भोजपुरी बोली – भोजपुरी हिन्दी बोली व भाषा

Bhojpuri Hindi Boli, Bhasha
Bhojpuri Hindi Boli, Bhasha

भोजपुरी

भोजपुरी हिन्दी उत्तर प्रदेश के बनारस, गाजीपुर, गोरखपुर, देवरिया, आजमगढ़ आदि तथा बिहार के चम्पारन, राँची आदि प्रदेशों में बोली जाती है। “भोजपुरी” शब्द का निर्माण बिहार का प्राचीन जिला भोजपुर के आधार पर पड़ा। जहाँ के राजा “राजा भोज” ने इस जिले का नामकरण किया था। भाषाई परिवार के स्तर पर भोजपुरी एक आर्य भाषा है। भोजपुरी प्राचीन समय मे कैथी लिपि मे लिखी जाती थी।

भोजपुरी हिन्दी बोली बोलनें बालों की संख्या

भारत में लगभग 3.3 करोड़ लोग भोजपुरी बोलते हैं, पूरे विश्व में भोजपुरी के वक्ताओं की संख्या 5.5 करोड़ है, जिसमें बिहार में 0.8 करोड़ और उत्तर प्रदेश में 0.7 करोड़ तथा शेष वक्ताओं की संख्या विश्व व भारत में 4 करोड़ है।

भोजपुरी बोली भाषा क्षेत्र

यह भारत में उत्तर प्रदेश के बनारस, गाजीपुर, गोरखपुर, देवरिया, आजमगढ़ आदि तथा बिहार के चम्पारन, राँची आदि प्रदेशों में बोली जाती है। तथा विश्व में भारत के अलावा नेपाल, मॉरीशस, सूरीनाम, लुप्तप्राय भाषा गुयाना और त्रिनिदाद और टोबैगो आदि देशों में बोली जाती है।

भोजपुरी भाषा के कवि

कबीर, धरणीदास, धरमदास आदि भोजपुरी के प्रमुख कवि हैं।

भोजपुरी बोली है या भाषा

हिन्दी भाषाओं के वर्गीकरण के आधार पर वर्तमान में ‘भोजपुरी’ हिन्दी की ही एक बोली है। परंतु इसके क्षेत्र का व्यापक विस्तार और बोलने बालों की संख्या के आधार पर भोजपुरी को भाषा कहना अनुचित नहीं होगा। यह विश्व की भाषाओं की सूची में 35वें नंबर पर आती हैं। भोजपुरी बोलने वालों की संख्या 5.5 करोड़ के करीब है।

भोजपुरी की बोलियाँ

भोजपुरी की प्रमुख रूप से 2 प्रकार की ही बोलियां हैं:

  1. मुख्य भोजपुरी,
  2. पश्चिमी भोजपुरी।

मुख्य भोजपुरी

डॉ॰ ग्रियर्सन ने ‘स्टैंडर्ड भोजपुरी‘ कहा है वह प्रधानतया बिहार राज्य के आरा जिला और उत्तर प्रदेश के देवरिया, बलिया, गाजीपुर जिले के पूर्वी भाग और घाघरा (सरयू) एवं गंडक के दोआब में बोली जाती है।

  • उत्तरी मुख्य भोजपुरी में जहाँ ‘बाटे’ का प्रयोग किया जाता है वहाँ दक्षिणी आदर्श भोजपुरी में ‘बाड़े’ प्रयुक्त होता है।
  • गोरखपुर की भोजपुरी में ‘मोहन घर में बाटें’ कहते परंतु बलिया में ‘मोहन घर में बाड़ें’ बोला जाता है।
  • पूर्वी गोरखपुर की भाषा को ‘गोरखपुरी’ कहा जाता है।
  • परंतु पश्चिमी गोरखपुर और बस्ती जिले की भाषा को ‘सरवरिया’ नाम दिया गया है।
  • “सरवरिया” शब्द “सरुआर” से निकला हुआ है जो ‘सरयूपार’ का अपभ्रंश रूप है।
  • “सरवरिया” और गोरखपुरी के शब्दों – विशेषत: संज्ञा शब्दों- के प्रयोग में भिन्नता पाई जाती है।
  • बलिया और सारन इन दोनों जिलों में “मुख्य भोजपुरी” बोली जाती है। परंतु कुछ शब्दों के उच्चारण में थोड़ा अन्तर है।
  • सारन के लोग “ड” का उच्चारण “र” करते हैं। जहाँ बलिया निवासी “घोड़ागाड़ी आवत बा” कहता है, वहाँ छपरा या सारन का निवासी “घोरा गारी आवत बा” बोलता है।
  • आदर्श भोजपुरी का नितांत निखरा रूप बलिया और आरा जिले में बोला जाता है।

