खड़ी बोली – कौरवी बोली, विशेषताएँ, Words, प्रथम कवि – Hindi

Khadi Boli - Khadi Boli in Hindi
Khadi Boli

खड़ी बोली

कौरवी या खड़ी बोली- खड़ी बोली का तात्पर्य है ‘स्टैंडर्ड भाषा‘। इस अर्थ में सभी भाषाओं की अपनी खड़ी बोली हो सकती है। किन्तु हिन्दी में खड़ी बोली मेरठ, सहारनपुर, देहरादून, रामपुर, मुजफ्फर नगर, बुलंदशहर आदि प्रदेशों में बोली जाने वाली भाषा को कहा जाता है। इसे कौरवी, नागरी आदि नामों से भी सम्बोधित किया जाता है। ग्रियर्सन ने इसे देशी हिन्दुस्तानी कहा है।

खड़ी बोली की विशेषताएँ

खड़ी बोली की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं –

  • खड़ी बोली आकारान्त प्रधान है। इसमें अधिकांशः आकारान्त शब्दों का प्रयोग मिलता है, जैसे-करता, क्रिया, खोटा, घोड़ा आदि।
  • खड़ी बोली में मूर्धन्य ‘ल’ का प्रयोग मिलता है, जिसका मानक हिन्दी में अभाव है, जैसे-जंगल, बाल आदि।
  • खड़ी बोली में द्वित्व व्यंजनों का प्रयोग प्रचुरता से होता है, जैसे-बेट्टी, गाड़ी, रोट्टी, जात्ता आदि।
  • खड़ी बोली में मानक हिन्दी के न, भ के स्थान पर क्रमणः ण, ब का प्रयोग होता है, जैसे-खाणा, जाणा, कबी, सबी आदि।
  • खड़ी बोली की क्रिया रचना में मानक हिन्दी से बड़ा साम्य है।
  • कतिपय परिवर्तनों के साथ मानक हिन्दी क्रिया-रूपों का प्रयोग खड़ी बोली में मिलता है, जैसे- चलता है > चले हैं।
  • निश्चयार्थक भूतकाल में खड़ी बोली में ‘या’ लगाया जाता है, जैसे-बैठा > बैठ्या, उठा > उठ्या आदि।।

खड़ी बोली का प्रथम कवि

खड़ी बोली के प्रथम कवि अयोध्यासिंह उपाध्यायहरिऔध‘ माने जाते हैं। अयोध्या सिंह हिन्दी के एक सुप्रसिद्ध साहित्यकार थे। वह दो बार हिंदी साहित्य सम्मेलन के सभापति रह चुके हैं और सम्मेलन द्वारा विद्यावाचस्पति की उपाधि से सम्मानित किये जा चुके हैं।

खड़ी बोली का प्रथम महाकाव्य

प्रिय प्रवास हरिऔध जी का सबसे प्रसिद्ध और महत्वपूर्ण ग्रंथ है। यह हिंदी खड़ी बोली का प्रथम महाकाव्य है और इसे मंगलाप्रसाद पारितोषिक पुरस्कार प्राप्त हो चुका है।  बतादें कि हरिऔध जी का जन्म उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ जिले के निजामाबाद नामक स्थान में हुआ। उनके पिता का नाम पंडित भोलानाथ उपाध्याय था।

खड़ी बोली की कविता

निज भाषा उन्नति अहै, सब भाषा को मूल
बिन निज भाषा ज्ञान के मिटे न हिय को शूल

खड़ी बोली के words, शब्द

  1. खाट– चारपाई
  2. खात – खाद
  3. खेस – कपास से बना श्वेत वर्ण का एक वस्त्र जो शरीर को ढकने के काम आता है
  4. खीस – गाय अथवा भैंस द्वारा शिशु को जन्म देने के उपरांत उनके थनों से दूध की तरह निकलने वाला एक पीला द्रव्य
  5. खाँस्सी-खुर्रा – खाँसी
  6. खड़का – शोर, शब्द
  7. सपा– स्वच्छ
  8. सकूटर – स्कूटर
  9. सरभंग होणा – To have no ethics or values
  10. सनिच्चर – शनिवार
  11. खड़ा-खाणा – टेबल पर परोसा जाने वाला भोजन, बुफे सिस्टम
  12. साईं– Kajal
  13. साळिगिराम – साला, अर्धांगिनी का भ्राता
  14. साब्बण – नहाने अथवा वस्त्र धोने का साबुन
  15. सांक्कळ – द्वार को बंद रखने हेतु ज़ंजीर अथवा चिटकनी

इन खड़ी बोली शब्दों का श्रोत: https://khadibolishabdkosh.com/

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *