रसायन विज्ञान क्या है? सम्पूर्ण रसायन विज्ञान – Chemistry in Hindi

रसायन विज्ञान (Chemistry) विज्ञान की वह महत्वपूर्ण शाखा है, जो पदार्थों के संघटन, संरचना, गुणों और रासायनिक परिवर्तनों का अध्ययन करती है। यह विज्ञान हमें यह समझने में मदद करता है कि पदार्थ कैसे बनते हैं, कैसे बदलते हैं और उनके इन परिवर्तनों में कितनी ऊर्जा मुक्त या अवशोषित होती है।

Rasayan Vigyan

रसायन विज्ञान (Chemistry) विज्ञान की वह शाखा है जिसके अंतर्गत पदार्थों की संरचना (Composition), गुण (Properties) और संरचना (Structure) आदि का अध्ययन किया जाता है।

  • रसायन विज्ञान के अंतर्गत हम पदार्थों में होने वाले विभिन्न परिवर्तनों का अध्ययन करते हैं और इन परिवर्तनों को नियंत्रित करने वाले नियमों को भी समझते हैं।
  • Chemistry” शब्द की उत्पत्ति लैटिन भाषा के शब्द ‘Chemia‘ से हुई है, जिसका अर्थ होता है- “काला रंग”।
  • एंटोनी लेवोंसियर को आधुनिक रसायन विज्ञान का जनक माना जाता है।

रसायन शब्द दो शब्दों से बना है- रस + आयन, जिसका अर्थ है द्रवों या रसों का अध्ययन। यह विज्ञान पदार्थों के परमाणुओं, अणुओं और क्रिस्टलों की विशेषताओं के साथ-साथ रासायनिक प्रक्रियाओं में ऊर्जा के प्रवाह का भी अध्ययन करता है।

रसायन विज्ञान केवल परमाणुओं और अणुओं तक सीमित नहीं है, बल्कि यह उन रासायनिक बंधनों को भी समझता है, जिनके माध्यम से तत्व और यौगिक एक-दूसरे के साथ जुड़ते हैं। यह पदार्थ और ऊर्जा के परस्पर संबंधों को भी स्पष्ट करता है, जिससे हम भौतिकी, जीवविज्ञान, भूविज्ञान और खगोल विज्ञान जैसी अन्य वैज्ञानिक शाखाओं को बेहतर तरीके से समझ सकते हैं।

विशेषताएं

  • यह परमाणु और उप-परमाण्विक कणों (इलेक्ट्रॉन, प्रोटॉन, न्यूट्रॉन) के व्यवहार का अध्ययन करता है।
  • यह विज्ञान हमें पदार्थों के सूक्ष्मतम स्तर (नैनोस्तर) से लेकर विशाल संरचनाओं तक की जानकारी देता है।
  • इसके माध्यम से हम समझ सकते हैं कि प्राकृतिक और कृत्रिम पदार्थ कैसे बनते और विकसित होते हैं।
  • यह दैनिक जीवन के हर क्षेत्र में उपस्थित है, चाहे वह भोजन पकाना हो, दवाओं का निर्माण हो या फिर औद्योगिक प्रक्रियाएँ।

रसायन विज्ञान को “केंद्रीय विज्ञान” कहा जाता है क्योंकि यह अन्य सभी वैज्ञानिक शाखाओं को आपस में जोड़ने का कार्य करता है। यह हमें पदार्थों की गहराई से समझ प्रदान करता है और उनके गुणों एवं व्यवहार को नियंत्रित करने वाले नियमों को उजागर करता है। यही कारण है कि यह विज्ञान, तकनीक और नवाचार में अग्रणी भूमिका निभाता है।

शाखाएं

रसायन विज्ञान एक विशाल और निरंतर विकसित होने वाला विषय है। विभिन्न पदार्थों के गुणों, संघटन, और उनके बीच होने वाली प्रतिक्रियाओं के अध्ययन को सुगम बनाने के लिए इसे कई शाखाओं में विभाजित किया गया है। वैज्ञानिक शोध और नए प्रयोगों के कारण समय के साथ रसायन विज्ञान की नई शाखाएँ भी विकसित हुई हैं।

  1. भौतिक रसायन (Physical Chemistry): रासायनिक प्रक्रियाओं के भौतिक सिद्धांतों का अध्ययन।
  2. अकार्बनिक रसायन (Inorganic Chemistry): धातु, अधातु और अकार्बनिक यौगिकों का अध्ययन।
  3. कार्बनिक रसायन (Organic Chemistry): कार्बन यौगिकों और उनके गुणों का विश्लेषण।
  4. वैश्लेषिक रसायन (Analytical Chemistry): पदार्थों की संरचना और गुणों की पहचान करने की विधियाँ।
  5. जीव रसायन (Biochemistry): जीवों में होने वाली रासायनिक प्रक्रियाओं का अध्ययन।
  6. औद्योगिक रसायन (Industrial Chemistry): रसायनों के औद्योगिक उत्पादन और उपयोग पर केंद्रित अध्ययन।
  7. औषधीय रसायन (Medicinal Chemistry): औषधियों के निर्माण और उनके प्रभावों का विश्लेषण।
  8. नाभिकीय रसायन (Nuclear Chemistry): परमाणु नाभिक और रेडियोधर्मिता का अध्ययन।
  9. कृषि रसायन (Agricultural Chemistry): कृषि में उपयोगी रसायनों, उर्वरकों और कीटनाशकों का विश्लेषण।
  10. पर्यावरणीय रसायन (Environmental Chemistry): पर्यावरण पर रसायनों के प्रभाव और उनके नियंत्रण के उपाय।
  11. हरित रसायन (Green Chemistry): पर्यावरण-अनुकूल और सतत विकास के लिए रसायन विज्ञान का उपयोग।

