राजनीति विज्ञान (Political Science) – राजनीति शास्त्र, भारतीय राजनीति और संविधान

राजनीति विज्ञान (Political Science) और राजनीति शास्त्र की सम्पूर्ण जानकारी। राजनीति क्या होती है? मौलिक अधिकार, कर्तव्य, संविधान संशोधन प्रक्रिया और भारतीय लोकतंत्र पर विस्तार से समझें। जानें राजनीति शास्त्र की संपूर्ण जानकारी हिंदी में।

राजनीति विज्ञान (Political Science) - राजनीति शास्त्र

Political Science in Hindi : राजनीति विज्ञान

राजनीति विज्ञान एक सामाजिक विज्ञान है जो शासन प्रणाली, और राजनीतिक गतिविधियों, राजनीतिक विचारों और राजनीतिक व्यवहार के विश्लेषण से संबंधित है। यह राजनीति के सिद्धांत और व्यवहार के साथ बड़े पैमाने पर व्यवहार करता है जो आमतौर पर शक्ति और संसाधनों के वितरण के निर्धारण के रूप में सोचा जाता है। राजनीतिक वैज्ञानिक “खुद को राजनीतिक घटनाओं और स्थितियों के अंतर्निहित संबंधों को प्रकट करने में लगे हुए देखते हैं, और इन खुलासे से वे राजनीति के दुनिया के काम करने के तरीके के बारे में सामान्य सिद्धांतों का निर्माण करने का प्रयास करते हैं।

राजनीति विज्ञान अध्ययन के प्रमुख क्षेत्र

  1. राजनीतिक सिद्धांत (Political Theory): राजनीतिक विचारधाराओं और सिद्धांतों का अध्ययन, जैसे लोकतंत्र, समाजवाद, पूंजीवाद, साम्यवाद आदि।
  2. तुलनात्मक राजनीति (Comparative Politics): विभिन्न देशों की राजनीतिक प्रणालियों, सरकारों और नीतियों की तुलना करना।
  3. अंतर्राष्ट्रीय संबंध (International Relations): देशों के बीच के संबंध, कूटनीति, अंतर्राष्ट्रीय संगठनों (जैसे संयुक्त राष्ट्र) और वैश्विक मुद्दों का अध्ययन।
  4. लोक प्रशासन (Public Administration): सरकारी संगठनों और नीतियों का प्रशासनिक ढांचा और उनका कार्यान्वयन।
  5. राजनीतिक संस्थाएं (Political Institutions): विभिन्न राजनीतिक संस्थाएं और राजनीतिक दल।

राजनीतिक सिद्धांत (Political Theory)

राजनीतिक सिद्धांत उसे कहते हैं, जो राजनीति, सरकार, और समाज के विभिन्न पहलुओं का अध्ययन और विश्लेषण करती है। ये सिद्धांत विभिन्न राजनीतिक प्रणालियों, विचारधाराओं, संस्थाओं, और नीतियों को समझने और व्याख्या करने का कार्य करती है। राजनीतिक सिद्धांत का उद्देश्य समाज में सत्ता, न्याय, स्वतंत्रता, समानता और अधिकारों के महत्व और उनके आपसी संबंधों को स्पष्ट करना है।

राजनीतिक सिद्धांत के प्रकार

  1. पारंपरिक राजनीतिक सिद्धांत (Conventional political theory): इस सिद्धांत पर पाश्चात्य दर्शन का प्रभाव देखा जाता है। इस परंपरा के केंद्र में शासन, न्याय, शक्ति और स्वतंत्रता के बारे में बुनियादी सवाल हैं। प्लेटो, अरस्तू, कन्फ्यूशियस, कौटिल्य और कई अन्य विचारकों ने इसमें योगदान दिया है।
  2. मानक राजनीतिक सिद्धांत (Normative Political Theory): यह राजनीतिक सिद्धांत नैतिकता, मूल्य और आदर्शों पर केंद्रित होता है।
  3. वर्णनात्मक राजनीतिक सिद्धांत (Descriptive Political Theory): इसमें राजनीतिक प्रक्रियाओं, संस्थाओं और विचारधाराओं का वर्णन किया जाता है।
  4. आधुनिक राजनीतिक सिद्धांत (Modern Political Theory): यह सिद्धांत वर्तमान राजनीति, मानवाधिकार, वैश्वीकरण, पर्यावरणीय राजनीति और तकनीकी विकास के प्रभावों पर केंद्रित होता है।
  5. समकालीन राजनीतिक सिद्धांत (Contemporary Political Theory): समकालीन सिद्धांत में परंपरागत व आधुनिक राजनीतिक सिद्धांत को अपनाने का प्रयास किया जाता है।

