राजभाषा हिन्दी
हिन्दी हमारी राजभाषा है। 14 सितम्बर, 1949 को भारतीय संविधान सभा ने हिन्दी को भारत संघ की राजभाषा के रूप में स्वीकार किया। भारत के संविधान में हिन्दी को राजभाषा का दर्जा दिया गया है। संविधान के अनुच्छेद 343 के अनुसार संघ की राजभाषा हिन्दी और लिपि देवनागरी है।
जिस भाषा को हम हिन्दी कहते हैं, आज उसका बहुत विस्तार हो चुका है। उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश, राजस्थान, बिहार, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा, उत्तरांचल, झारखण्ड, छत्तीसगढ़ राज्यों और दिल्ली एवं अंडमान-निकोबार संघ राज्य क्षेत्रों में शासन और शिक्षा की भाषा हिन्दी ही है।
इन सभी प्रदेशों में स्थानीय स्तर पर हिन्दी की अनेक बोलियाँ बोली जाती हैं। पंजाब, गुजरात और महाराष्ट्र ने इसे द्वितीय भाषा के रूप में मान्यता दी है। द्रविड़ परिवार की भाषाओं मलयालम, कन्नड़, तेलुगु और तमिल के शब्दों और हिन्दी के शब्दों में काफी समानता मिलती है। वस्तुतः हिन्दी सार्वदेशिक भाषा है।
सम्पर्क भाषा के रूप में बोलचाल में हिन्दी का प्रयोग भारत के लगभग सभी क्षेत्रों में होता है। देश के अधिकांश क्षेत्रों में इसके अध्ययन की व्यवस्था है। यह साहित्य के साथ-साथ ज्ञान-विज्ञान, वाणिज्य, शिक्षा माध्यम तथा तकनीकी कार्यों की भाषा के रूप में विकसित हो रही है।
किसी भाषा पर केवल अपने परिवार का ही प्रभाव नहीं पड़ता अपितु उसके सम्पर्क में आने वाली अन्य भाषाएँ भी उसे प्रभावित करती हैं। मुगलकाले में हिन्दी को प्रभावित करने वाली दो भाषाओं-अरबी और फारसी के नाम उल्लेखनीय हैं। आज हिन्दी पर अंग्रेजी भाषा का पर्याप्त प्रभाव है।
राष्ट्रीय ही नहीं, हिन्दी आज अपना अन्तर्राष्ट्रीय स्वरूप भी स्थापित कर चुकी है। विश्व के अनेक देशों, जैसे-फिजी, मॉरीशस, ट्रिनिदाद, सूरीनाम, गुयाना, कनाड़ा, इंग्लैण्ड, नेपाल आदि में हिन्दी बोली जाती है। इन देशों में भी वहाँ की भाषाओं के प्रभाव से हिन्दी के विभिन्न रूप विकसित हुए हैं, लेकिन ये सभी रूप ‘हिन्दी’ के ही हैं और इन्हीं सबके कारण आज हिन्दी इतनी समृद्ध हुई है।
(देखें – हिन्दी भाषा – हिन्दी भाषा का सम्पूर्ण इतिहास)