कश्मीरी भाषा – लिपि, वर्णमाला, शब्द, वाक्य और इतिहास, in Hindi

Kashmiri Bhasha

कश्मीरी भाषा (Kashmiri Bhasha)

कश्मीरी भाषा एक इंडो-आर्य भाषा परिवार की भाषा है जो मुख्यतः कश्मीर घाटी तथा चेनाब घाटी में बोली जाती है। यह हिमाचल प्रदेश, हरियाणा और दिल्ली के कुछ हिस्सों में भी बोली जाती है। कश्मीरी भारत की 22 अनुसूचित भाषाओं में से एक है और इसे जम्मू और कश्मीर की आधिकारिक भाषाओं में से एक के रूप में मान्यता प्राप्त है। वर्ष 2001 की जनगणना के अनुसार भारत में इसके बोलने वालों की संख्या लगभग 56 लाख है। पाक-अधिकृत कश्मीर में 1998 की जनगणना के अनुसार लगभग 1 लाख कश्मीरी भाषा बोलने वाले हैं। इसकी अपनी लिपि है, जिसे फ़ारसी-अरबी के रूप में जाना जाता है, और अपने इतिहास के दौरान संस्कृत, फ़ारसी और अरबी से प्रभावित रही है।

लिपि कश्मीरी लिपि (फ़ारसी-अरबी)
बोली क्षेत्र जम्मू और कश्मीर (भारत)
कश्मीर (पाकिस्तान)
वक्ता 56 लाख
भाषा परिवार भारतीय आर्य भाषा परिवार
आधिकारिक भाषा जम्मू और कश्मीर

महत्वपूर्ण तथ्य:

  • कश्मीरी भाषा के लिए विभिन्न लिपियों का उपयोग किया गया है, जिसमें मुख्य लिपियां हैं- शारदा, देवनागरी, रोमन और परशो-अरबी है।
  • कश्मीर वादी के उत्तर और पश्चिम में बोली जाने वाली भाषाएँ – दर्ददी, श्रीन्या, कोहवाड़ कश्मीरी भाषा के उलट थीं।
  • यह भाषा इण्डो-आर्यन और हिन्दुस्तानी-ईरानी भाषा के समान है।
  • भाषाविदों का मानना ​​है कि कश्मीर के पहाड़ों में रहने वाले पूर्व नागावासी जैसे गन्धर्व, यक्ष और किन्नर आदि ,बहुत पहले ही मूल आर्यन से अलग हो गए।
  • इसी तरह कश्मीरी भाषा को आर्य भाषा जैसा बनने में बहुत समय लगा।
  • नागा भाषा स्वतः ही विकसित हुई है इस सब के बावजूद, कश्मीरी भाषा ने अपनी विशिष्ट स्वर शैली को बनाए रखा और 8-9वीं शताब्दी में अन्य आधुनिक भारतीय भाषाओं की तरह, कई चरणों से गुजरना पड़ा।

कश्मीरी भाषा की उत्पत्ति:

ग्रियर्सन ने जिन तर्कों के आधार पर कश्मीरी के “दारद” होने की परिकल्पना की थी, उन्हें फिर से परखना आवश्यक है; क्योंकि इससे भी कश्मीरी भाषा की गई गुत्थियाँ सुलझ नहीं पातीं। घोष महाप्राण के अभाव में जो दारद प्रभाव देखा गया है वह तो सिन्धी, पश्तू, पंजाबी, डोगरी के अतिरिक्त पूर्वी बँगला और राजस्थानी में भी दिखाई पड़ता है; पर क्रियापदों के संश्लेषण में कर्ता के अतिरिक्त कर्म के पुरुष, लिंग और वचन का जो स्पर्श पाया जाता है उसपर दारद भाषाएँ कोई प्रकाश नहीं डालतीं। सम्भवतः कश्मीरी भाषा “दारद” से प्रभावित तो है, पर उद्भूत नहीं।

कश्मीरी भाषा का विकास:

तेरहवीं शताब्दी के शितिकण्ठ की महानयप्रकाश में इस भाषा की बानगी मिलती है जिसे उस समय सर्वगोचर देशभाषा कहा जाता था। वह उस समय प्राकृत की तुलना में अपभ्रंश के अधिक निकट थी। चौदहवीं शताब्दी में ललद्यद की वाणी में कश्मीरी भाषा का लालित्य देखने को मिलता है। शैव सिद्धों ने इस भाषा का उपयोग अपने तन्त्र साहित्य में किया जिसके बाद यह धीरे-धीरे साहित्य की भी भाषा बनती चली गयी।

