पदार्थ की अवस्थाएँ (States of Matter)
पदार्थ मुख्य रूप से तीन अवस्थाओं में पाया जाता है:
- ठोस (Solid): इसमें अणु एक निश्चित आकार और आयतन बनाए रखते हैं। कणों के बीच आकर्षण बल अधिक होता है, जिससे यह कठोर और संकुचित होते हैं। उदाहरण: बर्फ, लोहा, लकड़ी।
- द्रव (Liquid): इसमें अणु एक-दूसरे के करीब होते हैं लेकिन उनके बीच गतिशीलता होती है। तरल का निश्चित आयतन होता है, लेकिन इसका आकार परिवर्तनीय होता है और यह पात्र के अनुसार रूप ले सकता है। उदाहरण: जल, तेल, दूध।
- गैस (Gas): इसमें अणु स्वतंत्र रूप से गतिशील होते हैं और किसी भी दिशा में फैल सकते हैं। गैस का न तो निश्चित आकार होता है और न ही निश्चित आयतन। उदाहरण: ऑक्सीजन, हाइड्रोजन, वायु।
विशेष अवस्थाएँ: आधुनिक रसायन विज्ञान में तीन अवस्थाओं के अतिरिक्त चौथी (प्लाज्मा) और पाँचवी (BEC) अवस्था को भी सम्मिलित किया जाता है।
- प्लाज्मा (Plasma): यह आयनित गैस अवस्था होती है जिसमें मुक्त इलेक्ट्रॉन और आयन होते हैं। यह अत्यधिक ऊर्जावान अवस्था होती है और इसे विद्युत-चालित गैस भी कहा जाता है। उदाहरण: सूरज, तारों का पदार्थ, फ्लोरोसेंट बल्ब में गैस।
- बोस-आइंस्टीन संघनन (Bose-Einstein Condensate – BEC)
ठोस (Solid)
वे पदार्थ जिनका आकार और भार दोनों ज्ञात होते हैं, ठोस पदार्थ कहलाते हैं, जैसे—लकड़ी और ईंट। ठोस पदार्थों के कण आपस में अत्यधिक समीप होते हैं, जिससे उनके बीच खाली स्थान बहुत कम होता है। इस कारण, कणों के बीच आकर्षण बल अत्यधिक मजबूत होता है, जो उन्हें एक निश्चित आकार और भार प्रदान करता है।
ठोस पदार्थों के गुण (Properties of Solids):
- आकृति और आयतन (Shape & Volume) – ठोस पदार्थों की आकृति और आयतन निश्चित होते हैं।
- घनत्व (Density) – ठोस पदार्थों का घनत्व उच्च होता है। किसी द्रव्य के इकाई आयतन का उसका घनत्व कहलाता है। घनत्व=द्रव्यमान/आयतन।
- द्रवनांक और क्वथनांक (Melting Point & Boiling Point) – ठोस पदार्थों के द्रवनांक और क्वथनांक हमेशा उच्च होते हैं। (ठोस पदार्थों के द्रवनांक और क्वथनांक कमरे के तापमान से अधिक होते हैं।)
- कणों की अवस्था (Particle Arrangement) – ठोस पदार्थ में उसके अवयवी कण नियमित रूप से सजे रहते हैं, जिसे जालक (Lattice) कहा जाता है।
- संपीड्यता (Incompressibility) – ठोस पदार्थ असंपीड्य होते हैं, अर्थात ठोस पदार्थों पर दाब बढ़ाकर या घटाकर उनके आयतन में परिवर्तन नहीं किया जा सकता है।
- बहाव (Flow Ability) – ठोस पदार्थों में बहाव की प्रवृत्ति नहीं होती है।
- प्रसार या संकुचन (Expansion & Contraction) – ठोस पदार्थ को गर्म या ठंडा करने पर उनका प्रसार या संकुचन बहुत ही कम होता है।