प्रमुख विचारधाराएँ (Political Ideologies)

राजनीति शास्त्र में कई विचारधाराएँ (Ideologies) हैं, जो विभिन्न राजनीतिक प्रणालियों और नीतियों के सिद्धांतों का आधार बनाती हैं। इन विचारधाराओं से समाज और सरकार के कामकाज के तरीकों को समझा जाता है। आगे प्रमुख राजनीतिक विचारधाराएं और उनका संक्षिप्त विवरण दिया गया है-

1. लोकतंत्रवाद (Democracy)

  • मुख्य सिद्धांत: जनता की संप्रभुता, मताधिकार, व्यक्तिगत स्वतंत्रता, और समानता।
  • विवरण: लोकतंत्र में सत्ता जनता के पास होती है, और वे अपने प्रतिनिधियों को चुनते हैं। इसमें नागरिकों को अपने विचार और अधिकारों की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता होती है।
  • उदाहरण: भारत, अमेरिका, यूनाइटेड किंगडम

2. समाजवाद (Socialism)

  • मुख्य सिद्धांत: सामाजिक समानता, राज्य द्वारा संसाधनों का नियंत्रण, सामूहिक स्वामित्व।
  • विवरण: समाजवाद में संसाधनों और उत्पादन के साधनों का स्वामित्व सरकार या समाज के पास होता है, जिससे सामाजिक और आर्थिक समानता सुनिश्चित की जा सके।
  • उदाहरण: स्वीडन, नॉर्वे

3. साम्यवाद (Communism)

  • मुख्य सिद्धांत: वर्गहीन समाज, निजी संपत्ति का उन्मूलन, सामूहिक स्वामित्व।
  • विवरण: साम्यवाद में उत्पादन के साधनों का पूर्ण स्वामित्व राज्य या समाज के पास होता है। इसका उद्देश्य एक वर्गहीन समाज बनाना है, जिसमें सभी लोग समान हों।
  • उदाहरण: चीन, क्यूबा, पूर्व सोवियत संघ

4. पूंजीवाद (Capitalism)

  • मुख्य सिद्धांत: निजी संपत्ति, मुक्त बाजार, लाभ का उद्देश्य।
  • विवरण: पूंजीवाद में आर्थिक गतिविधियाँ और उत्पादन निजी स्वामित्व के अंतर्गत होते हैं। इसमें बाजार की शक्तियों (आपूर्ति और मांग) द्वारा अर्थव्यवस्था का नियंत्रण किया जाता है।
  • उदाहरण: अमेरिका, कनाडा, जापान

5. राष्ट्रवाद (Nationalism)

  • मुख्य सिद्धांत: राष्ट्र के प्रति वफादारी, राष्ट्र की श्रेष्ठता, स्व-निर्णय का अधिकार।
  • विवरण: राष्ट्रवाद एक ऐसी विचारधारा है जिसमें व्यक्ति अपने राष्ट्र के प्रति समर्पण और सम्मान का भाव रखता है, और अपने देश की स्वतंत्रता, अखंडता, और संप्रभुता के लिए काम करता है।
  • उदाहरण: भारत की स्वतंत्रता संग्राम के दौरान राष्ट्रवाद का महत्व

6. उदारवाद (Liberalism)

  • मुख्य सिद्धांत: व्यक्तिगत स्वतंत्रता, समानता, लोकतांत्रिक सरकार, मानवाधिकार।
  • विवरण: उदारवाद में व्यक्तिगत अधिकारों और स्वतंत्रता को प्राथमिकता दी जाती है। इसमें नागरिकों के मौलिक अधिकारों और लोकतांत्रिक सरकार की संरचना का समर्थन किया जाता है।
  • उदाहरण: ब्रिटेन, कनाडा

7. संरक्षणवाद (Conservatism)

  • मुख्य सिद्धांत: परंपरा का सम्मान, सामाजिक स्थिरता, क्रमिक परिवर्तन।
  • विवरण: संरक्षणवाद में परंपरागत मूल्यों और संस्थाओं को बनाए रखने पर बल दिया जाता है। इसमें परिवर्तन की गति धीमी रखी जाती है और मौजूदा संरचनाओं को बनाए रखा जाता है।
  • उदाहरण: यूनाइटेड किंगडम की रूढ़िवादी पार्टी

