नदी, लता, क्रोध: आदि। संज्ञा शब्द रूपों के दो भेद होते हैं- अजंत (स्वरान्त) और हलंत (व्यंजनांत)। संस्कृत में संज्ञा शब्द रूप लिंग के आधार पर छह (6) वर्गों में रखे जाते हैं-
- अजन्त पुल्लिंग – देव, मुनि, भानु, पितृ आदि।
- अजन्त स्त्रीलिंग – लता, मति, धेनु, मातृ आदि।
- अजन्त नपुंसकलिंग – फल, दधि, मधु, धातृ आदि।
- हलन्त पुल्लिंग – मरुत् , राजन् , वेधस् आदि।
- हलन्त स्त्रीलिंग – सरित् , गिर् , दिश् आदि।
- हलन्त नपुंसकलिंग – जगत् , पयस् आदि।
अजंत/स्वरान्त शब्द रूप
महेश्वर सूत्र के अनुसार सभी स्वर ‘अ’ से ‘च्’ तक होते हैं, स्वरों को ‘अच्’ कहते हैं। अतः जिन शब्दों का अंत ‘अ’ से ‘च्’ तक होता है, उन्हें ‘अच् + अन्त’ या ‘अजन्त‘ कहा जाता है। इन शब्दों का अंत स्वरों (अ, आ, इ, ई आदि) से होता है इसलिए इन्हें ‘स्वरान्त‘ भी कहते हैं। यथा- बालक, गुरु, कवि, नदी, लता, पितृ, गो आदि। ये शब्द रूप प्रायः अकारान्त, आकारान्त, इकारान्त, ईकारान्त, उकारान्त, ऊकारान्त, ऋकारान्त, एकारान्त, ओकारान्त तथा औकारान्त आदि होते हैं।
Shabd Roop List in Sanskrit, संस्कृत शब्द रूप लिस्ट
अजंत पुल्लिंग संज्ञा शब्द रूप (Shabd Roop) सूची-
- राम शब्द के रूप (अकारांत शब्द)
- देव (देवता) शब्द के रूप (अकारांत शब्द)
- बालक शब्द के रूप (अकारांत शब्द)
- वृक्ष शब्द के रूप (अकारांत शब्द)
- अध्यापक शब्द के रूप (अकारांत शब्द)
- छात्र शब्द के रूप (अकारांत शब्द)
- नर शब्द के रूप (अकारांत शब्द)
- विश्वपा शब्द के रूप (आकारांत शब्द) विश्व के रक्षक
- पति शब्द के रूप (इकारांत शब्द) स्वामी
- कवि शब्द के रूप (इकारांत शब्द)
- सखि शब्द के रूप (इकारांत शब्द) सखा/मित्र
- सुधी शब्द के रूप (ईकारांत शब्द) पंडित
- नदी शब्द के रूप (ईकारांत शब्द)
- साधु शब्द के रूप (उकारांत शब्द)
- गुरु शब्द के रूप (ऊकारांत शब्द)
- ग्लौ शब्द के रूप (औकारान्त शब्द) चन्द्रमा/कपूर
- दातृ शब्द के रूप (ऋकारांत शब्द) दाता/दानी
- पितृ शब्द के रूप (ऋकारांत शब्द) पिता
अजंत स्त्रीलिंग संज्ञा शब्द रूप (Shabd Roop) सूची –
- बालिका शब्द के रूप (आकारांत शब्द)
- लता शब्द के रूप (आकारांत शब्द)
- बाला शब्द के रूप (आकारांत शब्द)
- विद्या शब्द के रूप (आकारांत शब्द)
- ज़रा शब्द के रूप (आकारांत शब्द) बुढ़ापा
- मति शब्द के रूप (इकारांत शब्द) बुध्दि
- नदी शब्द के रूप (ईकारांत शब्द)
- श्री शब्द के रूप (ईकारांत शब्द) लक्ष्मी, शोभा
- स्त्री शब्द के रूप (ईकारांत शब्द) महिला, औरत, lady, woman
- धेनु शब्द के रूप (उकारांत शब्द) गाय
- वधू शब्द के रूप (ऊकारांत शब्द) स्त्री , पतोहू , wife
