संस्कृत में दस लकारें होती हैं – लट्, लोट्, लङ्ग्, विधिलिङ्ग्, लुट्, लृट्, लृङ्ग्, आशीर्लिन्ग, लिट्, लुङ्ग् लकार। इनमें से आज पाँच लकारें “लट् लकार, लृट् लकार, लङ् लकार, लोट् लकार तथा विधिलिङ् लकार” अत्यधिक प्रयोग होती हैं।
1. लट् लकार पर संस्कृत वाक्य और उनका हिन्दी अनुवाद
क्र.सं. | संस्कृत वाक्य | हिन्दी वाक्य |
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1. | अहम् पठामि। | मैं पढ रहा हूँ। |
2. | अहम् खादामि। | मैं खा रहा हूँ। |
3. | अहम् वदामि। | मैं बोल रहा हूँ। |
4. | त्वम गच्छसि। | तुम जा रहे हो। |
5. | सः पठति | वह पढता है। |
6. | तौ पठतः | वे दोनो पढते हैं। |
7. | ते पठन्ति | वे सब पढते हैं। |
8. | युवाम वदथः | तुम दोनो बताते हो। |
9. | युयम् वदथ | तुम सब बताते हो, बता रहे हो। |
10. | आवाम् क्षिपावः | हम दोनो फेंकते हैं। |
11. | वयं सत्यम् कथामः | हम सब सत्य कहते हैं। |
12. | यदा अहम् अत्र भवामि तदा सः दुष्टः अपि अत्रैव भवति। | जब मैं यहाँ होता हूँ तब वह दुष्ट भी यहीं होता है। |
13. | यदा आवां विद्यालये भवावः … | जब हम दोनों विद्यालय में होते हैं… |
14. | तदा युवां विद्यालये कथं न भवथः ? | तब तुम दोनों विद्यालय में क्यों नहीं होते हो ? |
15. | यदा वयं प्रसन्नाः भवामः तदा ते अपि प्रसन्नाः भवन्ति। | जब हम सब प्रसन्न होते हैं तब वे भी प्रसन्न होते हैं। |
16. | प्राचीने काले सर्वेषु ग्रामेषु कूपाः भवन्ति स्म। | प्राचीन काल में हर गाँव में कुएँ होते थे। |
17. | सर्वेषु ग्रामेषु मन्दिराणि भवन्ति स्म। | सब गाँवों में मन्दिर होते थे। |
18. | मम ग्रामे उत्सवः भवति स्म। | मेरे गाँव में उत्सव होता था। |
19. | अद्यत्वे मर्त्यः परेषां सुखेन पीडितः भवति। | आजकल मनुष्य दूसरों के सुख से पीड़ित होता है। |
20. | यः परिश्रमी भवति सः एव सुखी भवति। | जो परिश्रमी होता है वही सुखी होता है। |
21. | केवलं पुत्राः एव सर्वं न भवन्ति खलु… | केवल बेटे ही सब कुछ नहीं होते… |
22. | सुताः सुतेभ्यः न्यूनाः न भवन्ति। | बेटियाँ बेटों से कम नहीं होतीं। |
2. लृट् लकार वाक्य और उनका हिन्दी अनुवाद
क्र.सं. | संस्कृत वाक्य | हिन्दी वाक्य |
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23. | सः गमिष्यति। | वह जायेगा। |
24. | सः कुत्र गमिष्यति? | वह कहाँ जायेगा? |
25. | सः गृहं गमिष्यति। | वह घर जायेगा। |
26. | रामः ग्रामं गमिष्यति। | राम गाँव जायेगा। |
27. | तौ विद्यालयं गमिष्यतः। | वे दोनों विद्यालय जायेंगे। |
28. | ते नगरं गमिष्यन्ति। | वे सब नगर जायेंगे। |
29. | त्वं कुत्र गमिष्यसि ? | तू कहाँ जायेगा? |
30. | युवां कुत्र गमिष्यथः? | तुम दोनों कहाँ जाओगे? |
31. | यूयं कुत्र गमिष्यथ? | तुम सब कहाँ जाऐंगे? |
32. | अहं जयपुरं गमिष्यामि। | मैंजयपुर जाऊँगा। |
33. | आवां मन्दिरं गमिष्यावः। | हम दोनों मन्दिर जाऐंगे। |
34. | वयम् उदयपुरं गमिष्यामः। | हम उदयपुर जायेंगे। |
35. | अद्य सायं सः उद्याने भविष्यति। | आज सन्ध्या को वह उद्यान में होगा। |
36. | प्राह्णे तौ मन्दिरे भविष्यतः। | प्रातः वे दोनों मन्दिर में होंगे। |
37. | दिवसे ते कुत्र भविष्यन्ति ? | दिन में वे कहाँ होंगे ? |
38. | अद्य मध्याह्ने त्वं कुत्र भविष्यसि ? | आज दोपहर तुम कहाँ होगे ? |
39. | अद्य मध्याह्ने अहं विद्यालये भविष्यामि। | आज दोपहर मैं विद्यालय में होऊँगा। |
40. | युवां प्रदोषे कुत्र भविष्यथः ? | तुम दोनों सायंकाल कहाँ होगे ? |
41. | आवां तु सन्ध्यावन्दने भविष्यावः। | हम दोनो तो सन्ध्यावन्दन में होंगे। |
42. | किं त्वं तत्र न भविष्यसि ? | क्या तुम वहाँ नहीं होगे ? |
43. | आम्, अहम् अपि भविष्यामि। | हाँ, मैं भी होऊँगा। |
44. | वयं दिवा तत्र एव भविष्यामः। | हम सब दिन में वहीं होंगे। |
45. | यूयं तु रजनीमुखे स्वगृहे भविष्यथ। | तुम सब तो सायंकाल में अपने घर होगे। |
46. | वयं च स्वभवने भविष्यामः। | और हम अपने घर होंगे। |
47. | तर्हि उत्सवः कथं भविष्यति ? | तो उत्सव कैसे होगा ? |
48. | भवान् अद्य मध्याह्ने कुत्र भविष्यति ? | आप आज दोपहर में कहाँ होंगे ? |
49. | अद्य मध्याह्ने अहं क्रीडाक्षेत्रे भविष्यामि। | आज दोपहर मैं खेल के मैदान में होऊँगा। |
50. | त्वं कुत्र भविष्यसि ? | तुम कहाँ होओगे ? |
51. | अहम् अपि तत्र एव भविष्यामि। | मैं भी वहीं होऊँगा। |
52. | तत्र शैलूषाणां कौतुकं भविष्यति। | वहाँ नटों का खेल होगा। |
53. | तत्पश्चात् बालकानां खेला भविष्यति। | उसके बाद बच्चों का खेल होगा। |
54. | तत्र तु बहवः रङ्गजीवाः भविष्यन्ति खलु। | वहाँ तो बहुत से नट होंगे। |
55. | युवाम् अपि तत्र एव भविष्यथः वा न वा ? | तुम दोनों भी वहाँ होगे कि नहीं ? |
56. | आम्, आवाम् अपि तत्र एव भविष्यावः। | हाँ हम दोनों भी वहीं होंगे। |
57. | वयम् अपि उपाध्यायैः सह तत्र भविष्यामः। | हम सब भी अध्यापकों के साथ वहाँ होंगें। |
58. | बालानां कूर्दनं कदा भविष्यति ? | बच्चों का खेल कब होगा? |
59. | भरतानां कुतकस्य पश्चात् एव भविष्यति। | नटों के खेल के बाद ही होगा। |
60. | तर्हि तु भूरि मोदः भविष्यति। | तब तो बहुत आनन्द होगा। |
61. | आम्, एहि चलामः। | हाँ, आओ चलते हैं। |
3. लङ् लकार वाक्य और उनका हिन्दी अनुवाद
क्र.सं. | संस्कृत वाक्य | हिन्दी वाक्य |
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62. | ह्यः मम चरणौ भूरि श्रान्तौ अभवताम्। | कल मेरे पैर बहुत थक गए थे। |
63. | परह्यः मम गुल्फयोः महती पीडा अभवत्। | परसों मेरे टखनों में बहुत पीड़ा हुई। |
64. | अनेन कारणेन त्वम् अपि दुःखी अभवः। | इस कारण तुम भी दुःखी हुए। |
65. | सम्प्रति दुःखी मा स्म भवः। | अब दुःखी मत होओ। |
66. | युवां व्यतीते वर्षे प्रथमश्रेण्याम् उत्तीर्णौ अभवतम्। | तुम दोनों बीते वर्ष प्रथमश्रेणी में उत्तीर्ण हुए थे। |
67. | अहं तु अनुत्तीर्णः अभवं भ्रातः | मैं तो अनुत्तीर्ण हो गया था भाई |
68. | यूयं प्रसन्नाः अभवत, | तुम सब प्रसन्न हुए थे। |
69. | वयं खिन्नाः अभवाम। | हम सब दुःखी हुए थे। |
70. | मम जान्वोः महती पीडा अभवत्। | मेरे दोनों घुटनों में बहुत दर्द हुआ। |
71. | परह्यः मम गायनेन सर्वे जनाः प्रसन्नाः अभवन्। | परसों मेरे गायन से सब लोग प्रसन्न हुए थे। |
4. लोट् लकार वाक्य और उनका हिन्दी अनुवाद
क्र.सं. | संस्कृत वाक्य | हिन्दी वाक्य |