8. नारीवाद (Feminism)

  • मुख्य सिद्धांत: लैंगिक समानता, महिलाओं के अधिकार, पितृसत्ता का उन्मूलन।
  • विवरण: नारीवाद एक सामाजिक और राजनीतिक आंदोलन है, जिसका उद्देश्य महिलाओं को समान अधिकार और अवसर दिलाना है। इसमें लैंगिक भेदभाव और पितृसत्तात्मक संरचनाओं का विरोध किया जाता है।
  • उदाहरण: वैश्विक महिला अधिकार आंदोलन

9. अराजकतावाद (Anarchism)

  • मुख्य सिद्धांत: सरकार और सत्ता का उन्मूलन, स्व-प्रबंधन, स्वतंत्रता।
  • विवरण: अराजकतावाद एक ऐसी विचारधारा है जो किसी भी प्रकार की सरकार या सत्ता के विरुद्ध है। इसका उद्देश्य सत्ता के केंद्रीकरण को समाप्त करना और स्व-प्रबंधन को बढ़ावा देना है।
  • उदाहरण: स्पेन का अराजकतावादी आंदोलन (1930 के दशक में)

10. सर्वसत्तावाद (Totalitarianism)

  • मुख्य सिद्धांत: सत्ता का केंद्रीकरण, व्यक्तिगत स्वतंत्रता का दमन, पूर्ण नियंत्रण।
  • विवरण: सर्वसत्तावाद में सरकार का पूर्ण नियंत्रण होता है और समाज के हर क्षेत्र पर उसका नियंत्रण होता है। इसमें व्यक्ति की स्वतंत्रता का दमन होता है और सरकार का पूर्ण नियंत्रण होता है।
  • उदाहरण: उत्तर कोरिया, नाजी जर्मनी

11. फासीवाद (Fascism)

  • मुख्य सिद्धांत: कट्टर राष्ट्रवाद, तानाशाही शासन, सैन्यवाद।
  • विवरण: फासीवाद में एक सशक्त केंद्रीय नेतृत्व और कट्टर राष्ट्रवाद पर जोर दिया जाता है। इसमें व्यक्तिगत अधिकारों की तुलना में राष्ट्र और शक्ति का अधिक महत्व होता है।
  • उदाहरण: इटली (मुसोलिनी का शासन), नाजी जर्मनी

12. हरित राजनीति (Green Politics)

  • मुख्य सिद्धांत: पर्यावरण संरक्षण, सतत विकास, सामाजिक न्याय।
  • विवरण: हरित राजनीति पर्यावरण और सतत विकास पर जोर देती है। इसमें पर्यावरण की रक्षा के लिए नीतियों और कदमों को प्राथमिकता दी जाती है।
  • उदाहरण: जर्मनी की ग्रीन पार्टी

13. धार्मिक विचारधारा (Theocracy)

  • मुख्य सिद्धांत: धर्म आधारित शासन, धार्मिक कानूनों का पालन।
  • विवरण: धार्मिक विचारधारा में सरकार का आधार धर्म होता है, और धार्मिक नेता शासन करते हैं। इसमें नीतियाँ और कानून धर्म के सिद्धांतों पर आधारित होते हैं।
  • उदाहरण: ईरान, वैटिकन सिटी

सरकार के प्रकार

उपर्युक्त विचारधाराओं (Ideologies) के आधार पर राजनीति विज्ञान में सरकारों के विभिन्न प्रकार होते हैं, जो सत्ता की संरचना और शासन के आधार पर विभाजित होते हैं। जैसे-

