ओड़िया भाषा – लिपि, वर्णमाला, शब्द, वाक्य और इतिहास, in Hindi

Odia or Oriya Bhasha

ओड़िया भाषा (Odia or Oriya Bhasha)

उड़िया एक इंडो-आर्यन भाषा है। उड़िया भाषा लगभग 4 करोड़ लोगों द्वारा मुख्य रूप से भारतीय राज्य ओडिशा के साथ-साथ आंध्र प्रदेश, झारखंड और पश्चिम बंगाल जैसे पड़ोसी राज्यों में बोली जाती है। यह भारत में 22 आधिकारिक रूप से मान्यता प्राप्त भाषाओं में से एक है और देश में छठी सबसे व्यापक रूप से बोली जाने वाली भाषा है।

लिपिउड़िया लिपि
बोली क्षेत्रओडिशा, आंध्र प्रदेश, झारखंड और पश्चिम बंगाल
वक्ता4 करोड़
भाषा परिवारआर्य भाषा परिवार (इंडो-आर्यन)
आधिकारिक भाषा ओड़िशा

महत्वपूर्ण तथ्य:

  • ओड़िया भारत के ओड़िशा प्रान्त में बोली जाने वाली भाषा है। यह भाषा यहाँ के राज्य सरकार की राजभाषा भी है।
  • भाषाई परिवार के तौर पर ओड़िआ एक आर्य भाषा है और नेपाली, बांग्ला, असमिया और मैथिली से इसका निकट संबंध है।
  • ओड़िशा की भाषा और जाति दोनों ही अर्थो में उड़िया शब्द का प्रयोग होता है, किंतु वास्तव में ठीक रूप ओड़िआ होना चाहिए।
  • इसकी व्युत्पत्ति का विकासक्रम कुछ विद्वान् इस प्रकार मानते हैं ओड्रविषय, ओड्रविष, ओडिष, आड़िषा या ओड़िशा।
  • सबसे पहले भरत के नाट्यशास्त्र में उड्रविभाषा का उल्लेख मिलता है।

ओड़िया भाषा की उत्पत्ति और विकास:

ओडिया भाषा की उत्पत्ति स्पष्ट रूप से ज्ञात नहीं है, लेकिन यह माना जाता है कि सदियों से उड़ीसा के क्षेत्र में बोली जाने वाली विभिन्न इंडो-आर्यन और द्रविड़ भाषाओं के संयोजन से विकसित हुई है। ओडिया में सबसे पुराना ज्ञात साहित्य 11वीं शताब्दी का है, और भाषा समय के साथ संस्कृत और बंगाली जैसी पड़ोसी भाषाओं के प्रभाव से विकसित हुई है।

ऐसा माना जाता है कि उड़िया के प्रारंभिक रूप का उपयोग धार्मिक और सांस्कृतिक उद्देश्यों के लिए किया जाता था, जैसे कि हिंदू शास्त्रों के लेखन और भक्ति गीतों और भजनों में। समय के साथ, भाषा विकसित हुई और अधिक व्यापक हो गई, और 19वीं शताब्दी तक, यह इस क्षेत्र में प्रमुख भाषा बन गई थी। आज, ओडिया भारत की आधिकारिक भाषाओं में से एक है और मीडिया, शिक्षा और सरकार में व्यापक रूप से उपयोग की जाती है।

ओड़िया भाषा का बोली क्षेत्र:

ओडिया भाषा मुख्य रूप से भारतीय राज्य ओडिशा में बोली जाती है, जहाँ यह आधिकारिक भाषा है। इसके अतिरिक्त, यह आंध्र प्रदेश, झारखंड और पश्चिम बंगाल जैसे पड़ोसी राज्यों में भी बड़ी संख्या में लोगों द्वारा बोली जाती है।

ओड़िया भाषा की लिपि

उड़िया भाषा के लिए प्रयुक्त होने वाली लिपि को उड़िया लिपि के नाम से जाना जाता है, जो ब्राह्मी लिपि का ही एक रूप है। उड़िया लिपि बाएं से दाएं लिखी जाती है और इसमें 52 अक्षर होते हैं। यह लिपि अपने चिकने घुमावों और रेखाओं के लिए जानी जाती है, और इसे भारत की सबसे सुंदर लिपियों में से एक माना जाता है।

ओड़िया भाषा की वर्णमाला:

आधुनिक उड़िया लिपि में 52 अक्षर हैं। स्वरों और व्यंजनों की संख्या क्रमशः 11 और 41 है।

Odia or Oriya Bhasha Varnamala

ओड़िया की शब्द संरचना

उड़िया भाषा में शब्दों की संरचना कर्त्ता-कर्म-क्रिया (SOV) के मूल पैटर्न का अनुसरण करती है, जिसका अर्थ है कि वाक्य का विषय आमतौर पर पहले आता है, उसके बाद ऑब्जेक्ट और फिर वर्ब आता है। यह शब्द क्रम हिंदी और बंगाली सहित कई भारतीय भाषाओं के लिए विशिष्ट है।