- भू शब्द के रूप / पृथ्वी शब्द के रूप (ऊकारांत शब्द)
- स्वयम्भू शब्द के रूप (ऊकारांत शब्द) ब्रह्म/ब्रह्मा
- रै शब्द के रूप (एकारांत शब्द) धन/सोना
- गो शब्द के रूप (औकारान्त शब्द) गौ / बैल / इन्द्रियाँ / किरण / सूर्य
- मातृ शब्द के रूप (ऋकारांत शब्द) माता, mother
- स्वसृ शब्द के रूप (ऋकारांत शब्द) बहन, sister
अजंत नपुंसकलिङ्ग संज्ञा शब्द रूप (Shabd Roop) सूची –
- फल शब्द के रूप (अकारांत शब्द) fruit
- मित्र शब्द के रूप (अकारांत शब्द)
- वन शब्द के रूप (अकारांत शब्द)
- अरण्य शब्द के रूप (अकारांत शब्द)
- मुख शब्द के रूप (अकारांत शब्द)
- कमल शब्द के रूप (अकारांत शब्द)
- पुष्प शब्द के रूप (अकारांत शब्द)
- वारि शब्द के रूप (इकारांत शब्द) जल, water
- दधि शब्द के रूप (इकारांत शब्द) दही , curd
- अनादि शब्द के रूप (इकारांत शब्द) जिसकी आदि ना हो, without beginning
- मधु शब्द के रूप (उकारांत शब्द) शहद, honey
- स्वादु शब्द के रूप (उकारांत शब्द) स्वादिष्ट , tasteful
- धातृ शब्द के रूप (ऋकारांत शब्द) धाता , creator
नोट:- अकारान्त नपुंसकलिङ्ग शब्दों के तृतीया विभक्ति से सप्तमी विभक्ति तक के रूप अकारान्त पुल्लिंग शब्दों के रूपों की भाँति ही होते हैं।
हलंत/व्यंजनांत शब्द रूप
महेश्वर सूत्र के ही अनुसार सभी व्यंजन ‘ह’ से ‘ल्’ तक होते हैं, व्यंजनों को ‘हल्’ कहते हैं। अतः जिन शब्दों का अंत ‘ह’ से ‘ल्’ तक होता है, उन्हें ‘हल् + अन्त’ या ‘हलन्त’ कहा जाता है। इन शब्दों का अंत व्यंजन वर्णों (क्, च, ट्, त् आदि) से होता है अतः इन्हें ‘व्यंजनांत‘ भी कहते हैं।
ङ्, ञ, ण् ,य् इन व्यञ्जनों को छोड़कर प्राय: सभी व्यञ्जनों से अन्त होने वाले शब्द पाए जाते हैं। इनमें भी च्, ज् , त् , द्, ध् , न् , श् , ष् , स् और ह् व्यञ्जनों से अन्त होने वाले शब्द अधिकतर प्रयुक्त होते हैं।
हलंत शब्द रूप प्रायः चकारान्त, जकारान्त, तकारान्त, दकारान्त, धकारान्त, नकारान्त, पकारान्त, भकारान्त, रकारान्त, वकारान्त, शकारान्त, षकारान्त, सकारान्त, हकारान्त आदि होते है, यथा- राजन् जलमचु, प्राच्, सम्राज्, भूमृत्, पथिन् आदि। इन शब्दों के शब्द रूपों में ज्यादा अंतर नहीं होता है। हलंत शब्दों के शब्द रूप के उदाहरण इस प्रकार हैं:-
हलंत पुल्लिंग संज्ञा शब्द रूप (Shabd Roop) सूची –
- जलमुच् (मेघ , cloud) शब्द के रूप (चकारांत शब्द)
- प्राच् (पूर्व दिशा) शब्द के रूप (चकारांत शब्द)
- प्रत्यच् (पश्चिम दिशा) शब्द के रूप (चकारांत शब्द)
- बणिज् (व्यापारी, tradesman) शब्द के रूप (जकारान्त शब्द)