रसायन विज्ञान के अध्ययन को सरल बनाने के लिए इसकी तीन प्रमुख शाखाएं निम्नलिखित हैं-

1. भौतिक रसायन (Physical Chemistry)

इस शाखा में पदार्थ की भौतिक अवस्था, उनके गुणों और रासायनिक प्रक्रियाओं से संबंधित सिद्धांतों का अध्ययन किया जाता है। इसमें ऊष्मागतिकी (Thermodynamics), रासायनिक बलगतिकी (Chemical Kinetics) और विद्युत रसायन (Electrochemistry) जैसे विषय शामिल होते हैं।

2. अकार्बनिक रसायन (Inorganic Chemistry)

इस शाखा में वे सभी तत्व और यौगिक आते हैं जो कार्बन-आधारित नहीं होते हैं। इसमें धातु, अधातु, उनके यौगिकों की संरचना, गुणों और उनके उपयोग का अध्ययन किया जाता है। यह खनिज विज्ञान, समन्वय यौगिकों और ठोस अवस्था रसायन को भी कवर करता है।

3. कार्बनिक रसायन (Organic Chemistry)

इसमें मुख्य रूप से कार्बन-आधारित यौगिकों का अध्ययन किया जाता है। यह शाखा जीवों के महत्वपूर्ण जैविक अणुओं जैसे प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, वसा और न्यूक्लिक अम्लों (DNA और RNA) के अध्ययन के लिए भी उपयोगी है। इसमें दवाओं, पॉलिमर और प्राकृतिक उत्पादों का अध्ययन शामिल होता है।

हमारे ब्रह्मांड (Universe) जिसमें समस्त अंतरिक्ष, पदार्थ और ऊर्जा का विस्तार है। पदार्थ (Matter) वह वस्तु जो द्रव्यमान रखती है और स्थान घेरती है, पदार्थ कहलाती है। ऊर्जा (Energy) वह शक्ति जो कार्य करने की क्षमता प्रदान करती है, ऊर्जा कहलाती है। पदार्थ के गुण आदि का अध्ययन रसायन विज्ञान के अंतर्गत जबकि ऊर्जा का अध्ययन भौतिकी के अंतर्गत किया जाता है।

पदार्थ का वर्गीकरण (Classification of Matter)

पदार्थों का वर्गीकरण: पदार्थ को दो आधारों पर वर्गीकृत किया जाता है:

  1. भौतिक आधार पर (Physical Classification)
  2. रासायनिक आधार पर (Chemical Classification)

भौतिक आधार पर (Physical Classification)

पदार्थ की अवस्थाएँ: पदार्थ की अवस्थाएँ निम्नलिखित तीन होतीं हैं:

  1. ठोस (Solid): निश्चित आकार व आयतन होता है।
  2. द्रव (Liquid): निश्चित आयतन लेकिन अनिश्चित आकार होता है।
  3. गैस (Gas): न आकार निश्चित होता है न ही आयतन।

रासायनिक आधार पर (Chemical Classification)

पदार्थ का वर्गीकरण निम्न दो भागों में किया जाता है:

  1. शुद्ध पदार्थ (Pure Substance) – तत्व (Element) और यौगिक (Compound)।
  2. मिश्रण (Mixture) – समांगी (Homogeneous) और विषमांगी (Heterogeneous)।

1. शुद्ध पदार्थ (Pure Substance): केवल एक ही प्रकार के कणों से मिलकर बना होता है।

  • तत्व (Element):
    • धातु (Metal): विद्युत और ऊष्मा के अच्छे चालक।
    • अधातु (Non-Metal): विद्युत और ऊष्मा के खराब चालक।
    • अर्धधातु (Metalloid): धातु और अधातु दोनों के गुण पाए जाते हैं।
  • यौगिक (Compound): दो या अधिक तत्वों के संयोजन से बना पदार्थ।
    • कार्बनिक यौगिक (Organic Compound): मुख्य रूप से कार्बन आधारित यौगिक।
    • अकार्बनिक यौगिक (Inorganic Compound): बिना कार्बन वाले यौगिक।

2. मिश्रण (Mixture): दो या अधिक पदार्थों का भौतिक रूप से मिला हुआ मिश्रण।

  • समांग मिश्रण (Homogeneous Mixture): समान रूप से मिला हुआ मिश्रण।
  • विषमांग मिश्रण (Heterogeneous Mixture): असमान रूप से फैला हुआ मिश्रण।

विलयन की सांद्रता (Concentration of Solution)

विलयन में उपस्थित विलेय पदार्थ (Solute) की मात्रा को विलयन की सांद्रता कहा जाता है।

  • यदि विलयन में विलेय की मात्रा कम हो, तो इसे “तनु विलयन” (Dilute Solution) कहा जाता है।
  • यदि विलेय की मात्रा अधिक हो, तो इसे “सांद्र विलयन” (Concentrated Solution) कहा जाता है।

विलयन के प्रकार

विलेय की घुलनशीलता के आधार पर विलयन को तीन भागों में विभाजित किया जाता है:

1. असंतृप्त विलयन (Unsaturated Solution)

