50+ Poems in Hindi | हिन्दी कविताओं का संग्रह | कविता इन हिन्दी

Kavita in Hindi - Poem in Hindi

Poem in Hindi कविताएँ शब्दों, भावनाओं, और विचारों का एक सुंदर और साहित्यिक रूप होते हैं। ये काव्यिक भाषा में लिखी जाती हैं और अक्सर छंद, रचना, और भावनाओं का सही सम्बन्ध बनाती हैं। कविताएँ विभिन्न विषयों पर लिखी जा सकती हैं, और वे व्यक्ति की भावनाओं, अनुभवों, या दृश्यों को एक सुंदर और व्यक्तिगत तरीके से व्यक्त करने का माध्यम होती हैं।

कविता लेखन एक कला है, और एक अच्छी कविता का संरचना, भाषा, और भावनाओं का संगम होता है। कविता लेखन कवि की दृष्टि, भावनाओं, और विचारों को सुंदरता और उद्देश्य के साथ प्रस्तुत करने का एक माध्यम होता है। वे पढ़ने वाले के दिल में भावनाओं की धड़कन को छू सकती हैं और गहरी विचारशीलता को व्यक्त कर सकती हैं।

कविताएँ विभिन्न भाषाओं और संस्कृतियों में लिखी जाती हैं और साहित्य का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। वे साहित्यिक सृजनात्मकता का प्रतीक होती हैं और हमारे समाज में सुंदर और प्रभावकारी कला का हिस्सा हैं।

यहाँ प्रसिद्ध लेखकों की प्रसिद्ध कविताएं दीं जा रहीं हैं, जिस पर क्लिक करके आप उस कविता को पूरा पढ़ सकते हैं।

हिन्दी की कविता | Poem in Hindi

विभिन्न प्रकार की प्रमुख एवं प्रसिद्ध हिन्दी की कविताएं (Poem in Hindi) निम्नलिखित हैं-

Chetak Ki Veerta Kahani (चेतक की वीरता):

Poem In Hindi 1

रण बीच चौकड़ी भर-भर कर,
चेतक बन गया निराला था।
राणा प्रताप के घोड़े से,
पड़ गया हवा का पाला था।

गिरता न कभी चेतक तन पर,
राणा प्रताप का कोड़ा था।
वह दौड़ रहा अरि-मस्तक पर,
या आसमान पर घोड़ा था।

जो तनिक हवा से बाग हिली,
लेकर सवार उड़ जाता था।
राणा की पुतली फिरी नहीं,
तब तक चेतक मुड़ जाता था।

है यहीं रहा, अब यहां नहीं,
वह वहीं रहा था यहां नहीं।
थी जगह न कोई जहाँ नहीं
किस अरि-मस्तक पर कहाँ नहीं।

कौशल दिखलाया चालों में,
उड़ गया भयानक भालों में।
निर्भीक गया वह ढालों में,
सरपट दौड़ा करबालों में।

बढ़ते नद सा वह लहर गया,
वह गया गया फिर ठहर गया।
विकराल वज्रमय बादल सा
अरि की सेना पर घहर गया।

भाला गिर गया, गिरा निशंग,
हय टापों से खन गया अंग।
बैरी समाज रह गया दंग,
घोड़े का ऐसा देख रंग।

पढ़ें पूर्ण कविता: Chetak Ki Veerta Kahani (चेतक की वीरता)

वीर रस की कविता (Veer Ras Ki Kavita):

Poem In Hindi 2

वीर तुम बढ़े चलो! धीर तुम बढ़े चलो!

हाथ में ध्वजा रहे बाल दल सजा रहे
ध्वज कभी झुके नहीं दल कभी रुके नहीं
वीर तुम बढ़े चलो! धीर तुम बढ़े चलो!

सामने पहाड़ हो सिंह की दहाड़ हो
तुम निडर डरो नहीं तुम निडर डटो वहीं
वीर तुम बढ़े चलो! धीर तुम बढ़े चलो!

प्रात हो कि रात हो संग हो न साथ हो
सूर्य से बढ़े चलो चन्द्र से बढ़े चलो
वीर तुम बढ़े चलो! धीर तुम बढ़े चलो!

एक ध्वज लिये हुए एक प्रण किये हुए
मातृ भूमि के लिये पितृ भूमि के लिये
वीर तुम बढ़े चलो! धीर तुम बढ़े चलो!

अन्न भूमि में भरा वारि भूमि में भरा
यत्न कर निकाल लो रत्न भर निकाल लो
वीर तुम बढ़े चलो! धीर तुम बढ़े चलो!

पढ़ें वीर रस की अन्य कविताएं: वीर रस की कविता (Veer Ras Ki Kavita)।

प्रशंसनीय कविता (Appreciation Poem In Hindi):

Poem In Hindi 3

Appreciation Poem 1:

तस्वीर बना कर तेरी आसमान पर टांग कर आया हूँ,
और लोग पूछते है आज चाँद इतना बेदाग कैसे है।

हम तो उनकी तारीफ में लिखते रहे,
वो बस उन्हें पढ़ते रहे, और सुनते रहे,
हाल ए दिल कह दिया अपना हमने,
और वो अंत में वाह वाह करते रहे।

मुझको मालूम नहीं हुस्न की तारीफ,
मेरी नज़रो मैं हसीं वो है जो तुम जैसा हो।

यूँ ना निकला करो आज कल रात को,
चाँद छुप जायगा देख कर आप को।

क्या लिखू तेरी तारीफ़ ए सूरत में यार,
अल्फ़ाज़ काम पड़ जाते है, तेरी मासूमियत देखकर।

तुझ सा अगर कोई ज़रा भी खूबसूरत हो जाए,
तो तुझ सा तो नहीं पर वो भी बहुत खूबसूरत हो जाए।

ये शायरी खूबसूरत ना होती जो इसमें तेरे चेहरे का ज़िक्र ना होता।

Appreciation Poem 2:

ना जाने तू किस कदर मेरे दिल पे छाई है,
मैंने हर तारीफ में सिर्फ तेरी ही बाते सुनाई है।

यूं तो हजारों मिल जाते हैं रुलाने वाले,
बस नहीं मिलते हैं तो आप जैसे हंसाने वाले।

कुछ इस तरह से वो मुस्कुराते हैं,
कि परेशान लोग उन्हें देख कर खुश हो जाते हैं,
उनकी बातों का अजी क्या कहिये,
अल्फ़ाज़ फूल बनकर होंठों से निकल आते हैं।