- सम्राज् (सम्राट, Emperor) शब्द के रूप (जकारान्त शब्द)
- भूमृत् (पहाड / राजा, mountain or king) शब्द के रूप (तकरान्त शब्द)
- राजन् (राजा) शब्द के रूप (नकारान्त शब्द)
- धावत् (दौडता हुआ, running) शब्द के रूप (अत् , ‘शतृ’ प्रत्यांत शब्द)
- श्रीमत् (धनवान्, wealthy) शब्द के रूप (‘मत्’ प्रत्यायान्त शब्द)
- महत् (बडा, महान्, great) शब्द के रूप (‘मत्’ प्रत्यायान्त शब्द)
- लघिमन् (छोटापन, lowliness or lightness) शब्द के रूप (‘अन्’ भागान्त शब्द)
- आत्मन् (आत्मा, soul) शब्द के रूप (‘अन्’ भागान्त शब्द)
- स्वन् (कुत्ता, dog) शब्द के रूप (‘अन्’ भागान्त शब्द)
- युवन् (जवान, young) शब्द के रूप (‘अन्’ भागान्त शब्द)
- मघवन् (इन्द्र) शब्द के रूप (‘अन्’ भागान्त शब्द)
- गुणिन् (गुणी , meritorious) शब्द के रूप (इन् भागान्त शब्द)
- पथिन् (रास्ता , passage) शब्द के रूप (इन् भागान्त शब्द)
- वृत्रहन् (Indra) शब्द के रूप (हन् भागान्त शब्द)
- ककुभ् (दिशा / अर्जुन वृक्ष) शब्द के रूप (भकारान्त शब्द)
- विश् (वैश्य, vasishya) शब्द के रूप (शकारांत शब्द)
- रत्नमुष् शब्द के रूप (षकारान्त शब्द)
- वेधस् (ब्रह्मा) शब्द के रूप (सकारान्त शब्द)
- उशनस् (शुक्राचार्य , Shukra) शब्द के रूप (सकारान्त शब्द)
- दोस् (हाथ, Hand) शब्द के रूप (सकारान्त शब्द)
- विद्वस् (विद्वान, A Learned man) शब्द के रूप (सकारान्त शब्द)
- पुमस् (आदमी, Man) शब्द के रूप (सकारान्त शब्द)
- गिर् (वाणी, words) शब्द के रूप (रकारान्त शब्द)
- उपानह् (जूता, shoes) शब्द के रूप (हकारान्त पुंल्लिंग शब्द)
हलंत स्त्रीलिंग संज्ञा शब्द रूप (Shabd Roop) सूची –
- सुह्रद् (दोस्त, friend) शब्द के रूप (दकारान्त शब्द)
- वीरूध् (लता, creeper) शब्द के रूप (धकारान्त शब्द)
- ‘अप्’ (जल) शब्द के रूप (पकारान्त शब्द)
- दिश् (दिशा , direction) (शकारांत शब्द)
- आशिष् शब्द के रूप (षकारान्त शब्द)
- दिव् (आकाश, स्वर्ग, sky, heavan) शब्द के रूप (वकारान्त शब्द)
- आशिस् (आशीर्वाद, blessing) शब्द के रूप (सकारान्त शब्द)
- मधुलिह् (मधुमक्खी) शब्द के रूप (हकारान्त शब्द)
हलंत नपुंसकलिङ्ग शब्द रूप (Shabd Roop) सूची –
नपुंसकलिंग शब्द रूप पुल्लिंग शब्द रूपों की तरह ही होते हैं। सिर्फ प्रथमा और द्वितीया विभक्ति के शब्द रूपों में अंतर होता है। ये शब्द रूप इस प्रकार हैं-
- प्राच् – नपुंसकलिंग (पूर्व, east) शब्द के रूप (चकारान्त शब्द)
- उदच् (उत्तर, north) शब्द के रूप (चकारान्त शब्द)
- तिर्य्यच् (पक्षी, bird) शब्द के रूप (चकारान्त शब्द)
- प्रत्यच् (पश्चिम, west) शब्द के रूप (चकारान्त शब्द)