- उर्ध्वपातन (Sublimation) – वह प्रक्रिया जिसमें कोई ठोस पदार्थ गर्म किए जाने पर बिना द्रव रूप में बदले सीधे वाष्प में परिवर्तित हो जाता है और ठंडा होने पर बिना द्रव बने फिर से ठोस में बदल जाता है, उर्ध्वपातन कहलाती है।
उदाहरण: अमोनियम क्लोराइड (Ammonium Chloride), आयोडीन (Iodine), कर्पूर (Camphor), नेप्थलीन (Naphthalene) आदि। - प्रसरण (Diffusion) – वह प्रक्रिया जिसमें किसी द्रव के कण किसी अन्य द्रव्य में प्रवेश करते हैं, प्रसरण कहलाती है।
द्रव (Liquid)
वे पदार्थ जिनका भार निश्चित होता है, लेकिन आकार निश्चित नहीं होता, द्रव्य पदार्थ कहलाते हैं, जैसे—दूध और जल। द्रव्य पदार्थों के कण एक-दूसरे से अपेक्षाकृत दूर होते हैं और उनके बीच पर्याप्त खाली स्थान होता है। इस कारण, उनका आपसी आकर्षण बल ठोस की तुलना में कमजोर होता है, लेकिन इतना भी नहीं कि कण पूरी तरह अलग हो जाएं। यही कारण है कि द्रव्य पदार्थों का निश्चित आकार नहीं होता, लेकिन उनका भार निश्चित रहता है। ये जिस बर्तन में रखे जाते हैं, उसी के आकार के अनुसार अपना स्वरूप बदल लेते हैं।
द्रव पदार्थों के गुण (Properties of Liquids):
- आकृति और आयतन (Shape & Volume) – द्रव की आकृति निश्चित नहीं होती है, किन्तु उसका आयतन निश्चित होता है।
- घनत्व (Density) – द्रव का घनत्व उसके ठोस रूप के घनत्व से कम होता है।
- संपीड्यता (Incompressibility) – द्रव हमेशा असंपीड्य होते हैं, लेकिन ठोस की तुलना में थोड़े अधिक संपीड्य होते हैं।
- द्रवनांक और क्वथनांक (Melting Point & Boiling Point) – द्रवों के द्रवनांक और क्वथनांक ठोस पदार्थों से हमेशा कम होते हैं।
- तरलता (Fluidity) – द्रव पदार्थ आसानी से बह सकते हैं।
- द्रव का जमना (Freezing of Liquid) – किसी भी द्रव का ठोस में परिवर्तन द्रव का जमना कहलाता है।
- वाष्पन (Evaporation) – किसी द्रव का कमरे के तापमान या द्रव के क्वथनांक से कम तापमान पर वाष्प बनकर धीरे-धीरे वायुमंडल में जाने की प्रक्रिया वाष्पन कहलाती है।
- क्वथन और क्वथनांक (Boiling & Boiling Point) – जब किसी द्रव का वाष्पदाब वायुमंडलीय दाब के बराबर हो जाता है, तब वह द्रव उबलने लगता है। द्रव को गर्म करने पर उसका वाष्पदाब क्रमशः बढ़ता है, और जब यह वायुमंडलीय दाब के बराबर हो जाता है, तब द्रव उबलने लगता है। जिस तापमान पर द्रव उबलना प्रारंभ करता है, उसे द्रव का क्वथनांक कहते हैं और यह प्रक्रिया क्वथन या उबलना कहलाती है।
गैस (Gas)
वे पदार्थ जिनका कोई निश्चित आकार या भार नहीं होता और जो आसानी से संपीडित (Compressed) किए जा सकते हैं, गैसीय पदार्थ कहलाते हैं, जैसे—भाप, नाइट्रोजन, और हाइड्रोजन। गैसीय पदार्थों के कण एक-दूसरे से अत्यधिक दूर होते हैं और उनके बीच का खाली स्थान भी बहुत अधिक होता है। इसी कारण, उनके कणों के बीच आकर्षण बल लगभग नगण्य होता है, जिससे वे सभी दिशाओं में फैल सकते हैं। यही कारण है कि गैसों का कोई निश्चित आकार या भार नहीं होता, लेकिन इन्हें अत्यधिक आसानी से संपीडित किया जा सकता है।
