बिहारी हिन्दी
बिहारी हिन्दी का विकास मागधी प्राकृत से हुआ है। यह पूर्वी उत्तर प्रदेश तथा बिहार क्षेत्र की भाषा है। कतिपय विद्वान बिहारी हिन्दी का सम्बन्ध बंगला से भी जोड़ते हैं। इसकी अपनी बोलियाँ तथा उप-बोलियाँ हैं।
बिहारी हिन्दी की प्रमुख बोलियाँ
भोजपुरी हिन्दी के बारे में हमपहले ही चर्चा कर चुके है (यहाँ देखे – Bhojpuri Boli)। यह उत्तर प्रदेश के बनारस, गाजीपुर, गोरखपुर, देवरिया, आजमगढ़ आदि तथा बिहार के चम्पारन, राँची आदि प्रदेशों में बोली जाती है। कबीर, धरणीदास, धरमदास आदि भोजपुरी के प्रमुख कवि हैं।
इसकी प्रमुख विशेषतएँ निम्नलिखित हैं– भोजपुरी में र का लोप हो जाता है। जैसे-लरिका > लइका। भोजपुरी में स्त्रीलिंग संज्ञाएँ इ अथवा ईकारान्त रूप में मिलती है। जैसे- बहिनि, आगि आदि। भोजपुरी पर अवधी और बंगला का प्रभाव पाया जाता है।
मगही बोली
मगध प्रदेश की बोली को मगही कहा जाता है। मगही या मागधी भाषा भारत के मध्य पूर्व में बोली जाने वाली एक प्रमुख भाषा है। इसका निकट का संबंध भोजपुरी और मैथिली भाषा से है और अक्सर ये भाषाएँ एक ही साथ बिहारी भाषा के रूप में रख दी जाती हैं। इसे देवनागरी लिपि में लिखा जाता है। मगही बोलने वालों की संख्या वर्ष 2002 के अनुसार लगभग 1 करोड़ 30 लाख है।
मगही या मागधी बोली के क्षेत्र
मगही या मागधी भाषा भारत के मध्य पूर्व में बोली जाने वाली एक प्रमुख भाषा है। यह बिहार के गया, पटना, राजगीर, नालंदा, जहानाबाद, अरवल, नवादा, शेखपुरा, लखीसराय, जमुई और औरंगाबाद के इलाकों में मुख्य रूप से बोली जाती है।
मगही या मागधी बोली बोलने वालों की संख्या
मगही बोलने वालों की संख्या वर्ष 2002 के अनुसार लगभग 1 करोड़ 30 लाख है। यह बिहार के गया, पटना, राजगीर, नालंदा, जहानाबाद, अरवल, नवादा, शेखपुरा, लखीसराय, जमुई और औरंगाबाद के इलाकों में मुख्य रूप से बोली जाती है।
मैथिली बोली
मगध के ऊपरी भाग की बोली को मैथिली कहा जाता है। मैथिली भारत के बिहार और झारखंड राज्यों और नेपाल के तराई क्षेत्र में बोली जाने वाली भाषा है।
मैथिली बोली के क्षेत्र
दरभंगा, मधुबनी, सीतामढ़ी, समस्तीपुर, मुंगेर, मुजफ्फरपुर, बेगूसराय, पूर्णिया, कटिहार, किशनगंज, शिवहर, भागलपुर, मधेपुरा, अररिया, सुपौल, वैशाली, सहरसा, रांची, बोकारो, जमशेदपुर, धनबाद और देवघर आदि मैथिली बोली के क्षेत्र है।
नेपाल के आठ जिलों धनुषा,सिरहा,सुनसरी, सरलाही, सप्तरी, मोहतरी,मोरंग और रौतहट में भी यह बोली जाती है।
मैथिली के कवि
मैथिली के प्राचीन कवियों में विद्यापति, गोविन्ददास आदि प्रमुख हैं। हरिमोहन झा, चंदा झा, यशोधर झा आदि मैथिली के आधुनिक प्रमुख साहित्यकार हैं। मैथिली साहित्य का अपना समृद्ध इतिहास रहा है और चौदहवीं तथा पंद्रहवीं शताब्दी के कवि विद्यापति को मैथिली साहित्य में सबसे ऊँचा दर्जा प्राप्त है।
मैथिली भाषा की लिपि
पहले इसे मिथिलाक्षर तथा कैथी लिपि में लिखा जाता था जो बांग्ला और असमिया लिपियों से मिलती थी पर धीरे-धीरे देवनागरी का प्रयोग होने लगा; मिथिलाक्षर को तिरहुता या वैदेही लिपी के नाम से भी जाना जाता है; यह असमिया, बांगला व उड़िया लिपियों की जननी है, उड़िया लिपी बाद में द्रविड़ भाषाओं के सम्पर्क के कारण परिवर्तित हुई।
मैथिली का इतिहास
मैथिली का प्रथम साक्ष्य रामायण में मिलता है। यह त्रेता युग में मिथिला-नरेश राजा जनक की राज्यभाषा थी; इस प्रकार यह इतिहास की प्राचीनतम भाषाओं में से एक मानी जाती है। प्राचीन मैथिली के विकास का शुरूआती दौर प्राकृत और अपभ्रंश के विकास से जोड़ा जाता है। लगभग 700 ई० के आसपास इसमें रचनाएं की जाने लगी।
विद्यापति मैथिली के आदिकवि तथा सर्वाधिक ज्ञाता कवि हैं। विद्यापति ने मैथिली के अतिरिक्त संस्कृत तथा अवहट्ट में भी रचनाएं लिखीं। ये वह दो प्रमुख भाषाएं हैं जहाँ से मैथिली का विकास हुआ। भारत की लगभग 5.6 प्रतिशत आबादी लगभग 7-8 करोड़ लोग मैथिली को मातृ-भाषा के रूप में प्रयोग करते हैं और इसके प्रयोगकर्ता भारत और नेपाल के विभिन्न हिस्सों सहित विश्व के कई देशों में फैले हैं।
मैथिली विश्व की सर्वाधिक समृद्ध, शालीन और मिठास पूर्ण भाषाओं में से एक मानी जाती है। मैथिली भारत में एक राजभाषा के रूप में सम्मानित है। मैथिली की अपनी लिपि है जो एक समृद्ध भाषा की प्रथम पहचान है। नेपाल हो या भारत कही भी सरकार के द्वारा मैथिली भाषा के विकास हेतु कोई खास कदम नहीं उठाया गया है। अब जा कर गैर सरकारी संस्था और मीडिया द्वारा मैथिली के विकास का थोड़ा प्रयास हो रहा है।
मैथिली की प्रमुख विशेषताएँ
- यह अवधी और भोजपुरी के अधिक समीप की भाषा है।
- मैथिली में श, ष, स के स्थान पर ‘ह’ हो जाता है, जैसे-पुष्प > पुहुप।