- भविष्यत् (future) शब्द के रूप (तकारान्त शब्द)
- गच्छत् (जाता हुआ , going) शब्द के रूप (अत् प्रत्यान्त् शब्द)
- इच्छत् (चाहता हुआ, wishing) शब्द के रूप (अत् प्रत्यान्त् शब्द)
- ददत् (देता हुआ, giving) शब्द के रूप (अत् प्रत्यान्त् शब्द)
- महत् (बड़ा , great) शब्द के रूप (अत् प्रत्यान्त् शब्द)
- ह्रद् (ह्रदय, heart) शब्द के रूप (दकारांत शब्द)
- धामन् (घर, house) शब्द के रूप (अन् भागान्त शब्द)
- कर्म्मन् (काम , work) शब्द के रूप (अन् भागान्त शब्द)
- अहन् (दिन, day) शब्द के रूप (अन् भागान्त शब्द)
- स्थायिन् (टिकाऊ /स्थायी , permanent / durable) शब्द के रूप (इन् भागान्त शब्द)
- पयस् (पानी/दूध , water /milk) शब्द के रूप (सकारान्त शब्द)
- धनुस् (धनुष , bow) शब्द के रूप (षकारान्त शब्द)
सर्वनाम (Pronoun) Shabd Roop
जो संज्ञापदों की पुनरावृत्ति रोकता है सर्वनाम पद कहलाता है। जैसे – अन्य , तद् , यद् , इदम् आदि। संस्कृत में सर्वनामों की संख्या पैंतीस (35) है। सर्व (सब), उभय (दो), अन्य, तद् (वह), यद् (जो), एतद् (यह), इदम् (यह), अदस् (वह), युष्मद् (तुम), अस्मद् (मैं), भवत् (आप), किम् (क्या) आदि प्रमुख सर्वनाम शब्द हैं। सर्वनाम शब्द रूपों का सम्बोधन नहीं होता है।
सर्वनाम शब्द रूप के भेद: सर्वनाम शब्द रूप के अनुसार पांच (5) विभागों में विभक्त है- १-सर्व्वादि , २- अन्यादि , ३- पूर्वादि , ४- इदमादि और ५- यदादि।
‘सर्व्वादि’ सर्वनाम शब्द रूप : सर्व, विश्व, उभय, एक, और एकतर इन शब्दों के रूप एकसमान ही होते है।
- सर्व – पुल्लिंग शब्द के रूप (सभी, all)
- सर्व – क्लीवलिंग, नपुंसकलिंग शब्द के रूप (सभी, all)
- सर्व – स्त्रीलिंग शब्द के रूप (सभी, all)
‘अन्यादि’ सर्वनाम शब्द रूप : अन्य, अन्यतर, इतर, क़तर, कतम, और एकतम आदि शब्दों के रूप सर्व्वादि के तुल्य हैं। केवल नपुंसकलिंग के प्रथमा तथा द्वतीया विभक्ति के एकवचन में – अन्यत् , अन्यतरत् , इतरत् , कतमत् और एकतमत् ऐसा रूप होता है।
‘पूर्व्वादि’ सर्वनाम शब्द रूप : पूर्व, पर, अपर, अवर, अघर, दक्षिण, उत्तर, स्व इनके रूप एक समान होते हैं।
‘इदमादि’ सर्वनाम शब्द रूप : इदम् , अस्मद् , युष्मद् , अदस् , शब्दो के रूप मे भेद होने के कारण अलग अलग लिखे जाते है।
- इदम् – पुल्लिङ्ग् शब्द के रूप (यह, this)
- इदम् – क्लीवलिंग (नपुंसकलिंग) शब्द के रूप (यह, this)
- इदम् – स्त्रीलिङ्ग शब्द के रूप (यह, this)
- अस्मद् – सभी लिङ्गो में शब्द के रूप (मै/हम लोग, I/We)
- युष्मद् – सभी लिङ्गो में शब्द के रूप (तू/तुम , You)