गैस पदार्थों के गुण (Properties of Gases):
- आकृति और आयतन (Shape & Volume) – गैसों की न तो कोई निश्चित आकृति होती है और न ही निश्चित आयतन। यह जिस पात्र में रखी जाती है, उसी की आकृति और आयतन को ग्रहण कर लेती है।
- घनत्व (Density) – ठोस और द्रव की तुलना में गैसों का घनत्व कम होता है।
- द्रवनांक और क्वथनांक (Melting Point & Boiling Point) – सामान्य वायुमंडलीय दाब पर गैसों के द्रवनांक और क्वथनांक सामान्यतः कमरे के तापमान से कम होते हैं।
- संपीड्यता (Compressibility) – गैसें अत्यधिक संपीडनीय होती हैं, अर्थात् इन्हें आसानी से संकुचित किया जा सकता है।
- ऊष्मा और ठंड का प्रभाव (Effect of Heat & Cold) – गैस को गर्म करने पर यह फैलती है, जबकि ठंडा करने पर संकुचित हो जाती है।
- गैसों का प्रसरण या विसरण (Diffusion & Effusion) – विभिन्न गैसें घनत्व में अंतर होने के बावजूद आपस में स्वतः मिश्रित हो जाती हैं। इस प्रक्रिया को गैसों का प्रसरण या विसरण कहा जाता है।
- गैसों का संघनन (Condensation) – जब कोई गैस द्रव में परिवर्तित होती है, तो इस प्रक्रिया को संघनन कहा जाता है।
- गैस का दाब (Gas Pressure) – किसी पात्र की दीवारों पर गैस के कणों द्वारा प्रति इकाई क्षेत्रफल पर डाला गया बल गैस का दाब कहलाता है।
- द्रवनांक (Melting Point) – वह तापमान जिस पर कोई ठोस पदार्थ द्रव में बदलता है, उसे द्रवनांक कहते हैं। इस प्रक्रिया को द्रवण कहा जाता है।
- द्रव का क्वथनांक (Boiling Point) – वह तापमान जिस पर कोई द्रव गैस में परिवर्तित होता है, उसे उसका क्वथनांक कहते हैं।
- वाष्पन की गुप्त ऊष्मा (Latent Heat of Vaporization) – जब कोई द्रव अपने क्वथनांक पर गैस में परिवर्तित होता है, तो वह एक निश्चित मात्रा में ऊष्मा अवशोषित करता है, जिसे वाष्पन की गुप्त ऊष्मा कहा जाता है।
- संघनन (Condensation) – वह प्रक्रिया जिसमें कोई पदार्थ गैस से द्रव में परिवर्तित होता है, संघनन कहलाती है।
- हिमांक (Freezing Point) – वह तापमान जिस पर कोई द्रव ठोस में बदलता है, उसे उसका हिमांक कहा जाता है। इस प्रक्रिया को जमना कहते हैं।
प्लाज्मा (Plasma)
प्लाज्मा पदार्थ की एक अवस्था है, जिसमें गैस के कण अत्यधिक ऊर्जावान होते हैं और आयनीकरण की प्रक्रिया से गुजरते हैं। इसमें इलेक्ट्रॉन और आयन स्वतंत्र रूप से गति करते हैं, जिससे यह विद्युत सुचालक बन जाता है। यह ब्रह्मांड में सबसे अधिक मात्रा में पाया जाने वाला पदार्थ है।
प्लाज्मा की विशेषताएँ (Properties of Plasma):