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72. | तुम बैठो। | त्वम् उपविश। |
73. | आप लोग पढ़िए। | भवन्तः पठन्तु। |
74. | श्याम, मेरे साथ चलो। | श्याम भवान् मया सह चलतु। |
75. | श्याम, मेरे साथ चलो। | श्याम, त्वं मया सह चल। |
76. | श्याम को मेरे साथ चलने दो। | श्यामः मया सह चलतु। |
77. | बच्चो को खेलने दो। | बालका: उद्याने क्रीडन्तु। |
78. | शिष्यों को पढ़ने दो। | शिष्य: पाठं पठतु। |
79. | क्या मैं भोजन खा लूँ ? | अहं भोजनं खादानि किम् ? |
80. | हम सैकड़ो वर्षोँ के लिए आनन्दित रहें। | नंदाम शरदः शतम्। |
81. | राम तुम जल पियो। | राम त्वं जलम् पिब। |
82. | राम जल पियो। | राम जलम् पिब। |
83. | आप जल पीजिये। | भवन्तः जलम् पिबन्तु। |
84. | असौ मम सुहृद् भवतु। | वह मेरा मित्र हो जाए। |
85. | तौ वयस्यौ सफलौ भवताम्। | वे दोनों मित्र सफल हों। |
86. | मम सखा आयुष्मान् भवतु (भवतात्)। | मेरा मित्र आयुष्मान् हो। |
87. | तव बहवः मित्राणि भवन्तु। | तुम्हारे बहुत से मित्र हों। |
88. | त्वं सफलः भव (भवतात्)। | तू सफल हो। |
89. | एतस्मिन् समये युवाम् अत्र भवतम्। | इस समय तुम दोनों को यहाँ होना चाहिए। |
90. | यूयं वर्चस्विनः भवत। | तुम सब वर्चस्वी होओ। |
91. | अहं कुत्र भवानि ? | मैं कहाँ होऊँ ? |
92. | आवां तस्य मित्रस्य गृहे भवाव ? | हम दोनों उस मित्र के घर होवें ? |
93. | वयम् अत्र विराजमानाः भवाम। | हम सब यहाँ विराजमान हों। |
94. | वयं सर्वेषां जीवानां मित्राणि भवाम। | हम सभी जीवों के मित्र हों। |
95. | सः गृध्नुः भिषक् मम समीपे मा भवतु। | वह लोभी वैद्य मेरे पास नहीं होना चाहिए। |
96. | तौ गर्धनौ पुरुषौ कार्यालये न भवताम्। | वे दोनों लोभी पुरुष कार्यालय में न हों। |
97. | यदा अहम् अत्र भवानि तदा ते लुब्धाः अत्र न भवन्तु। | जब मैं यहाँ होऊँ तब वे लोभी यहाँ न हों। |
98. | त्वम् अभिलाषुकः मा भव। | तुम लोभी मत बनो। |
99. | धनेन मत्तः मा भव। | धन से मतवाले मत होओ। |
100. | युवां लोलुपौ तु लोलुभानां मध्ये एव भवतम्। | तुम दोनों महालोभियों को तो महालोभियों के बीच ही होना चाहिए। |
101. | यूयं प्रसन्नतया उत्कटाः मा भवत। | तुम सब प्रसन्नता से मतवाले मत होओ। |
102. | हे भगवन्! अहं भवतः कथायाः लोलुपः भवानि। | हे भगवान् ! मैं आपकी कथा का लोभी होऊँ। |
103. | अहं भवतः सौन्दर्यस्य लोलुभः भवानि। | मैं आपके सौन्दर्य का लोलुप होऊँ। |
104. | आवां धनस्य अभिलाषुकौ न भवाव। | हम दोनों धन के लोभी न हों। |
105. | धनं लब्ध्वा वयं शौण्डाः न भवाम। | धन पाकर हम सब मतवाले न हों। |
106. | ज्ञानेन उद्धताः न भवाम। | ज्ञान से उच्छृङ्खल न हों। |
107. | ते क्षीबाः अस्माकं समीपे कदापि न भवन्तु। | वे मतवाले हमारे पास कभी न हों। |
5. विधिलिङ् लकार वाक्य और उनका हिन्दी अनुवाद
क्र.सं. | संस्कृत वाक्य | हिन्दी वाक्य |
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108. | ते सर्वे स्पशाः राष्ट्रभक्ताः भवेयुः। | उन सारे गुप्तचरों को राष्ट्रभक्त होना चाहिए। (विधि) |
109. | त्वं गूढपुरुषस्य गृहे भवेः। | तुम्हें गुप्तचर के घर में होना चाहिए। (विधि) |