- अदस् – पुल्लिङ्ग् शब्द के रूप (वह, That)
- अदस् – क्लीवलिंग शब्द के रूप (वह, That)
- अदस् – स्त्रीलिङ्ग शब्द के रूप (वह, That)
‘यदादि’ सर्वनाम शब्द रूप : यद् , तद् , एतद् , त्यद् , किम् – इन शब्दों का क्रमशः य: , स: , एष: , स्य: , क: होता है। और सर्व्वादि के तुल्य रूप होते हैं। नपुंसकलिंग में प्रथमा और द्वतीया के एकवचन में यत् , तत् , एतत् , त्यत् , किम् होता है। स्त्रीलिंग में इन शब्दों का रूप या , सा , एषा , स्या, का, होता है।
- यद् – पुल्लिंग शब्द के रूप (जो, Who)
- यद् – स्त्रीलिङ्ग शब्द के रूप (जो, Who)
- यद् – क्लीवलिंग (नपुंसकलिंग) शब्द के रूप (जो, Who)
- तद् – पुल्लिङ्ग् शब्द के रूप (वह, That)
- तद् – स्त्रीलिङ्ग शब्द के रूप (वह, That)
- तद् – क्लीवलिंग (नपुंसकलिंग) शब्द के रूप (वह, That)
- एतद् – पुल्लिङ्ग् शब्द के रूप (यह, This)
- एतद् – स्त्रीलिङ्ग शब्द के रूप (यह, This)
- एतद् – क्लीवलिंग (नपुंसकलिंग) शब्द के रूप (यह, This)
- किम् – पुल्लिङ्ग् शब्द के रूप (क्या, कौन, What, Who)
- किम् – स्त्रीलिङ्ग शब्द के रूप (क्या, कौन, What, Who)
- किम् – क्लीवलिंग (नपुंसकलिंग) शब्द के रूप (क्या, कौन, What, Who)
- भवत् – पुल्लिङ्ग् शब्द के रूप (आप, Your)
- भवत् – स्त्रीलिङ्ग शब्द के रूप (आप, Your)
विशेषण शब्द : सम्बन्ध वाचक सर्वनाम जैसे – मम (मेरा), अस्माकम् (हमारा), तव (तेरा), युष्माकम् (तुम्हारा), अस्य (इसका), तस्य (उसका) आदि शब्दों में कुछ प्रत्यय जोड़कर इनसे विशेषण बनाकर इन्हें अन्य विशेष्यों के अनुसार प्रयोग किया जाता है। इन प्रत्ययों को तद्धित प्रत्यय कहते हैं।
कुछ सर्वनाम शब्दों में “छ (ईय)” प्रत्यय होने पर क्रमश: तद् से तदीय, एतद् से एतदीय, यद् से यदीय, इदम् से इदमीय आदि शब्द रूप बनते हैं।
कुछ सार्वनामिक विशेषण शब्द रूप-
- कीदृश् (किस प्रकार) शब्द के रूप
- ईदृश (इस प्रकार) शब्द के रूप
- कतिपय (कुछ) शब्द रूप
- उभ (दोनों) शब्द रूप
संख्यावाची (Numerals) Shabd Roop
एकः, द्वौ शब्द सर्वनाम शब्द हैं। 1 से लेकर 18 तक संख्यावाची शब्द विशेषण रूप में प्रयुक्त होते हैं। एकः, द्वौ, त्रयः, चत्वारः इन संख्यावाची शब्द के तीनों लिंगों में रूप होते हैं। एकः शब्द एक वचनान्त है, पर कुछ के अर्थ में वह कभी कभी बहुवचन भी होता है। ‘एक’ शब्द का रूप सर्व के समान होता है।
संख्यावाची या संख्यावाचक शब्द रूप सूची :
- संख्या शब्द रूप
- एक (One) शब्द के रूप (एकवचनान्त एक)
- द्वि (Two) शब्द के रूप (नित्य द्विवचनान्त)
- त्रि (Three) शब्द के रूप (नित्य वहुवचनान्त)
- चतुर (Four) शब्द के रूप (नित्य वहुवचनान्त)
