लृङ्ग् लकार
लिङ निमित्ते लृङ्ग् क्रियातिपत्तौ – क्रियातिपत्ति में लृङ्ग् लकार होता है। जहाँ पर भूतकाल की एक क्रिया दूसरी क्रिया पर आश्रित होती है, वहाँ पर हेतु हेतुमद भूतकाल होता है। इस काल के वाक्यों में एक शर्त सी लगी होती है; जैसे– यदि अहम् अपठिष्यम् तर्हि विद्वान अभविष्यम्। (यदि मैं पढ़ता तो विद्वान् हो जाता।)
जब किसी क्रिया की असिद्धि हो गई हो । जैसे :- यदि त्वम् अपठिष्यत् तर्हि विद्वान् भवितुम् अर्हिष्यत् । (यदि तू पढ़ता तो विद्वान् बनता।)
इस बात को स्मरण रखने के लिए कि धातु से कब किस लकार को जोड़ेंगे, निम्न श्लोक स्मरण कर लीजिए-
विध्याशिषोर्लिङ् लोटौ च लुट् लृट् लृङ् च भविष्यति ॥
अर्थात् लट् लकार वर्तमान काल में, लेट् लकार केवल वेद में, भूतकाल में लुङ् लङ् और लिट्, विधि और आशीर्वाद में लिङ् और लोट् लकार तथा भविष्यत् काल में लुट् लृट् और लृङ् लकारों का प्रयोग किया जाता है।
लृङ्ग् लकार धातु रूप उदाहरण
भू / भव् धातु
पुरुष | एकवचन | द्विवचन | बहुवचन |
---|---|---|---|
प्रथमपुरुषः | अभविष्यत् | अभविष्यताम् | अभविष्यन् |
मध्यमपुरुषः | अभविष्यः | अभविष्यतम् | अभविष्यत |
उत्तमपुरुषः | अभविष्यम् | अभविष्याव | अभविष्याम |
अस् धातु
पुरुष | एकवचन | द्विवचन | बहुवचन |
---|---|---|---|
प्रथम पुरुष | अभविष्यत् | अभविष्यताम् | अभविष्यन् |
मध्यम पुरुष | अभविष्यः | अभविष्यतम् | अभविष्यत |
उत्तम पुरुष | अभविष्यम् | अभविष्याव | अभविष्याम |
हस् धातु
पुरुष | एकवचन | द्विवचन | बहुवचन |
---|---|---|---|
प्रथम पुरुष | अहसिष्यत् | अहसिष्यताम् | अहसिष्यन् |
मध्यम पुरुष | अहसिष्यः | अहसिष्यतम् | अहसिष्यत |
उत्तम पुरुष | अहसिष्यम् | अहसिष्याव | अहसिष्याम |
कथ् धातु
पुरुष | एकवचन | द्विवचन | बहुवचन |
---|---|---|---|
प्रथम पुरुष | अकथयिष्यत | अकथयिष्येताम् | अकथयिष्यन्त |
मध्यम पुरुष | अकथयिष्याः | अकथयिष्यतम्/अकथयिष्येथाम् | अकथयिष्यध्वम् |
उत्तम पुरुष | अकथयिष्ये | अकथयिष्यावहि | अकथयिष्याम/अकथयिष्यामहि |
लृङ्ग् लकार के उदाहरण क्रिया, कर्ता, पुरुष तथा वचन अनुसार
पुरुष | एकवचन | द्विवचन | बहुवचन |
---|---|---|---|
प्रथम पुरुष | उसने पढ़ा होता। सः अपठिष्यत्। |
उन दोनों ने पढ़ा होता। तौ अपठिष्यताम्। |
उन सबने पढ़ा होता। ते अपठिष्यन्। |
मध्यम पुरुष | तुमने पढ़ा होता। त्वम् अपठिष्यः। |
तुम दोनों ने पढ़ा होता। युवाम् अपठिष्यतम्। |
तुम सबने पढ़ा होता। यूयम् अपठिष्यत। |
उत्तम पुरुष | मैंने पढ़ा होता। अहम् अपठिष्यम्। |
हम दोनों ने पढ़ा होता। आवाम् अपठिष्याव। |
हम सबने पढ़ा होता। वयम् अपठिष्याम। |
लृङ्ग् लकार में अनुवाद or लृङ्ग् लकार के वाक्य
- यदि तुम मक्खन खाते तो पुष्ट हो जाते। – यदि त्वं नवनीतम् अभक्षयिष्यः तर्हि पुष्टः अभविष्यः।
- तुम सब यदि दूध पीते तो दुर्बलता न होती। – यूयं यदि पयः अपास्यत तर्हि दौर्बल्यं न अभविष्यत्।
- यदि मैं लवण युक्त छाछ पीता तो मन्दाग्नि न होती। – यदि अहं लवणान्वितं तक्रम् अपास्यम् तर्हि मन्दाग्निः न अभविष्यत्।
- यदि तुम दोनों भी छाछ पीते तो हृदयशूल न होता। – यदि युवाम् अपि गोरसम् अपास्यतम् तर्हि हृदयशूलः न अभविष्यत्।
- यदि वह दूध पीता तो मोटा हो जाता। – यदि असौ क्षीरम् अपास्यत् तर्हि स्थूलः अभविष्यत्।
- यदि तुम घी खाते तो बलवान् होते । – यदि त्वं घृतम् अभक्षयिष्यः तर्हि बलवान् अभविष्यः ।
- यदि घर में घी होता तो खाता। – गृहे आज्यम् अभविष्यत् चेत् तर्हि अभक्षयिष्यम्।
लृङ्ग् लकार के अन्य हिन्दी वाक्यों का संस्कृत में अनुवाद व उदाहरण
- यदि वे छाछ पीते तो उनका दाह ठीक हो जाता। – यदि अमी कालशेयम् अपास्यन् तर्हि तेषां दाहः सुष्ठु अभविष्यत्।
- हम दोनों के घर गाय होती तो छाछ भी होता। – यदि आवयोः गृहे धेनुः अभविष्यत् तर्हि तक्रम् अपि अभविष्यत्।
- यदि हम दोनों घर में होते तो मक्खन खाते। – यदि आवां भवने अभविष्याव तर्हि नवोद्धृतम् अभक्षयिष्याव।
- हम सब वहाँ होते तो दूध से बनी वस्तुएँ खाते। – वयं तत्र अभविष्याम तर्हि पयस्यम् अभक्षयिष्याम।
- तुम होते तो तुम भी खाते। – त्वम् अभविष्यः तर्हि त्वम् अपि अभक्षयिष्यः।
- सोंठ और सेंधा नमक से युक्त छाछ पीते तो वात रोग न होता। – शुण्ठीसैन्धवयुतं तक्रम् अपास्यः तर्हि वातरोगः न अभविष्यत्।
- हींग और जीरा युक्त छाछ पीते तो अर्शरोग न होता। – हिङ्गुजीरयुतं मथितम् अपास्यः तर्हि अर्शः न अभविष्यत्।
- यदि घर में घी होता तो बच्चे बुद्धिमान् होते। – यदि गृहे सर्पिः अभविष्यत् तर्हि बालाः मेधाविनः अभविष्यन्।
- हमारे देश में गोरक्षा होती तो कुपोषण न होता। – अस्माकं देशे यदि गोरक्षा अभविष्यत् तर्हि कुपोषणं न अभविष्यत्।