  • लोकतंत्र (Democracy): लोकतंत्र एक ऐसी प्रणाली है जिसमें सरकार का चुनाव जनता करती है। इसमें सभी नागरिकों को बराबर मताधिकार का अधिकार होता है। उदाहरण: भारत, अमेरिका, यूनाइटेड किंगडम। लोकतंत्र दो प्रकार का देखने को मिलता है-
    1. प्रतिनिधि लोकतंत्र (Representative Democracy): इसमें जनता अपने प्रतिनिधियों का चुनाव करती है, जो उनके लिए सरकार में निर्णय लेते हैं। उदाहरण: भारत, अमेरिका।
    2. प्रत्यक्ष लोकतंत्र (Direct Democracy): इसमें जनता स्वयं निर्णय लेती है और नीति निर्माण में सीधे भाग लेती है। उदाहरण: स्विट्जरलैंड के कुछ क्षेत्र।
  • गणराज्य (Republic): गणराज्य में राज्य प्रमुख चुना हुआ होता है और सत्ता का प्रमुख केंद्र जनता होती है। इसमें कोई वंशानुगत राजा नहीं होता। उदाहरण: भारत, फ्रांस।
  • राजशाही (Monarchy): राजशाही में सत्ता एक व्यक्ति (राजा या रानी) के हाथ में होती है, जो सामान्यतः वंशानुगत होती है। यह दो प्रकार की होती है-
    1. संवैधानिक राजशाही (Constitutional Monarchy): इसमें राजा या रानी की शक्तियाँ संविधान द्वारा सीमित होती हैं और शासन का वास्तविक कार्य सरकार करती है। उदाहरण: यूनाइटेड किंगडम, जापान।
    2. समान्य राजशाही (Absolute Monarchy): इसमें राजा या रानी की असीमित शक्तियाँ होती हैं, और वे शासन का सम्पूर्ण नियंत्रण रखते हैं। उदाहरण: सऊदी अरब।
  • तानाशाही (Dictatorship): तानाशाही एक ऐसी सरकार होती है जहाँ एक व्यक्ति या एक छोटा समूह पूर्ण नियंत्रण में होता है। इसमें नागरिकों के अधिकार सीमित होते हैं और वे स्वतंत्र रूप से निर्णय नहीं ले सकते। उदाहरण: उत्तर कोरिया, पुराने जमाने में जर्मनी (हिटलर के समय)।
  • साम्यवाद (Communism): साम्यवाद में राज्य सभी संसाधनों और संपत्तियों का मालिक होता है, और समाजवादी नीतियों का पालन करते हुए सभी को समान अधिकार दिए जाते हैं। उदाहरण: चीन, क्यूबा।
  • समाजवाद (Socialism): समाजवाद एक ऐसी सरकार होती है जिसमें संसाधनों और उत्पादन के साधनों पर राज्य का नियंत्रण होता है, लेकिन व्यक्तिगत स्वतंत्रता की भी अनुमति होती है। इसका उद्देश्य समाज में आर्थिक और सामाजिक समानता लाना है। उदाहरण: नॉर्वे, स्वीडन।
  • संघीय सरकार (Federal Government): संघीय प्रणाली में सत्ता का वितरण केंद्र और राज्यों/प्रांतों के बीच होता है। हर राज्य के पास अपनी सरकार होती है, लेकिन कुछ महत्वपूर्ण विषयों पर केंद्र का नियंत्रण होता है। उदाहरण: भारत, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया।
  • अधिनायकवाद (Totalitarianism): अधिनायकवादी सरकार में एक व्यक्ति या समूह पूरे समाज और सभी पहलुओं पर नियंत्रण करता है, जिसमें मीडिया, शिक्षा, और सार्वजनिक जीवन शामिल होते हैं। उदाहरण: पूर्व सोवियत संघ, उत्तर कोरिया।
  • सैन्य शासन (Military Regime): सैन्य शासन में सत्ता सेना के हाथ में होती है। सेना तख्तापलट के माध्यम से सत्ता पर कब्जा कर लेती है और देश पर शासन करती है। उदाहरण: म्यांमार (पूर्व में)।
  • मिश्रित सरकार (Hybrid Government): मिश्रित सरकार वह होती है जिसमें विभिन्न सरकारी प्रणालियों के तत्व होते हैं, जैसे कि लोकतंत्र और राजशाही का मिश्रण। उदाहरण: मलेशिया, मोरक्को।
  • धार्मिक शासन (Theocracy): धार्मिक शासन में सरकार धार्मिक सिद्धांतों और धार्मिक नेताओं द्वारा संचालित होती है। इसमें कानून धर्म पर आधारित होते हैं। उदाहरण: ईरान, वैटिकन सिटी।

लोकतंत्र और लोकतंत्र के सिद्धांत

लोकतंत्र (Democracy) एक ऐसी राजनीतिक प्रणाली है जिसमें सरकार की शक्ति जनता के हाथों में होती है, और जनता अपने प्रतिनिधियों को चुनकर शासन में भाग लेती है। इसे जनता का शासन भी कहा जाता है, जहाँ सभी नागरिकों को समान रूप से सरकार चुनने का अधिकार होता है।