तुम हक़ीकत नहीं हो हसरत हो,
जो मिले ख़्वाब में वही दौलत हो,
किस लिए देखती हो आईना,
तुम तो खुदा से भी ज्यादा खूबसूरत हो।

हंसी फूलों को आती है,
जब आप मुस्कुराते हो,
हमारी दुनिया बदल जाती है,
जब आप मुस्कुराते हो,
आपकी मुस्कुराहट के आगे भला,
क्या चाँद की रौनक,
हुज़ूर खुद चाँद भी शरमाता है।

प्रेरणादायक कविता हिंदी में (Motivational Poem In Hindi):

Agneepath Motivational Poem

वृक्ष हो भले खडे,
हों बडे, हो घनें,
एक पत्र छांह भी
मांग मत! माग मत! माग मत!
अग्निपथ! अग्निपथ! अग्निपथ!
तू न थकेंगा कभीं,
तू न थमेंगा कभीं,
तू न मुडेगा कभीं,
कर शपथ! क़र शपथ! क़र शपथ!
अग्निपथ! अग्निपथ! अग्निपथ!
यह महान दृश्य हैं,
देख़ रहा मनुष्य हैं,
अश्रु, स्वेद, रक्त सें
लथपथ़, लथपथ़, लथपथ़,
अग्निपथ! अग्निपथ! अग्निपथ!

कोशिश Motivational Poem

कोशिश क़र, हल निक़लेगा
आज़ नही तो, कल निकलेंगा.
अर्जुंन के तीर सा सध
मरूस्थल़ से भी ज़ल निकलेगा.
मेहनत क़र, पौधो को पानी दें
बंज़र जमीं से भी फ़ल निकलेगा.
ताक़त जुटा, हिम्मत क़ो आग दे
फौलाद का भी ब़ल निकलेगा
जिन्दा रख़, दिल मे उम्मीदो को
गरल के समन्दर से भी गंगाज़ल निकलेगा.
कोशिशे जारी रख़ कुछ कर गुज़रने की
जो है आज थमा-थमा सा, चल निकलेंगा

Girna Bhi Acha Hai Motivational Poem

ग़िरना भी अच्छा हैं,
औंकात का पता चलता हैं…
बढते है ज़ब हाथ उठानें को…
अपनो का पता चलता हैं!

जिन्हें गुस्सा आता हैं,
वो लोग़ सच्चें होते है,
मैने झूठो को अक्सर
मुस्करातें हुए देख़ा हैं…

सीख़ रहा हू मै भी,
मनुष्यो को पढने का हुनर,
सुना हैं चेहरें पे…
किताबों से ज्यादा लिख़ा होता है…!

गिरिधर नागर कविता हिंदी में (Giridhar Nagar Poem In Hindi):

Poem In Hindi 4

मेरे तो गिरधर गोपाल, दूसरो न कोई
जाके सिर मोर मुकट, मेरो पति सोई
छाँड़ि दई कुल की कानि, कहा करिहै कोई ?
संतन ढिग बैठि-बैठि, लोक लाज खोई।
अँसुवन जल सींचि-सींचि प्रेम बेलि बोई।
अब तो बेल फैल गई आणँद फल होई।।
दूध की मथनियाँ बड़े प्रेम से बिलोई।
माखन जब काढ़ि लियो छाछ पिये कोई।।
भगत देखी राजी हुई जगत देखि रोई।
दासी ‘मीरा’ लाल गिरिधर तारो अब मोही॥ 1॥

हरि बिन कूण गती मेरी।।
तुम मेरे प्रतिपाल कहिये मैं रावरी चेरी।।
आदि -अंत निज नाँव तेरो हीमायें फेरी।
बेर-बेर पुकार कहूँ प्रभु आरति है तेरी।।
यौ संसार बिकार सागर बीच में घेरी।
नाव फाटी प्रभु पाल बाँधो बूडत है बेरी।।
बिरहणि पिवकी बाट जौवे राखल्यो नेरी।
दासी मीरा राम रटत है मैं सरण हूँ तेरी॥ 2॥

फागुन के दिन चार होली खेल मना रे।
बिन करताल पखावज बाजै, अणहद की झनकार रे।
बिन सुर राग छतीसूँ गावै, रोम-रोम रणकार रे।।
सील संतोख की केसर घोली, प्रेम-प्रीत पिचकार रे।
उड़त गुलाल लाल भयो अंबर, बरसत रंग अपार रे।।
घट के पट सब खोल दिए हैं, लोकलाज सब डार रे।
‘मीरा ’ के प्रभु गिरिधर नागर, चरण कँवल बलिहार रे॥ 3॥

शिक्षक दिवस कविता हिंदी में (Teachers Day Poem In Hindi):

Teachers Day Poem 1 

गुरु आपकी ये अमृत वाणी हमेशा मुझको याद रहे,
जो अच्छा है जो बुरा है उसकी हम पहचान करे।
मार्ग मिले चाहे जैसा भी उसका हम सम्मान करे,
दीप जले या अंगारे हो पाठ तुम्हारा याद रहे।
अच्छाई और बुराई का जब भी हम चुनाव करे,
गुरु आपकी ये अमृत वाणी हमेशा मुझको याद रहे।

Teachers Day Poem 2

विद्या देते दान गुरूजी।
हर लेते अज्ञान गुरूजी।।

अक्षर अक्षर हमें सिखाते।
शब्द शब्द का अर्थ बताते।
कभी प्यार से कभी डाँट से,
हमको देते ज्ञान गुरूजी।।

जोड़ घटाना गुणा बताते।
प्रश्न गणित के हल करवाते।।
हर गलती को ठीक कराते,
पकड़ हमारे कान गुरूजी।।

धरती का भूगोल बताते।
इतिहासों की कथा सुनाते।।
क्या कब क्यों कैसे होता है,
समझाते विज्ञान गुरूजी।।

खेल खिलाते गीत गवाते।
कभी पढ़ाते कभी लिखाते।।
अच्छे और बुरे की हमको,
करवाते पहचान गुरूजी।।

स्वतंत्रता दिवस पर कविता हिंदी में (Poem On Independence Day In Hindi):

Poem On Independence Day In Hindi 1 

सारे जहाँ से अच्छा, हिन्दोस्ताँ हमारा
हम बुलबुलें हैं इसकी, यह गुलिस्ताँ हमारा

ग़ुरबत में हों अगर हम, रहता है दिल वतन में
समझो वहीं हमें भी, दिल हो जहाँ हमारा

परबत वो सबसे ऊँचा, हमसाया आसमाँ का
वो संतरी हमारा, वो पासबाँ हमारा

गोदी में खेलती हैं, जिसकी हज़ारों नदियाँ
गुलशन है जिसके दम से, रश्क-ए-जिनाँ हमारा