कश्मीरी भाषा लिखने के लिए शारदा लिपि का उपयोग दसवीं शताब्दी के आसपास किया गया था। चौदहवीं शताब्दी में फारसी के कश्मीर की राजभाषा बनने के पहले कश्मीरी शारदा लिपि में लिखी जाती थी। परन्तु उसके बाद फारसी लिपि में भी कश्मीरी लिखी जाने लगी। पौराणिक कश्मीरी लिपि को केवल शारदा में लिखा गया है। शारदा भाषा लिखने का तरीका स्वदेशी है, जो मूल ब्राह्मी से विकसित हुआ था। विद्वान, शासक और हिन्दू, मुस्लिम, बौद्ध आदि जैसे सभी धर्मों के लोग शारदा लिपि में लिखते थे। लालदा, रुपा भवानी, नन्द ऋषि और अन्य भक्ति कविता शारदा लिपि में ही लिखी गई थीं और अभी भी पुस्तकालय में इन्हे पढ़ा जा सकता हैं। इस लिपि का इस्तेमाल कश्मीरी पण्डितों द्वारा जन्म प्रमाणपत्र बनाने के लिए भी किया जाता है।

कश्मीरी भाषा का बोली क्षेत्र:

कश्मीरी मुख्य रूप से कश्मीर घाटी और जम्मू और कश्मीर, भारत के चिनाब घाटी क्षेत्रों में बोली जाती है। कश्मीर घाटी भारतीय उपमहाद्वीप के उत्तरी भाग में स्थित है और अपनी प्राकृतिक सुंदरता, समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और जीवंत इतिहास के लिए जानी जाती है। चिनाब घाटी जम्मू और कश्मीर के पश्चिमी भाग में स्थित है और अपनी प्राकृतिक सुंदरता और सांस्कृतिक विविधता के लिए भी जानी जाती है।

इन क्षेत्रों के अलावा, कश्मीरी हिमाचल प्रदेश, हरियाणा और दिल्ली के कुछ हिस्सों में भी बोली जाती है, साथ ही भारत के अन्य हिस्सों और दुनिया भर के देशों में कुछ अप्रवासी समुदायों द्वारा भी बोली जाती है।

यह ध्यान देने योग्य है कि अन्य भाषाओं, विशेषकर हिंदी और अंग्रेजी के प्रभाव के कारण हाल के वर्षों में कश्मीरी भाषा के उपयोग में कमी आई है। हालाँकि, हाल के वर्षों में भाषा में रुचि का पुनरुत्थान हुआ है, और कश्मीरी के उपयोग को संरक्षित और बढ़ावा देने के प्रयास चल रहे हैं।

कश्मीरी भाषा की लिपि

15वीं शती तक कश्मीरी भाषा केवल शारदा लिपि में लिखी जाती थी। बाद में फारसी लिपि का प्रचलन बढ़ता गया और अब इसी का एक अनुकूलित रूप स्थिर हो चुका है। सिरामपुर से बाइबल का सर्वप्रथम कश्मीरी अनुवाद शारदा लिपि ही में छपा था, दूसरा फारसी लिपि में और कुछ संस्करण रोमन में भी निकले। देवनागरी को अपनाने के प्रयोग भी होते रहे हैं और आजकल यह देवनागरी में भी लिखी जा रही है।

वर्त्तमान में शारदा लिपि हिन्दुओं तक ही सीमित है लेकिन कश्मीरी भाषा लिखने के लिए, मुसलमान अरबी अक्षरों का उपयोग करते हैं। कश्मीरी भाषा में शारदा के अलावा, देवनागरी लिपि, रोमन और पर्शियन-अरबिक का भी इस्तेमाल किया गया है। कश्मीरी भाषा में कोशुर न्यूज़, ख़ासर भवानी टाइम्स, विभूता, मिलर आदि पत्र और पत्रिकाएँ भी शामिल हैं।

अब कश्मीरी भाषा का सॉफ़्टवेयर भी आ गया है। रोमन लिपि का कश्मीरी भाषा के लिए भी इस्तेमाल किया गया है लेकिन यह लोकप्रिय नहीं है जम्मू और कश्मीर सरकार ने भी, अब पर्शियन-अरबिक लिपि, जो अब कश्मीरी लिपि के नाम से जानी जाती है, को ही आधिकारिक लिपि माना है। व्यापक रूप से इस भाषा को प्रकाशन में उपयोग किया जाता है। कुछ लोग अरबी-फारसी लिपि में कश्मीरी लिखते हैं, जो उर्दू से बहुत अलग नहीं है। कश्मीरी में, अ, आ, उ, ऊ आदि जैसे व्यंजनों के कई रूप होते हैं और व्यंजनों में दन्तुलुलिये च, ज, मराठी की तरह होते हैं, लेकिन उन्हें सामान्य लेखन में नहीं रखा जाता है।

कश्मीरी भाषा की वर्णमाला:

कश्मीरी लिपि, जिसे फ़ारसी-अरबी लिपि के रूप में भी जाना जाता है, में 42 अक्षर हैं, जिनमें विभिन्न स्वर और व्यंजन शामिल हैं। यह दाएँ से बाएँ लिखा जाता है, और कश्मीरी भाषा लिखने के लिए प्रयोग किया जाता है।

Kashmiri Script Transliteration in English Devanagari (Hindi)
ا alif
ب be
ت te
ث se
ج jim
ح
خ kha
د dal
ذ zal  –
ر re
ز ze जे
ژ zhæ  –
س sin
ش shin
ص sad सद
ض dad दद
ط ते
ظ  –
ع ayn आयन
غ ghayn घैन
ف fe
ق qaf क़
ک kaf
گ gaf
ل lam
م mim
ن nun
و waw
ہ ha
ھ he हे
ی
ے ai  –
ۃ wa वा

कश्मीरी की शब्द संरचना

कश्मीरी भाषा की शब्द संरचना काफी हद तक इसके इतिहास और समय के साथ संपर्क में आने वाली भाषाओं से प्रभावित है। कश्मीरी भाषा अन्य भाषाओं के अलावा संस्कृत, फ़ारसी और अरबी से प्रभावित हुई है, और इसके परिणामस्वरूप, इसका एक समृद्ध और जटिल व्याकरण और शब्दावली है।

  • शब्द संरचना के संदर्भ में, कश्मीरी शब्द एक या अधिक शब्दांशों से बना हो सकता है। प्रत्येक शब्दांश में आमतौर पर एक स्वर ध्वनि होती है, जिसे आमतौर पर व्यंजन के पहले या बाद में उच्चारित किया जाता है।
  • कश्मीरी में संज्ञाओं में तीन लिंग होते हैं: पुल्लिंग, स्त्रीलिंग और नपुंसक।
  • कश्मीरी में क्रिया का काल को इंगित करती है कि वह क्रिया कब घटित होती है, और क्रिया की मनोदशा क्रिया के प्रति वक्ता के दृष्टिकोण को इंगित करती है।
  • कश्मीरी में कई प्रकार के सर्वनाम हैं, जिनमें व्यक्तिगत, प्रतिवर्त, अधिकार और प्रदर्शनकारी सर्वनाम शामिल हैं। कारक, लिंग और संख्या आदि को व्यक्त करने के लिए सर्वनाम प्रयोग होता है।

इन मूल शब्द संरचनाओं के अलावा, कश्मीरी भाषा में प्रत्यय और उपसर्गों की एक समृद्ध प्रणाली भी है, जो काल, पहलू, मनोदशा और बहुत कुछ इंगित करने के लिए शब्दों में जोड़े जाते हैं।

कुछ सरल कश्मीरी शब्दों के उदाहरण:

Kashmiri Script Transliteration in English Devanagari (Hindi)
کشمیر Kashmir कश्मीर
دریا dariya दरिया
بھائی bhæi भाई
بہن bhen बहन
جانور janwar जानवर
چاہ chah चाह
دودھ dudh दूध
کلیلہ keliya केलिया
سبزی sabzi सब्ज़ी
سردار sardaar सरदार
شاہ shah शाह

कश्मीरी में प्रयोग होने वाले प्रश्नवाचक शब्द:

Kashmiri Script Transliteration in English Devanagari (Hindi)
کو؟ ku? कौन?
کیا؟ kya? क्या?
کتا؟ kuta? कहाँ?
کتو؟ kuto? कैसे?
کے؟ ke? के?
کب؟ kab? कब?
کہانی؟ kahani? कहानी?
کیدا؟ kida? क्यूँ?

कश्मीरी में प्रयोग होने वाले नकारात्मक शब्द और पद:

Kashmiri Script Transliteration in English Devanagari (Hindi)
نہیں nai नहीं
نہ na नहीं
نئی nai नहीं
نہیں دا nai da नहीं दो

कुछ सामान्य वाक्य और उनका अनुवाद कश्मीरी भाषा में:

  1. کشمیر دا خوبصورت علاقہ ہے English: Kashmir is a beautiful place. Hindi: कश्मीर एक खूबसूरत स्थान है।
  2. ماں دا کام خوب آرہے English: My mother is doing well. Hindi: मेरी माँ अच्छी है।
  3. بیلی کو پھل خوشبو دا آهے English: The fruit is sweet to Billy. Hindi: फल बिल्ली के लिए मीठा है।
  4. جے دا سور بہت خوب آهے English: The sun is very good today. Hindi: आज सूरज बहुत अच्छा है।
  5. یار دا دوست خوب آهے English: The friend is good to Yaar. Hindi: दोस्त यार के लिए अच्छा है।
  6. آشیا دا سیل بہت خوب آهے English: The city is very good to Aashi. Hindi: शहर आशी के लिए बहुत अच्छा है।
  7. آپ دا سیدھا خوب آرہے English: Your house is doing well. Hindi: आपका घर अच्छी है।
  8. جی دا پیار بہت خوب آهے English: The love is very good to Jee. Hindi: प्यार जी के लिए बहुत अच्छा है।

