शब्द-युग्म (Shabd Yugm) : हिंदी में अनेक प्रकार के ऐसे शब्द होते हैं जिनका उच्चारण एक समान होता है, परंतु उनके अर्थ अलग-अलग होते हैं, ऐसे ही शब्द ‘युग्म-शब्द’ कहलाते हैं। इन शब्दों का प्रयोग गद्य की अपेक्षा पद्य में अधिक होता है। Shabd Yugm को अंग्रेजी में ‘Combination word’ कहा जाता है। इस पोस्ट में 500+ Shabd Yugm दिए गए, जिसकी जानकारी विस्तार से नीचे दी गई है।
शब्द युग्म (Combination words) की परिभाषा
हिंदी भाषा में कई शब्द ऐसे होते हैं, जिनके स्वर, व्यंजन, उच्चारण और वर्तनी में बहुत कम भिन्नता होती है, परन्तु अर्थ की दृष्टि से वे बिल्कुल भिन्न होते हैं, ऐसे शब्दों को Shabd Yugm कहते हैं। जैसे- ‘अंगार-अगार’, ‘अँगना-अंगना’, ‘अन्न-अन्य’ आदि।
हिन्दी भाषा ‘मात्रा, वर्ण और उच्चारण प्रधान भाषा’ है, इसमें शब्दों की मात्राओं अथवा वर्णों में परिवर्तन हो जाने से अर्थ में काफी अन्तर आ जाता है। अतः शब्द-युग्म के ज्ञान के अभाव में अर्थ का अनर्थ हो सकता है अतः उच्चारण और लेखन में इनका ज्ञान अनिवार्य है। युग्म शब्द को ‘समश्रुत शब्द‘, ‘श्रुतिसम भिन्नार्थक शब्द‘ और ‘समोच्चरित भिन्नार्थक शब्द‘ भी कहते हैं।
जैसे- अंगार और अगार दोनों शब्दों के उच्चारण और वर्तनी लगभग एक जैसी लगती हैं परन्तु उनके अर्थ अलग हैं।
अंगार= आग;
अगार= आगे।
हिन्दी में इस प्रकार के बहुत शब्द हैं, कुछ हिन्दी शब्द-युग्म अर्थ सहित निम्न हैं-
हिन्दी शब्द-युग्म अर्थ सहित | |
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शब्द-युग्म | अर्थ |
अग-अघ | अग का अर्थ “सर्प/पर्वत”, जबकि अघ का अर्थ “पाप” है। |
अनल-अनिल | अनल का अर्थ “आग”, जबकि अनिल का अर्थ “हवा” है। |
अभिज्ञ-अविज्ञ | अभिज्ञ का अर्थ “जानकार”, जबकि अविज्ञ का अर्थ “मूर्ख” है। |
अयश-अयस | अयश का अर्थ “बदनामी”, जबकि अयस का अर्थ “लोहा” है। |
अलक-अलिक | अलक का अर्थ “बाल”, जबकि अलिक का अर्थ “ललाट” है। |
आदि-आदी | आदि का अर्थ “प्रारम्भ”, जबकि आदी का अर्थ “आदत वाला” है। |
आधि-व्याधि | आधि का अर्थ “मानसिक कष्ट”, जबकि व्याधि का अर्थ “शारीरिक कष्ट” है। |
इति-इंति | इति का अर्थ “समाप्ति”, जबकि इंति का अर्थ “दैविक आपदा” है। |
उत्पल-उपल | उत्पल का अर्थ “कमल”, जबकि उपल का अर्थ “पत्थर/ओले” है। |
कृतज्ञ-कृतघ्न | कृतज्ञ का अर्थ “उपकार मानना”, जबकि कृतघ्न का अर्थ “उपकार न मानना” है। |
ग्रह-गृह | ग्रह का अर्थ “नक्षत्र”, जबकि गृह का अर्थ “घर” है। |
तरणि-तरणी | तरणि का अर्थ “सूर्य”, जबकि तरणी का अर्थ “नाव” है। |
निर्जर-निर्झर | निर्जर का अर्थ “देवता”, जबकि निर्झर का अर्थ “झरना” है। |
निर्वाण-निर्माण | निर्वाण का अर्थ “मोक्ष”, जबकि निर्माण का अर्थ “रचना” है। |
प्रसाद-प्रासाद | प्रसाद का अर्थ “कृपा/भोग”, जबकि प्रासाद का अर्थ “महल” है। |
बदन-वदन | बदन का अर्थ “शरीर”, जबकि वदन का अर्थ “मुख” है। |