पश्चिमी भोजपुरी

पश्चिमी भोजपुरी बोली जौनपुर, गाजीपुर, आजमगढ़, बनारस, के पश्चिमी भाग और मिर्जापुर में बोली जाती है, मुख्य भोजपुरी और पश्चिमी भोजपुरी में बहुत अधिक अन्तर है।

  • पश्चिमी भोजपुरी में आदर सूचक के लिये “तुँह” का प्रयोग दीख पड़ता है परंतु मुख्य भोजपुरी में इसके लिये “रउरा” प्रयुक्त होता है।
  • संप्रदान कारक का परसर्ग (प्रत्यय) इन दोनों बोलियों में भिन्न-भिन्न पाया जाता है।
  • मुख्य भोजपुरी में संप्रदान कारक का प्रत्यय “लागि” है परंतु वाराणसी की पश्चिमी भोजपुरी में इसके लिये ‘बदे’ या ‘वास्ते’ का प्रयोग होता है।
हम खरमिटाव कइली हा रहिला चबाय के।
भेंवल धरल बा दूध में खाजा तोरे बदे।।
जानीला आजकल में झनाझन चली रजा।
लाठी, लोहाँगी, खंजर और बिछुआ तोरे बदे।

भोजपुरी की प्रमुख विशेषताएं

  • भोजपुरी में र का लोप हो जाता है। जैसे-लरिका > लइका।
  • भोजपुरी में स्त्रीलिंग संज्ञाएँ इ अथवा ईकारान्त रूप में मिलती है। जैसे- बहिनि, आगि आदि।
  • भोजपुरी पर अवधी और बंगला का प्रभाव पाया जाता है।
Bhojpuri Boli - Bhasha
Bhojpuri Bhasha

भोजपुरी भाषा का उद्गम

संस्कृत से ही निकली भोजपुरी, आचार्य हवलदार त्रिपाठी ‘सह्मदय’ लम्बे समय तक अन्वेषण कार्य करके इस निष्कर्ष पर पहुँचे कि भोजपुरी संस्कृत से ही निकली है। उनके कोश-ग्रन्थ “व्युत्पत्ति मूलक भोजपुरी की धातु और क्रियाएं” में मात्र सात सौ इकसठ (761) धातुओं की खोज उन्होंने की है, जिनका विस्तार ‘ढ़’ वर्ण तक हुआ है। इस प्रबन्ध के अध्ययन से ज्ञात होता है कि सात सौ इकसठ (761) पदों की मूल धातु की वैज्ञानिक निर्माण प्रक्रिया में पाणिनि सूत्र का अक्षरश: अनुपालन हुआ है। इस कोश-ग्रन्थ में वर्णित विषय पर एक नजर डालने से भोजपुरी तथा संस्कृत भाषा के मध्य समानता स्पष्ट परिलक्षित होती है।

वस्तुत: भोजपुरी-भाषा संस्कृत-भाषा के अति निकट और संस्कृत की ही भांति वैज्ञानिक भाषा है। भोजपुरी-भाषा के धातुओं और क्रियाओं का वाक्य-प्रयोग विषय को और अधिक स्पष्ट कर देता है। प्रामाणिकता हेतु संस्कृत व्याकरण को भी साथ-साथ प्रस्तुत कर दिया गया है। इस ग्रन्थ की विशेषता यह है कि इसमें भोजपुरी-भाषा के धातुओं और क्रियाओं की व्युत्पत्ति को स्रोत संस्कृत-भाषा एवं उसके मानक व्याकरण से लिया गया है।