तेलुगु भाषा
तेलुगु एक द्रविड़ भाषा परिवार की भाषा है जो मुख्य रूप से भारतीय राज्य आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में बोली जाती है। यह भारत में तीसरी सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा है और दुनिया में 15 वीं सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा है, जिसमें 8.2 करोड़ से अधिक मातृभाषी वक्ता हैं। तेलुगु भाषा की एक समृद्ध साहित्यिक परंपरा है, जो 11वीं शताब्दी से है, और संस्कृत से काफी प्रभावित रही है।
लिपि | तेलुगु लिपि |
बोली क्षेत्र | भारत (आंध्र प्रदेश और तेलंगाना, कर्नाटक, तमिलनाडु, महाराष्ट्र, ओडिशा और छत्तीसगढ़), संयुक्त राज्य अमेरिका, संयुक्त अरब अमीरात, मलेशिया और सिंगापुर। |
वक्ता | 8.2 करोड़ |
भाषा परिवार | द्रविड़ |
आधिकारिक भाषा | आंध्र प्रदेश और तेलंगाना |
महत्वपूर्ण तथ्य:
- तेलुगु एक द्रविड़ भाषा है जो मुख्य रूप से आंध्र प्रदेश और तेलंगाना के भारतीय राज्यों में बोली जाती है।
- यह भारत में तीसरी सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा है और दुनिया में 15 वीं सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा है, जिसमें 8.2 करोड़ से अधिक मातृभाषी वक्ता हैं।
- तेलुगू की एक समृद्ध साहित्यिक परंपरा है जो 11वीं सदी से चली आ रही है और संस्कृत से काफी प्रभावित रही है।
- यह स्वरों और व्यंजनों की अपनी जटिल प्रणाली और मात्राओं (ध्वनि प्रतीकों) के उपयोग के लिए जाना जाता है।
- तेलुगु अमेरिका, संयुक्त अरब अमीरात, मलेशिया और सिंगापुर सहित अन्य भारतीय राज्यों और देशों में भी बोली जाती है।
- यह भारत की अनुसूचित भाषाओं में से एक है और आधिकारिक तौर पर भारत सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त है।
तेलुगु शब्द की उत्पत्ति:
- तेलुगु शब्द का मूलरूप संस्कृत में “त्रिलिंग” है। इसका तात्पर्य आंध्र प्रदेश के श्रीशैल के मल्लिकार्जुन लिंग, कालेश्वर और द्राक्षाराम के शिवलिंग से है। इन तीनों सीमाओं से घिरा देश त्रिलिंगदेश और यहाँ की भाषा त्रिलिंग (तेलुगु) कहलाई। इस शब्द का प्रयोग तेलुगु के आदि-कवि “नन्नय भट्ट” के महाभारत में मिलता है।
- यह शब्द त्रिनग शब्द से भी उत्पन्न हुआ माना जाता है। इसका आशय तीन बड़े बड़े पर्वतों की मध्य सीमा में व्याप्त इस प्रदेश से है। आंध्र जनता उत्तर दिशा से दक्षिण की ओर जब हटाई गई तो दक्षिणवासी होने के कारण इस प्रदेश और भाषा को “तेनुगु” नाम दिया गया। (तमिल भाषा में दक्षिण का नाम तेन है)। आंध्र शब्द का प्रयोग ऋग्वेदीय ऐतरेय ब्राह्मण में मिलता है।
- तेनुगु नाम होने का एक और कारण भी है। तेनुगु में तेने (तेने उ शहद, अगु उ जाहो) शब्द का अर्थ है शहद। यह भाषा मधुमधुर होने के कारण तेनुगु नाम से प्रसिद्ध है। यह प्रदेश “वेगिनाम” से भी ज्ञात है। “वेगि” का अर्थ है कृष्णा गोदावरी नदियों का मध्यदेश जो एक बार जल गया था। यह नाम भाषा के लिये व्यवहृत नहीं है। आंध्र एक जाति का नाम है। ऋग्वेद की कथा के अनुसार ऋषि विश्वामित्र के शाप से उनके 50 पुत्र आंध्र, पुलिंद और शबर हो गए।
तेलुगु भाषा का विकास:
