लिट् लकार
परोक्षेलिट् – ‘परोक्ष भूत काल’ में लिट् लकार का प्रयोग होता है। जो कार्य आँखों के सामने पारित होता है, उसे परोक्ष भूतकाल कहते हैं।
उत्तम पुरुष में लिट् लकार का प्रयोग केवल स्वप्न या उन्मत्त अवस्था में ही होता है; जैसे– सुप्तोऽहं किल विलाप। (मैंने सोते में विलाप किया।)
या जो अपने साथ न घटित होकर किसी इतिहास का विषय हो । जैसे :– रामः रावणं ममार । ( राम ने रावण को मारा ।)
लिट् लकार धातु रूप संरचना
पुरुष | एकवचन | द्विवचन | बहुवचन |
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प्रथम पुरुष | अ | अतुस् | उस् |
मध्यम पुरुष | थ | अथुस् | अ |
उत्तम पुरुष | अ | व | म |
लिट् लकार (परोक्ष भूत काल) धातु रूप के कुछ उदाहरण
लिख् धातु
पुरुष | एकवचन | द्विवचन | बहुवचन |
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प्रथम पुरुष | लिलेख | लिलिखतुः | लिलिखुः |
मध्यम पुरुष | लिलेखिथ | लिलिखथुः | लिलिख |
उत्तम पुरुष | लिलेख | लिलिखिव | लिलिखिम |
धाव् (दौडना) धातु
पुरुष | एकवचन | द्विवचन | बहुवचन |
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प्रथम पुरुष | दधाव | दधावतुः | दधावुः |
मध्यम पुरुष | दधाविथ | दधावथुः | दधाव |
उत्तम पुरुष | दधाव | दधाविव | दधाविम |
दा धातु
पुरुष | एकवचन | द्विवचन | बहुवचन |
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प्रथम पुरुष | ददौ | ददतुः | ददुः |
मध्यम पुरुष | ददाथ/ददिथ | ददथुः | दद |
उत्तम पुरुष | ददौ | ददिव | ददिम |
अस् (होना) धातु
पुरुष | एकवचन | द्विवचन | बहुवचन |
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प्रथम पुरुष | बभूव | बभूवतुः | बभूवुः |
मध्यम पुरुष | बभूविथ | बभूवथुः | बभूव |
उउत्तम पुरुष | बभूव | बभूविव | बभूविम |
पुरुष तथा वचन के अनुसार लिट् लकार के उदाहरण
पुरुष | एकवचन | द्विवचन | बहुवचन |
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प्रथम पुरुष | उसने पढ़ा। सः पपाठ। |
उन दोनो ने पढ़ा। तौ पेठतुः। |
उन सबने पढ़ा। ते पेठुः। |
मध्यम पुरुष | तुमने पढ़ा। त्वं पेठिथ। |
तुम दोनों ने पढ़ा। युवां पेठथुः |
तुम सबने पढ़ा। यूयं पेठ। |
उत्तम पुरुष | मैंने पढ़ा। अहं पपाठ। |
हम दोनों ने पढ़ा। आवां पेठिव। |
हम सबने पढ़ा। वयं पेठिम। |
लिट् लकार में अनुवाद or लिट् लकार के वाक्य
- अपि कलिंगेष्ववस: ? – क्या तुम कलिंग में रहे ?
- नाहं कलिंगान् जगाम । – नहीं मैं कभी कलिंग देश में नहीं गया।
- अहम् उन्मत्त: सन् वनं विचचार । – मैंने पागलपन की दशा में जंगल में भ्रमण किया।
- अप्यहं निद्रित: सन् विललाप ? -क्या मैं निद्रित अवस्था में विलाप कर रहा था ?
- अज के पुत्र दशरथ हुए। – अजस्य पुत्रः दशरथः बभूव।
- वृद्धावस्था में दशरथ के चार पुत्र हुए। – स्थाविरे दशरथस्य चत्वारः सुताः बभूवुः।
- राम सब भाइयों के अग्रज हुए। – रामः सर्वेषां भ्रातॄणाम् अग्रियः बभूव।
- लक्ष्मण और शत्रुघ्न जुड़वा हुए। – लक्ष्मणः च शत्रुघ्नः च यमलौ बभूवतुः।
- युवावस्था में राम और लक्ष्मण अद्भुत धनुर्धर हुए। – यौवने रामः च लक्ष्मणः च अद्भुतौ धनुर्धरौ बभूवतुः।
- भारतवर्ष में आश्वलायन नामक ऋषि हुए थे। – भारतवर्षे आश्वलायनः नामकः ऋषिः बभूव।
- वे शारदामन्त्र के उपदेशक हुए। – सः शारदामन्त्रस्य उपदेशकः बभूव।
- अभिमन्यु तरुणाई में ही महारथी हो गया था। – अभिमन्युः तारुण्ये एव महारथः बभूव।
- एक दुर्वासा नाम वाले ऋषि हुए। – एकः दुर्वासा नामकः ऋषिः बभूव।
- जो अथर्ववेदीय मन्त्रों के उपदेशक हुए। – यः अथर्ववेदीयानां मन्त्राणाम् उपदेशकः बभूव।