ऐ आब-ए-रूद-ए-गंगा! वो दिन है याद तुझको
उतरा तेरे किनारे, जब कारवाँ हमारा

मज़हब नहीं सिखाता, आपस में बैर रखना
हिन्दी हैं हम, वतन है हिन्दोस्ताँ हमारा

यूनान-ओ-मिस्र-ओ- रोमा, सब मिट गए जहाँ से
अब तक मगर है बाकी, नाम-ओ-निशाँ हमारा

कुछ बात है कि हस्ती मिटती नहीं हमारी
सदियों रहा है दुश्मन, दौर-ए-जहाँ हमारा

‘इक़बाल’ कोई महरम, अपना नहीं जहाँ में
मालूम क्या किसी को, दर्द-ए-निहाँ हमारा

सारे जहाँ से अच्छा, हिन्दोस्ताँ हमारा
हम बुलबुलें हैं इसकी, यह गुलिसताँ हमारा।

Poem On Independence Day In Hindi 2

Poem In Hindi 5

विजयी विश्व तिरंगा प्यारा,
झंडा ऊंचा रहे हमारा।
सदा शक्ति बरसाने वाला,
प्रेम सुधा सरसाने वाला,
वीरों को हरषाने वाला,
मातृभूमि का तन-मन सारा।।
झंडा ऊंचा रहे हमारा।
स्वतंत्रता के भीषण रण में,
लखकर बढ़े जोश क्षण-क्षण में,
कांपे शत्रु देखकर मन में,
मिट जाए भय संकट सारा।।
झंडा ऊंचा रहे हमारा।
इस झंडे के नीचे निर्भय,
लें स्वराज्य यह अविचल निश्चय,
बोलें भारत माता की जय,
स्वतंत्रता हो ध्येय हमारा।।
झंडा ऊंचा रहे हमारा।
आओ! प्यारे वीरो, आओ।
देश-धर्म पर बलि-बलि जाओ,
एक साथ सब मिलकर गाओ,
प्यारा भारत देश हमारा।।
झंडा ऊंचा रहे हमारा।
इसकी शान न जाने पाए,
चाहे जान भले ही जाए,
विश्व-विजय करके दिखलाएं,
तब होवे प्रण पूर्ण हमारा।।
झंडा ऊंचा रहे हमारा।
विजयी विश्व तिरंगा प्यारा,
झंडा ऊंचा रहे हमारा।

आसान देश भक्ति कविता हिंदी में (Easy Desh Bhakti Poem In Hindi):

उठो, धरा के अमर सपूतों। 
पुन: नया निर्माण करो। 
जन-जन के जीवन में 
फिर से नव स्फूर्ति, नव प्राण भरो। 
नई प्रात है नई बात है 
नई किरन है, ज्योति नई। 
नई उमंगें, नई तरंगें 
नई आस है, सांस नई। 
युग-युग के मुरझे सुमनों में 
नई-नई मुस्कान भरो। 
उठो, धरा के अमर सपूतों। 
पुन: नया निर्माण करो।।1।।

डाल-डाल पर बैठ विहग 
कुछ नए स्वरों में गाते हैं। 
गुन-गुन, गुन-गुन करते भौंरें
मस्त उधर मँडराते हैं। 
नवयुग की नूतन वीणा में 
नया राग, नव गान भरो। 
उठो, धरा के अमर सपूतों। 
पुन: नया निर्माण करो।।2।।

कली-कली खिल रही इधर 
वह फूल-फूल मुस्काया है। 
धरती माँ की आज हो रही 
नई सुनहरी काया है। 
नूतन मंगलमय ध्वनियों से 
गुँजित जग-उद्यान करो। 
उठो, धरा के अमर सपूतों। 
पुन: नया निर्माण करो।।3।।

सरस्वती का पावन मंदिर 
शुभ संपत्ति तुम्हारी है। 
तुममें से हर बालक इसका 
रक्षक और पुजारी है। 
शत-शत दीपक जला ज्ञान के 
नवयुग का आह्वान करो। 
उठो, धरा के अमर सपूतों। 
पुन: नया निर्माण करो।।4।।

मातृ दिवस कविता हिंदी में (Mothers Day Poem In Hindi):

ईशकृपा बरसाती मां

सबसे प्यारी सबसे न्यारी
भोली-भाली मेरी मां
मेरे दुःख में रोने वाली
ममता की मीठी लोरी मां
बच्चों के सुख की ख़ातिर
हर दर्द उठाती मां
इसको शीश झुकाना
धरती पर ईशकृपा बरसाती मां।।

मां, तुम्हें मैं, ख़ुशियां हज़ार दूं

तुम्हारे क़दमों में जन्नत वार दूं
मां तुम्हें मैं ख़ुशियां हज़ार दूं
चाहती हूं तुम्हारा हर पल साथ
इस साथ के लिए सारा जहां निसार दूं

देशभक्ति कविता हिंदी में (Patriotic Poem In Hindi):

जहां डाल-डाल पर
सोने की चिड़िया करती है बसेरा
वो भारत देश है मेरा
जहां सत्य, अहिंसा और धर्म का
पग-पग लगता डेरा
वो भारत देश है मेरा
ये धरती वो जहां ऋषि-मुनि
जपते प्रभु नाम की माला
जहां हर बालक मोहन है
और राधा है हर एक बाला
जहां सूरज सबसे पहले आकर
डाले अपना डेरा
वो भारत देश है मेरा…

अलबेलों की इस धरती के
त्योहार भी हैं अलबेले
कहीं दीवाली की जगमग है
कहीं हैं होली के मेले
जहां राग रंग और हंसी खुशी का
चारों ओर है घेरा
वो भारत देश है मेरा…

जहाँ आसमान से बाते करते
मंदिर और शिवाले
जहाँ किसी नगर मे किसी द्वार पर
कोई न ताला डाले
प्रेम की बंसी जहाँ बजाता
है ये शाम सवेरा
वो भारत देश है मेरा …

जय हिंद… जय भारत।।

प्रकृति पर कविता हिंदी में (Poem On Nature In Hindi):

प्रकृति की लीला न्यारी,
कहीं बरसता पानी, बहती नदियां,
कहीं उफनता समंद्र है,
तो कहीं शांत सरोवर है।