व्यजन-व्यंजन | व्यजन का अर्थ “पंखा”, जबकि व्यंजन का अर्थ “पकवान” है। |
शर-सर | शर का अर्थ “बाण”, जबकि सर का अर्थ “तालाब” है। |
शुचि-शची | शुचि का अर्थ “पवित्र”, जबकि शची का अर्थ “इन्द्राणी” है। |
सुचि-सूची | सुचि का अर्थ “सुई”, जबकि सूची का अर्थ “तालिका” है। |
शब्द युग्म की पूर्ण सूची नीचे है (Complete list of combinations words are given below)-
शब्द-युग्म के उदाहरण
- अँगना-अंगना: अँगना का अर्थ है ‘घर का आँगन’ और अंगना का ‘स्त्री’।
- अंगार-अगार: अंगार का अर्थ है ‘आग’ और अगार का ‘आगे’।
- अन्न-अन्य: अन्न का अर्थ है ‘अनाज’ और अन्य का ‘दूसरा’।
- अंस-अंश: अंस का अर्थ है ‘कंधा’ और अंश का ‘हिस्सा’।
- अनिल-अनल: अनिल का अर्थ है ‘हवा’ और अनल का ‘आग’।
- अम्बु-अम्ब: अम्बु का अर्थ है ‘जल’ और अम्ब का ‘माता या आम’।
- अथक-अकथ: अथक का अर्थ है ‘बिना थके हुए’ और अकथ का ‘जो कहा न जाय’।
- अध्ययन-अध्यापन: अध्ययन का अर्थ है ‘पढ़ना’ और अध्यापन का ‘पढ़ाना’।
- अधम-अधर्म: अधम का अर्थ है ‘नीच’ और अधर्म का ‘पाप’।
- अली-अलि: अली का अर्थ है ‘सखी’ और अलि का ‘भौंरा’।
Yugm Shabd के सभी उदाहरण नीचे दिए गए हैं-
Shabd Yugm in Hindi
हिन्दी में Shabd Yugm के सभी उदाहरण और पूर्ण सूची इस प्रकार हैं-
- अंस – कंधा;
अंश – हिस्सा - अँगना – घर का आँगन;
अंगना – स्त्री - अश्व – घोङा;
अस्व – पराया/धन;
अश्म – पत्थर - अन्न – अनाज;
अन्य – दूसरा - अनिल – हवा;
अनल – आग - अम्बु – जल;
अम्ब – माता, आम - अथक – बिना थके हुए;
अकथ – जो कहा न जाय - अध्ययन – पढ़ना;
अध्यापन – पढ़ाना - अधम – नीच;
अधर्म – पाप - अली – सखी;
अलि – भौंरा - अन्त – समाप्ति;
अन्त्य – नीच, अन्तिम - अम्बुज – कमल;
अम्बुधि – सागर - असन – भोजन;
आसन – बैठने की वस्तु - अणु – कण;
अनु – एक उपसर्ग, पीछे - अभिराम – सुन्दर;
अविराम – लगातार, निरन्तर - अपेक्षा – इच्छा, आवश्यकता, तुलना में;
उपेक्षा – निरादर - अवलम्ब – सहारा;
अविलम्ब – शीघ्र - अतुल – जिसकी तुलना न हो सके;
अतल – तलहीन - अचर – न चलनेवाला;
अनुचर – दास, नौकर - अशक्त – असमर्थ, शक्तिहीन;
असक्त – विरक्त - अगम – दुर्लभ, अगम्य;
आगम – प्राप्ति, शास्त्र - अभय – निर्भय;
उभय – दोनों - अब्ज – कमल;
अब्द – बादल, वर्ष - अरि – शत्रु;
अरी – सम्बोधन (स्त्री के लिए) - अभिज्ञ – जाननेवाला;
अनभिज्ञ – अनजान - अक्ष – धुरी;
यक्ष – एक देवयोनि - अवधि – काल, समय;
अवधी – अवध देश की भाषा - अभिहित – कहा हुआ;
अविहित – अनुचित - अयश – अपकीर्त्ति;
अयस – लोहा - असित – काला;
अशित – भोथा - आकर – खान;
आकार – रूप - आस्तिक – ईश्वरवादी;
आस्तीक – एक मुनि - आर्ति – दुःख;
आर्त्त – चीख - अन्यान्य – दूसरा-दूसरा;
अन्योन्य – परस्पर - अभ्याश – पास;
अभ्यास – रियाज/आदत - आवास – रहने का स्थान;
आभास – झलक, संकेत - आकर – खान;
आकार – रूप, सूरत - आदि – आरम्भ, इत्यादि;