- भारत में शंख और लिखित ऋषि हुए। – भारते शंखः च लिखितः च ऋषी बभूवतुः।
- भारत में ही रेखागणितज्ञ बौधायन हुए। – भारते एव रेखागणितज्ञः बौधायनः बभूव।
- भारत में ही शस्त्र और शास्त्र के वेत्ता परशुराम हुए। – भारते एव शस्त्रस्य च शास्त्रस्य च वेत्ता परशुरामः बभूव।
- भारत में ही वैयाकरण पाणिनि और कात्यायन हुए। – भारते एव वैयाकरणौ पाणिनिः च कात्यायनः च बभूवतुः।
- पाणिनि के छोटे भाई पिङ्गल छन्दःशास्त्र के उपदेशक हुए। – पाणिनेः अनुजः पिङ्गलः छन्दःशास्त्रस्य उपदेशकः बभूव।
- धौम्य के बड़े भाई उपमन्यु हुए। – धौम्यस्य अग्रियः उपमन्युः बभूव।
- उपमन्यु शैवागम के उपदेशक हुए। – उपमन्युः शैवागमस्य उपदेशकः बभूव।
- वे कृष्ण के भी गुरु थे। – सः कृष्णस्य अपि गुरुः बभूव।
- भारत में ही शिल्पशास्त्र के अट्ठारह उपदेशक हुए। – भारते एव शिल्पशास्त्रस्य अष्टादश उपदेशकाः बभूवुः।
लिट् लकार के अन्य हिन्दी वाक्यों का संस्कृत में अनुवाद
- भारत में अनेक विद्वान् हुए। – भारते अनेके कोविदाः बभूवुः।
- उन विद्वानों में कुछ वैयाकरण हुए। – तेषु बुधेषु केचित् वैयाकरणाः बभूवुः।
- कुछ न्यायदर्शन के विद्वान् हुए। – केचित् न्यायदर्शनस्य पण्डिताः बभूवुः।
- कुछ साङ्ख्यदर्शन के विद्वान् हुए। – केचित् साङ्ख्यदर्शनस्य पण्डिताः बभूवुः।
- आचार्य व्याघ्रभूति वैयाकरण हुए। – आचार्यः व्याघ्रभूतिः वैयाकरणः बभूव।
- आचार्य अक्षपाद नैयायिक हुए। – आचार्यः अक्षपादः नैयायिकः बभूव।
- आचार्य पञ्चशिख सांख्यदर्शन के विद्वान् हुए। – आचार्यः पञ्चशिखः साङ्ख्यदर्शनस्य पण्डितः बभूव।
- वाचक्नवी गार्गी मन्त्रों की विदुषी हुई थी। – वाचक्नवी गार्गी मन्त्राणां विचक्षणा बभूव।
- पाण्डु के पाँच पुत्र हुए। – पाण्डोः पञ्च सुताः बभूवुः।
- वे सभी विद्वान् हुए। – ते सर्वे प्राज्ञाः बभूवुः।
- युधिष्ठिर धर्मशास्त्र और द्यूतविद्या के जानकार हुए। – युधिष्ठिरः धर्मशास्त्रस्य द्यूतविद्यायाः च कोविदः बभूव।
- भीम मल्लविद्या और पाकशास्त्र के वेत्ता हुए। – भीमसेनः मल्लविद्यायाः पाकशास्त्रस्य च सूरिः बभूव।
- सुकेशा ऋषि पाकशास्त्र के उपदेशक हुए थे। – सुकेशा ऋषिः पाकशास्त्रस्य उपदेशकः बभूव।
- श्रीकृष्ण भीमसेन का रसाला खाकर बहुत प्रसन्न हुए थे। – श्रीकृष्णः भीमसेनस्य रसालं भुक्त्वा भूरि प्रसन्नः बभूव।
- अर्जुन धनुर्वेद और गन्धर्ववेद के जानकार हुए। – फाल्गुनः धनुर्वेदस्य गन्धर्ववेदस्य च विपश्चित् बभूव।
- नकुल अश्वविद्या के ज्ञानी हुए। – नकुलः अश्वविद्यायाः कोविदः बभूव।
- आचार्य शालिहोत्र अश्वविद्या के प्रसिद्ध जानकार थे। – आचार्यः शालिहोत्रः अश्वविद्यायाः प्रथितः पण्डितः बभूव।
- सहदेव पशुचिकित्सा और शकुनशास्त्र के विद्वान् थे। – सहदेवः पशुचिकित्सायाः शकुनशास्त्रस्य च ज्ञः बभूव।
- कुन्ती अथर्ववेदीय मन्त्रों की विदुषी हुई। – पृथा अथर्ववेदीयानां मन्त्राणां पण्डिता बभूव।
- लल्लाचार्य और उत्पलाचार्य प्रसिद्ध गणितज्ञ हुए। – लल्लाचार्यः उत्पलाचार्यः च प्रसिद्धौ गणितज्ञौ बभूवतुः।
- मण्डनमिश्र की पत्नी भारती बड़ी विदुषी हुई। – मण्डनमिश्रस्य पत्नी भारती महती पण्डिता बभूव।
- भरद्वाज और शाकटायन वैमानिकरहस्य के ज्ञाता हुए। – भरद्वाजः शाकटायनः च वैमानिकरहस्यस्य विचक्षणौ बभूवतुः।
- शाकपूणि निरुक्त के प्रसिद्ध जानकार हुए थे। – शाकपूणिः निरुक्तस्य प्रथितः कृष्टिः बभूव।
- ऋतुध्वज की महारानी मदालसा तत्त्वज्ञ थी। – ऋतुध्वजस्य पट्टराज्ञी मदालसा तत्त्वज्ञा बभूव।
- भारत में एक नहीं, दो नहीं वरन् सहस्रों विद्वान् हुए हैं। – भारते एकः न, द्वौ न अपितु सहस्रशाः कोविदाः बभूवुः।