बुद्धि का परिचय
(Introduction of Intelligence)
हम दैनिक जीवन में कहते हैं कि वह एक अच्छा नेता है, वह अच्छा शिक्षक है, वह श्रेष्ठ पत्रकार है या वह सफल व्यापारी है। इससे तात्पर्य है कि उसकी बुद्धि बहुत अधिक तीव्र है, जिसका प्रयोग वह विभिन्न क्षेत्रों में करता है।
किन्तु दूसरी ओर हम कहते हैं कि अमुक विद्यार्थी तीन विषयों में फेल हो गया तथा अमुक व्यक्ति का व्यवहार मूखों जैसा है तो लगता है कि उसकी बुद्धि बलवती नहीं है। इसका सम्बन्ध बुद्धि को तीव्रता तथा निर्बलता से माना जाता है।
बुद्धिमान व्यक्ति वह होता है, जो जीवन की विभिन्न परिस्थितियों का सामना करने में सक्षम हो । पूर्व में यह विचार था कि पदार्थ-सोना, लोहा तथा पत्थर जो मूर्त रूप में है, उनका ही मापन किया जा सकता है, परंतु विचारों का मापना कठिन है। अर्थात् बुद्धि एवं संवेग का जिनका विचारों से सम्बन्ध है, मापन कैसे किया जाये?
थॉर्नडाइक ने इस सम्बन्ध में यह कहा है कि “जो कुछ वस्तु है, वह एक मात्रा में रहती है और यदि वह मात्रा में है तो उसकी माप की जा सकती है।” इस प्रकार धीरे-धीरे बीसवीं सदी में प्रवेश करते ही निम्नलिखित बातों की आवश्यकता इनसे सम्बन्धित ज्ञान हेतु हुई-
- मानसिक योग्यता का ज्ञान
- मन्दबुद्धि एवं प्रतिभावान में वर्गीकरण
- व्यक्तित्व का अध्ययन
- बुद्धि मापन की सही प्रविधियाँ
बुद्धि की परिभाषा
(Definitions of Intelligence)
बुद्धि की आत्मा एक ही है परन्तु बुद्धि की परिभाषा अनेक मनोवैज्ञानिकों ने उसके स्वरूप के आधार पर अलग-अलग निम्न प्रकार दी है-
थॉर्नडाइक (Thorndike) के शब्दों में-
“वास्तविक परिस्थिति के अनुसार अपेक्षित प्रतिक्रिया की योग्यता ही ‘बुद्धि’ है।” (Intelligence is the ability to motive profitable use of past experience.)
टरमैन (Terman) के अनुसार-
“अमूर्त वस्तुओं के विषय में सोचने की योग्यता ही ‘बुद्धि’ है।” (Intelligence is a capacity to think well, to judge well and to be self critical.)
बकिंघम (Wakingham) ने कहा है-
“सीखने की शक्ति ही बुद्धि है।” (The power of learning is intelligence.)
बर्ट (Burt) कहते हैं-
“नवीन मनो-शारीरिक संयोगों के आयोजन द्वारा अपेक्षाकत नवीन परिस्थितियों में पुनर्व्यवस्थापन की शक्ति ही ‘बुद्धि’ है।” (It is the capacity of flexible adjustment.)
एच. ई. गैरेट (H. E. Garret) के अनुसार-
“ऐसी समस्याओं को हल करने की योग्यता, जिनमें ज्ञान और प्रतीकों को समझने और प्रयोग करने की आवश्यकता हो; जैसे-शब्द, अंक, रेखाचित्र, समीकरण और सूत्र ही ‘बुद्धि’ है।” (Intelligence is the ability to solve such problems is which needed the understanding and applications of knowledge and symbols such as–word, digit, graph, equation and formulae.)
बिने (Binet) और साइमन (Simon) के शब्दों में-
“निर्णय, सद्भावना, उपकरण, समझने की योग्यता, युक्तियुक्त तर्क और वातावरण में अपने को व्यवस्थित करने की शक्ति ही बुद्धि है।” (Capacity to think well, good feeling. judgement, skill for tool, the power of self-adjustment in environment and reasoning is intelligence.)
बेलार्ड (Balard) के अनुसार-
“बुद्धि वह मानसिक योग्यता है, जो कि ज्ञान रुचि और आदतों रूपी साधनों द्वारा मापी जा सकती है।” (Intelligence is the mental ability which can be measured by knowledge, interest and resources of habits.)
उपर्युक्त परिभाषाओं के आधार पर बुद्धि-परीक्षा को निम्न योग्यताओं की माप कहा जा सकता है-
- सम्यक् तर्क की योग्यता की माप।
- सीखने की योग्यता की माप।
- नवीन समस्याओं अथवा परिस्थितियों में अपने ज्ञान का समुचित प्रयोग करने की योग्यता की माप।
- विभिन्न सम्बन्धों को समझने की योग्यता तथा सारभूत वस्तुओं को पहचानने की योग्यता की माप।
बुद्धि के प्रकार
(Types of Intelligence)
थार्नडाइक के अनुसार– बुद्धि अनेक प्रकार की शक्तियों का समूह है, इसलिये उन्होंने स्थूल दृष्टि से बुद्धि के तीन प्रकार बताये-
- अमूर्त बुद्धि
- सामाजिक बुद्धि
- यान्त्रिक बुद्धि
1. अमूर्त बुद्धि (Abstract intelligence)
पुस्तकीय ज्ञान के प्रति अपने को व्यवस्थित करने की योग्यता अमूर्त बुद्धि है। शाला में बुद्धि परीक्षाओं द्वारा बालकों की विशिष्ट योग्यता, रुचि, रुझान एवं प्रवृत्ति के बारे में जानकारी मिलती है। इसके द्वारा पढ़ने,
लिखने, प्रतीकों एवं सूत्रों का हल तथा अन्य समस्याओं का हल आसानी से किया जा सकता है। ज्ञानोपार्जन ‘बुद्धि’ पर निर्भर करता है।
अमूर्त बुद्धि त्रिमुखी है। स्तर, क्षेत्र और वेग अथवा गति ही उसकी तीन विभिन्न क्रियाएँ हैं। कठिनाई स्तर को समझना, कार्य की सक्षमता का आभास करना तथा कार्य करने की गति को समझना है।
2. सामाजिक बुद्धि (Social intelligence)
अपने समाज के अनुकूल व्यवस्थित करने की योग्यता ही सामाजिक बुद्धि कहलाती है। परस्पर सद्भाव, सहयोग, सद्व्यवहार तथा अन्य रुचि के साथ सामाजिक कार्यों में भाग लेना, ‘सामाजिक बुद्धि’ है। जीवन की
सफलता के लिये ‘सामाजिक बुद्धि’ का ज्ञान एवं प्रयोग आवश्यक है।
3. यान्त्रिक बुद्धि (Mechanical intelligence)
व्यक्ति में यह योग्यता यन्त्री तथा मशीनों के साथ अनुकूलन की योग्यता है। इस योग्यता या दक्षता के आधार पर व्यक्ति कुशल कारीगर, चालक, मिस्त्री या इन्जीनियर बन सकता है। इस प्रकार वह इन परिस्थितियों में, जिनका सम्बन्ध यन्त्रों एवं भौतिक पदार्थों से होता है, अपने को समायोजित एवं सुव्यवस्थित कर लेता है।
इस दक्षता को अभ्यास द्वारा बढ़ाया जा सकता है। इस दक्षता के अभाव में व्यक्ति अपने दैनिक कार्यों को नहीं कर पाता तथा दब्बू व्यक्तित्व का व्यक्ति रह जाता है।
मानसिक विकास
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