लोकतंत्र के प्रमुख सिद्धांत निम्नलिखित हैं-

  1. जनता की संप्रभुता (Sovereignty of the People): लोकतंत्र में सर्वोच्च शक्ति जनता के पास होती है। लोग अपने प्रतिनिधियों का चुनाव करके सरकार का निर्माण करते हैं, और प्रतिनिधि जनता के प्रति उत्तरदायी होते हैं।
  2. बहुमत का शासन (Rule of Majority): लोकतंत्र में फैसले बहुमत के आधार पर लिए जाते हैं। चुनाव और निर्णय प्रक्रिया में बहुमत का सम्मान किया जाता है, लेकिन अल्पसंख्यक विचारों का भी ध्यान रखा जाता है।
  3. अल्पसंख्यक अधिकारों का संरक्षण (Protection of Minority Rights): बहुमत का शासन होने के बावजूद, लोकतंत्र में अल्पसंख्यकों के अधिकारों का भी सम्मान किया जाता है। उनके विचार और हितों की रक्षा की जाती है ताकि वे भी लोकतांत्रिक प्रक्रिया में अपनी भूमिका निभा सकें।
  4. विधि का शासन (Rule of Law): लोकतंत्र में सभी नागरिक, चाहे वह आम जनता हो या सरकार के अधिकारी, कानून के प्रति समान रूप से उत्तरदायी होते हैं। कानून के सामने सभी बराबर होते हैं और किसी के साथ भेदभाव नहीं किया जाता।
  5. मौलिक अधिकारों की सुरक्षा (Protection of Fundamental Rights): लोकतंत्र में नागरिकों के मौलिक अधिकारों की रक्षा की जाती है। इनमें अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, धार्मिक स्वतंत्रता, और न्याय पाने का अधिकार शामिल है। ये अधिकार नागरिकों को स्वतंत्र और समान रूप से जीवन जीने की गारंटी देते हैं।
  6. मुक्त और निष्पक्ष चुनाव (Free and Fair Elections): लोकतांत्रिक व्यवस्था में चुनावों का आयोजन स्वतंत्र, निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से होता है, जहाँ सभी नागरिकों को अपने प्रतिनिधि चुनने का समान अधिकार होता है।
  7. नागरिक सहभागिता (Citizen Participation): लोकतंत्र में नागरिकों की सक्रिय भागीदारी आवश्यक है। वे अपने विचार व्यक्त कर सकते हैं, नीतियों पर चर्चा कर सकते हैं और शासन प्रक्रिया में योगदान दे सकते हैं।
  8. सशक्त न्यायपालिका (Independent Judiciary): लोकतंत्र में न्यायपालिका स्वतंत्र होती है और सरकार से अलग रहती है। यह नागरिकों के अधिकारों की रक्षा करती है और संविधान की व्याख्या करने में सक्षम होती है।

इन सिद्धांतों के आधार पर लोकतंत्र एक ऐसी प्रणाली बनाता है जिसमें सत्ता का दुरुपयोग रोका जाता है और सभी नागरिकों को समान अवसर और अधिकार मिलते हैं।

भारतीय राजनीति (Indian Politics)

भारतीय राजनीति का अध्ययन करना बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि यह दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है और इसकी राजनीतिक प्रणाली बहुत जटिल और विविधतापूर्ण है। भारतीय राजनीति का विकास और उसकी संरचना भारतीय संविधान, विभिन्न राजनीतिक दलों, चुनावी प्रक्रिया और शासन व्यवस्था पर आधारित है।

भारतीय राजनीतिक प्रणाली की संरचना (Structure of Indian Political System)

  • संविधान (Constitution): भारतीय संविधान विश्व का सबसे लंबा लिखित संविधान है। यह देश की राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक संरचना का आधार है। इसमें नागरिकों के मौलिक अधिकार, राज्य की नीति निर्देशक तत्व, और संघीय ढांचा जैसे महत्वपूर्ण प्रावधान शामिल हैं।
  • संघीय ढांचा (Federal Structure): भारत एक संघीय गणराज्य है, जिसमें सत्ता का विभाजन केंद्र और राज्य सरकारों के बीच किया गया है।
  • लोकतंत्र (Democracy): भारत एक संसदीय लोकतंत्र है, जहाँ शासन के सभी महत्वपूर्ण निर्णय जनता द्वारा चुने गए प्रतिनिधियों के माध्यम से किए जाते हैं।