प्रकृति का रूप अनोखा कभी,
कभी चलती साए-साए हवा,
तो कभी मौन हो जाती,
प्रकृति की लीला न्यारी है।

कभी गगन नीला, लाल, पीला हो जाता है,
तो कभी काले-सफेद बादलों से घिर जाता है,
प्रकृति की लीला न्यारी है।

कभी सूरज रोशनी से जग रोशन करता है,
तो कभी अंधियारी रात में चाँद तारे टिम टिमाते है,
प्रकृति की लीला न्यारी है।

कभी सुखी धरा धूल उड़ती है,
तो कभी हरियाली की चादर ओढ़ लेती है,
प्रकृति की लीला न्यारी है।

कहीं सूरज एक कोने में छुपता है,
तो दूसरे कोने से निकलकर चोंका देता है,
प्रकृति की लीला न्यारी है।

देश भक्ति कविता हिंदी में (Desh Bhakti Poem In Hindi):

आज तिरंगा फहराता है अपनी पूरी शान से।
हमें मिली आज़ादी वीर शहीदों के बलिदान से।।
आज़ादी के लिए हमारी लंबी चली लड़ाई थी।
लाखों लोगों ने प्राणों से कीमत बड़ी चुकाई थी।।
व्यापारी बनकर आए और छल से हम पर राज किया।
हमको आपस में लड़वाने की नीति अपनाई थी।।

हमने अपना गौरव पाया, अपने स्वाभिमान से।
हमें मिली आज़ादी वीर शहीदों के बलिदान से।।

गांधी, तिलक, सुभाष, जवाहर का प्यारा यह देश है।
जियो और जीने दो का सबको देता संदेश है।।
प्रहरी बनकर खड़ा हिमालय जिसके उत्तर द्वार पर।
हिंद महासागर दक्षिण में इसके लिए विशेष है।।

लगी गूँजने दसों दिशाएँ वीरों के यशगान से।
हमें मिली आज़ादी वीर शहीदों के बलिदान से।।

हमें हमारी मातृभूमि से इतना मिला दुलार है।
उसके आँचल की छैयाँ से छोटा ये संसार है।।
हम न कभी हिंसा के आगे अपना शीश झुकाएँगे।
सच पूछो तो पूरा विश्व हमारा ही परिवार है।।

शिक्षक पर कविता हिंदी में (Poem On Teacher In Hindi):

आदर्शों की मिसाल बनकर,
बाल जीवन संवारता शिक्षक।

सदाबहार फूल-सा खिलकर,
महकता और महकाता शिक्षक।।

नित नए प्रेरक आयाम लेकर
हर पल भव्य बनाता शिक्षक।

संचित ज्ञान का धन हमें देकर,
खुशियां खूब मनाता शिक्षक।।

पाप व लालच से डरने की,
धार्मिक सीख सिखाता शिक्षक।

देश के लिए मर मिटने की,
बलिदानी राह दिखाता शिक्षक।।

प्रकाशपुंज का आधार बनकर,
कर्तव्य अपना निभाता शिक्षक।

प्रेम सरिता की बनकर धारा,
नैया पार लगाता शिक्षक।।

नर्सरी कविता हिंदी में (Nursery Poem In Hindi):

Poem In Hindi 6

मछली जल की रानी है

मछली जल की रानी है
जीवन उसका पानी है
हाथ लगाओ डर जाएगी
बाहर निकालो मर जाएगी

नाच मोर का सबको भाता

नाच मोर का सबको भाता,
जब वो पंखो को फैलाता,
कूहूँ -कूहूँ का शोर मचाता,
घूम-घूम कर नाच दिखाता.

चंदा मामा आओ न

चंदा मामा आओ न,
दूध बताशा खाओ ना,
मीठी लोरी गाओ ना,
बिस्तर में सो जाओ ना,

चंदा मामा गोल मटोल

चंदा मामा गोल मटोल
कुछ तो बोल, कुछ तो बोल
कल तै आधे, आज हो गोल
खोल भी दो अब अपनी पोल
रात होते ही तुम आ जाते,
संग साथ सितारे लाते.
लेकिन दिन मैं कहाँ छीप जाते,
कुछ तो बोल, कुछ तो बोल

हुआ सवेरा

सूरज निकला मिटा अँधेरा
देखो बच्चों हुआ सवेरा
आया मीठी हवा का फेरा
चिडियों ने फिर छोड़ा बसेरा
जागो बच्चों अब मत सो
इतना सुन्दर समय न खो

बादल राजा

बादल राजा बादल राजा
जल्दी से तू पानी बरसा जा
नन्हे मुन्हे झुलस रहे है
जल्दी से पानी बरसा जा…
बादल राजा बादल राजा
जल्दी से पानी बरसा जा
धरती की तू प्यास बुझा जा….
बादल राजा जल्दी आजा…..

हाथी आया

हाथी आया हाथी आया
सूंड हिलाता हाथी आया
चलता फिरता हाथी आया
झूम झूम कर हाथी आया…
कान हिलाता हाथी आया

मेरी गुड़िया

मेरी गुड़िया, मेरी गुड़िया
हंसी खुशी की है यह पुड़िया
मैं इसको कपड़े पहनाती
इसको अपने साथ सुलाती
यह है मेरी सखी सहेली
नहीं छोड़ती मुझे अकेली
ना ए ज्यादा बात बनाए
मेरी बात सुनती जाए
गाना इसको रोज सुनाती
लेकिन खाना यह नहीं खाती

आलू कचालू बेटा कहाँ गए थे

आलू कचालू बेटा कहाँ गए थे,
बन्दर की झोपडी में सो रहे थे,
बन्दर ने लात मारी रो रहे थे,
मम्मी ने प्यार किया हंस रहे थे,
पापा ने पैसे दिए नाच रहे थे,
भैया ने लड्डू दिए खा रहे थे…

तितली कविता

सुबह सवेरे आती तितली,
फूल फूल पर जाती तितली,
हरदम है मुस्काती तितली,
सबकी मन को भाती तितली

बन्दर की ससुराल

लाठी लेकर बीन बजाता
बंदर जा पहुँचा ससुराल
मैं आया बंदरी को लेने,
कौन बनाए रोटी दाल

हिंदी में प्रशंसनीय कविता:

बुद्धिमान की करो प्रशंसा जब वह नहीं वहाँ हो,
पर, नारी की करो बड़ाई जब वह खड़ी जहाँ हो।