- विद्युत चालकता (Electrical Conductivity): प्लाज्मा में मुक्त इलेक्ट्रॉन और आयन होने के कारण यह विद्युत का सुचालक होता है।
- चुंबकीय प्रभाव (Magnetic Effects): प्लाज्मा बाहरी चुंबकीय क्षेत्र के प्रति संवेदनशील होता है और इसके प्रभाव में विभिन्न गतियाँ प्रदर्शित कर सकता है।
- उच्च ऊर्जा (High Energy): इसमें अणु अत्यधिक गतिशील होते हैं, जिससे यह उच्च ऊर्जा वाली अवस्था होती है।
- गैस के समान गुण (Similar to Gas): प्लाज्मा में गैस की तरह विस्तार और संपीडन की क्षमता होती है, लेकिन यह विद्युत आवेशित कणों से बना होता है।
- प्राकृतिक एवं कृत्रिम रूप (Natural & Artificial Existence): प्लाज्मा प्राकृतिक रूप से सूर्य, तारों, बिजली (Lightning) और अग्निबॉल में पाया जाता है, जबकि कृत्रिम रूप में फ्लोरोसेंट लाइट, नियॉन बल्ब और प्लाज्मा टीवी में देखा जाता है।
- आयनीकरण (Ionization): प्लाज्मा में गैस के अणु ऊष्मा या विद्युत ऊर्जा के कारण आयनों और मुक्त इलेक्ट्रॉनों में टूट जाते हैं।
- दीप्तिमान गुण (Luminous Nature): प्लाज्मा ऊर्जा अवशोषित कर प्रकाश उत्सर्जित कर सकता है, जैसे- नीयॉन बल्ब और सूर्य की चमक।
- गति एवं तरंगें (Motion & Waves): प्लाज्मा में विद्युत और चुंबकीय क्षेत्र के कारण विभिन्न प्रकार की तरंगें उत्पन्न हो सकती हैं, जिन्हें प्लाज्मा तरंगें (Plasma Waves) कहा जाता है।
- दाब और तापमान पर निर्भरता (Pressure & Temperature Sensitivity): प्लाज्मा की संरचना और गुण उसके तापमान और दाब पर निर्भर करते हैं, जैसे- उच्च तापमान पर यह अधिक सक्रिय और गतिशील होता है।
- चुंबकीय संपीड़न (Magnetic Confinement): प्लाज्मा को चुंबकीय क्षेत्र के द्वारा नियंत्रित किया जा सकता है, जिसे परमाणु संलयन (Nuclear Fusion) में उपयोग किया जाता है।
- अराजक प्रवाह (Turbulent Flow): प्लाज्मा में आवेशित कणों के स्वतंत्र गति करने के कारण यह एक अराजक और गतिशील अवस्था में रहता है।
- स्वयं को पुनः संगठित करने की क्षमता (Self-Organizing Ability): प्लाज्मा में उपस्थित कण अपने आप विभिन्न संरचनाएँ बना सकते हैं, जैसे- सौर हवा (Solar Wind) और औरोरा (Aurora Borealis)।
- सौर मंडल और ब्रह्मांड में व्यापकता (Ubiquity in Universe): ब्रह्मांड में 99% पदार्थ प्लाज्मा अवस्था में पाया जाता है, जैसे- सूर्य, तारे, गैस नेबुला आदि।
- संलयन ऊर्जा में उपयोग (Use in Fusion Energy): प्लाज्मा को नियंत्रित कर नाभिकीय संलयन (Nuclear Fusion) ऊर्जा उत्पादन के लिए उपयोग किया जाता है, जैसे- टोकामाक रिएक्टर।
- प्लाज्मा डिस्चार्ज (Plasma Discharge): उच्च ऊर्जा स्तर पर प्लाज्मा इलेक्ट्रॉनों को उत्सर्जित कर सकता है, जिससे फ्लोरोसेंट लाइट, टेस्ला कॉइल और प्लाज्मा ग्लोब में चमक उत्पन्न होती है।