असमिया पूर्वोत्तर भारत के एक राज्य असम के लोगों द्वारा बोली जाने वाली भाषा है। यह एक इंडो-आर्यन भाषा परिवार की भाषा है और असम की आधिकारिक भाषा है। असमिया अरुणाचल प्रदेश, नागालैंड और कुछ अन्य पूर्वोत्तर भारतीय राज्यों के कुछ हिस्सों में भी बोली जाती है। असमिया लिखने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली लिपि ब्राह्मी लिपि से ली गई है और इसे असमिया लिपि के रूप में जाना जाता है। अनुमान है कि दुनिया भर में असमिया के 15 मिलियन से अधिक वक्ता हैं।
लिपि | असमिया लिपि |
बोली क्षेत्र | असम, अरुणाचल प्रदेश, नागालैंड, बांग्लादेश, भूटान |
वक्ता | 1.5 करोड़ |
परिवार | इंडो-आर्यन भाषा |
आधिकारिक भाषा | असम |
महत्वपूर्ण तथ्य:
- भाषाई परिवार की दृष्टि से इसका संबंध आर्य भाषा परिवार से है और बांग्ला, मैथिली, उड़िया और नेपाली से इसका निकट का संबंध है।
- गियर्सन के वर्गीकरण की दृष्टि से यह बाहरी उपशाखा के पूर्वी समुदाय की भाषा है, पर सुनीतिकुमार चटर्जी के वर्गीकरण में प्राच्य समुदाय में इसका स्थान है।
- उड़िया तथा बंगला की भांति असमी की भी उत्पत्ति प्राकृत तथा अपभ्रंश से भी हुई है।
असमिया भाषा की उत्पत्ति:
असमिया भाषा की उत्पत्ति सत्रहवीं शताब्दी से मानी जाती है किंतु साहित्यिक अभिरुचियों का प्रदर्शन तेरहवीं शताब्दी में रुद्र कंदलि के द्रोण पर्व (महाभारत) तथा माधव कंदलि के रामायण से प्रारंभ हुआ। वैष्णवी आंदोलन ने प्रांतीय साहित्य को बल दिया। शंकर देव (1441-1568) ने अपनी लंबी जीवन-यात्रा में इस आंदोलन को स्वरचित काव्य, नाट्य व गीतों से जीवित रखा।
असमिया भाषा का विकास:
असमिया भाषा का व्यवस्थित रूप 13वीं तथा 14वीं शताब्दी से मिलने पर भी उसका पूर्वरूप बौद्ध सिद्धों के “चर्यापद” में देखा जा सकता है। “चर्यापद” का समय विद्वानों ने ईसवी सन् 600 से 1000 के बीच स्थिर किया है। इन दोहों के लेखक सिद्धों में से कुछ का तो कामरूप प्रदेश से घनिष्ट संबंध था। “चर्यापद” के समय से 12वीं शताब्दी तक असमी भाषा में कई प्रकार के मौखिक साहित्य का सृजन हुआ था। मणिकोंवर-फुलकोंवर-गीत, डाकवचन, तंत्र मंत्र आदि इस मौखिक साहिय के कुछ रूप हैं।
असमिया भाषा का पूर्ववर्ती, अपभ्रंशमिश्रित बोली से भिन्न रूप प्राय: 18वीं शताब्दी से स्पष्ट होता है। भाषागत विशेषताओं को ध्यान में रखते हुए असमिया के विकास के तीन काल माने जा सकते हैं :
- प्रारंभिक असमिया: 14वीं शताब्दी से 16वीं शताब्दी के अंत तक। इस काल को फिर दो युगों में विभक्त किया जा सकता है : (अ) वैष्णव-पूर्व”युग तथा (आ) वैष्णव।
- मध्य असमिया: 17वीं शताब्दी से 19वीं शताब्दी के प्रारंभ तक। इस युग में अहोम राजाओं के दरबार की गद्यभाषा का रूप प्रधान है। इन गद्यकर्ताओं को बुरंजी कहा गया है। बुरंजी साहित्य में इतिहास लेखन की प्रारंभिक स्थिति के दर्शन होते हैं।
- आधुनिक असमिया: 19वीं शताब्दी के प्रारंभ से।
1819 ई. में अमरीकी बप्तिस्त पादरियों द्वारा प्रकाशित असमिया गद्य में बाइबिल के अनुवाद से आधुनिक असमिया का काल प्रारंभ होता है। मिशन का केंद्र पूर्वी आसाम में होने के कारण उसकी भाषा में पूर्वी आसाम की बोली को ही आधार माना गया। 1846 ई. में मिशन द्वारा एक मासिक पत्र “अरुणोदय” प्रकाशित किया गया। 1848 में असमिया का प्रथम व्याकरण छपा और 1867 में प्रथम असमिया अंग्रेजी शब्दकोश।