आदी – अभ्यस्त, अदरक - आरति – विरक्ति, दुःख;
आरती – धूप-दीप दिखाना - आभरण – गहना;
आमरण – मरण तक - आयत – समकोण चतुर्भुज;
आयात – बाहर से आना - आर्त – दुःखी;
आर्द्र – गीला - अनीप्सित – किसी तरह की इच्छा न होना;
अभीप्सित – वस्तु प्राप्ति की तीव्र इच्छा होना;
अनभीप्सित – तीव्र इच्छा न होना - इत्र – सुगंध;
इतर – दूसरा - इति – समाप्ति;
ईति – फसल की बाधा - इन्दु – चन्द्रमा;
इन्दुर – चूहा - इड़ा – पृथ्वी/नाड़ी;
ईड़ा – स्तुति - उपकार – भलाई;
अपकार – बुराई - उद्धत – उद्दण्ड;
उद्दत – तैयार - उपरक्त – भोग विलास में लीन;
उपरत – विरक्त - उपाधि – पद/ख़िताब;
उपाधी – उपद्रव - उपयुक्त – ठीक;
उपर्युक्त – ऊपर कहा हुआ - ऋत – सत्य;
ऋतु – मौसम - एतवार – रविवार;
ऐतवार – विश्वास - कुल – वंश, सब;
कूल – किनारा - कंगाल – भिखारी;
कंकाल – ठठरी - कर्म – काम;
क्रम – सिलसिला - कृपण – कंजूस;
कृपाण – कटार - कर – हाथ;
कारा – जेल - कपि – बंदर;
कपी – घिरनी - किला – गढ़;
कीला – खूँटा, गड़ा हुआ - कृति – रचना;
कृती – निपुण, पुण्यात्मा - कृत्ति – मृगचर्म;
कीर्ति – यश - कृत – किया हुआ;
क्रीत – खरीदा हुआ - क्रान्ति – उलटफेर;
क्लान्ति – थकावट;
कान्ति – चमक, चाँदनी - कली – अधखिला फूल;
कलि – कलियुग - करण – एक कारक, इन्द्रियाँ;
कर्ण – कान, एक नाम - कुण्डल – कान का एक आभूषण;
कुन्तल – सिर के बाल - कपीश – हनुमान, सुग्रीव;
कपिश – मटमैला - कूट – पहाड़ की चोटी, दफ्ती;
कुट – किला, घर - करकट – कूड़ा;
कर्कट – केंकड़ा - कटिबद्ध – तैयार, कमर बाँधे;
कटिबन्ध – कमरबन्द, करधनी - कृशानु – आग;
कृषाण – किसान - कटीली – तीक्ष्ण, धारदार;
कँटीली – काँटेदार - कोष – खजाना;
कोश – शब्द-संग्रह (डिक्शनरी) - कदन – हिंसा;
कदन्न – खराब अन्न - कुच – स्तन;
कूच – प्रस्थान - काश – शायद/एक घास;
कास – खाँसी - कलिल – मिश्रित;
क़लील – थोड़ा - कीश – बन्दर;
कीस – गर्भ का थैला - कुटी – झोपड़ी;
कूटी – दुती, जालसाज - कोर – किनारा;
कौर – ग्रास - खड़ा – बैठा का विलोम;
खरा – शुद्ध - खादि – खाद्य, कवच;
खादी – ख़द्दर, कटीला - कांत – पति/चन्द्रमा;
कांति – चमक - करीश – गजराज;
करीष – सूखा गोबर - कृत्तिका – एक नक्षत्र;
कृत्यका – भयंकर कार्य करनेवाली देवी - कुजन – बुरा आदमी;
कूजन – कलरव - कुनबा – परिवार;
कुनवा – खरीदनेवाला - कोड़ा – चाबुक;
कोरा – नया - केशर – कुंकुम;
केसर – सिंह की गर्दन के बाल - खोआ – दूध का बना ठोस पदार्थ;
खोया – भूल गया, खो गया - खल – दुष्ट;
खलु – ही तो, निश्चय ही - गण – समूह;
गण्य – गिनने योग्य - गुड़ – शक्कर;
गुड़ – गम्भीर - ग्रह – सूर्य, चन्द्र आदि;
गृह – घर - गिरी – गिरना;
गिरि – पर्वत - गज – हाथी;
गज – मापक - गिरीश – हिमालय;
गिरिश – शिव - ग्रंथ – पुस्तक;
ग्रंथि – गाँठ - चिर – पुराना;
चीर – कपड़ा - चिता – लाश जलाने के लिए लकड़ियों का ढेर;
चीता – बाघ की एक जाति - चूर – कण, चूर्ण;