  • ऐसा विलयन जिसमें किसी निश्चित तापमान पर और अधिक विलेय पदार्थ घोला जा सकता हो।
  • इसमें विलेय की अधिक मात्रा को घुलने की क्षमता होती है।

2. संतृप्त विलयन (Saturated Solution)

  • ऐसा विलयन जिसमें किसी निश्चित तापमान पर अधिक मात्रा में विलेय पदार्थ नहीं घुल सकता।
  • इसमें विलेय की अधिकतम मात्रा पहले से ही घुली होती है।

3. अतिसंतृप्त विलयन (Supersaturated Solution)

  • यदि किसी संतृप्त विलयन का तापमान बढ़ा दिया जाए, तो उसमें विलेय की अधिक मात्रा घुल सकती है।
  • इस स्थिति में बना विलयन अतिसंतृप्त विलयन कहलाता है।

परमाणु संरचना, रेडियोसक्रियता एवं रासायनिक बंधन

परमाणु (Atom)

किसी तत्त्व का वह छोटे-से-छोटा कण, जो स्वतंत्र रूप से रासायनिक अभिक्रिया में भाग ले सकता है, किंतु स्वतंत्र रूप से रह नहीं सकता, उसे परमाणु कहते हैं।

अणु (Molecule)

किसी तत्त्व का वह छोटे-से-छोटा कण, जो स्वतंत्र रूप से रह सकता है, अणु कहलाता है। अणु परमाणुओं के संयोग से बनते हैं।

डाल्टन का परमाणु सिद्धांत (Dalton’s Atomic Theory)

रसायन विज्ञान में परमाणु की संरचना का प्रथम सिद्धांत जॉन डाल्टन (John Dalton) ने प्रस्तुत किया। उन्होंने बताया कि—

  1. प्रत्येक द्रव्य (Matter) अत्यंत सूक्ष्म कणों से मिलकर बना होता है, जिन्हें परमाणु (Atom) कहते हैं।
  2. परमाणु किसी भी द्रव्य की सूक्ष्मतम अविभाज्य इकाई होती है, जिसे अन्य कणों में विभाजित नहीं किया जा सकता।

परमाणु की विभाज्यता

  • 19वीं शताब्दी के अंत में वैज्ञानिकों ने यह सिद्ध कर दिया कि परमाणु अविभाज्य नहीं है
  • यह इलेक्ट्रॉन, प्रोटॉन और न्यूट्रॉन जैसे सूक्ष्म कणों से मिलकर बना होता है।

परमाणु के मौलिक कण (Fundamental Particles of Atom)

परमाणु स्वयं तीन मुख्य मूल कणों से मिलकर बना होता है—

मूल कण खोजकर्ता आवेश द्रव्यमान
इलेक्ट्रॉन (Electron) जे.जे. थॉमसन (J.J. Thomson) ऋण आवेश (-) 9.1 × 10⁻³¹ किग्रा
प्रोटॉन (Proton) अर्नेस्ट रदरफोर्ड (Ernest Rutherford) धन आवेश (+) 1.67 × 10⁻²⁷ किग्रा
न्यूट्रॉन (Neutron) जेम्स चैडविक (James Chadwick) कोई आवेश नहीं (0) 1.67 × 10⁻²⁷ किग्रा

इलेक्ट्रॉन की खोज

डिस्चार्ज नलिका (Discharge Tube) प्रयोग द्वारा सर जे.जे. थॉमसन (Sir J.J. Thomson) ने इलेक्ट्रॉन की खोज की।

कैथोड किरणें (Cathode Rays) और इलेक्ट्रॉन

  • सामान्य परिस्थितियों में गैसें विद्युत की कुचालक होती हैं।
  • अत्यंत कम दाब (Low Pressure) और उच्च विभव (High Voltage) पर गैसें विद्युत किरणों के रूप में प्रवाहित होने लगती हैं।
  • इन किरणों को कैथोड किरणें (Cathode Rays) कहा जाता है।
  • कैथोड किरणों में उपस्थित ऋण आवेशित कणों को इलेक्ट्रॉन कहा जाता है।

इलेक्ट्रॉन के गुण

  • आवेश (Charge) = 1.6022 × 10⁻¹⁹ कूलॉम (C)
  • द्रव्यमान (Mass) = हाइड्रोजन परमाणु के 1/1837वें भाग के बराबर (9.1 × 10⁻³¹ किग्रा)

कैथोड किरणों का सिद्धांत टेलीविजन (TV) स्क्रीन में भी उपयोग किया जाता है।

रेडियोसक्रियता (Radioactivity)

रेडियोसक्रियता वह प्रक्रिया है जिसमें कुछ भारी तत्वों के नाभिक स्वतः विखंडित होकर ऊर्जा तथा कणों (α, β, γ किरणें) का उत्सर्जन करते हैं। इसे हेनरी बेकरल (Henri Becquerel) ने 1896 में खोजा था, जबकि मैडम क्यूरी (Marie Curie) और पियरे क्यूरी (Pierre Curie) ने इसे विस्तार से अध्ययन किया।

कण उत्सर्जन:

  1. अल्फा (α) किरणें – भारी और धन आवेशित (+2), बहुत कम प्रवेश क्षमता।
  2. बीटा (β) किरणें – इलेक्ट्रॉनों की धारा, मध्यम प्रवेश क्षमता।
  3. गामा (γ) किरणें – ऊर्जा तरंगें, अत्यधिक प्रवेश क्षमता।