SOV शब्द क्रम के अलावा, ओडिया भाषा में विभक्तियों और प्रत्ययों की एक समृद्ध प्रणाली भी है जो शब्दों के बीच तनाव, मनोदशा और अन्य व्याकरणिक संबंधों को इंगित करने के लिए उपयोग की जाती है। उदाहरण के लिए, बहुवचन को इंगित करने के लिए संज्ञाओं में प्रत्यय जोड़े जा सकते हैं, या भूत काल को इंगित करने के लिए क्रियाओं को जोड़ा जा सकता है।

कुछ सरल ओड़िया शब्दों के उदाहरण:

  • ଓଡ଼ିଆ (Odia) – ओडिया (Odia) – Odia (The language itself)
  • ସମ୍ପ୍ରଦାନ (Sampradana) – सम्प्रदान (Sampradan) – Tradition
  • ସମର (Samara) – समर (Samar) – Battle
  • ଧର୍ମ (Dharma) – धर्म (Dharma) – Religion
  • ବିବାହ (Bibaha) – विवाह (Vivah) – Marriage
  • ହସ୍ତି (Hasti) – हस्ती (Hasti) – Elephant
  • ମେଘ (Megha) – मेघ (Megh) – Cloud
  • ମହାରାଜ (Maharaaj) – महाराज (Maharaj) – King
  • ସ୍କୁଲ (Skula) – स्कूल (School) – School
  • ପ୍ରକୃତି (Prakruti) – प्रकृति (Prakriti) – Nature

ओड़िया में प्रयोग होने वाले प्रश्नवाचक शब्द:

  • କଥା (Katha) – कथा (Katha) – What
  • କେମିତି (Keemiti) – कैसे (Kaise) – How
  • କୌଣ (Kaun) – कौन (Kaun) – Who
  • କିଥାଏ (Kitahae) – कहाँ (Kahan) – Where
  • କବାରେ (Kabare) – कब (Kab) – When
  • କାହିଁ (Kahin) – कोई (Koi) – Anyone
  • କିମ୍ବା (Kimba) – क्या (Kya) – What
  • କିଥାରେ (Kitahare) – कहां रहे (Kahan Rahe) – Where are
  • କଥାରେ (Kathare) – किस वजह से (Kis Vajah Se) – Why
  • କିମ୍ବାରେ (Kimbare) – कैसे (Kaise) – How

ओड़िया में प्रयोग होने वाले नकारात्मक शब्द और पद:

  • ନା (Na) – नहीं (Nahi) – No
  • ନାହିଁ (Nahin) – नहीं (Nahi) – Not
  • ନାହାନ୍ତି (Nahanti) – नहीं करते (Nahi Karte) – Don’t
  • ନାହେ (Nahe) – नहीं (Nahi) – No
  • ଅଜଣା (Ajana) – अनोखा (Anokha) – Unique
  • ଅନୁପମ (Anupama) – अनुपम (Anupam) – Unmatched
  • ଅଲଗ (Alaga) – अलग (Alag) – Different
  • ଅବିକଳ (Abikala) – अवधि (Awadhi) – Duration
  • ଅପ୍ରଯୋଜନ (Aparayojana) – अनवरत (Anavarat) – Unnecessary
  • ଅନନ୍ତ (Ananta) – अनंत (Anant) – Endless

कुछ सामान्य वाक्य ओड़िया भाषा में:

  • ମୋର ଘର ବେଶୀ ଛି (Mor Ghara Besi Chi) – मेरा घर बहुत ही बढ़ा है (Mera Ghar Bahut Hi Badha Hai) – My house is very big
  • ମୁଁ ଖୁବ ସୁଖୀ (Mu Khuba Sukhii) – मैं बहुत खुशी हूँ (Main Bahut Khushi Hun) – I am very happy
  • ସୁଖୀ କଥା ବଲା (Sukhii Katha Bala) – खुशी कहानी बढ़ावा देना (Khushi Kahani Badhavah Dena) – Increase the happy story
  • ମୁଁ ଏହି ଘରରେ ବସେ (Mu Ehi Gharere Bese) – मैं यहाँ घर में हूँ (Main Yahan Ghar Mein Hun) – I am at home here
  • ତୁମର ଘର କହିଁ ଛି (Tumara Ghara Kahin Chi) – तुम्हारा घर कहां है (Tumhara Ghar Kahan Hai) – Where is your house
  • ମୋର ପାଖରେ ପ୍ରଥମ ସପ୍ତାହ (Mor Pakhare Pratham Saptah) – मेरे पास पहले सप्ताह (Mere Paas Pehle Saptah) – First week in my pocket
  • ତୁମର ସହିତ ମୋଁ ଖୁବ ସୁଖୀ (Tumara Sahita Mu Khuba Sukhii) – तुम्हारे साथ में बहुत खुशी हूँ (Tumhare Saath Me Bahut Khushi Hu) – I am very happy with you.
  • ମୋ ପୁରୁଷ (Mo Purusha) – मैं पुरुष (Main Purush) – I am a man
  • ତୁମରା ନାମ କି? (Tumara Naam Ki?) – तुम्हारा नाम क्या है? (Tumhara Naam Kya Hai?) – What is your name?
  • ମୋ ଘର ବାହାରେ (Mo Ghara Bahare) – मेरे घर बाहर (Mere Ghar Bahar) – Outside my house
  • ମୁଁ ଖୁବ ଖୁବ ଖୁଶୀ (Mun Khub Khub Khushi) – मैं बहुत खुश (Main Bahut Khush) – I am very happy
  • ତୁମରେ ଖାଇବା ଚାହାନ୍ତି? (Tumare Khaiaba Chahanti?) – तुम्हें खाना चाहते हैं? (Tumhen Khana Chahte Hain?) – Do you want to eat?
  • ମୋ ପୁସ୍ତକ ବହାରେ (Mo Pustaka Bahare) – मेरी किताब बाहर (Meri Kitab Bahar) – My book outside
  • ମୋ ଛୁଟି କିଥାଏ (Mo Chhuti Kitahae) – मेरे छुट्टी कहाँ हैं (Mere Chhuti Kahan Hain) – Where is my holiday
  • ତୁମରେ କଥା କେମିତି? (Tumare Katha Keemiti?) – तुम्हें कैसे बात करनी है? (Tumhen Kaise Baat Karni Hai?)