गणतंत्र दिवस पर कविता हिंदी में (Poem On Republic Day In Hindi):

आज नई सज-धज से
गणतंत्र दिवस फिर आया है।
नव परिधान बसंती रंग का
माता ने पहनाया है।

भीड़ बढ़ी स्वागत करने को
बादल झड़ी लगाते हैं।
रंग-बिरंगे फूलों में
ऋतुराज खड़े मुस्काते हैं।

धरनी मां ने धानी साड़ी
पहन श्रृंगार सजाया है।
गणतंत्र दिवस फिर आया है।

भारत की इस अखंडता को
तिलभर आंच न आने पाए।
हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई
मिलजुल इसकी शान बढ़ाएं।

युवा वर्ग सक्षम हाथों से
आगे इसको सदा बढ़ाएं।
इसकी रक्षा में वीरों ने
अपना रक्त बहाया है।
गणतंत्र दिवस फिर आया है।

बाल दिवस पर कविता हिंदी में (Childrens Day Poem In Hindi):

इस दिन हम सब बच्चें मिलकर,
गीत ख़ुशी के गाते.

चाचा नेहरु के चरणों में,
श्रद्धा सुमन चढ़ाते.

बाल दिवस के इस अवसर पर,
एक शपथ यह खाओ.

ऊँच नीच का भेद भूला कर,
सबको गले लगाओ.

जिस दिन लाल जवाहर ने था,
जन्म जगत में पाया।

उसका जन्मदिवस भारत में
बाल दिवस कहलाया।।

दिवाली पर कविता हिंदी में (Poem On Diwali In Hindi):

हर घर, हर दर, ब़ाहर, भींतर,
नीचें ऊ़पर, हर जग़ह सुघ़र,
कैंसी उजियाली हैं पग़-पग़,
जग़मग जगमग़ जगमग़ जगमग!

छज्जो मे, छत मे, आलें मे,
तुलसी कें नन्हे थाले मे,
यह कौंन रहा हैं दृग़ को ठग़?
जगमग़ जगमग़ जगमग जगमग़!

पर्वत मे, नदियो, नहरो मे,
प्यारीं प्यारीं सी लहरो मे,
तैरतें दीप कैंसे भग-भग़!
जगम़ग जगमग़ जगमग जगमग़!

राजा के घर, कंग़ले कें घर,
है वहीं दीप सुन्दर सुन्दर!
दीवाली की श्रीं हैं पग-पग़,
जगमग़ जगमग जगमग़ जगमग

छोटी सी कविता हिंदी में (Small Poem In Hindi):

कितने सुंदर कितने प्यारे फूल
सब के मन को भाते फूल,
अद्भुत छटा बिखेरते फूल
इन्दर्धनुष के हरे रंग के फूल।

गजरा माला साज सजावट
कितने उपयोग में आते फूल,
महक मिठास चहुं ओर फैलाते
अपना अस्तित्व बताते फूल।

कई मौसमी कई बारहमासी
किस्म – किस्म के आते फूल,
मंद पवन में अटखेलिया करते
जैसे कुछ कहना चाहते फूल।

खूब लड़ी मर्दानी कविता हिंदी में (Khub Ladi Mardani Poem In Hindi):

Poem In Hindi 7

बुन्देले हरबोलो के मुंह हमनें सुनी कहानी थीं,
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी॥

कानपुर के नानां की, मुंहबोली ब़हन छबीली थीं,
लक्ष्मीबाई नाम़, पिता की वह सन्तान अक़ेली थी,
नाना के संग पढती थी वह, नाना के संग ख़ेली थी,
बरछ़ी, ढाल, कृपाण़, क़टारी उसक़ी यहीं सहेली थी।

वीर शिवाजी क़ी गाथाएं उसको याद जुबानी थीं,
बुन्देले हरबोलो के मुंह हमनें सुनी कहानी थीं,
खूब़ लडी मर्दानी वह तो झाँसी वालीं रानी थीं॥
लक्ष्मी थी या दुर्गां थी वह स्वय वीरता क़ी अवतार,
देख़ मराठे पुलक़ित होतें उसकी तलवारो के वार,
नक़ली युद्धव्यूह क़ी रचना और ख़ेलना खूब़ शिकार,
सैन्य घेरना, दुर्ग तोडना ये थे उसक़े प्रिय खिलवाड।

हिंदी दिवस पर कविता हिंदी में (Poem On Hindi Diwas In Hindi):

हिंदी हमारी आन है, हिंदी हमारी शान है,
हिंदी हमारी चेतना वाणी का शुभ वरदान है,
हिंदी हमारी वर्तनी, हिंदी हमारा व्याकरण,
हिंदी हमारी संस्कृति, हिंदी हमारा आचरण,
हिंदी हमारी वेदना, हिंदी हमारा गान है,
हिंदी हमारी आत्मा है, भावना का साज़ है,
हिंदी हमारे देश की हर तोतली आवाज़ है,
हिंदी हमारी अस्मिता, हिंदी हमारा मान है,
हिंदी निराला, प्रेमचंद की लेखनी का गान है,
हिंदी में बच्चन, पंत, दिनकर का मधुर संगीत है,
हिंदी में तुलसी, सूर, मीरा जायसी की तान है,
जब तक गगन में चांद, सूरज की लगी बिंदी रहे,
तब तक वतन की राष्ट्र भाषा ये अमर हिंदी रहे,
हिंदी हमारा शब्द, स्वर व्यंजन अमिट पहचान है,
हिंदी हमारी चेतना वाणी का शुभ वरदान है।

बारिश पर कविता हिंदी में (Poem On Rain In Hindi):

छम-छम बूँदे बरखा की
लेकर आई है संगीत नया
हरियाली और प्रेम का
बना हो जैसे गीत नया
मनभावन-सा लगे हैं सावन
हर चितवन हो गई है पावन
मेघों ने मानों झूमकर
धरती की प्यास बुझाई है
खेलकर खेतों में
फैलकर रेतों में
मतवाली बरखा आई है
संग अपने
त्यौहारों की भी
खुशहाली वो लाई है

महिला दिवस पर कविता हिंदी में (Women’s Day Poem In Hindi):

नारी का सम्मान, बचाना धर्म हमारा,
सफल वही इंसान, लगे नारी को प्यारा।
जीवन का आधार, हमेशा नारी होती,
खुद को कर बलिदान, घर-परिवार संजोती।