भारतीय संविधान में सरकार का संसदीय स्‍वरूप (Parliamentary form of Government in the Indian Constitution)

  • संसद (Parliament): यह विधायिका की सर्वोच्च संस्था है, जो दो सदनों- लोकसभा (संसद का निचला सदन) और राज्यसभा (संसद का उच्च सदन), में विभाजित है।
  • राष्ट्रपति (President): भारत का प्रमुख संवैधानिक पद। राष्ट्रपति देश के प्रमुख होते हैं, लेकिन वास्तविक कार्यकारी शक्ति प्रधानमंत्री और मंत्रिपरिषद के पास होती है।
  • प्रधानमंत्री (Prime Minister): कार्यकारी का प्रमुख, जो सरकार का नेतृत्व करता है और मंत्रिपरिषद का मुखिया होता है।
  • राज्य सरकारें (State Governments): प्रत्येक राज्य की अपनी सरकार होती है, जिसमें मुख्यमंत्री और मंत्रिपरिषद होते हैं।
  • न्यायपालिका (Judiciary): सुप्रीम कोर्ट, उच्च न्यायालय और अन्य अधीनस्थ न्यायालय शामिल हैं। यह संविधान की व्याख्या करता है और नागरिकों के अधिकारों की रक्षा करता है।

भारतीय राजनीति में प्रमुख राजनीतिक दल (Major Political Parties in India)

  • भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (Indian National Congress): सबसे पुरानी राजनीतिक पार्टी, जिसने स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
  • भारतीय जनता पार्टी (Bharatiya Janata Party): वर्तमान में प्रमुख राष्ट्रीय पार्टी, जो हिंदुत्व और राष्ट्रवाद की विचारधारा को बढ़ावा देती है।
  • अन्य प्रमुख दल: बहुजन समाज पार्टी (BSP), समाजवादी पार्टी (SP), तृणमूल कांग्रेस (TMC), और क्षेत्रीय दल जैसे डीएमके, एआईएडीएमके, शिवसेना, आदि।

भारतीय चुनावी प्रणाली (Indian Electoral System)

  • लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Elections): हर पांच साल में होने वाले आम चुनाव, जिनमें देश के प्रत्येक निर्वाचन क्षेत्र से एक सांसद चुना जाता है।
  • विधानसभा चुनाव (State Assembly Elections): राज्यों के लिए विधायक चुनने के लिए आयोजित किए जाने वाले चुनाव।
  • राष्ट्रपति और राज्यसभा चुनाव (Presidential and Rajya Sabha Elections): राष्ट्रपति का चुनाव निर्वाचक मंडल (इलेक्टोरल कॉलेज) द्वारा और राज्यसभा सदस्यों का चुनाव राज्य विधानसभाओं द्वारा होता है।

भारतीय राजनीति के प्रमुख मुद्दे (Major Issues in Indian Politics)

  • धर्म और जाति की राजनीति (Religion and Caste Politics): भारतीय राजनीति में धर्म और जाति का गहरा प्रभाव है, जो वोट बैंक की राजनीति को प्रभावित करता है।
  • विकास और गरीबी (Development and Poverty): आर्थिक विकास, गरीबी उन्मूलन, और सामाजिक न्याय भारतीय राजनीति के मुख्य मुद्दे हैं।
  • भ्रष्टाचार (Corruption): भ्रष्टाचार भारतीय राजनीति की एक बड़ी समस्या है, जिसे लेकर समय-समय पर आंदोलन और सुधार की माँग उठती रही है।
  • राष्ट्रीय सुरक्षा (National Security): सीमाओं की सुरक्षा, आतंकवाद, और आंतरिक सुरक्षा से जुड़े मुद्दे भी राजनीतिक एजेंडे का हिस्सा होते हैं।

भारतीय राजनीति में नागरिक भागीदारी (Citizen Participation in Indian Politics)