चूड़ – चोटी, सिर - चतुष्पद – चौपाया, जानवर;
चतुष्पथ – चौराहा - चार – चार संख्या, जासूस;
चारु – सुन्दर;
चर – नौकर, दूत, जासूस - चूत – आम का पेड़;
च्युत – गिरा हुआ, पतित - चक्रवात – बवण्डर;
चक्रवाक – चकवा पक्षी - चाष – नीलकंठ;
चास – खेत की जुताई - चरि – पशु;
चरी – चरागाह - चसक – चस्का/लत;
चषक – प्याला - चुकना – समाप्त होना;
चूकना – समय पर न करना - जिला – मंडल;
जीला – चमक - जवान – युवा;
जव – वेग/जौ - छत्र – छाता;
क्षत्र – क्षत्रिय - छात्र – विद्यार्थी;
क्षात्र – क्षत्रिय-संबंधी - छिपना – अप्रकट होना;
छीपना – मछली फँसाकर निकालना - जलज – कमल;
जलद – बादल - जघन्य – गर्हित, शूद्र;
जघन – नितम्ब - जगत – कुएँ का चौतरा;
जगत् – संसार - जानु – घुटना;
जानू – जाँघ - जूति – वेग;
जूती – छोटा जूता - जाया – व्यर्थ;
जाया – पत्नी - जोश – आवेश;
जोष – आराम - झल – जलन/आँच;
झल्ल – सनक - टुक – थोड़ा;
टूक – टुकड़ा - टोटा – घाटा;
टोंटा – बन्दूक का कारतूस - डीठ – दृष्टि;
ढीठ – निडर - डोर – सूत;
ढोर – मवेशी - तड़ाक – जल्दी;
तड़ाग – तालाब - तरणि – सूर्य;
तरणी – नाव;
तरुणी – युवती; - तक्र – मटठा;
तर्क – बहस - तरी – गीलापन;
तरि – नाव - तरंग – लहर;
तुरंग – घोड़ा - तनी – थोड़ा;
तनि – बंधन - तब – उसके बाद;
तव – तुम्हारा - तुला – तराजू;
तूला – कपास - तप्त – गर्म;
तृप्त – संतुष्ट - तार – धातु तंतु/टेलिग्राम;
ताड़ – एक पेड़ - तोश – हिंसा;
तोष – संतोष - दूत – सन्देशवाहक;
द्यूत – जुआ - दारु – लकड़ी;
दारू – शराब - द्विप – हाथी;
द्वीप – टापू - दमन – दबाना;
दामन – आँचल, छोर - दाँत – दशन;
दात – दान, दाता - दशन – दाँत;
दंशन – दाँत से काटना - दिवा – दिन;
दीवा – दीया, दीपक - दंश – डंक, काट;
दश – दश अंक - दार – पत्नी, भार्या;
द्वार – दरवाजा - दिन – दिवस;
दीन – गरीब - दायी – देनेवाला, जबाबदेह;
दाई – नौकरानी - देव – देवता;
दैव – भाग्य - द्रव – रस, पिघला हुआ;
द्रव्य – पदार्थ - दरद् – पर्वत/किनारा;
दरद – पीड़ा/दर्द - दीवा – दीपक;
दिवा – दिन - दौर – चक्कर;
दौड़ – दौड़ना - दाई – धात्री/दासी;
दायी – देनेवाला - दह – कुंड/तालाब;
दाह – शोक/ज्वाला - धराधर – शेषनाग;
धड़ाधड़ – जल्दी से - धारि – झुण्ड;
धारी – धारण करनेवाला - धूरा – धूल;
धुरा – अक्ष - धत – लत;
धत् – दुत्कारना - निहत – मरा हुआ;
निहित – छिपा हुआ, संलग्न - नियत – निश्र्चित;
नीयत – मंशा, इरादा - निश्छल – छलरहित;
निश्र्चल – अटल - नान्दी – मंगलाचरण (नाटक का);
नंदी – शिव का बैल - निमित्त – हेतु;
नमित – झुका हुआ - नीरज – कमल;
नीरद – बादल - निर्झर – झरना;
निर्जर – देवता - निशाकर – चन्द्रमा;
निशाचर – राक्षस - नाई – तरह, समान;
नाई – हजाम - नीड़ – घोंसला, खोंता;
नीर – पानी - नगर – शहर;
नागर – चतुर व्यक्ति, शहरी - नशा – बेहोशी, मद;
निशा – रात - नाहर – सिंह;
नहर – सिंचाई के लिए निकाली गयी कृत्रिम नदी - नारी – स्त्री;