असमिया भाषा का बोली क्षेत्र:
असमिया मुख्य रूप से पूर्वोत्तर भारत में स्थित भारतीय राज्य असम में बोली जाती है। यह कुछ पड़ोसी राज्यों जैसे अरुणाचल प्रदेश, नागालैंड और कुछ अन्य पूर्वोत्तर भारतीय राज्यों में भी बोली जाती है। इसके अतिरिक्त, भारत, बांग्लादेश, भूटान और विदेशों के अन्य हिस्सों में असमिया बोलने वाले लोगों के छोटे समुदाय भी हैं।
असमिया भाषा की लिपि
असमिया लिपि मूलत: ब्राह्मी का ही एक विकसित रूप है। बंगला से उसकी निकट समानता है। लिपि का प्राचीनतम उपलब्ध रूप भास्करवर्मन का 610 ई. का ताम्रपत्र है। परंतु उसके बाद से आधुनिक रूप तक लिपि में “नागरी” के माध्यम से कई प्रकार के परिवर्तन हुए हैं।
यह बाएँ से दाएँ लिखा जाता है और इसमें 12 स्वर और 42 व्यंजन होते हैं। असमिया भाषा की सभी ध्वनियों का प्रतिनिधित्व करने में सक्षम है, जिसमें कुछ अनोखी ध्वनियाँ भी शामिल हैं जो अन्य भारतीय भाषाओं में नहीं पाई जाती हैं। असमिया लिपि समय के साथ विकसित हुई है और बंगाली लिपि सहित कई अन्य लिपियों से प्रभावित हुई है। असमिया भाषा में विभिन्न प्रकार के साहित्यिक, सांस्कृतिक और धार्मिक ग्रंथों को लिखने के लिए लिपि का उपयोग किया जाता है।
असमिया भाषा की वर्णमाला:
असमिया वर्णमाला में 12 स्वर और 42 व्यंजन होते हैं।
स्वर:
- অ (a)
- আ (aa)
- ই (i)
- ঈ (ii)
- উ (u)
- ঊ (uu)
- ঋ (ri)
- ৠ (rri)
- এ (e)
- ঐ (oi)
- ও (o)
- ঔ (ou)
व्यंजन:
- ক (ka)
- খ (kha)
- গ (ga)
- ঘ (gha)
- ঙ (nga)
- চ (cha)
- ছ (chha)
- জ (ja)
- ঝ (jha)
- ঞ (ña)
- ট (tta)
- ঠ (ttha)
- ড (dda)
- ঢ (ddha)
- ণ (nña)
- ত (ta)
- থ (tha)
- দ (da)
- ধ (dha)
- ন (na)
- প (pa)
- ফ (pha)
- ব (ba)
- ভ (bha)
- ম (ma)
- য (ya)
- র (ra)
- ল (la)
- শ (sha)
- ষ (ssa)
- স (sa)
- হ (ha)
- ক্ষ (kña)
- ত্র (tra)
- জ্ঞ (gya)
- ঙ্ক (ngka)
- ঞ্জ (ñja)
- ণ্ড (ndda)
- ব্দ (bda)
- ম্ব (mba)
- য্য (yya)
- ৰ (rra)
लिपिचिह्न और उनका प्रयोग:
असमिया लिपि में, कई संकेत हैं जिनका उपयोग अक्षरों की ध्वनियों को संशोधित करने या कुछ व्याकरणिक या उच्चारण नियमों को इंगित करने के लिए किया जाता है। यहां असमिया लिपि में सबसे अधिक इस्तेमाल किए जाने वाले संकेतों और उनके उपयोगों में से कुछ हैं:
- ং (ñ) – कुछ शब्दों में अनुनासिक ध्वनि का प्रतिनिधित्व करने के लिए प्रयुक्त होता है। उदाहरण के लिए, বাংলা (बांग्ला)।
- ঃ (h) – विसर्ग कहा जाता है, इस चिन्ह का उपयोग वाणी में विराम या सांस का प्रतिनिधित्व करने के लिए किया जाता है।
- ৎ (t) – भाषण में एक कठिन या ग्लोटल स्टॉप का प्रतिनिधित्व करता है। इसका उपयोग उच्चारण में विराम को इंगित करने के लिए किया जाता है, विशेषकर शब्दों के बीच।
- ঁ (ñ) – चंद्रबिन्दु कहा जाता है, इस चिन्ह का उपयोग कुछ स्वरों में अनुनासिक ध्वनि का प्रतिनिधित्व करने के लिए किया जाता है।
- ্ (k) – जिसे विराम कहा जाता है, इस चिन्ह का प्रयोग व्यंजन वर्ण में अंतर्निहित स्वर ध्वनि को रोकने के लिए किया जाता है।