- पञ्चन् (Five) शब्द के रूप (नित्य वहुवचनान्त)
- षष् (Six) शब्द के रूप (नित्य वहुवचनान्त)
- अष्टन् (Eight) शब्द के रूप (नित्य वहुवचनान्त)
ध्यान रखें:-
- सात (7) और नौ (9) से अठारह (18) तक के सभी शब्दों के रूप वहुवचन और तीनों लिंगो में सामान होते हैं। इनके शब्द रूप पांच (5) की तरह ही होते हैं।
- उन्नीस (19) से निन्यानवे (99) तक के सभी शब्द रूप एकवचन और स्त्रीलिंग होते हैं।
- इक्कीश (21) से अठ्ठाइस (28) तक के सभी शब्द रूप मति के समान होते हैं।
- उन्तीस (29) से अठ्ठावन (58) तक के शब्द रूप भूभृत् के समान होते हैं।
- उनसठ (59) से निन्यानवे (99) तक के शब्दों के शब्द रूप मति के समान होते हैं।
- सौ(100), हजार(1000), लाख(100000), आदि प्राय: एकवचन नपुंसकलिंग होते हैं। इनके शब्द रूप फल के समान होते हैं।
संख्याएं: संस्कृत में गणना जानने के लिए पढ़ें –
कुछ संस्कृत संख्याएं-
क्रम | पुँल्लिङ्ग | स्त्रीलिङ्ग | नपुंसकलिङ्ग |
---|---|---|---|
1. | एकः | एका | एकम् |
2. | द्वौ | द्वे | द्वे |
3. | त्रयः | तिस्रः | त्रीणि |
4. | चत्वारः | चतस्रः | चत्वारि |
इससे आगे के संख्या-शब्द तीनों लिङ्गों में अधिकांशतः समान और प्रायः वहुवचन होते हैं-
- पञ्च
- षट्
- सप्त
- अष्टौ, अष्ट
- नव
- दश
- एकादश
- द्वादश
- त्रयोदश
- चतुर्दश
- पञ्चदश
- षोडश
- सप्तदश
- अष्टादश
- ऊनविंशतिः, एकोनविंशतिः, नवदश
- विंशतिः
- एकविंशतिः
- द्वाविंशतिः, द्वाविंशः
- त्रयोविंशतिः, त्रयोविंशः
- चतुविंशतिः, चतुर्विंशः
- पञ्चविंशतिः, पञ्चविंशः
- षड्विंशतिः, षड्विंशः
- सप्तविंशतिः, सप्तविंशः
- अष्टाविंशतिः, अष्टाविंशः
- ऊनत्रिंशत्, एकोनत्रिंशत्, नवविंशः, नवविंशतिः
- त्रिंशत्
- एकत्रिंशत्
- द्वात्रिंशत्
- त्रयस्त्रिंशत्
- चतुस्त्रिंशत्
- पञ्चत्रिंशत्
- षट्त्रिंशत्
- सप्तत्रिंशत
- अष्टात्रिंशत्
- ऊनचत्वारिंशत्, एकोनचत्वारिंशत्, नवत्रिंशत्
- चत्वारिंशत्
- एकचत्वारिंशत्
- द्विचत्वारिंशत्, द्वाचत्वारिंशत्
- त्रिचत्वारिंशत्, त्रयश्चत्वारिंशत्
- चतुश्चत्वारिंशत्
- पञ्चचत्वारिंशत्
- षट्चत्वारिंशत्
- सप्तचत्वारिंशत्
- अष्टचत्वारिंशत्, अष्टाचत्वारिंशत्
- ऊनपञ्चाशत्, एकोनपञ्चाशत्, नवचत्वारिंशत्
- पञ्चाशत्
- एकपञ्चाशत्
- द्विपञ्चाशत्, द्वापञ्चाशत्
- त्रिपञ्चाशत्, त्रयःपञ्चाशत्
- चतुष्पञ्चाशत्
- पञ्चपञ्चाशत्
- षट्पञ्चाशत्
- सप्तपञ्चाशत्
- अष्टपञ्चाशत्, अष्टापञ्चाशत्
- ऊनषष्ठिः, एकोनषष्टिः, नवपञ्चाशत्
- षष्ठिः
- एकषष्ठिः
- द्विषष्ठि, द्वाषष्ठिः
- त्रिषष्ठिः, त्रयःषष्ठिः
- चतुःषष्ठिः
- पञ्चषष्ठिः