अधिकांश संस्कृत शब्दों से संकलित भाषा “आंध्र” भाषा के नाम से व्यवहृत होती है। तेलुगुदेशीय शब्दों का प्राचुर्य जिस भाषा में है वह तेलुगु भाषा के नाम से प्रख्यात है। तेलुगु भाषा के विकास के संबंध में विद्वानों के दो मत हैं-
डा चिलुकूरि नारायण राव के मतानुसार तेलुगु भाषा द्राविड़ परिवार की नहीं है किंतु प्राकृतजन्य है और उसका संबंध विशेषत: पैशाची भाषा से है।
इसके विपरीत बिशप कार्डवेल और कोराड रामकृष्णय्य आदि विद्वानों के मत से तेलुगु भाषा का संबंध द्राविड़ परिवार से ही है। जो हो, इसका विकास दोनों प्रकार की भाषाओं के सम्मेलन से हुआ है।
तेलुगु भाषा का बोली क्षेत्र:
भारतीय राज्यों आंध्र प्रदेश और तेलंगाना के अलावा, तेलुगु अन्य राज्यों जैसे कर्नाटक, तमिलनाडु, महाराष्ट्र, ओडिशा और छत्तीसगढ़ में भी बड़ी संख्या में लोगों द्वारा बोली जाती है। तेलुगु भाषी अन्य देशों में भी पाए जा सकते हैं, जिनमें संयुक्त राज्य अमेरिका, संयुक्त अरब अमीरात, मलेशिया और सिंगापुर शामिल हैं। यह भारत की संवैधानिक भाषाओं में से एक है और भारत सरकार द्वारा एक आधिकारिक भाषा के रूप में मान्यता प्राप्त है।
तेलुगु भाषा की लिपि
तेलुगु तेलुगु लिपि में लिखी जाती है, जो ब्राह्मी लिपि से विकसित एक अबुगिदा लिपि है। तेलुगु लिपि कई शताब्दियों से उपयोग में है और इसमें 60 प्रतीक हैं, जिनमें 16 स्वर और 44 व्यंजन शामिल हैं। यह बाएँ से दाएँ लिखा जाता है। और इसमें वर्णों और प्रतीकों का अपना समूह होता है, जो भारत में उपयोग की जाने वाली देवनागरी लिपि और कन्नड़ जैसी अन्य लिपियों से भिन्न है।
तेलुगु भाषा की वर्णमाला:
तेलुगु की वर्णमाला में 60 प्रतीक हैं, जिनमें 16 स्वर और 44 व्यंजन शामिल हैं। तेलुगु लिपि, ब्राह्मी से उत्पन्न एक भारतीय लिपि है जो तेलुगु भाषा लिखने के लिये प्रयुक्त होती है। अक्षरों के रूप और संयुक्ताक्षर में ये अपने पश्चिमी पड़ोसी कन्नड़ लिपि से बहुत मेल खाती है।
लिपिचिह्न और उनका प्रयोग:
- प्राय: सभी ध्वनियों के लिये लिपिचिह्न इस भाषा में पाए जाते हैं। इसकी विशेषता यह है कि ह्रस्व ए, ओ, दंत्य च, ज़ एवं शकट रेफ नाम से एक अधिक “र” के अतिरिक्त अर्धबिंदु और “ळ” भी इस भाषा में है। इस तरह संस्कृत वर्णमाला की अपेक्षा तेलुगु वर्णमाला में छह अक्षर अधिक पाए जाते हैं।
- प्राय: संस्कृत के मंगल, ताल और कला आदि शब्दों के “ल” वर्ण तेलुगु में “ळ” से उच्चरित होते हैं। अर्धानुस्वार का अस्तित्व उच्चारण में नहीं है लेकिन भाषा का क्रमविकस जानने के लिय इसके लिखने की अवश्यकता है।
- कुछ शब्द एक ही प्रकार से उच्चरित होते हुए भी अर्धानुस्वार के समावेश से भिन्न-भिन्न अर्थ देते है। उदाहरणत: “एडु” का अर्थ सात संख्या है। उसी को अर्धानुसार से ‘एँडु’ शब्द लिखा जाए तो इसका ध्यानअर्थ वर्ष अर्थात् संवत्सर होता है।
- तेलुगु स्वरांत याने “अजंत” भाषा है जबकि हिंदी “व्यंजनांत” या “हलंत भाषा”। स्वरांत भाषा होने के कारण तेलुगु संगीत के लिये अत्यंत उपयुक्त मानी गई है। अत: कर्नाटक संगीत में 90 प्रतिशत शब्द तेलुगु के पाए जाते हैं।