- ্ (k) – एक हलंत कहा जाता है, इस चिन्ह का उपयोग असमिया सहित देवनागरी-आधारित लिपियों में एक व्यंजन अक्षर में अंतर्निहित स्वर ध्वनि को रोकने के लिए किया जाता है।
असमिया की शब्द संरचना
असमिया भाषा में शब्दों की संरचना कर्त्ता-कर्म-क्रिया (SOV) शब्द क्रम का अनुसरण करती है, जो कई इंडो-यूरोपीय भाषाओं में आम है। एक असमिया वाक्य में, विषय आमतौर पर पहले आता है, उसके बाद वस्तु और फिर क्रिया आती है। उदाहरण के लिए, वाक्य “মৈতৈলে গাছ কেতা” (Maiteile gaach ketaa) में, विषय “Maiteile” (दोस्त) है, वस्तु “gaach” (पेड़) है, और क्रिया “keta” (काटा) है।
कुछ सरल असमिया शब्दों के उदाहरण:
- পেয়ার (peyaar), प्यार
- ঘর (ghor), घर
- দুধ (dudh), दूध
- বাত (baat), बात करना
- ছাত্র (chhatra), विद्यार्थी
- কাত (kaat), काटना
- খাওয়া (khawa), खाना
- বাড়ি (baadi), बगीचा
- ঘুম (ghum), नींद
- পান (paan), पीना
असमिया में प्रयोग होने वाले प्रश्नवाचक शब्द:
- কেমন (kemon), how, कैसे
- কেমনে (kemone), how, कैसे
- কেমনেই (kemonei), how, कैसे
- কেন (ken), why, क्यों
- কোথায় (kothaai), where, कहाँ
- কখন (kakhon), when, कब
- কেমনেরে (kemonere), how about, कैसा रहेगा
- কি (ki), what, क्या
- কে (ke), who, कौन
- কেনের (kener), why not, क्यों नहीं
असमिया में प्रयोग होने वाले नकारात्मक शब्द और पद:
- না (na) , no, न
- নাই (nai) , not, नहीं
- না পাওয়া (na paoa) , cannot find, नहीं मिल रहा
- না জানা (na jana) , don’t know, पता नहीं
- না পেলে (na pele) , didn’t get, नहीं मिला
- না সম্পাদন (na sompaadon) , didn’t understand, समझ नहीं आया
- না করে (na kore) , don’t do, मत करो
- না করছে (na koreche) , not doing, नहीं कर रहा
- না হয় (na hoi) , not happen, ऐसा नहीं
- না ব্যবহৃত (na bibhrat) , not used, उपयोग नहीं किया
- না থাকছে (na thakche) , not staying, नहीं रह रहा है
- না মানে (na maane) , doesn’t mean, इसका मतलब नहीं है
- না বলতে (na bolte) , not saying, नहीं कह रहा
- না করছেন (na korechen) , not doing, नहीं कर रहा
- না মানেন (na maanen) , don’t agree, सहमत नहीं
- না পাওয়া যাবে (na paoa jabo) , cannot be found., पाया नहीं जा सकता।
कुछ सामान्य वाक्य और उनका अनुवाद असमिया भाषा में:
- মেহের ঘরে আছো (meher ghoré acho), I am at home, मेँ घर पर
- মানে বাত করছো (maane baat korcho), I am talking, मेरे द्वारा बात की जा रही है
- মেহের ছাত্র (meher chhatra), I am a student, मैं पढ़ता हूं
- মেহের কাত করছো (meher kaat korcho), I am cutting, मैं काट रहा हूं
- মেহের খাওয়া খাই (meher khawa khai), I am eating, मैं खा रहा हूं
- মেহের ঘুম লাগছে (meher ghum lagche), I am feeling sleepy, मुझे नींद आ रही है
- মেহের পান করছো (meher paan korcho), I am drinking, मैं पी रहा हुँ
- মেহের দুধ পান করছো (meher dudh paan korcho), I am drinking milk, मैं दूध पी रहा हूँ
- মেহের বাড়িতে ঘুম লাগছো (meher baadite ghum lagcho), I am sleeping in the garden, मैं बगीचे में सो रहा हूँ
- মেহের কেমন ছে (meher kemon che), How are you?, आप कैसे हैं?