  • मतदान (Voting): लोकतांत्रिक प्रक्रिया में नागरिकों की भागीदारी का प्रमुख माध्यम।
  • सामाजिक आंदोलन (Social Movements): जनहित से जुड़े मुद्दों पर नागरिकों द्वारा किए गए आंदोलन, जैसे चिपको आंदोलन, नर्मदा बचाओ आंदोलन, अन्ना हजारे का भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन, आदि।
  • मीडिया और सोशल मीडिया: राजनीतिक मुद्दों पर चर्चा, जागरूकता और नागरिक भागीदारी बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

भारतीय संविधान (Indian Constitution)

भारत के मूल संविधान में 395 अनुच्छेद, 22 भाग, और 8 अनुसूचियाँ थीं। वर्तमान में भारतीय संविधान 465 अनुच्छेद, तथा 12 अनुसूचियां हैं और ये 25 भागों में विभाजित है।

  1. भारतीय संविधान का इतिहास (History of Indian Constitution)
  2. भारतीय संविधान की प्रस्तावना (Prelude To Indian Constitution)
  3. भारतीय संविधान के विभिन्न स्रोत (Different Sources of Indian Constitution)
  4. भारतीय संविधान के भाग (Parts of Indian Constitution)
  5. भारतीय संविधान के अनुच्छेद (Article of Indian Constitution)
  6. भारतीय संविधान की अनुसूचियां (Schedules of Indian Constitution)
  7. भारतीय संविधान के मौलिक अधिकार (Fundamental Rights of Indian Constitution)
  8. भारतीय संविधान के मौलिक कर्तव्य (Fundamental Duty of The Indian Constitution)
  9. भारतीय संविधान संशोधन (Indian Constitution Amendment)

संविधान की प्रस्तावना

prastavana in hindi

संविधान सभा की प्रमुख समितियां एवं उनके अध्यक्ष:

  1. संचालन समिति: डॉ राजेंद्र प्रसाद
  2. संघ संविधान समिति: पंडित जवाहरलाल नेहरू.
  3. प्रांतीय संविधान समिति: सरदार वल्लभ भाई पटेल
  4. प्रारूप समिति– डॉ भीमराव अंबेडकर
  5. संघ शक्ति समिति: पंडित जवाहरलाल नेहरू

भारतीय राजनीति विविधता और जटिलता से भरी हुई है। राजनीति विज्ञान का अध्ययन न केवल राजनीतिक घटनाओं और नीतियों को समझने में मदद करता है, बल्कि यह भी बताता है कि कैसे राजनीतिक निर्णय समाज और नागरिकों के जीवन को प्रभावित करते हैं। भारतीय राजनीतिक प्रणाली की जटिल संरचना और उसमें जनता की भागीदारी को समझना एक बेहतर लोकतंत्र के निर्माण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

पढ़ें: Political Science से सम्बंधित महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर

FAQs

1.

राजनीति विज्ञान क्या है?

राजनीति विज्ञान, जिसे राजनीति शास्त्र भी कहा जाता है, वह शास्त्र है जो सरकारों, राजनीतिक प्रक्रियाओं, नीतियों, और राजनीतिक सिद्धांतों का अध्ययन करता है। इसमें सत्ता, कानून, प्रशासन, और राजनीतिक विचारधाराओं का विश्लेषण किया जाता है।

2.

राजनीति विज्ञान के प्रमुख क्षेत्र कौन-कौन से हैं?

राजनीति विज्ञान के प्रमुख क्षेत्र हैं: राजनीतिक सिद्धांत (Political Theory), तुलनात्मक राजनीति (Comparative Politics), अंतर्राष्ट्रीय संबंध (International Relations), सार्वजनिक प्रशासन (Public Administration), राजनीतिक संस्थाएं (Political Institutions)।

3.

राजनीति विज्ञान का महत्व क्या है?

राजनीति विज्ञान समाज की संरचना, सरकार की भूमिका, और नागरिकों के अधिकारों एवं कर्तव्यों को समझने में मदद करता है। यह लोकतांत्रिक प्रक्रिया, न्यायिक प्रणाली, और वैश्विक राजनीति को बेहतर ढंग से समझने में सहायक है।

4.

राजनीति शास्त्र में कौन-कौन सी प्रमुख विचारधाराएँ होती हैं?

राजनीति शास्त्र में प्रमुख विचारधाराएँ हैं: लोकतंत्र (Democracy), साम्यवाद (Communism), समाजवाद (Socialism), पूंजीवाद (Capitalism), उदारवाद (Liberalism), राष्ट्रवाद (Nationalism)।

5.

