हरियाणी बोली
हरियाणी (Haryanvi Boli)– यह हिन्दी भाषा दिल्ली, करनाल, रोहतक, हिसार, पटियाला, नामा, जींद, पूर्वी हिसार आदि प्रदेशों में बोली जाती है। इस पर पंजाबी और राजस्थानी का पर्याप्त प्रभाव है। ग्रियर्सन ने इसे बाँगरू कहा है। इस प्रदेश में अहीरों अथवा जाटों की प्रधानता है, अत: इसे ‘जाटू‘ भाषा भी कहा जाता है। हरियाणी में परिनिष्ठित साहित्य का अभाव है।
हरियाणी की विशेषताएँ हरियाणी
हरियाणी बोली की प्रमुख विशेषताएँ इस प्रकार हैं-
- हरियाणी और खड़ी बोली में बहुत कम अन्तर है। खड़ी बोली की अनेक विशेषताएँ हरियाणी में भी देखी जा सकती है।
- आकारान्त शब्द तथा द्वित्व व्यंजन का प्रयोग हरियाणी में भी प्रचुर मात्रा में मिलता है, जैसे- घरौं, छोहरियाँ तथा बापू आदि।
- अधिकरण कारक में मह, माँह तथा संप्रदान कारक में ल्याँ, आदि परसर्ग पाये जाते हैं।
- क्रिया रूपों में सहायक क्रिया है, हैं, हूँ, हो के स्थान पर हरियाणी में सै, मैं, हूँ, सो का प्रयोग होता है।
- वर्तमान कृदन्त रूप में हिन्दी का ‘ता’ और पंजाबी का ‘दा’ दोनों मिलते हैं, जैसे करता और करदा।।
Haryanvi Boli ke Shabd, word
भाई बाहर रही होगी, बालक पण तें इब्ब सीख ले गी कोए बात ना, कम तें कम न्यू ते कहवे स अक आपणी बोली स, सीख ले प्रीति सुथरी ढाल फेर विपिन भाई ने कती देसी चमोले सुणआइये आदि।
हरियाणी बोली और खड़ी बोली में अंतर
हरियाणी और खड़ी बोली में बहुत कम अन्तर है। खड़ी बोली की अनेक विशेषताएँ हरियाणी में भी देखी जा सकती है। आकारान्त शब्द तथा द्वित्व व्यंजन का प्रयोग हरियाणी में भी प्रचुर मात्रा में मिलता है, जैसे-घरौं, छोहरियाँ तथा बापू आदि।
हरियाणवी कहावत
- भैस तालाब मेँ और लड़की माँल मेँ जाने के बाद बड़ी मुश्किल से बाहर निकलती है
- शेर दिखने पर कुत्ता और डर लगने पर लड़की आँख बंद करके चिल्लाती है
- भूख लगने पर बकरी और काल करने पर लड़की बहुत ज्यादा बोलती है
- गेहूँ के खेत मे गाय और चाट की दुकान मेँ लड़की बार बार जाती है