- মেহের কোথায় আছো (meher kothaai acho), Where are you?, आप कहां हैं?
- মেহের কি করছো (meher ki korcho), What are you doing?, आप क्या कर रहे हैं?
- মেহের কেন ঘুম না লাগছে (meher ken ghum na lagche), Why are you not sleeping?, तुम क्यों सो नहीं रहे हो?
- মেহের কেন খাওয়া না খাই (meher ken khawa na khai), Why are you not eating?, तुम क्यों नहीं खा रहे हो?
असमिया साहित्य
असमिया साहित्य असमिया भाषा में काम का एक समृद्ध और विविध निकाय है, जो भारतीय राज्य असम से उत्पन्न हुआ है। इसका 13वीं शताब्दी से एक लंबा इतिहास है और यह विभिन्न सांस्कृतिक और ऐतिहासिक तत्वों से प्रभावित रहा है।
असमिया साहित्य में कविता, कथा, गैर-कथा, जीवनी, इतिहास, धर्म और लोककथाओं सहित शैलियों की एक विस्तृत श्रृंखला शामिल है। औपनिवेशिक काल के दौरान, असमिया साहित्य ने पुनरुत्थान का अनुभव किया, जिसमें लक्ष्मीनाथ बेजबरोआ, हेमचंद्र बरुआ और ज्योति प्रसाद अग्रवाल जैसे लेखक अग्रणी थे।
स्वतंत्रता के बाद की अवधि में असमिया साहित्य का उत्कर्ष देखा गया, जिसमें बीरेंद्र कुमार भट्टाचार्य, इंदिरा गोस्वामी और हिरेन भट्टाचार्य जैसे लेखकों ने साहित्यिक उत्कृष्टता के कार्यों का निर्माण किया।
असमिया साहित्य का असम के लोगों की संस्कृति, इतिहास और जीवन शैली से गहरा संबंध है, और यह क्षेत्र की सांस्कृतिक विरासत का एक जीवंत और महत्वपूर्ण हिस्सा बना हुआ है।
अंत में, असमिया भारतीय राज्य असम और आसपास के क्षेत्रों में लाखों लोगों द्वारा बोली जाने वाली एक समृद्ध और जीवंत भाषा है। इसका एक लंबा इतिहास है, जिसमें 13वीं शताब्दी की एक लिखित परंपरा है, और साहित्य का एक समृद्ध निकाय है जो असम के लोगों की संस्कृति, इतिहास और जीवन के तरीके को दर्शाता है। असमिया लिपि ब्राह्मी लिपि पर आधारित है और इसमें 11 स्वर और 42 व्यंजन हैं। असमिया साहित्य में कविता और कथा साहित्य से लेकर इतिहास और धर्म तक कई विधाएं शामिल हैं, और यह क्षेत्र की सांस्कृतिक विरासत का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बना हुआ है। कुल मिलाकर, असमिया एक अनूठी और आकर्षक भाषा है जो देखने लायक है।