ओड़िया साहित्य

उड़िया साहित्य का एक समृद्ध और विविध इतिहास है, जिसमें कई प्रसिद्ध लेखक हैं जिन्होंने भाषा और इसकी साहित्यिक विरासत में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। कुछ उल्लेखनीय उड़िया लेखक और उनकी रचनाएँ इस प्रकार हैं:

  • फकीर मोहन सेनापति (1843-1918): उन्हें आधुनिक उड़िया साहित्य का जनक माना जाता है और उन्हें उनके उपन्यास “छ मन अथा गुंथा” (छः एकड़ और एक तिहाई) के लिए जाना जाता है, जिसे ओडियन साहित्य में एक उत्कृष्ट कृति माना जाता है।
  • गोपबंधु दास (1877-1928): वह एक स्वतंत्रता सेनानी, समाज सुधारक और पत्रकार थे, और सामाजिक और राजनीतिक मुद्दों पर अपने लेखन के लिए जाने जाते हैं। उन्होंने साप्ताहिक पत्रिका “समाज” की स्थापना की, जिसे अब तक के सबसे महत्वपूर्ण और प्रभावशाली ओडिया समाचार पत्रों में से एक माना जाता है।
  • कालिंदी चरण पाणिग्रही (1892-1978): वह एक प्रसिद्ध कवि, उपन्यासकार और नाटककार थे और अपनी कविताओं और उपन्यासों के लिए जाने जाते हैं जो प्रेम, प्रकृति और मानवीय संबंधों के विषयों से संबंधित हैं। उनकी सबसे प्रसिद्ध रचनाओं में “जीवन स्मृति” (जीवन की यादें) और “पंचसखा” कविताएँ शामिल हैं।
  • बनजा मोहंती (1918-1991): वह एक कवि और उपन्यासकार थे और उन्हें ओडिया साहित्य के आधुनिक युग में सबसे महान लेखकों में से एक माना जाता है। उनकी सबसे प्रसिद्ध रचनाओं में “भिकारी” (भिखारी) और “ना हृदय” (माई हार्ट) उपन्यास शामिल हैं।
  • प्रतिभा रे (1944 में जन्म): वह एक प्रसिद्ध उपन्यासकार हैं और उन्हें उनके साहित्यिक योगदान के लिए कई पुरस्कार मिले हैं। उनकी सबसे प्रसिद्ध रचनाओं में “यज्ञसेनी” और “अष्टपद” उपन्यास शामिल हैं।

अंत में, उड़िया एक समृद्ध और जीवंत भाषा है जिसका समृद्ध इतिहास और सांस्कृतिक विरासत है। इसकी एक अनूठी लिपि, व्याकरण और शब्दावली है जो इसे अन्य भारतीय भाषाओं से अलग करती है। भाषा की साहित्य की एक लंबी परंपरा है, जिसमें कई प्रसिद्ध लेखक हैं जिन्होंने अपनी साहित्यिक विरासत में योगदान दिया है। आज, उड़िया भारतीय राज्यों ओडिशा, झारखंड और आंध्र प्रदेश में लाखों लोगों द्वारा बोली जाती है, और इन क्षेत्रों के लोगों की सांस्कृतिक पहचान का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। उड़िया भाषा और इसकी साहित्यिक विरासत का संरक्षण और संवर्धन यह सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण है कि आने वाली पीढ़ियां इस खूबसूरत भाषा की समृद्धि और विविधता का आनंद लेना जारी रख सकें।