नाड़ी – नब्ज - निसान – झंडा;
निशान – चिह्न - निवृत्ति – लौटना;
निवृति – मुक्ति/शांति - नित – प्रतिदिन;
नीत – लाया हुआ - नियुत – लाख दस लाख;
नियुक्त – बहाल किया गया - निहार – देखकर;
नीहार – ओस-कण - नन्दी – शिव का बैल;
नान्दी – मंगलाचरण - निर्विवाद – विवाद-रहित;
निर्वाद – निन्दा - निष्कृष्ट – सारांश;
निकृष्ट – निम्न स्तरीय - नीवार – जंगली धान;
निवार – रोकना - नेती – मथानी की रस्सी;
नेति – अनन्त - नमित – झुका हुआ;
निमित्त – हेतु - परुष – कठोर;
पुरुष – मर्द, नर - प्रदीप – दीपक;
प्रतीप – उलटा, विशेष, काव्यालंकार - प्रसाद – कृपा, भोग;
प्रासाद – महल - प्रणय – प्रेम;
परिणय – विवाह - प्रबल – शक्तिशाली;
प्रवर – श्रेष्ठ, गोत्र - परिणाम – नतीजा, फल;
परिमाण – मात्रा - पास – नजदीक;
पाश – बन्धन - पीक – पान आदि का थूक;
पिक – कोयल - प्राकार – घेरा, चहारदीवारी;
प्रकार – किस्म, तरह - परिताप – दुःख, सन्ताप;
प्रताप – ऐश्र्वर्य, पराक्रम - पति – स्वामी;
पत – सम्मान, सतीत्व - पांशु – धूलि, बाल;
पशु – जानवर - परीक्षा – इम्तहान;
परिक्षा – कीचड़ - प्रतिषेध – निषेध, मनाही;
प्रतिशोध – बदला - पूर – बाढ़, आधिक्य;
पुर – नगर - पार्श्र्व – बगल;
पाश – बन्धन - प्रहर – पहर (समय);
प्रहार – चोट, आघात - परवाह – चिन्ता;
प्रवाह – बहाव (नदी का) - पट्ट – तख्ता, उल्टा;
पट – कपड़ा - पानी – जल;
पाणि – हाथ - प्रणाम – नमस्कार;
प्रमाण – सबूत, नाप - पवन – हवा;
पावन – पवित्र - पथ – रास्ता;
पथ्य – आहार (रोगी के लिए) - पौत्र – पोता;
पोत – जहाज - प्रण – प्रतिज्ञा;
प्राण – जान - पन – संकल्प;
पन्न – पड़ा हुआ - पर्यन्त – तक;
पर्यंक – पलंग - पराग – पुष्पराज;
पारग – पूरा जानकार - प्रकोट – परकोंटा;
प्रकोष्ठ – कोठरी - परभृत् – कौआ;
परभृत – कोयल - परिषद् – सभा;
पार्षद – परिषद् के सदस्य - प्रदेश – प्रान्त;
प्रद्वेष – शत्रुता - प्रस्तर – पत्थर;
प्रस्तार – फैलाव - प्रवृद्ध – परा बढ़ा हुआ;
प्रबुद्ध – सचेत/बुद्धिमान् - पत्ति – पैदल सिपाही;
पत्ती – पत्ता - परमित – चरमसीमा;
परिमित – मान/मर्यादा/तौल - प्रकृत – यथार्थ;
प्राकृत – स्वाभाविक एक भाषा - प्रवाल – मूँगा;
प्रवार – वस्त्र - फुट – अकेला, इकहरा;
फूट – खरबूजा-जाति का फल - फण – साँप का फण;
फन – कला, कारीगर - बलि – बलिदान;
बली – वीर - बास – महक, गन्ध;
वास – निवास - बहन – बहिन;
वहन – ढोना - बल – ताकत;
वल – मेघ - बन्दी – कैदी;
वन्दी – भाट, चारण - बात – वचन;
वात – हवा - बुरा – खराब;
बूरा – शक्कर - बन – बनना, मजदूरी;
वन – जंगल - बहु – बहुत;
बहू – पुत्रवधू, ब्याही स्त्री - बार – दफा;
वार – चोट, दिन - बान – आदत, चमक;
बाण – तीर - व्रण – घाव;
वर्ण – रंग, अक्षर - ब्राह्य – बाहरी;
वाहृय – वहन के योग्य - बगुला – एक पक्षी;
बगूला – बवंडर - बाट – रास्ता/बटखरा;
वाट – हिस्सा - बाजु – बिना;
बाजू – बाँह - बिना – अभाव;