रेडियोसक्रिय तत्व: यूरेनियम (U), थोरियम (Th), प्लूटोनियम (Pu), रेडियम (Ra) आदि।

अर्धायु काल (Half-life): वह समय जिसमें किसी तत्व की रेडियोसक्रियता आधी हो जाती है।

रेडियोसक्रियता का प्रयोग:

  • परमाणु ऊर्जा उत्पादन (नाभिकीय रिएक्टरों में)
  • चिकित्सा क्षेत्र (कैंसर उपचार – रेडियोथेरेपी)
  • भूगर्भीय डेटिंग (कार्बन डेटिंग द्वारा जीवाश्मों की आयु निर्धारण)

नोट: अत्यधिक रेडियोसक्रियता हानिकारक होती है, जिससे कैंसर, कोशिकीय विकृति और पर्यावरण प्रदूषण हो सकता है।

रासायनिक बंधन (Chemical Bonding)

रासायनिक बंधन वह आकर्षण बल है, जो दो या अधिक परमाणुओं को एक साथ बांधकर अणु या यौगिक बनाता है। यह बंधन परमाणुओं की स्थिरता बढ़ाने के लिए इलेक्ट्रॉनों के आदान-प्रदान या साझा करने के कारण बनता है।

रासायनिक बंधन के प्रकार:

  1. आयनिक बंधन (Ionic Bond) – यह बंधन धातु और अधातु के बीच बनता है, जहाँ एक परमाणु इलेक्ट्रॉन देता है और दूसरा ग्रहण करता है। उदाहरण: NaCl (सोडियम क्लोराइड)।
  2. सहसंयोजक बंधन (Covalent Bond) – इसमें दो परमाणु इलेक्ट्रॉन साझा करते हैं। उदाहरण: H₂O (पानी), O₂ (ऑक्सीजन)।
  3. धात्विक बंधन (Metallic Bond) – यह बंधन धातुओं में पाया जाता है, जहाँ इलेक्ट्रॉन समुद्र के रूप में स्वतंत्र रूप से घूमते हैं। उदाहरण: Fe (लौह), Cu (तांबा)।
  4. हाइड्रोजन बंधन (Hydrogen Bond) – यह ध्रुवीय अणुओं में बनता है और जल के उच्च क्वथनांक के लिए उत्तरदायी है।

महत्वपूर्ण तथ्य:

  • रासायनिक बंधन अणुओं की संरचना और गुणों को निर्धारित करता है।
  • आयनिक यौगिक जल में घुलनशील और उच्च गलनांक वाले होते हैं।
  • सहसंयोजक यौगिक आमतौर पर कम गलनांक और उच्च ऊर्जा अवशोषण क्षमता वाले होते हैं।
  • हाइड्रोजन बंधन डीएनए संरचना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

अम्ल, क्षार एवं लवण

अम्ल वे पदार्थ होते हैं जो जल में घुलकर H⁺ आयन प्रदान करते हैं, जैसे- HCl, जबकि क्षार वे होते हैं जो OH⁻ आयन प्रदान करते हैं, जैसे- NaOH। जब अम्ल और क्षार की प्रतिक्रिया होती है, तो लवण और जल का निर्माण होता है, जैसे- NaCl।

अम्ल (Acid)

अम्ल (Acid) वे पदार्थ होते हैं जो जल में घुलकर हाइड्रोजन आयन (H⁺) प्रदान करते हैं, इनका स्वाद खट्टा होता है, और ये नीले लिटमस को लाल कर देते हैं, जैसे- हाइड्रोक्लोरिक अम्ल (HCl) और सल्फ्यूरिक अम्ल (H₂SO₄)। उदाहरण:

  • प्राकृतिक अम्ल – साइट्रिक अम्ल (नींबू), एसीटिक अम्ल (सिरका)।
  • खनिज अम्ल – HCl (हाइड्रोक्लोरिक अम्ल), H₂SO₄ (सल्फ्यूरिक अम्ल)।

क्षार (Base/Alkali)

क्षार (Base) वे पदार्थ होते हैं जो जल में घुलकर हाइड्रॉक्साइड आयन (OH⁻) प्रदान करते हैं, इनका स्वाद कड़वा होता है, स्पर्श में फिसलनयुक्त होते हैं, और ये लाल लिटमस को नीला कर देते हैं, जैसे- सोडियम हाइड्रॉक्साइड (NaOH) और पोटैशियम हाइड्रॉक्साइड (KOH)। उदाहरण:

  • सामान्य क्षार – NaOH (सोडियम हाइड्रॉक्साइड), KOH (पोटैशियम हाइड्रॉक्साइड)।
  • प्राकृतिक क्षार – नींबू का रस, बेकिंग सोडा।

लवण (Salt)

जब अम्ल और क्षार आपस में प्रतिक्रिया करते हैं तो लवण (Salt) और जल बनते हैं, इसे उदासीनीकरण (Neutralization) कहते हैं, जैसे- HCl + NaOH → NaCl + H₂O। उदाहरण:

  • NaCl (साधारण नमक) → HCl + NaOH
  • CaCO₃ (कैल्शियम कार्बोनेट) → चूना पत्थर

लवण अम्ल और क्षार के संयोजन से बनने वाले यौगिक होते हैं, जैसे- सोडियम क्लोराइड (NaCl) और कैल्शियम कार्बोनेट (CaCO₃), जिनका उपयोग भोजन, चिकित्सा और औद्योगिक प्रक्रियाओं में किया जाता है।

महत्वपूर्ण तथ्य:

  • अम्ल का pH < 7, क्षार का > 7, और लवण का ≈ 7 होता है।
  • सल्फ्यूरिक अम्ल को “रसायनों का राजा” कहते हैं।
  • बेकिंग सोडा (NaHCO₃) एक हल्का क्षार होता है।

ऊष्मा रसायन एवं विद्युत रसायन

ऊष्मा रसायन ऊष्मीय ऊर्जा के परिवर्तन पर केंद्रित है, जबकि विद्युत रसायन में रासायनिक और विद्युत ऊर्जा के बीच संबंध का अध्ययन किया जाता है।

ऊष्मा रसायन (Thermochemistry)

ऊष्मा रसायन रसायन विज्ञान की वह शाखा है, जो रासायनिक अभिक्रियाओं में ऊर्जा (ऊष्मा) के परिवर्तन का अध्ययन करती है। इसमें यह देखा जाता है कि किसी अभिक्रिया के दौरान ऊष्मा अवशोषित होती है या उत्सर्जित।

  • उष्माक्षेपी अभिक्रिया (Exothermic Reaction): इसमें ऊष्मा बाहर निकलती है। (उदाहरण: CH₄ + 2O₂ → CO₂ + 2H₂O + ऊष्मा)
  • उष्माशोषी अभिक्रिया (Endothermic Reaction): इसमें ऊष्मा अवशोषित होती है। (उदाहरण: CaCO₃ → CaO + CO₂ + ऊष्मा)
  • रासायनिक अभिक्रियाओं में ऊर्जा परिवर्तन एनथाल्पी (ΔH) द्वारा दर्शाया जाता है।
  • ऊष्मा ऊर्जा कैलोरी या जूल में मापी जाती है।

विद्युत रसायन (Electrochemistry)

विद्युत रसायन वह शाखा है, जो रासायनिक अभिक्रियाओं और विद्युत ऊर्जा के पारस्परिक संबंध का अध्ययन करती है।

  • वैद्युत अपघटन (Electrolysis): विद्युत धारा प्रवाहित करने पर यौगिकों का अपघटन। (उदाहरण: 2H₂O → 2H₂ + O₂)
  • गैल्वेनिक सेल (Galvanic Cell): रासायनिक ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में बदलता है। (उदाहरण: डेनियल सेल)
  • विद्युत अपघट्य सेल (Electrolytic Cell): विद्युत ऊर्जा द्वारा रासायनिक अभिक्रिया कराता है।
  • बैटरियां, ईंधन कोशिकाएं और संक्षारण (corrosion) विद्युत रसायन पर आधारित हैं।
आधार ऊष्मा रसायन (Thermochemistry) विद्युत रसायन (Electrochemistry)
परिभाषा रासायनिक अभिक्रियाओं में ऊष्मा (ऊर्जा) के परिवर्तन का अध्ययन। रासायनिक अभिक्रियाओं और विद्युत ऊर्जा के पारस्परिक संबंधों का अध्ययन।
ऊर्जा का प्रकार ऊष्मीय ऊर्जा (Heat Energy) विद्युत ऊर्जा (Electrical Energy)
मुख्य सिद्धांत एनथाल्पी (ΔH) परिवर्तन रेडॉक्स अभिक्रियाएं (ऑक्सीकरण एवं अपचयन)
अभिक्रिया के प्रकार 1. उष्माक्षेपी (Exothermic) – ऊष्मा उत्सर्जन
2. उष्माशोषी (Endothermic) – ऊष्मा अवशोषण
1. गैल्वेनिक सेल – रासायनिक से विद्युत ऊर्जा
2. विद्युत अपघटन – विद्युत से रासायनिक अभिक्रिया
उदाहरण 1. जलने की अभिक्रिया (C + O₂ → CO₂ + ऊष्मा)
2. अमोनियम नाइट्रेट का जल में घुलना
1. बैटरी (Zn + Cu²⁺ → Zn²⁺ + Cu)
2. जल का विद्युत अपघटन (2H₂O → 2H₂ + O₂)
प्रयोग क्षेत्र ऊष्मा उत्पादन, ईंधन, औद्योगिक रसायन बैटरियां, इलेक्ट्रोप्लेटिंग, संक्षारण नियंत्रण

अकार्बनिक रसायन

अकार्बनिक रसायन रसायन विज्ञान की वह शाखा है, जिसमें कार्बन रहित या धातु एवं अधातु से बने यौगिकों का अध्ययन किया जाता है। इसमें अम्ल, क्षार, लवण, खनिज, धातु एवं उनके अभिक्रियाओं का विश्लेषण किया जाता है।

तत्त्वों का वर्गीकरण

तत्त्वों का वर्गीकरण उनके भौतिक और रासायनिक गुणों के आधार पर किया जाता है, ताकि उनके गुणों को सरलता से समझा और अध्ययन किया जा सके। प्रारंभ में वैज्ञानिकों ने तत्त्वों को धातु और अधातु में विभाजित किया, लेकिन जैसे-जैसे नए तत्त्व खोजे गए, एक सुव्यवस्थित वर्गीकरण प्रणाली की आवश्यकता पड़ी।