नारी का अभिमान, प्रेममय उसका घर है,
नारी का सम्मान, जगत में उसका वर है।
नारी का बलिदान, मिटाकर खुद की हस्ती,
कर देती आबाद, सभी रिश्तों की बस्ती।

नारी को खुश रखो, नहीं तो पछताओगे,
पा नारी का प्रेम, जगत से तर जाओगे।
नारी है अनमोल, प्रेम सब इनसे कर लो,
नारी सुख की खान, खुशी जीवन में भर लो।

पिता पर कविता हिंदी में (Poem On Father In Hindi):

कभी अभिमान तो कभी स्वाभिमान है पिता,
कभी धरती तो कभी आसमान है पिता
जन्म दिया है अगर मां ने
जानेगा जिससे जग वो पहचान है पिता,
कभी कंधे पे बिठाकर मेला दिखता है पिता,
कभी बनके घोड़ा घुमाता है पिता,
मां अगर मैरों पे चलना सिखाती है,
तो पैरों पे खड़ा होना सिखाते हैं पापा।
हैप्पी फादर्स डे

मेरा साहस मेरी इज्जत, मेरा सम्मान है पिता,
मेरी ताकत मेरी पूंजी, मेरी पहचान है पिता,

घर की एक एक ईट में,
शामिल उनका खून पसीना,
सारे घर की रौनक उनसे,
सारे घर की शान है पिता !!
मेरी इज्जत मेरी शौहरत, मेरा मान है पिता।

मुझे हिम्मत देने वाला मेरा अभिमान है पिता,
सारे रिश्ते उनके दम से सारी बातें उनसे हैं,
सारे घर के दिल की धड़कन सारे घर की जान है पिता।

शायद रब ने देकर भेजा फल ये अच्छे कर्मो का,
उसकी रहमत उसकी नियामत उसका है वरदान पिता।

पेड़ पर कविता हिंदी में (Poem On Tree In Hindi):

यह मुझको समझाओ माँ
सोचो और बताओ माँ
भूख नहीं क्या लगती इनको
पेट कहाँ दिखलाओ माँ

पौधे पानी पीते हैं
पानी पर ही जीते हैं
अब तुम उनके पानी को
मिट्टी से छुडवाओ माँ
धूप में उनको रखती हो
मैं जाऊं तो डरती हो
भेदभाव इतना जो करती
कारण भी बतलाओ माँ

कितनी सुंदर बात कही है
चिंता तेरी खूब भली है
पौधों की दुनिया के राज
बतलाऊं जो बात चली हैं
खाना भी ये खाते हैं
खुद ही उसे पकाते है

धूप, हवा, पानी सब मिलकर
भोजन ही बन जाते है

मिट्टी जो पानी पीती है
पौधों को दे देती हैं
जड़ इनकी मिट्टी के अंदर
धीरे धीरे पानी पीती हैं.

देशभक्ति कविता हिंदी में (Deshbhakti Poem In Hindi):

सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है।
देखना है ज़ोर कितना बाज़ु-ए-कातिल में है।।

करता नहीं क्यूँ दूसरा कुछ बातचीत।
देखता हूँ मैं जिसे वो चुप तेरी महफ़िल में है।।

ए शहीद-ए-मुल्क-ओ-मिल्लत मैं तेरे ऊपर निसार।
अब तेरी हिम्मत का चरचा गैर की महफ़िल में है।।

वक्त आने दे बता देंगे तुझे ऐ आसमान।
हम अभी से क्या बतायें क्या हमारे दिल में है।।

खैंच कर लायी है सब को कत्ल होने की उम्मीद।
आशिकों का आज जमघट कूच-ए-कातिल में है।।

यूँ खड़ा मक़तल में क़ातिल कह रहा है बार-बार।
क्या तमन्ना-ए-शहादत भी किसी के दिल में है।।

वो जिस्म भी क्या जिस्म है जिसमें ना हो खून-ए-जुनून।
तूफ़ानों से क्या लड़े जो कश्ती-ए-साहिल में है।।

हाथ जिन में हो जुनूँ कटते नही तलवार से।
सर जो उठ जाते हैं वो झुकते नहीं ललकार से।।

और भड़केगा जो शोला-सा हमारे दिल में है।
है लिये हथियार दुशमन ताक में बैठा उधर।।

और हम तैय्यार हैं सीना लिये अपना इधर।
खून से खेलेंगे होली गर वतन मुश्किल में है।।

हम तो घर से निकले ही थे बाँधकर सर पे कफ़न।
जान हथेली पर लिये लो बढ चले हैं ये कदम।।

जिन्दगी तो अपनी मेहमान मौत की महफ़िल में है।
दिल में तूफ़ानों की टोली और नसों में इन्कलाब।।

होश दुश्मन के उड़ा देंगे हमें रोको ना आज।
दूर रह पाये जो हमसे दम कहाँ मंज़िल में है।।

हिंदी में प्रेरणादायक कविताएँ (Inspirational Poems In Hindi):

Poem In Hindi 8

कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती

लहरों से डर कर नौका पार नहीं होती,
कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती।

नन्हीं चींटी जब दाना लेकर चलती है,
चढ़ती दीवारों पर, बार बार फिसलती है।
मन का विश्वास रगों में साहस भरता है,
चढ़कर गिरना, गिरकर चढ़ना न अखरता है।
आख़िर उसकी मेहनत बेकार नहीं होती,
कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती।

डुबकियां सिंधु में गोताखोर लगाता है,
जा जा कर खाली हाथ लौटकर आता है।
मिलते नहीं सहज ही मोती गहरे पानी में,
बढ़ता दुगना उत्साह इसी हैरानी में।
मुट्ठी उसकी खाली हर एक बार नहीं होती,
कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती।

असफलता एक चुनौती है, इसे स्वीकार करो,
क्या कमी रह गई, देखो और सुधार करो।
जब तक न सफल हो, नींद चैन को त्यागो तुम,
संघर्ष का मैदान छोड़ कर मत भागो तुम।
कुछ किये बिना ही जय जय कार नहीं होती,
कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती।

गिरना भी अच्छा है

गिरना भी अच्छा है,
औकात का पता चलता है…
बढ़ते हैं जब हाथ उठाने को…
अपनों का पता चलता है!

