कतिपय शब्द (कुछ): कतिपय संस्कृत का सार्वनामिक विशेषण शब्द है। संस्कृत में कुछ सार्वनामिक विशेषण के शब्द रूप इस प्रकार हैं, जैसे- ईदृश, तादृश, कीदृश, उभ, उभय इत्यादि।
कतिपय के शब्द रूप
संस्कृत में कतिपय के शब्द रूप (Katipay ka shabd roop) वाक्यों में पदों के रूप में होता है, Katipay के Shabd Roop तीनों वचन एवं सभी विभक्तियों में निम्नलिखित हैं,
1. कतिपय पुल्लिंग शब्द (कतिपय) के रूप (Katipay Pulling Shabd Roop in Sanskrit)
विभक्ति | एकवचन | द्विवचन | बहुवचन |
---|---|---|---|
प्रथमा | कतिपयः | कतिपयौ | कतिपयाः |
द्वितीया | कतिपयम् | कतिपयौ | कतिपयान् |
तृतीया | कतिपयेन | कतिपयाभ्याम् | कतिपयैः |
चतुर्थी | कतिपयाय | कतिपयाभ्याम् | कतिपयेभ्यः |
पञ्चमी | कतिपयात्,कतिपयाद् | कतिपयाभ्याम् | कतिपयेभ्यः |
षष्ठी | कतिपयस्य | कतिपययोः | कतिपयानाम् |
सप्तमी | कतिपये | कतिपययोः | कतिपयेषु |
2. कतिपय स्त्रीलिंग शब्द (कतिपया) के रूप (Katipay Striling Shabd Roop in Sanskrit)
विभक्ति | एकवचन | द्विवचन | बहुवचन |
---|---|---|---|
प्रथमा | कतिपया | कतिपये | कतिपयाः |
द्वितीया | कतिपयाम् | कतिपये | कतिपयाः |
तृतीया | कतिपयया | कतिपयाभ्याम् | कतिपयाभिः |
चतुर्थी | कतिपयायै | कतिपयाभ्याम् | कतिपयाभ्यः |
पञ्चमी | कतिपयायाः | कतिपयाभ्याम् | कतिपयाभ्यः |
षष्ठी | कतिपयायाः | कतिपययोः | कतिपयानाम् |
सप्तमी | कतिपयायाम् | कतिपययोः | कतिपयासु |
3. कतिपय नपुंसकलिंग शब्द (कतिपयम्) के रूप (Katipay NapunsakLing Shabd Roop in Sanskrit)
विभक्ति | एकवचन | द्विवचन | बहुवचन |
---|---|---|---|
प्रथमा | कतिपयम् | कतिपये | कतिपयानि |
द्वितीया | कतिपयम् | कतिपये | कतिपयानि |
तृतीया | कतिपयेन | कतिपयाभ्याम् | कतिपयैः |
चतुर्थी | कतिपयाय | कतिपयाभ्याम् | कतिपयेभ्यः |
पञ्चमी | कतिपयात्, कतिपयाद् | कतिपयाभ्याम् | कतिपयेभ्यः |
षष्ठी | कतिपयस्य | कतिपययोः | कतिपयानाम् |
सप्तमी | कतिपये | कतिपययोः | कतिपयेषु |
कतिपय शब्द का अर्थ
कतिपय शब्द का हिन्दी अर्थ “कुछ” होता है। कतिपयः, त्रि, (किम् + डति कति अयक् पुकच् ।) कति । इति व्याकरणम् । कतकगुलि इति भाषा । (यथा, मेघदूते २५ । “सम्पत्स्यन्ते कतिपयदिनस्थायिहंसादशार्णाः” ॥)
- वर्णैः कतिपयैरेव ग्रथितस्य स्वरैरिव – माघः।
- कतिपयैः परिमितेः – मल्लिनाथ पुराण।
- संपत्स्यन्ते कतिपयदि-नस्थायिहंसा दशार्णाः – मेघदूतम्।
- पोटायुवतिस्तोककतिपये – त्यादि॰ पा॰, सूत्रस्य प्रायिकत्वान्न उत्तरनिपातः – मल्लिनाथ पुराण।
- अन्यत्र तु ब्राह्मण कतिपय इत्यादि।
- अस्य जसि वा शीकतिपये कतिपया वा।
- परिष्कुर्वन्त्यर्थान् सहृदय धुरीणाःकतिपये – रसगङ्गा।
- एवैवं समृद्धाः स्युः कतिपयेवापरा – शतपथ ब्राह्मण।
- अद्रव्यवाचित्वे अस्मात् वाकरणे पञ्चमी। कतिपयेन मुक्तः कतिपयान्सुमुक्तो वा समासेतत्र पञ्चम्या अलुक्।
- द्रव्यपरत्वे तु कतिपयेन विषेण मुक्त इत्येव “षट्कतिकतिपयचतुरामिति” पा॰ निर्देशात्तस्याऽसं ख्यावाचकत्वेऽपि पूरण डट् थुक् च।
- कति-पयथ कतिपयपूरणार्थेत्रि॰ स्त्रियां ङीप्।
कतिपय के समानार्थी – अनेक, अनेकानेक, अनेग, एकाधिक, कई, कई तरह का, तमाम, नाना, बहुतेरे, विविध आदि है।
कतिपय के पर्यायवाची – कई, कुछ, थोड़े, थोड़े-से, कितने ही, कुछ एक, कुछेक, कई एक, कुछ थोड़े-से, चंद, बहुत कम, कमतर, अनेकानेक, थोड़ा-सा, बहुतेरे, आंशिक, कई।
अन्य शब्द रूप
संस्कृत के अन्य शब्द रूपों के उदाहरण- बालक शब्द के रूप, लता शब्द के रूप, अस्मद शब्द के रूप, नदी शब्द के रूप, राम शब्द के रूप, बालिका शब्द के रूप, किम शब्द के रूप आदि। (Balak shabd roop, Lata shabd roop, Asmad shabd roop, Nadi shabd roop, Ram shabd roop, Balika shabd roop, Kim shabd roop आदि।)
अधोलिखित स्वरान्त, व्यञ्जनान्त एवं सर्वनाम शब्दों के शब्द रूप महत्वपूर्ण हैं –
- स्वरान्त- लता, मुनि, पति, भूपति, नदी, भानु, धेनु, मधु, पितृ, मातृ, गो, द्यौ, नौ और अक्षि।
- व्यञ्जनान्त- राजन्, भवत्, आत्मन्, विद्वस्, चन्द्रमस्, वाच, गच्छत्, पुम्, पथिन्, गिर्, अहन् और पयस्।
- सर्वनाम- सर्व, यत्, तत्, एतत्, किम्, इदम् (सभी लिङ्गों में) अस्मद्, युष्मद, अदस्, ईदृश, कतिपय, उभ और कीदृश।
- संख्याशब्द- एक, द्वि, त्रि, चतुर्, पञ्चन् आदि।