- तेलुगु लिपि मोतियों की माला के समान सुंदर प्रतीत होती है। अक्षर गोल होते हैं। तेलुगु और कन्नड लिपियों में बड़ा ही सादृश्य है। ईसा के आरंभकाल की “ब्राह्मी लिपि” ही आंध्र-कर्नाटक लिपि में परिवर्तित हुई।
- इस लिपि का प्रचार “सालंकायन” राजाओं के समय सुदूर देशों में भी हुआ। तमिलों ने सातवीं शताब्दी में अपनी अलग लिपि बना ली।
तेलुगु की शब्द संरचना
इस भाषा में लगभग 75 प्रतिशत संस्कृत शब्दों का सम्मिश्रण है। इसकी मधुरता का मूल कारण संस्कृत तथा तेलुगु का (मणिकांचन) संयोग ही है। पश्चिम के विद्वानों ने भी तेलुगु को “पूर्व की इतालीय भाषा” कहकर इसके माधुर्य की सराहना की है।
कुछ सरल तेलुगु शब्दों के उदाहरण:
- तेलुगु, తెలుగు, तेलुगु
- नमस्कार, నమస్కారము, नमस्कारमु
- नमस्ते (विदा), శెలవు, सेलवु
- कृपया, దయ చేసి, दया चेसी
- धन्यवाद, ధన్యవాదములు, धन्यवादमुलु
- मैं ; मुझे, నేను, नेनु
- यह, ఇది, इदि
- वह, అది, अदि
- हाँ, అవును, अवुनु
- सही है, నిజమే, निजमे
- नहीं ; यह नहीं, కాదు, कादु
- अंग्रेजी, ఆంగ్లము, आंग्लमु
- वर्ष – “Samvatsaram” (సంవత్సరం)
- महीना – “Maasam” (మాసం)
- तिथि – “Thedhi” (తేది)
- नया – “Noothana” (నూతన)
तेलुगु में प्रयोग होने वाले प्रश्नवाचक शब्द:
- क्या, ఏంటి, एंटि
- कैसे, ఎలా, इला
- कहाँ, ఎక్కడ, एककड़ा
- कब, ఎప్పుడు, एप्पुडू
- कौन, ఎవరు, इवारू
- कौन सा, ఏది, एधी
- कितना, ఎంత, प्रवेश
- कितने, ఎన్ని, एनी
तेलुगु में प्रयोग होने वाले नकारात्मक शब्द और पद:
- नहीं चाहिए, Do not want: वद्दु Vaddu (వద్దు)
- नहीं है, do not have: लेदु Ledu (లేదు)
- नहीं, वो नहीं, no, not that: कादु Kaadu (కాదు)
- नहीं आता, Do not know to do something: रादु Raadu (రాదు)
- बुरा, Not good: बालेदु Baaledu (బాలేదు)
- पता नहीं, No idea: तेलियदु Teliyadu (తెలియదు)
- समझ नहीं आया, I do not understand. : नाकु अर्थम् कालेदु Naaku artham kaledu (నాకు అర్ధం కాలేదు)
- भाषा ( భాష )
- मेरा नाम : “ना पेरु” ( నా పేరు )
अन्य शब्द तेलुगु शब्द:
- अंडि (अव्य) – जी
- अंडी (संज्ञा) – जी
- अंत (विशे) – के उतना
- अक्का (विशे) – दीदी
- अट्टु (अव्य) – वैसा
- अट्टुगा (अव्य) – वैसा
- अट्टुगाने (अव्य) – वैसा ही
- अट्टू (अव्य) – वैसा ही
- अट्लु (अव्य) – वैसा
- अट्लू (अव्य) – वैसा ही
- अनि (अव्य) – ऐसा
- अन्ना (विशे) – भाई
- अप्पुडल्ला (अव्य) – तब तब
- अम्मा (विशे) – अम्मा{स्त्री}
- अयि (अव्य) – हो कर
- अयिते (अव्य) – होना पर
- अयिना (अव्य) – [हुआ] तो भी
- अय्या (विशे) – अय्या {पु.}
- अर (संज्ञा) – आधा/अपूर्ण
- अर्रा (विशे) – रे
- अल्ला (अव्य) – तो
- अल्ले (अव्य) – 1.जैसे/की तरह/के समान
- अव्वा (विशे) – दादी मा
- अस्त (विशे) – अस्त
- अस्थ (विशे) – अस्थ
- आ (अव्य) – क्या
- आत्मक (विशे) – आत्मक
- आर (अव्य) – [के] भर
- आरा (अव्य) – [के] भर
- आस्पद (विशे) – आस्पद
- इंत (संज्ञा) – ना
- इंपु (संज्ञा) – ना
- ई (अव्य) – भी
- ऊ (अव्य) – भी
कुछ सामान्य हिन्दी वाक्य और पद तेलुगू लिपि में:
- बाथरूम कहाँ है? : बाथरूम एक्कडा उन्धि? ( బాత్రూమ్ ఎక్కడ ఉంది? )
- आप कैसे हैं? : एला वुन्नारु? ( ఎలా ఉన్నారు? )
- हम कहाँ जा रहे हैं? : ekkadiki veluthunam ? (ఎక్కడికి వెళ్తున్నాము?)