जिन्हे गुस्सा आता है,
वो लोग सच्चे होते हैं,
मैंने झूठों को अक्सर
मुस्कुराते हुए देखा है…

सीख रहा हूँ मैं भी,
मनुष्यों को पढ़ने का हुनर,
सुना है चेहरे पे…
किताबो से ज्यादा लिखा होता है…

नर हो ना निराश करो मन को

कुछ काम करो, कुछ काम करो,
जग में रहकर कुछ नाम करो,
यह जन्म हुआ किस अर्थ अहो,
समझो जिसमें यह व्यर्थ ना हो,
कुछ तो उपयुक्त करो तन को,
नर हो, ना निराश करो मन को।

संभलो कि सुयोग न जाय चला,
कब व्यर्थ हुआ सदुपाय भला,
समझो जग को न निरा सपना,
पथ आप प्रशस्त करो अपना,
अखिलेश्वर है अवलंबन को,
नर हो, ना निराश करो मन को।

छात्रों के लिए हिंदी में प्रेरक कविताएँ (Motivational Poems In Hindi For Students):

अग्निपथ

वृक्ष हों भले खड़े,
हों बड़े, हों घने,
एक पत्र छाँह भी
मांग मत! मांग मत! मांग मत!
अग्निपथ! अग्निपथ! अग्निपथ!
तू न थकेगा कभी,
तू न थमेगा कभी,
तू न मुड़ेगा कभी,
कर शपथ! कर शपथ! कर शपथ!
अग्निपथ! अग्निपथ! अग्निपथ!
यह महान दृश्य है,
देख रहा मनुष्य है,
अश्रु, स्वेद, रक्त से
लथ-पथ, लथ-पथ, लथ-पथ,
अग्निपथ! अग्निपथ! अग्निपथ!

हो गई है पीर पर्वत सी

हो गई है पीर पर्वत सी पिघलनी चाहिए
इस हिमालय से कोई गंगा निकलनी चाहिए
आज यह दीवार परदों की तरह हिलने लगी
शर्त ये थी कि ये बुनियाद हिलनी चाहिए

हर सड़क पर, हर गली में, हर नगर में, हर गांव में
हाथ लहराते हुए हर लाश चलनी चाहिए

सिर्फ हंगामा खड़ा करना मेरा मकसद नहीं
मेरी कोशिश है कि ये सूरत बदलनी चाहिए
मेरे सीने में नहीं तो तेरे सीने में सही
हो कहीं भी आग, लेकिन आग जलनी चाहिए

अनसुनी करके तेरी बात

अनसुनी करके तेरी बात
न दे जो कोई तेरा साथ
तो तुही कसकर अपनी कमर
अकेला बढ़ चल आगे रे।

देखकर तुझे मिलन की बेर
सभी जो लें अपने मुख फेर
न दो बातें भी कोई क रे
सभय हो तेरे आगे रे
अरे ओ पथिक अभागे रे।

तो अकेला ही तू जी खोल
सुरीले मन मुरली के बोल
अकेला गा, अकेला सुन।
अरे ओ पथिक अभागे रे
अकेला ही चल आगे रे।।

नीर भरी दुख की बदली

मैं नीर भरी दु:ख की बदली!
स्पंदन में चिर निस्पंद बसा,
क्रन्दन में आहत विश्व हंसा,
नयनों में दीपक से जलते,
पलकों में निर्झरिणी मचली!
मेरा पग-पग संगीत भरा,
श्वासों में स्वप्न पराग झरा,
नभ के नव रंग बुनते दुकूल,
छाया में मलय बयार पली,
मैं क्षितिज भॄकुटि पर घिर धूमिल,
चिंता का भार बनी अविरल,
रज-कण पर जल-कण हो बरसी,
नव जीवन अंकुर बन निकली!
पथ को न मलिन करता आना,
पद चिन्ह न दे जाता जाना,
सुधि मेरे आगम की जग में,
सुख की सिहरन बन अंत खिली!
विस्तृत नभ का कोई कोना,
मेरा न कभी अपना होना,
परिचय इतना इतिहास यही
उमड़ी कल थी मिट आज चली!

चंद्रमा पर कविता हिंदी में (Poem On Moon In Hindi):

चाँद-सितारों, मिलकर गाओ

आज अधर से अधर मिले हैं,
आज बाँह से बाँह मिली,
आज हृदय से हृदय मिले हैं,
मन से मन की चाह मिली,
चाँद-सितारों, मिलकर गाओ!

चाँद-सितारे, मिलकर बोले,
कितनी बार गगन के नीचे
प्रणय-मिलन व्यापार हुआ है,
कितनी बार धरा पर प्रेयसि-
प्रियतम का अभिसार हुआ है!
चाँद-सितारे, मिलकर बोले।

चाँद-सितारों, मिलकर रोओ!
आज अधर से अधर अलग है,
आज बाँह से बाँह अलग
आज हृदय से हृदय अलग है,
मन से मन की चाह अलग,
चाँद-सितारों, मिलकर रोओ!

चाँद-सितारे, मिलकर बोले,
कितनी बार गगन के नीचे
अटल प्रणय का बंधन टूटे,
कितनी बार धरा के ऊपर
प्रेयसि-प्रियतम के प्रण टूटे?
चाँद-सितारे, मिलकर बोले।

चाँदनी में साथ छाया

मौन में डूबी निशा है,
मौन-डूबी हर दिशा है,
रात भर में एक ही पत्ता किसी तरु ने गिराया!
चाँदनी में साथ छाया!

एक बार विहंग बोला,
एक बार समीर ड़ोला,
एक बार किसी पखेरू ने परों को फड़फड़ाया!
चाँदनी में साथ छाया!

होठ इसने भी हिलाए,
हाथ इसने भी उठाए,
आज मेरी ही व्यथा के गीत ने सुख संग पाया!
चाँदनी में साथ छाया!

जब चाँद रघुनन्दन से रूठ गया

जब चाँद का धीरज छूट गया ।
वह रघुनन्दन से रूठ गया ।
बोला रात को आलोकित हम ही ने किया है ।
स्वयं शिव ने हमें अपने सिर पे धरा है ।

तुमने भी तो उपयोग किया हमारा है ।
हमारी ही चांदनी में सिया को निहारा है ।
सीता के रूप को हम ही ने सँभारा है ।
चाँद के तुल्य उनका मुखड़ा निखारा है ।

जिस वक़्त याद में सीता की ,
तुम चुपके – चुपके रोते थे ।
उस वक़्त तुम्हारे संग में बस ,
हम ही जागते होते थे ।

संजीवनी लाऊंगा ,
लखन को बचाऊंगा ,.
हनुमान ने तुम्हे कर तो दिया आश्वश्त
मगर अपनी चांदनी बिखरा कर,
मार्ग मैंने ही किया था प्रशस्त ।
तुमने हनुमान को गले से लगाया ।
मगर हमारा कहीं नाम भी न आया ।

रावण की मृत्यु से मैं भी प्रसन्न था ।
तुम्हारी विजय से प्रफुल्लित मन था ।
मैंने भी आकाश से था पृथ्वी पर झाँका ।
गगन के सितारों को करीने से टांका ।

सभी ने तुम्हारा विजयोत्सव मनाया।
सारे नगर को दुल्हन सा सजाया ।
इस अवसर पर तुमने सभी को बुलाया ।
बताओ मुझे फिर क्यों तुमने भुलाया ।
क्यों तुमने अपना विजयोत्सव
अमावस्या की रात को मनाया ?