- षट्षष्ठिः
- सप्तषष्ठिः
- अष्टषष्ठिः, अष्टाषष्ठिः
- ऊनसप्ततिः, एकोनसप्ततिः, नवषष्ठिः
- सप्ततिः
- एकसप्ततिः
- द्वासप्ततिः, द्विसंप्ततिः
- त्रयःसप्ततिः, त्रिसप्ततिः
- चतुःसप्ततिः
- पञ्चसप्ततिः
- षट्सप्ततिः
- सप्तसप्ततिः
- अष्टासप्ततिः, अष्टसप्ततिः
- ऊनाशीतिः, एकोनाशीतिः, नवसप्ततिः
- अशीतिः
- एकाशीतिः
- द्वयशीतिः
- त्र्यशीतिः
- चतुरशीतिः
- पञ्चाशीतिः
- षडशीतिः
- सप्ताशीतिः
- अष्टाशीतिः
- ऊननवतिः, एकोननवतिः, नवाशीतिः
- नवतिः
- एकनवतिः
- द्विनवतिः द्वानवतिः
- त्रयोनवतिः
- चतुर्नवतिः
- पञ्चनवतिः
- षण्णवतिः
- सप्तनवतिः
- अष्टनवतिः, अष्टानवतिः
- नवनवतिः, ऊनशतम्, एकोनशतम्
- शतम्, शतकम्
शब्द रूप याद करने की ट्रिक Trick
संस्कृत में सबसे बड़ी परेशानी शब्द रूपों को लेकर होती है। संस्कृत व्याकरण में अनगिनत शब्द रूप होते हैं। अब जाहिर सी बात है कि इतने सारे शब्द रूप याद हो जाएं यह संभव नहीं है। या फिर वे विरले ही लोग हैं जिन्हें इतने Sanskrit में शब्द रूप याद हो सकें। यहां Shabd Roop याद करने की जो trick दी गई है उसमें इस table का बड़ा योगदान है। आप इस टेबल को अगर एक बार ध्यान पूर्व पढ लिया तो आपको संस्कृत में शब्द रूप बनाने में कभी कोई परेशानी नहीं होगी। क्योंकि यही टेबल मेरी सारी मेहनत का सार है। विभक्तियों के रूपों का पदक्रम :-
विभक्ति | एकवचन | द्विवचन | वहुवचन् |
प्रथमा | अ: | औ | आ: (जस् ) |
द्वतीया | अम् | औट् | आ: (शस् ) |
त्रतीया | आ (टा) | भ्याम् | भि: (भिस् ) |
चतुर्थी | ए (ङे ) | भ्याम् | भ्य: (भ्यस् ) |
पञ्चमी | अ: (ड़स् ) | भ्याम् | भ्य: (भ्यस् ) |
षष्ठी | अ: | ओ: (ओस् ) | आम् |
सप्तमी | इ (डि.) | ओ: (ओस् ) | सु (सुप् ) |
किसी भी शब्द के शब्द रूपों में हम एक बात देखते हैं कि-
- प्रथमा और द्वतीया विभक्ति में वहुवचन के रूप समान होते हैं।
- त्रतीया, चतुर्थी, और पञ्चमी विभक्ति में द्विवचन के रूप लगभग सभी शब्दों के रूप समान होते हैं।
- चतुर्थी, और पञ्चमी विभक्ति में वहुवचन के शब्द रूप भी एक जैसे होते हैं।
- षष्ठी और सप्तमी विभक्ति में द्विवचन के रूप लगभग सभी शब्दों के रूप एक ही से होते हैं।
इन रूपों रूप को याद करने के बाद बचे हुए शब्द रूप याद कर लेने पर, आपको उस प्रकार शब्दों के संस्कृत में सभी शब्द रूप स्वतः ही याद हो जाएंगे, और आपको रटने की जरूरत नहीं पड़ेगी।
जैसे यदि आपने राम के शब्द रूप याद कर लिए तो देव, बालक, वृक्ष, सूर्य, सुर, असुर, मानव, अश्व, गज, ब्राह्मण, क्षत्रिय, शूद्र, छात्र, शिष्य, दिवस, लोक, ईश्वर, भक्त आदि के शब्द रूप आप स्वतः ही बना लोगे।