कुछ सामान्य अंग्रेजी वाक्य और पद तेलुगू लिपि में:
- Had your meal? : “BhOjanam ayyindha?” (భోజనం అయ్యిందా?)
- What are you doing? : “Emi chEsthunnaaru?” (ఏమి చేస్తున్నారు?)
- It is there. : “undhi” (ఉంది)
- It is not present. : “lEdhu” (లేదు)
- I Like : “Naaku – ishtam” ( నాకు ఇష్టం )
- I want : “Naaku – kaavaali” ( నాకు కావాలి )
- I will go, I will come : “veltaanu–vastaanu” (వెళ్తాను — వస్తాను)
- This is very good. – “Idi chaalaa baagundhi” (ఇది చాలా బాగుంది)
- Where do you stay – “Meeru ekkada untunnaaru” (మీరు ఎక్కడ ఉంటున్నారు?)
- I am watching a movie – “Nenu cinema choosthunnanu” (నేను సినిమా చూస్తున్నాను)
कुछ हिन्दी वाक्य तेलुगू (देवनागरी लिपि) में:
- नमस्कार, आप कैसे हैं? “नमस्कारम, एला उन्नारु”
- मैं अच्छा हूँ, आप कैसे हैं? “नेनु बागुन्नानु, मीरु एला उन्नारु”
- खाना खाया? “लन्च तिन्नारा या भोजनम चेसियरा या भोजनम अय्यिन्धा”
- मैं खाना खाने रेस्तरां जा रहा हूँ। “भोजनम तिनाडानिकी रेस्टॉरेन्ट कि वेलुतुन्ना”
तेलुगु साहित्य
तेलुगु का साहित्य अत्यन्त समृद्ध एवं प्राचीन है। इसमें काव्य, उपन्यास, नाटक, लघुकथाएँ, तथा पुराण आते हैं। तेलुगु साहित्य की परम्परा ११वीं शताब्दी के आरम्भिक काल से शुरू होती है जब महाभारत का संस्कृत से नन्नय्य द्वारा तेलुगु में अनुवाद किया गया। विजयनगर साम्राज्य के समय यह पल्लवित-पुष्पित हुई।
अंत में, तेलुगु एक समृद्ध और जीवंत भाषा है जिसका एक लंबा और गौरवशाली इतिहास है। भारत में तीसरी सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा और दुनिया में 15वीं सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा के रूप में, तेलुगु की राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर महत्वपूर्ण उपस्थिति है। इसकी जड़ें 11वीं शताब्दी में देखी जा सकती हैं, और यह संस्कृत से बहुत अधिक प्रभावित है, जिसके परिणामस्वरूप स्वरों और व्यंजनों की एक जटिल प्रणाली और मात्राओं, या ध्वनि प्रतीकों का उपयोग होता है। तेलुगु लिपि, जो ब्राह्मी लिपि से विकसित हुई है, भाषा की ध्वनियों और जटिलताओं के अनुकूल है, और इसने अपनी साहित्यिक विरासत को संरक्षित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। तेलुगु न केवल भारतीय राज्यों आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में बोली जाती है, बल्कि दुनिया भर के अन्य भारतीय राज्यों और देशों में भी बोली जाती है। यह भारत की अनुसूचित भाषाओं में से एक है और आधिकारिक तौर पर भारत सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त है। संक्षेप में, तेलुगु एक आकर्षक और महत्वपूर्ण भाषा है जो मान्यता और प्रशंसा की पात्र है।