110. | युवां स्पशौ भवेतम्। | तुम दोनों को भेदिया होना चाहिए। (सम्भावना) |
111. | यूयं चारेभ्यः दूरं भवेत। | तुम सबको भेदियों से दूर रहना चाहिए।(विधि, आज्ञा) |
112. | एतानि भैषज्यानि एतस्मै उपतापाय अलं भवेयुः। | ये दवाएँ इस रोग के लिए पर्याप्त होनी चाहिए। |
113. | वयं योगिनः भवेम। | हम योगी हों। |
114. | येन रुजाः न भवेयुः। | जिससे रोग न हों। |
115. | आवां सदाचारिणौ भवेव। | हम दोनों सदाचारी होवें। |
116. | येन आमयाः न भवेयुः। | जिससे रोग न हों। |
117. | अस्माकं देशे निपुणाः वैद्याः भवेयुः। | हमारे देश में निपुण वैद्य होवें। |
118. | कः अपि चिकित्सकः धूर्तः न भवेत्। | कोई भी वैद्य धूर्त न हो। |
119. | सर्वे अपि अगदङ्काराः धार्मिकाः भवेयुः। | सभी वैद्य धार्मिक होवें। |
120. | त्वं दक्षः भिषक् भवेः। | तू दक्ष वैद्य होवे। |
121. | युवां लोलुपौ चिकित्सकौ न भवेतम्। | तुम दोनों लोभी वैद्य न होओ। |
122. | त्वं काञ्चनभस्मं भुक्त्वा पुष्टः भवेः। | तुम सुवर्णभस्म खाकर पुष्ट होओ। |
123. | एतत् औषधं भुक्त्वा दुर्बलः अपि बलवान् भवेत्। | यह दवा खाकर तो दुर्बल भी बलवान् हो जाए। |
124. | एतत् भेषजं तुभ्यं पुष्टिकरं भवेत्। | यह दवा तेरे लिए पुष्टिकर होवे। |
125. | सर्वे अपि अनामयाः भवेयुः। | सभी रोगहीन होवें। |
126. | मन्ये , अस्मिन् चिकित्सालये सुष्ठु रुक्प्रतिक्रिया भवेत्। | लगता है, इस चिकित्सालय में अच्छी चिकित्सा होगी। |
127. | अहं आयुर्वेदस्य वचनकरः भवेयम्। | मैं आयुर्वेद की बात मानने वाला होऊँ। |
128. | युवाम् अस्मात् गदात् शीघ्रं मुक्तौ भवेतम्। | तुम दोनों इस रोग से शीघ्र मुक्त होओ। |
129. | हे भगवन् ! अहं अस्मात् आमयात् शीघ्रं मुक्तः भवेयम्। | हे भगवान् ! मैं इस रोग से जल्दी छूट जाऊँ। |
आगे आपकी परीक्षा और पाठ्यक्रम की दृष्टि से कुछ महत्वपूर्ण धातु एवं शब्द रूपों की सूची दी जा रही है, इन्हें ध्यान से पढ़ें और कंठस्थ कर लें।
महत्वपूर्ण धातु रूप सूची (Important Dhatu Roop List):
- पठ् धातु रूप
- गम् धातु रूप
- लिख् धातु रूप
- हस् धातु रूप
- खेल धातु रूप
- क्री धातु रूप
- अस् धातु रूप
- भू धातु रूप
- पा धातु रूप
- दृश् धातु रूप
- खाद् धातु रूप
- स्था धातु रूप
- वद् धातु रूप
- क्रीड् धातु रूप
- लभ् धातु रूप
- पत् धातु रूप
- धाव् धातु रूप
- पिव् धातु रूप
- पच् धातु रूप
- अस्ति धातु रूप
- चल् धातु रूप
- चर धातु रूप
- नृत धातु रूप
- पश्य धातु रूप
- भी धातु रूप
- श्रु धातु रूप
- चिंत धातु रूप
- सेव धातु रूप
- दा धातु रूप
- नी धातु रूप
महत्वपूर्ण शब्द रूप सूची (Important Shabd Roop List):
- स्वरान्त शब्द रूप- लता, मुनि, पति, भूपति, नदी, भानु, धेनु, मधु, पितृ, मातृ, गो, द्यौ, नौ और अक्षि।
- व्यञ्जनान्त शब्द रूप- राजन्, भवत्, आत्मन्, विद्वस्, चन्द्रमस्, वाच, गच्छत्, पुम्, पथिन्, गिर्, अहन् और पयस्।
- सर्वनाम शब्द रूप- सर्व, यत्, तत्, एतत्, किम्, इदम् (सभी लिङ्गों में) अस्मद्, युष्मद, अदस्, ईदृश, कतिपय, उभ और कीदृश।
- संख्या शब्द रूप- एक, द्वि, त्रि, चतुर्, पञ्चन् आदि।
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