सार्थक शब्द (Sarthak Shabd): जब सार्थक वर्ण-समूहों का कोई अर्थ निकलता, तो उसे ‘सार्थक शब्द‘ कहते हैं। और जब सार्थक शब्द का प्रयोग वाक्य में होता है, तो वह व्याकरण के नियमों में बँध जाता है, और इसका रूप भी बदल जाता है। अतः जब यह शब्द वाक्य में प्रयुक्त होता है तो उसे शब्द न कहकर ‘पद‘ कहा जाता है।
सार्थक शब्द (संस्कृत) – Sarthak Shabd in Sanskrit
सार्थक शब्द वे होते है जो वाक्य मे प्रयोग करने पर खास अर्थ का बोध कराते है, तथा सार्थक शब्दो को ही पद कहा जाता है।
उदाहरण–
- राम:, गच्छति → ये दोनों शब्द है।
- राम: गच्छति । → ये दोनों अब पद हुए।
उपर्युक्त उदाहरण में दो पद हुए – ‘राम‘ और ‘गच्छति‘। संस्कृत व्याकरण में ‘राम:’ सुबंत के अंतर्गत तथा ‘गच्छति‘ तिङन्त के अंतर्गत आते है।
व्याकरण में पतंजलि ने पदों का वर्गीकरण चार वर्गों में किया है –
चत्वारि पदजातानि नामाख्यातोपसर्गनिपाता:।
अर्थात “नाम, आख्यात, उपसर्ग, निपात” ये चार प्रकार के शब्द वर्ग है।
सार्थक शब्दों को दो वर्गों में बांटा गया है
1. सुबंत प्रकरण
संज्ञा और संज्ञा सूचक शब्द सुबंत के अंतर्गत आते है । सुबंत प्रकरण को व्याकरण मे सात भागो मे बांटा गया है – नाम, संज्ञा पद, सर्वनाम पद, विशेषण पद, क्रिया विशेषण पद, उपसर्ग, निपात ।
2. तिड्न्त प्रकरण
क्रिया वाचक प्रकृति को ही धातु (तिड्न्त ) कहते है। जैसे : भू, स्था, गम् , हस् आदि। संस्कृत में धातुओं की दस लकारे होती है…और अधिक पढ़े।
हिन्दी में सार्थक शब्द – Sarthak Shabd in Hindi
सार्थक वर्ण-समूह ‘शब्द’ कहलाता है, किंतु जब इसका प्रयोग वाक्य में होता है तो वह व्याकरण के नियमों में बँध जाता है और इसका रूप भी बदल जाता है। अतः जब यह शब्द वाक्य में प्रयुक्त होता है तो उसे शब्द न कहकर पद कहा जाता है।
हिन्दी में सार्थक शब्दों को दो भागों में विभाजित किया जाता है:-
- विकारी शब्द
- अविकारी शब्द
विकारी शब्द: जिन शब्दों पर लिंग, वचन, पुरुष, कारक आदि का प्रभाव पड़ता है, उन्हें विकारी शब्द कहा जाता हैं। विकारी शब्द चार होते हैं- संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण, और क्रिया। जैसे– पतंग उड़ रही है (एकवचन), पतंगे उड़ रहीं हैं (वहुवचन)।
- संज्ञा
- सर्वनाम
- विशेषण
- क्रिया
अविकारी शब्द: इसके अंतर्गत अव्यय शब्द आते हैं। इन शब्दों पर लिंग, वचन, पुरुष, कारक आदि का प्रभाव नहीं पड़ता है। अव्यय शब्द के मुख्य रूप से चार भेद होते हैं- क्रिया-विशेषण, संबंधबोधक, समुच्चयबोधक और विस्मयादिबोधक। जैसे– वह धीरे चलता है, सीता धीरे चलती है, बच्चे धीरे चल रहे हैं, सीता यहाँ आई थे, बच्चे यहाँ आए थे, इत्यादि।
- अव्यय (क्रिया-विशेषण, संबंधबोधक, समुच्चयबोधक और विस्मयादिबोधक)
हिन्दी में सभी अविकारी शब्दों को “अव्यय” कहा जाता है। अव्यय के ही अंतर्गत क्रिया-विशेषण, संबंधबोधक, समुच्चयबोधक और विस्मयादिबोधक आदि आते हैं।
अतः हिन्दी व्याकरण में पद के पाँच भेद होते हैं-