बीना – एक बाजा - बसन – कपड़ा;
व्यसन – लत/बुरी आदत - बाई – वेश्या;
बायीं – बायाँ का स्त्री रूप - बाला – लड़की;
वाला – एक प्रत्यय - बदन – शरीर;
वदन – मुख/चेहरा - भंगि – लहर, टेढ़ापन;
भंगी – मेहतर, भंग करनेवाला - भिड़ – बरें;
भीड़ – जनसमूह - भित्ति – दीवार, आधार;
भीत – डरा हुआ - भवन – महल;
भुवन – संसार - भारतीय – भारत का;
भारती – सरस्वती - भोर – सबेरा;
विभोर – मग्न - मनुज – मनुष्य;
मनोज – कामदेव - मल – गन्दगी;
मल्ल – पहलवान, योद्धा - मेघ – बादल;
मेध – यज्ञ - मांस – गोश्त;
मास – महीना - मूल – जड़;
मूल्य – कीमत - मद – आनंद;
मद्य – शराब - मणि – एक रत्न;
मणी – साँप - मरीचि – किरण;
मरीची – सूर्य, चन्द्र - मनुजात – मानव-उत्पन्न;
मनुजाद – मानव-भक्षी - मौलि – चोटी/मस्तक;
मौली – जिसके सिर पर मुकुट हो - मत – नहीं;
मत्त – मस्त/धुत्त - रंक – गरीब;
रंग – वर्ण - रग – नस;
राग – लय - रत – लीन;
रति – कामदेव की पत्नी, प्रेम - रोचक – रुचनेवाला;
रेचक – दस्तावर - रद – दाँत;
रद्द – खराब - राज – राजा/प्रान्त;
राज – रहस्य - रार – झगड़ा;
राँड़ – विधवा - राइ – सरदार;
राई – एक तिलहन - रोशन – प्रकट/प्रदीप्त;
रोषण – कसौटी/पारा - लवण – नमक;
लवन – खेती की कटाई - लुटना – लूटा जाना, बरबाद होना;
लूटना – लूट लेना - लक्ष्य – उद्देश्य;
लक्ष – लाख - लाश – शव;
लास्य – प्रेमभाव सूचक - वित्त – धन;
वृत्त – गोलाकार, छन्द - वाद – तर्क, विचार;
वाद्य – बाजा - वस्तु – चीज;
वास्तु – मकान, इमारत - व्यंग – विकलांग;
व्यंग्य – ताना, उपालम्भ - वसन – कपड़ा;
व्यसन – बुरी आदत - वासना – कामना;
बासना – सुगंधित करना - व्यंग – विकलांग;
व्यंग्य – कटाक्ष/ताना - वरद – वर देनेवाला;
विरद – यश - विधायक – रचनेवाला;
विधेयक – विधान/कानून - विभात – प्रभात;
विभाति – शोभा/सुन्दरता - विराट् – बहुत बड़ा;
विराट – मत्स्य जनपद/एक छंद - विस्मृत – भूला हुआ;
विस्मित – आश्चर्य में पड़ा - बिपिन – जंगल;
विपन्न – विपत्तिग्रस्त - विभीत – डरा हुआ;
विभीति – डर - विस्तर – विस्तृत;
बिस्तर – बिछावन - वरण – चुनना;
वरन् – बल्कि - शुल्क – फीस, टैक्स;
शुक्ल – उजला - शूर – वीर;
सुर – देवता, लय - शम – संयम, इन्द्रियनिग्रह;
सम – समान - शर्व – शिव;
सर्व – सब - शप्त – शाप पाया हुआ;
सप्त – सात - शहर – नगर;
सहर – सबेरा - शाला – घर, मकान;
साला – पति का भाई - शीशा – काँच;
सीसा – एक धातु - श्याम – श्रीकृष्ण, काला;
स्याम – एशिया का एक देश - शती – सैकड़ा;
सती – पतिव्रता स्त्री - शय्या – बिछावन;
सज्जा – सजावट - शान – इज्जत, तड़क-भड़क;
शाण – धार तेज करने का पत्थर - शराव – मिट्टी का प्याला;
शराब – मदिरा - शब – रात;
शव – लाश - शूक – जौ;
शुक – सुग्गा - शिखर – चोटी;
शेखर – सिर - शास्त्र – सैद्धान्तिक विषय;
शस्त्र – हथियार - शर – बाण;
सर – तालाब/महाशय - शकल – टुकड़ा;
शक्ल – चेहरा - शकृत – मल;