राजनीति विज्ञान और भारतीय संविधान का क्या संबंध है?

राजनीति विज्ञान के अध्ययन में भारतीय संविधान का विश्लेषण किया जाता है, क्योंकि संविधान सरकार की संरचना, अधिकारों, कर्तव्यों, और कानूनों की नींव है। भारतीय संविधान भारत की राजनीति और शासन प्रणाली का मार्गदर्शक दस्तावेज है।

6.

राजनीति विज्ञान में सरकार के प्रकार कौन से होते हैं?

राजनीति विज्ञान में विभिन्न प्रकार की सरकारें होती हैं: लोकतंत्र (Democracy), गणतंत्र (Republic), राजशाही (Monarchy), तानाशाही (Dictatorship), समाजवादी राज्य (Socialist State), संघीय सरकार (Federal Government)।

7.

राजनीतिक सिद्धांत क्या होता है?

राजनीतिक सिद्धांत विभिन्न राजनीतिक विचारों और सिद्धांतों का अध्ययन है, जिसमें राज्य, सरकार, कानून, और सत्ता की प्रकृति को समझा जाता है। इसमें प्लेटो, अरस्तू, मार्क्स, और जॉन लॉक जैसे महान विचारकों के विचारों का अध्ययन किया जाता है।

8.

तुलनात्मक राजनीति क्या है?

तुलनात्मक राजनीति विभिन्न देशों की राजनीतिक प्रणालियों, नीतियों, और प्रशासनिक ढांचों का तुलनात्मक अध्ययन है। इसका उद्देश्य विभिन्न राजनीतिक व्यवस्थाओं के बीच समानताओं और अंतर को समझना है।

9.

अंतर्राष्ट्रीय संबंध क्या हैं?

अंतर्राष्ट्रीय संबंध राजनीति विज्ञान का वह क्षेत्र है जो विभिन्न देशों के बीच संबंधों, वैश्विक मुद्दों, संघर्ष, शांति और अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के कार्यों का अध्ययन करता है।

10.

लोकतंत्र क्या है और इसके प्रमुख सिद्धांत क्या हैं?

लोकतंत्र एक ऐसी राजनीतिक व्यवस्था है जिसमें जनता सरकार चुनने का अधिकार रखती है। इसके प्रमुख सिद्धांतों में शामिल हैं: जनता की संप्रभुता (Sovereignty of the people), बहुमत का शासन (Rule of majority), अल्पसंख्यक अधिकारों का संरक्षण (Protection of minority rights), विधि का शासन (Rule of law)।

11.

राजनीति विज्ञान का अध्ययन क्यों महत्वपूर्ण है?

राजनीति विज्ञान का अध्ययन इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि यह नागरिकों को उनकी सरकार की संरचना, अधिकारों, कर्तव्यों, और राजनीतिक प्रक्रियाओं को समझने में मदद करता है। यह एक जागरूक नागरिक बनने और लोकतंत्र की मजबूती के लिए जरूरी है।

12.

राजनीतिक दल क्या होते हैं और उनका क्या महत्व है?

राजनीतिक दल संगठित समूह होते हैं जो चुनावों में हिस्सा लेकर सरकार बनाने का प्रयास करते हैं। उनका महत्व इसलिए होता है क्योंकि वे जनता की इच्छाओं को प्रतिनिधित्व प्रदान करते हैं, नीति निर्माण में सहयोग करते हैं, और सरकार और जनता के बीच एक सेतु का काम करते हैं।

13.

राजनीतिक विचारधाराओं का समाज पर क्या प्रभाव पड़ता है?

राजनीतिक विचारधाराएँ समाज की संरचना, नीतियों और विकास को प्रभावित करती हैं। विचारधाराओं के आधार पर सरकारें निर्णय लेती हैं, जो समाज के विकास, आर्थिक नीतियों, शिक्षा, स्वास्थ्य, और अन्य क्षेत्रों को दिशा देती हैं।

14.

भारत में राजनीति विज्ञान का क्या महत्व है?

भारत में राजनीति विज्ञान का महत्व इसलिए है क्योंकि यह एक विशाल लोकतांत्रिक देश है, जहाँ विभिन्न राजनीतिक और सामाजिक मुद्दे एक साथ काम करते हैं। राजनीति विज्ञान भारतीय समाज की जटिलताओं, सरकार के कामकाज, और नागरिक अधिकारों को समझने में मदद करता है।

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