अगर तुम अपना उत्सव किसी और दिन मनाते ।
आधे अधूरे ही सही हम भी शामिल हो जाते ।
मुझे सताते हैं , चिढ़ाते हैं लोग ।
आज भी दिवाली अमावस में ही मनाते हैं लोग ।

तो राम ने कहा, क्यों व्यर्थ में घबराता है ?
जो कुछ खोता है वही तो पाता है ।
जा तुझे अब लोग न सतायेंगे ।
आज से सब तेरा मान ही बढ़ायेंगे ।
जो मुझे राम कहते थे वही ,
आज से रामचंद्र कह कर बुलायेंगे।।

कविता की रचना कवि क्यों करता है?

लेखक कई कारणों से कविताएँ लिखते हैं, क्योंकि कविता साहित्यिक कला का एक बहुमुखी और अभिव्यंजक रूप है। यहाँ कुछ सामान्य कारण बताए गए हैं कि लेखक कविताएँ क्यों लिखते हैं:

  1. आत्म-अभिव्यक्ति: कई कवि आत्म-अभिव्यक्ति के साधन के रूप में कविताएँ लिखते हैं। कविता उन्हें अपने विचारों, भावनाओं और अनुभवों को अनोखे और रचनात्मक तरीके से व्यक्त करने की अनुमति देती है। यह उन्हें अपनी अंतरतम भावनाओं और विचारों को व्यक्त करने का एक आउटलेट प्रदान करता है।
  2. संचार: कविताएँ संचार के एक सशक्त माध्यम के रूप में काम कर सकती हैं। कवि अक्सर अपने पाठकों तक जटिल विचारों, कहानियों या संदेशों को संप्रेषित करने के लिए कविता का उपयोग करते हैं। रूपकों, कल्पना और प्रतीकवाद के उपयोग के माध्यम से, कवि अर्थ की परतों को व्यक्त कर सकते हैं।
  3. भाषा की खोज: कविता भाषाई प्रयोग के लिए एक खेल का मैदान है। कवि अक्सर अद्वितीय और यादगार छंद बनाने के लिए शब्दों, ध्वनियों और भाषा की संरचना के साथ खेलने का आनंद लेते हैं। वे भाषा की सुंदरता का ही पता लगाते हैं।
  4. चिंतन: कविता चिंतन और आत्मनिरीक्षण का एक रूप हो सकती है। कवि इसका उपयोग अपने अनुभवों, यादों और विचारों का पता लगाने के लिए करते हैं। इससे उन्हें अपने बारे में और अपने आस-पास की दुनिया के बारे में गहरी समझ हासिल करने में मदद मिलती है।
  5. सामाजिक टिप्पणी: कवि कभी-कभी अपने काम का उपयोग सामाजिक, राजनीतिक या सांस्कृतिक मुद्दों पर टिप्पणी करने के लिए करते हैं। वे कविता का उपयोग अन्याय पर प्रकाश डालने, परिवर्तन की वकालत करने, या महत्वपूर्ण विषयों पर विचार और चर्चा को प्रेरित करने के लिए कर सकते हैं।
  6. सौन्दर्य: कविता को उसके सौन्दर्यात्मक गुणों के लिए सराहा जाता है। कई कवि केवल शब्दों, लय और कल्पना की सुंदरता के लिए लिखते हैं। उनका लक्ष्य ऐसे कार्यों का निर्माण करना है जो सौंदर्य की दृष्टि से मनभावन और भावनात्मक रूप से प्रतिध्वनित हों।
  7. प्रेरणा: कविताएँ लेखक और पाठक दोनों के लिए प्रेरणा का स्रोत हो सकती हैं। लेखक अक्सर अपने अन्य रचनात्मक प्रयासों, जैसे गद्य, संगीत या दृश्य कला के लिए प्रेरणा पाने के लिए कविता की ओर रुख करते हैं। इसी तरह, पाठक कविता में अपने जीवन के लिए प्रेरणा पा सकते हैं।
  8. रेचन: कविता लिखना एक रेचक अनुभव हो सकता है। यह लेखकों को दबी हुई भावनाओं को दूर करने, आघात से उबरने या कठिन अनुभवों से उबरने की अनुमति देता है। यह आत्म-अभिव्यक्ति का एक चिकित्सीय रूप हो सकता है।
  9. परंपरा और संस्कृति: कई संस्कृतियों और परंपराओं में कविता का एक लंबा इतिहास है। कुछ लेखक अपनी सांस्कृतिक विरासत से जुड़ने या अपने पूर्वजों की परंपराओं को आगे बढ़ाने के लिए कविता की ओर आकर्षित होते हैं।
  10. कलात्मक चुनौती: कविता गढ़ना एक रचनात्मक चुनौती है जो कई लेखकों को पसंद आती है। छंद, मीटर और संरचना की बाधाएं उन्हें अपनी रचनात्मकता और भाषाई क्षमताओं की सीमाओं को आगे बढ़ाने के लिए प्रेरित कर सकती हैं।

संक्षेप में, कवि कई कारणों से कविताएँ लिखते हैं, जिनमें व्यक्तिगत अभिव्यक्ति से लेकर सामाजिक टिप्पणी, भाषाई अन्वेषण और सौंदर्य सौंदर्य की खोज शामिल है। कविता एक बहुमुखी कला है जो विभिन्न उद्देश्यों की पूर्ति कर सकती है और कई स्तरों पर लेखक और पाठक दोनों के साथ जुड़ सकती है।

हम उम्मीद करते हैं कि आपको यह “हिन्दी कविताएँ (Poem in Hindi)” पसंद आई होगी। इन्हें आगे शेयर जरूर करें और आपको यह हिंदी कविताएं कैसी लगी, हमें कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं।

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