सकृत – एकबार - शर्म – लाज;
श्रम – मेहनत - शान्त – शन्तियुक्त;
सान्त – अन्तवाला - शप्ति – शाप;
सप्ति – घोड़ा - श्व – कुत्ता;
स्व – अपना - शास – अनुशासन/स्तुति;
सास – पति/पत्नी की माँ - शंकर – शिव;
संकर – दोगला/मिश्रित - शारदा – सरस्वती;
सारदा – सार देनेवाली - शवल – चितकबरा;
सबल – बलवान् - श्वजन – कुत्ता;
स्वजन – अपने लोग - शशधर – चाँद;
शशिधर – शिव - शिवा – पार्वती/गीदड़ी;
सिबा – अलावा - शकट – बैलगाड़ी;
शकठ – मचान - श्वपच – चाण्डाल;
स्वपच – स्वयं भोजन बनानेवाला - शाली – एक प्रकार का धान;
साली – पत्नी की बहन - शित – तेज किया गया;
शीत – ठंडा - शुक्ति – सीप;
सूक्ति – अच्छी उक्ति - शूकर – सूअर;
सुकर – सहज - सर – तालाब;
शर – तीर - सूर – अंधा, सूर्य;
शूर – वीर - सूत – धागा;
सुत – बेटा - सन् – साल;
सन – पटुआ - समान – तरह, बराबर;
सामान – सामग्री - स्वर – आवाज;
स्वर्ण – सोना - संकर – मिश्रित, दोगला, एक काव्यालंकार;
शंकर – महादेव - सूचि – शूची;
सूची – विषयक्रम - सुमन – फूल;
सुअन – पुत्र - स्वर्ग – तीसरा लोक;
सर्ग – अध्याय - सुखी – आनन्दित;
सखी – सहेली - सागर – शराब का प्याला;
सागर – समुद्र - सुधी – विद्वान, बुद्धिमान;
सुधि – स्मरण - सिता – चीनी;
सीता – जानकी - साप – शाप का अपभ्रंश;
साँप – एक विषैला जन्तु - सास – पति या पत्नी की माँ;
साँस – नाक या मुँह से हवा लेना - श्र्वेत – उजला;
स्वेद – पसीना - संग – साथ;
संघ – समिति - सन्देह – शक;
सदेह – देह के साथ - स्वक्ष – सुन्दर आँख;
स्वच्छ – साफ - श्र्वजन – कुत्ते;
स्वजन – अपना आदमी - शूकर – सूअर;
सुकर – सहज - सखी – सहेली;
साखी – साक्षी - सत्र – वर्ष;
शत्रु – दुश्मन - स्याम – एक देश;
श्याम – कृष्ण/काला - सीकर – जलकण;
सीकड़ – जंजीर - सँवार – सजाना;
संवार – आच्छादन - सपत्नी – सौत;
सपत्नीक – पत्नी सहित - सवा – चौथाई;
सबा – सुबह की हवा - सास्त्र – अस्त्र के साथ;
सास्र – आँसू के साथ - समवेदना – साथ-साथ दुखी होना;
संवेदना – अनुभूति - समबल – तुल्य बलवाला;
सम्बल – पाथेय - सिर – मस्तक;
सीर – हल - स्वेद – पसीना;
श्वेत – उजला - सेव – बेसन का पकवान;
सेब – एक फल - संतति – संतान;
सतत – सदा - स्रवण – टपकना;
श्रवण – सुनना/कान - सुकृति – पुण्य;
सुकृति – पुण्यवान - संभावना – संदेह/आशा;
समभावना – तुल्यता की भावना - सन्मति – अच्छी बुद्धि;
संमति – परामर्श - हुंकार – ललकार, गर्जन;
हुंकार – पुकार - हल् – शुद्ध व्यंजन;
हल – खेत जोतने का औजार - हरि – विष्णु;
हरी – हरे रंग की - हँसी – हँसना;
हंसी – हंसनी - हुति – हवन;
हूति – बुलावा - हूण – एक मंगल जाति;
हुन – मोहर - हुक – पीठ का दर्द;
हूक – ह्रदय की पीड़ा - हूठा – अँगूठा;
हूँठा – साढ़े तीन का पहाड़ा - हाड़ – हड्डी;
हार – पराजय
शब्द-युग्म के सही अर्थ-भेद का चयन कीजिए
प्रश्न 1. ‘नाहर-नहर’ में शब्द-युग्म के सही अर्थ-भेद का चयन कीजिए?