कश्मीरी साहित्य

कश्मीरी साहित्य एक समृद्ध और विविध प्रकार का काम है, जो कई शताब्दियों तक फैला हुआ है और इसमें कविता, कथा, नाटक और गैर-कल्पना सहित कई प्रकार की विधाएँ शामिल हैं। कुछ सबसे प्रसिद्ध कश्मीरी लेखक और उनकी उल्लेखनीय रचनाएँ हैं:

  • हब्बा खातून (16वीं शताब्दी): हब्बा खातून को कश्मीरी साहित्य की पहली महिला कवयित्री माना जाता है। उसने युद्ध में शहीद हुए अपने पति यासिर की प्रशंसा में कविताएँ लिखीं। उनकी कविताएँ प्रेम और हानि की शक्तिशाली अभिव्यक्ति के लिए जानी जाती हैं, और आज भी व्यापक रूप से पढ़ी और प्रदर्शित की जाती हैं।
  • लाल डेड (14वीं शताब्दी): लाल डेड, जिसे लल्ला आरिफा के नाम से भी जाना जाता है, को कश्मीरी साहित्य के महानतम मनीषियों में से एक माना जाता है। उन्होंने भक्ति कविता लिखी जिसे बाद में “लाल वाख” नामक एक पाठ में संकलित किया गया। उनकी कविता की विशेषता इसकी सरल भाषा और गहन आध्यात्मिक ज्ञान है, और कश्मीरी संस्कृति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बनी हुई है।
  • महजूर (1885-1952): महजूर एक विपुल कवि और लेखक थे जिन्होंने कश्मीरी साहित्य में एक बड़ा योगदान दिया। उन्होंने उर्दू और कश्मीरी दोनों में लिखा, और उनकी रचनाओं में कविताएँ, ग़ज़लें और नज़्म शामिल हैं। उनकी कविताएँ कश्मीर और उसके लोगों के लिए उनकी मजबूत भावनाओं को दर्शाती हैं, और उन्हें इस क्षेत्र के महानतम कवियों में से एक के रूप में याद किया जाता है।
  • ज़रीफ़ अहमद ज़रीफ़ (1931-2017): ज़रीफ़ अहमद ज़रीफ़ कश्मीर के एक प्रसिद्ध हास्यकार, कवि और लेखक थे। उन्होंने कश्मीरी और उर्दू में लिखा, और उनकी रचनाओं में कविताएँ, निबंध और नाटक शामिल हैं। वह अपनी हास्य कविताओं और निबंधों के लिए सबसे ज्यादा जाने जाते हैं, जो आज भी व्यापक रूप से पढ़े जाते हैं और उनका आनंद लिया जाता है।
  • रतन लाल शांत (1922-1998): रतन लाल शांत एक कश्मीरी नाटककार, लेखक और कवि थे। उन्होंने कश्मीरी, उर्दू और हिंदी में लिखा और उनकी रचनाओं में नाटक, लघु कथाएँ और कविताएँ शामिल हैं। उन्हें उनके कार्यों के लिए जाना जाता है जो कश्मीर में आम लोगों के जीवन को चित्रित करते हैं, और उनके लेखन की विशेषता इसकी सरल भाषा और सामाजिक यथार्थवाद है।

अंत में, कश्मीरी भाषा और साहित्य कश्मीर और उसके लोगों की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का एक अभिन्न अंग है। भाषा, जो इस क्षेत्र में लाखों लोगों द्वारा बोली जाती है, का एक लंबा और पुराना इतिहास है, और इसने साहित्यिक कार्यों का खजाना तैयार किया है जो उनकी सुंदरता, ज्ञान और अंतर्दृष्टि के लिए मनाया जाता है। हब्बा खातून और लाल देद की कविताओं से लेकर ज़रीफ़ अहमद ज़रीफ़ के हास्य और रतन लाल शांत के नाटकों तक, कश्मीरी साहित्य ने इस क्षेत्र में जीवन के सार और इसके लोगों की भावनाओं पर कब्जा कर लिया है। जैसे, यह कश्मीर और उसके लोगों की सांस्कृतिक पहचान का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बना हुआ है, और यह क्षेत्र की विरासत का एक महत्वपूर्ण पहलू है जो भविष्य की पीढ़ियों के लिए संरक्षित और बढ़ावा देने योग्य है।