  1. डॉबराइनर का त्रिक नियम (Dobereiner’s Triads): डॉबराइनर ने कुछ तत्त्वों को तीन-तीन के समूह (त्रिक) में बांटा, जिनमें मध्य तत्त्व का परमाणु द्रव्यमान पहले और तीसरे तत्त्व के औसत के बराबर होता था।
  2. न्यूलैंड्स का अष्टक नियम (Newlands’ Octave Rule): न्यूलैंड्स ने तत्त्वों को उनके बढ़ते परमाणु द्रव्यमान के अनुसार रखा और पाया कि हर आठवां तत्त्व पहले तत्त्व से मिलता-जुलता था।
  3. मेंडलीफ की आवर्त सारणी (Mendeleev’s Periodic Table): मेंडलीफ ने तत्त्वों को उनके परमाणु द्रव्यमान के आधार पर रखा और भविष्य में खोजे जाने वाले तत्त्वों के लिए स्थान छोड़ा।
  4. आधुनिक आवर्त सारणी (Modern Periodic Table): मोज़ले ने तत्त्वों को उनके परमाणु क्रमांक के आधार पर व्यवस्थित किया, जिसे आज हम आधुनिक आवर्त सारणी के रूप में जानते हैं। इसमें तत्त्वों को समूहों और आवर्तों में बांटा गया है, जिससे उनके गुण आसानी से समझे जा सकते हैं।

कुछ प्रमुख तत्त्व और उनके यौगिक

  • हाइड्रोजन (H) – जल (H₂O), हाइड्रोक्लोरिक अम्ल (HCl), अमोनिया (NH₃)
  • कार्बन (C) – कार्बन डाइऑक्साइड (CO₂), मीथेन (CH₄), ग्रेफाइट और हीरा
  • ऑक्सीजन (O) – जल (H₂O), ओजोन (O₃), आयरन ऑक्साइड (Fe₂O₃)
  • नाइट्रोजन (N) – अमोनिया (NH₃), नाइट्रिक अम्ल (HNO₃), नाइट्रोजन डाइऑक्साइड (NO₂)
  • सोडियम (Na) – सोडियम क्लोराइड (NaCl), सोडियम हाइड्रॉक्साइड (NaOH), सोडियम कार्बोनेट (Na₂CO₃)
  • कैल्शियम (Ca) – कैल्शियम कार्बोनेट (CaCO₃), जिप्सम (CaSO₄·2H₂O), कैल्सियम क्लोराइड (CaCl₂)
  • आयरन (Fe) – फेरस सल्फेट (FeSO₄), फेरिक ऑक्साइड (Fe₂O₃), आयरन क्लोराइड (FeCl₃)
  • सिलिकॉन (Si) – सिलिका (SiO₂), सिलिकॉन कार्बाइड (SiC), सिलिकॉन टेट्राक्लोराइड (SiCl₄)
  • एल्यूमिनियम (Al) – एल्यूमिनियम ऑक्साइड (Al₂O₃), एल्यूमिनियम सल्फेट (Al₂(SO₄)₃)
  • क्लोरीन (Cl) – हाइड्रोक्लोरिक अम्ल (HCl), सोडियम हाइपोक्लोराइट (NaOCl), क्लोरीन गैस (Cl₂)

अक्रिय गैसें/उत्कृष्ट गैसें / दुर्लभ गैसें

अक्रिय गैसें (Inert Gases), जिन्हें उत्कृष्ट गैसें (Noble Gases) या दुर्लभ गैसें (Rare Gases) भी कहा जाता है, आवर्त सारणी के 18वें समूह में पाई जाती हैं। इनमें हीलियम (He), नीयॉन (Ne), आर्गन (Ar), क्रिप्टॉन (Kr), ज़ेनॉन (Xe) और रेडॉन (Rn) शामिल हैं। ये गैसें सामान्यतः रासायनिक रूप से निष्क्रिय होती हैं क्योंकि इनके बाहरी इलेक्ट्रॉन कक्ष पूर्ण रूप से भरे होते हैं।

मुख्य विशेषताएँ:

  • रंगहीन, गंधहीन और बेरंग गैसें होती हैं।
  • इनमें रासायनिक प्रतिक्रिया करने की प्रवृत्ति बहुत कम होती है।
  • वायुमंडल में ये अल्प मात्रा में पाई जाती हैं, इसलिए इन्हें दुर्लभ गैसें भी कहते हैं।

उपयोग:

  • हीलियम (He) – गुब्बारों और क्रायोजेनिक्स में।
  • नीयॉन (Ne) – नीयॉन लाइट और संकेतकों में।
  • आर्गन (Ar) – वेल्डिंग और लैम्पों में।
  • क्रिप्टॉन (Kr) व ज़ेनॉन (Xe) – उच्च तीव्रता वाली रोशनी और चिकित्सा में।
  • रेडॉन (Rn) – कैंसर उपचार में उपयोगी लेकिन रेडियोधर्मी।

धातुएँ तथा अधातुएँ

धातुएँ (Metals) और अधातुएँ (Non-Metals) तत्त्वों के दो प्रमुख वर्ग हैं, जिनकी भौतिक और रासायनिक गुणों में स्पष्ट भिन्नताएँ होती हैं।

धातुओं (Metals) की विशेषताएं:

  • विद्युत और ऊष्मा की अच्छे चालक होती हैं।
  • चमकदार (धात्विक चमक) और ठोस होती हैं (पारा को छोड़कर)।
  • तन्य (Ductile) और आकृतिवर्धनीय (Malleable) होती हैं।
  • आयनिक यौगिक बनाती हैं और आमतौर पर धनायन (M+M^+) का निर्माण करती हैं।
  • उदाहरण: लौह (Fe), तांबा (Cu), सोना (Au), एल्युमिनियम (Al)

अधातुओं (Non-Metals) की विशेषताएं:

  • खराब विद्युत और ऊष्मा चालक होती हैं (कुछ अपवाद जैसे ग्रेफाइट)।
  • भंगुर (Brittle) और गैर-चमकदार होती हैं।
  • गैस, ठोस या द्रव अवस्था में पाई जाती हैं।
  • आयनिक और सहसंयोजक यौगिक बनाती हैं और प्रायः ऋणायन (X−X^-) का निर्माण करती हैं।
  • उदाहरण: हाइड्रोजन (H), ऑक्सीजन (O), नाइट्रोजन (N), सल्फर (S)

उत्प्रेरण (Catalysis)

जब किसी रासायनिक अभिक्रिया की गति को बढ़ाने या घटाने के लिए किसी पदार्थ का उपयोग किया जाता है, लेकिन वह स्वयं अभिक्रिया में प्रयुक्त न होकर अपरिवर्तित रह जाता है, तो इस प्रक्रिया को उत्प्रेरण (Catalysis) कहते हैं और इस पदार्थ को उत्प्रेरक (Catalyst) कहा जाता है।

उत्प्रेरण के प्रकार:

  1. धनात्मक उत्प्रेरण (Positive Catalysis): इसमें उत्प्रेरक अभिक्रिया की गति बढ़ाता है। उदाहरण: आयरन (Fe) की उपस्थिति में अमोनिया का निर्माण (हैबर प्रक्रिया)।
  2. ऋणात्मक उत्प्रेरण (Negative Catalysis): इसमें उत्प्रेरक अभिक्रिया की गति को धीमा कर देता है। उदाहरण: ग्लिसरीन नाइट्रिक एसिड के विघटन को धीमा करता है।
  3. स्वतः उत्प्रेरण (Autocatalysis): जब स्वयं अभिक्रिया का एक उत्पाद उत्प्रेरक का कार्य करता है। उदाहरण: पोटैशियम परमैंगनेट का अपचयन।
  4. जैव उत्प्रेरण (Biocatalysis): जैविक प्रक्रियाओं में एंजाइम उत्प्रेरक का कार्य करते हैं। उदाहरण: एमाइलेज स्टार्च को माल्टोज में परिवर्तित करता है।

उत्प्रेरण का उपयोग रसायन, जैव रसायन और उद्योगों में व्यापक रूप से किया जाता है।

पेंट एवं वर्नीश (Paints and Varnishes)

पेंट (Paint) और वर्नीश (Varnish) सतहों को सुरक्षा, सौंदर्य और टिकाऊपन प्रदान करने के लिए उपयोग किए जाने वाले रासायनिक पदार्थ हैं।

1. पेंट (Paint):

पेंट एक द्रव या पेस्ट होता है जो सतह पर एक सुरक्षात्मक और सजावटी परत बनाने के लिए लगाया जाता है। यह मुख्य रूप से चार घटकों से मिलकर बना होता है:

  • पिगमेंट (Pigment): रंग प्रदान करता है। (जैसे- टाइटेनियम डाइऑक्साइड सफेद रंग के लिए)
  • बाइंडर (Binder): पेंट को सतह से जोड़ता है। (जैसे- अल्काइड रेजिन, लेटेक्स)
  • सॉल्वेंट (Solvent): पेंट को पतला करने के लिए। (जैसे- टर्पेंटाइन, पानी)
  • एडिटिव्स (Additives): विशेष गुण देने के लिए। (जैसे- एंटी-फंगल एजेंट)

प्रकार: तेल-आधारित पेंट, जल-आधारित पेंट, इमल्शन पेंट आदि।

2. वर्नीश (Varnish):

वर्नीश एक पारदर्शी सुरक्षात्मक परत होती है जो लकड़ी या धातु की सतह पर चमक और सुरक्षा के लिए लगाई जाती है। इसमें मुख्य रूप से राल (Resin), सॉल्वेंट और ड्राइंग ऑयल होते हैं।

  • प्रकार: ऑयल वर्नीश, स्पिरिट वर्नीश, पॉलिश वर्नीश आदि।
  • उपयोग: इमारतों, फर्नीचर, वाहनों और औद्योगिक उत्पादों में सतह संरक्षण और सजावट के लिए।

कार्बनिक रसायन

कार्बनिक रसायन रसायन विज्ञान की वह शाखा है जिसमें कार्बन युक्त यौगिकों का अध्ययन किया जाता है। इसमें प्राकृतिक और संश्लेषित कार्बनिक यौगिकों की संरचना, गुणधर्म, अभिक्रियाएँ और उपयोग शामिल होते हैं।

कार्बनिक यौगिक (Organic Compounds)

Organic Compounds

कार्बनिक यौगिक की परिभाषा:

जंतु अथवा वनस्पतियों (जीवधारियों) से प्राप्त पदार्थों को कार्बनिक पदार्थ (Organic Substances) कहा जाता है। कार्बन सभी जैव यौगिकों का अनिवार्य मूल तत्व होता है।

“रसायन विज्ञान की वह शाखा, जिसके अंतर्गत कार्बन युक्त यौगिकों का अध्ययन किया जाता है, उसे कार्बनिक रसायन (Organic Chemistry) कहते हैं।”