- सिंह-पानी की कुल्या
- स्तर-पानी की नहर
- लकीर-सिंह
- पानी की कुल्या-सिंह
उत्तर: (1) सिंह-पानी की कुल्या
स्पष्टीकरण: ‘नाहर’ का अर्थ – सिंह, शेर; जबकि ‘नहर’ का अर्थ – पानी बहाव का कृत्रिम स्रोत्र, कुल्या आदि होता है।
प्रश्न 2. ‘आदि-आदी’ शब्द-युग्म का अर्थ है-
- आरंभ-अंत
- अंत-आरंभ
- आरंभ-अभ्यस्त
- अभ्यस्त-आरंभ
उत्तर: (3) आरंभ-अभ्यस्त
प्रश्न 3. ‘पर्वत-वाणी’ का अर्थ देने वाला शब्द-युग्म है-
- गिरि-गिरा
- गिरा-गिरि
- नग-गिरि
- गिरा-पाणि
उत्तर: (1) गिरि-गिरा
प्रश्न 4. ‘बुराई-भलाई’ का संकेतित शब्द-युग्म है-
- सदाचार-दुराचार
- यश-अपयश
- अपकार-उपकार
- उपकार-अपकार
उत्तर: (3) अपकार-उपकार
प्रश्न 5. ‘प्रसाद-प्रासाद’ शब्द-युग्म का अर्थ है-
- महल-भगवान
- कृपा-वरदान
- महल-कृपा
- कृपा-महल
उत्तर: (4) कृपा-महल
पढ़ें: सम्पूर्ण हिंदी व्याकरण (Hindi Grammar)
FAQs on Shabd Yugm
शब्द-युग्म किसे कहते हैं? उदाहरण सहित लिखो।
कुछ शब्द ऐसे होते हैं जिनमें स्वर, मात्रा अथवा व्यंजन में थोड़ा-सा अन्तर होता है। वे बोलचाल में लगभग एक जैसे लगते हैं, परन्तु उनके अर्थ में भिन्नता होती है। ऐसे शब्द ‘शब्द-युग्म’ कहलाते हैं। जैसे- ‘घन’ और ‘धन’ दोनों के उच्चारण में कोई खास अन्तर महसूस नहीं होता परन्तु अर्थ में भिन्नता है, घन-बादल; धन-सम्पत्ति।
‘अन्न-अन्य’ शब्द युग्म का अर्थ भेद क्या होगा?
‘अन्न-अन्य’ शब्द युग्म का अर्थ ‘अनाज-दूसरा’ होगा।
‘श्वेत-स्वेद’ शब्द युग्म का अर्थ भेद क्या है?
‘श्वेत-स्वेद’ शब्द युग्म का अर्थ भेद ‘सफेद-पसीना’ है।
‘कुल-कूल’ शब्द युग्म का अर्थ भेद क्या है?
‘कुल-कूल’ शब्द युग्म का अर्थ भेद ‘वंश-किनारा’ है।
‘पृथा-प्रथा’ का सटीक अर्थ है?
‘पृथा-प्रथा’ का सटीक अर्थ ‘कुंती-रीति’ है।
‘कुतंल-कुंडल’ शब्द युग्म का सही अर्थ भेद क्या है?
‘कुतंल-कुंडल’ शब्द युग्म का सही अर्थ भेद ‘केश-कर्णाभूषण’ है।
‘ग्रंथ-ग्रंथी’ शब्द युग्म का सही अर्थ है?
‘ग्रंथ-ग्रंथी’ शब्द युग्म का सही अर्थ ‘किताब-सिखगुरु’ है।
‘क्षति-क्षिति’ शब्द युग्म का सही अर्थ भेद क्या है?
‘क्षति-क्षिति’ शब्द युग्म का सही अर्थ ‘हानि-पृथ्वी’ है।