संबंध कारक (का, के, की, रा…) – षष्ठी विभक्ति – संस्कृत, हिन्दी

संबंध कारक

परिभाषा

शब्द के जिस रूप से एक का दूसरे से संबंध पता चले, उसे संबंध कारक कहते हैं। अथवा – संज्ञा या सर्वनाम के जिस रूप की वजह से एक वस्तु की दूसरी वस्तु से संबंध का पता चले उसे संबंध कारक कहते हैं। इसके विभक्ति चिन्ह का, के, की, रा, रे, री आदि होते हैं। इसकी विभक्तियाँ संज्ञा, लिंग, वचन के अनुसार बदल जाती हैं। जैसे – सीतापुर मोहन का गाँव है।

उदाहरण

1. यह राहुल की किताब है। – इस वाक्य में ‘राहुल की’ संबंध कारक है, क्योंकि यह राहुल का किताब से संबंध बता रहा है।

2. यह राधेश्याम का बेटा है। – इस वाक्य में ‘राधेश्याम का बेटे’ से संबंध प्रकट हो रहा है। अतः यहाँ संबंध कारक है।

3. यह कमला की गाय है। – इस वाक्य में ‘कमला का गाय’ से संबंध प्रकट हो रहा है। अतः यहाँ संबंध कारक है।

संबंध कारक षष्ठी विभक्ति, संस्कृत (Sambandh Karak in Sanskrit)

षष्ठी विभक्ति– सम्बन्ध को संस्कृत में कारक नहीं कहा जाता क्योंकि उसका क्रिया से साक्षात् सम्बन्ध नहीं होता अपितु उसका सम्बन्ध कर्ता, कर्म आदि कारकों से हाता है अतः ‘क्रियान्वयित्वं कारकत्वम्’ यह लक्षण उसमें घटित नहीं होता । यथा ‘दशरथस्य पुत्रः रामः वनं गच्छति’ यहाँ ‘दशरथस्य’ का ‘गच्छति’ क्रिया के साथ कोई साक्षात् सम्बन्ध नहीं है। अतः इसे कारक नहीं कहते हैं। सम्बन्ध में षष्ठी विभक्ति होती है।

1. सम्बन्धे षष्ठी

सम्बन्ध में षष्ठी विभक्ति होती है। जैसे-

  • मम पुत्रः प्रवरः । मेरा पुत्र प्रवर ।
  • इदं रामस्य गृहम् अस्ति । यह राम का घर है।

2. कर्तृकर्मणो कृति

कृत्-प्रत्ययान्त (क्तिन्/अन्/तृच्) शब्दों में कर्त्ता और कर्म में षष्ठी विभक्ति होती है। जैसे-

  • इयं कालिदासस्य कृतिरस्ति। यह कालिदास की कृति है।
  • बालानां रोदनं बलम् । बच्चों का रोना ही बल है।

3. हेतुवाचकः

जब ‘हेतु, कारण, निमित्त, प्रयोजन’ शब्द का प्रयोग होता है तब जो शब्द का प्रयोजन रहता है, ‘वह’ और ‘हेतु, कारण, निमित्त, प्रयोजन’ दोनों शब्दों में षष्ठी विभक्ति होती हैं । जैसे-

  • स अल्पस्य हेतोः बहु त्यजति । वह थोड़े के लिए बहुत का त्याग करता है।
  • श्यामः अत्र कस्य हेतोः/करणस्य/प्रयोजनस्य वसति।

4. षष्ठीचानादरो

अनादर के अर्थ में षष्ठी विभक्ति होती हैं । जैसे-

  • सः मम् निवारयतः अपि अगच्छत् ।
  • रुदतः शिशोः माता वहि आगच्छत् ।

5. दूरान्तिकार्थेः षष्ठ्यन्तरस्याम्

दूर और आन्तिक निकट अर्थ वाली धातुओ में षष्ठी विभक्ति होती हैं । जैसे-

  • विद्यालयः ग्रामस्य दूरम् अस्ति ।
  • ग्रहस्य निकटं पत्रालयः अस्ति ।

6. तुल्यसदृशयोगे षष्ठी

तुल्य और सदृश के योग में षष्ठी विभक्ति एवं तृतीया विभक्ति (दोनों) होती हैं । जैसे-

  • विद्यालयः ग्रामस्य दूरम् अस्ति ।
  • ग्रहस्य निकटं पत्रालयः अस्ति ।

7. षष्ठीशेषे षष्ठी

शेष में षष्ठी विभक्ति होती हैं । जैसे-

  • रामस्य पुस्तकं कुत्र अस्ति।
  • बालकस्य पिता आगच्छति।

 संबंध कारक के उदाहरण, हिन्दी (Sambandh Karak in Hindi)

  • सेना के जवान आ रहे हैं।
  • यह सुरेश का भाई है।
  • यह सुनील की किताब है।
  • राम का लड़का , श्याम की लडकी , गीता के बच्चे।
  • राजा दशरथ का बड़ा बेटा राम था।
  • लडके का सिर दुःख रहा है।

1. यह साहिल का स्कूटर है।

वाक्य में का विभक्ति चिन्ह का इस्तेमाल किया गया है। यह हमें स्कूटर एवं साहिल के बीच में संबंध बता रहा है।

जैस की हम जानते हैं की का विभक्ति चिन्ह संबंध कारक का होता है। यह हमें दो वस्तुओं के बीच के संबंधों को बताता है। इस वाक्य में भी यही विभक्ति चिन्ह है। अतः यह उदाहरण संबंध कारक के अंतर्गत आएगा।

2. यह मानव का घर है।

दिए गए वाक्य में  का विभक्ति चिन्ह का प्रयोग किया जा रहा है।

यह विभक्ति चिन्ह संबंध कारक का होता है क्योंकि हमें दो वस्तुओं के बीच के संबंध बताता है। इस वाक्य में यह हमें मानव एवं घर के बीच में संबंध बता रहा है। अतः यह उदाहरण संबंध कारक के अंतर्गत आएगा।

3. राजा दशरथ के चार बेटे थे।

ऊपर दिए दिए गए वाक्य में के विभक्ति चिन्ह का प्रयोग किया गया है। यह चिन्ह हमें राजा दशरथ एवं राम के बीच का संबंध बता रहा है। अतः यह संबंध कारक के अंतर्गत आएगा।

Sambandh Karak - Shashthi Vibhakti

पढ़ें KARAK के अन्य भेद-

  1. कर्त्ता कारक
  2. कर्म कारक
  3. करण कारक
  4. सम्प्रदान कारक
  5. अपादान कारक
  6. संबंध कारक
  7. अधिकरण कारक
  8. सम्बोधन कारक

मुख्य प्रष्ठ : कारक प्रकरण – विभक्ति
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