जैव शक्ति सिद्धांत (Vital Force Theory) और संश्लेषण

  • सर्वप्रथम बर्जीलियस ने यह बताया कि कार्बनिक यौगिक केवल जीवों द्वारा ही बनाए जा सकते हैं। इसे जैव शक्ति सिद्धांत कहा गया।
  • व्होलर (Wöhler) ने प्रयोगशाला में अमोनियम सायनेट (NH4CNO)(NH_4CNO) को गर्म करके यूरिया (NH2CONH2)(NH_2CONH_2) का संश्लेषण किया, जिससे जैव शक्ति सिद्धांत खंडित हो गया।
  • 1845 में कोल्बे ने एसिटिक अम्ल और 1856 में बर्थोले ने मीथेन का संश्लेषण करके सिद्ध किया कि कार्बनिक यौगिक प्रयोगशाला में भी बनाए जा सकते हैं।
  • कार्बन-कार्बन बंध (C-C) की उच्च बंधन ऊर्जा के कारण कार्बन में श्रृंखलित होने की क्षमता (Catenation) अधिक होती है, जिससे कार्बनिक यौगिकों की संख्या अत्यधिक होती है।

कार्बनिक यौगिकों का वर्गीकरण (Classification of Organic Compounds)

कार्बनिक यौगिकों को मुख्यतः दो भागों में विभाजित किया जाता है:

  1. खुली श्रृंखला वाले यौगिक (Open Chain Compounds)
  2. बंद श्रृंखला वाले यौगिक (Closed Chain or Cyclic Compounds)

खुली श्रृंखला वाले यौगिक (Open Chain Compounds)

इन्हें अचक्रीय यौगिक (Acyclic Compounds) या एलीफैटिक यौगिक (Aliphatic Compounds) भी कहा जाता है। इन यौगिकों में कार्बन परमाणु एक खुली श्रृंखला (Straight or Branched Chain) में जुड़े होते हैं।

बंद श्रृंखला वाले यौगिक (Closed Chain or Cyclic Compounds)

इन यौगिकों में कार्बन परमाणु एक चक्र (Ring) के रूप में जुड़े होते हैं। ये दो प्रकार के होते हैं:

  1. समचक्रीय / कार्बनचक्रीय यौगिक (Homocyclic / Carbocyclic Compounds)
  2. विषमचक्रीय यौगिक (Heterocyclic Compounds)

समचक्रीय / कार्बनचक्रीय यौगिक (Homocyclic / Carbocyclic Compounds): केवल कार्बन परमाणुओं से बनी चक्रीय संरचना होती है।

  1. एलीसाइक्लिक यौगिक (Alicyclic Compounds): सजीवों में पाए जाने वाले गैर-एरोमैटिक चक्रीय यौगिक (जैसे- साइक्लोहेक्सेन)।
  2. एरोमैटिक यौगिक (Aromatic Compounds): बेंजीन जैसी विशेष संयुग्मित चक्रीय संरचना (Conjugated Cyclic Structure) वाले यौगिक (जैसे- बेंजीन, टोल्यून)।

विषमचक्रीय यौगिक (Heterocyclic Compounds): जिनकी चक्रीय संरचना में कार्बन के अलावा ऑक्सीजन, नाइट्रोजन या सल्फर जैसे अन्य तत्व भी होते हैं (जैसे- पाइरिडीन, फ्यूरान)।

परीक्षा उपयोगी महत्वपूर्ण प्रश्न

प्रश्न उत्तर
आधुनिक रसायन विज्ञान के जनक कौन हैं? एंटोनी लावोज़ियर (Lavoisier)
सबसे हल्का तत्व कौन सा है? हाइड्रोजन (Hydrogen)
शुद्ध गैस मिश्रण का उदाहरण क्या है? वायु (Atmospheric Air)
तरल मिश्रण का उदाहरण क्या है? समांगी (Homogeneous) मिश्रण
गैस-गैस मिश्रण का उदाहरण क्या है? वायुमंडल में विभिन्न गैसों का मिश्रण
गैस-तरल मिश्रण का उदाहरण क्या है? ऑक्सीजन और जल का मिश्रण
तरल-तरल मिश्रण का उदाहरण क्या है? एथेनॉल और जल का मिश्रण
ठोस-तरल मिश्रण का उदाहरण क्या है? पेट्रोल और जल का मिश्रण (विषमांगी)
पर्यावरण प्रदूषण रहित तत्व कौन सा है? हाइड्रोजन (Hydrogen)
शुद्ध जल प्राप्त करने की विधि क्या है? आसवन (Distillation) प्रक्रिया
विलयन का प्रकार कौन सा होता है? कोलाइड विलयन (विषमांगी मिश्रण)
निलंबन का प्रकार कौन सा होता है? निलंबन विलयन (विषमांगी मिश्रण)
इलेक्ट्रोलाइट प्लाज्मा अवस्था में क्या संभव होता है? विद्युत का सुचालन
प्रमुख रासायनिक और आणविक ऊर्जा स्रोत क्या हैं? नाभिकीय एवं आणविक ऊर्जा
गैस का तरल रूपांतरण कैसे संभव होता है? उच्च तापमान पर द्रव में परिवर्तित
जल की प्राप्ति के लिए कौन सी विधि अपनाई जाती है? आसवन प्रक्रिया
ठोस-तरल मिश्रण के उदाहरण कौन से हैं? चीनी, नमक और जल का मिश्रण
कोलॉइड मिश्रण में कार्बन डाइऑक्साइड का क्या होता है? जल में विलयन संभव
हाइड्रोजन का शुद्ध स्वरूप क्या है? हाइड्रोजन एक शुद्ध तत्व
अधातु कितने प्रकार के होते हैं? ठोस और गैसीय दोनों

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