धो/धु शब्द (आकाश, स्वर्ग): धो/धु अजंत ओकारान्त स्त्रीलिङ्ग संज्ञा शब्द है। संस्कृत व्याकरण में सभी ओकारान्त स्त्रीलिङ्ग संज्ञाओ के शब्द रूप इसी प्रकार बनाते हैं, जैसे- गो/गौ।
धो/धु के शब्द रूप
संस्कृत में धो/धु के शब्द रूप (Dho/Dhu ka shabd roop) वाक्यों में पदों के रूप में होता है, Dho/Dhu के Shabd Roop तीनों वचन एवं सभी विभक्तियों में निम्नलिखित हैं (Dho/Dhu Shabd Roop in Sanskrit) :
विभक्ति | एकवचन | द्विवचन | बहुवचन |
---|---|---|---|
प्रथमा | द्यौ: | द्यावौ | द्याव: |
द्वितीया | द्याम् | द्यावौ | द्या: |
तृतीया | द्यवा | द्योभ्याम् | द्योभिः |
चतुर्थी | द्यवे | द्योभ्याम् | द्योभ्य: |
पञ्चमी | द्यो: | द्योभ्याम् | द्योभ्य: |
षष्ठी | द्यो: | द्यवो: | द्यवाम् |
सप्तमी | द्यवि | द्यवो: | द्योषु |
सम्बोधन | हे द्यौः! | हे द्यावौ! | हे द्याव:! |
धो/धु शब्द का अर्थ
धो/धु शब्द के एक से अधिक अर्थ हैं- (1) आकाश, (2) स्वर्ग।
संस्कृत के अन्य शब्द रूपों के उदाहरण- बालक शब्द के रूप, लता शब्द के रूप, अस्मद शब्द के रूप, नदी शब्द के रूप, राम शब्द के रूप, बालिका शब्द के रूप, किम शब्द के रूप आदि। (Balak shabd roop, Lata shabd roop, Asmad shabd roop, Nadi shabd roop, Ram shabd roop, Balika shabd roop, Kim shabd roop आदि।)
अधोलिखित स्वरान्त, व्यञ्जनान्त एवं सर्वनाम शब्दों के शब्द रूप महत्वपूर्ण हैं –
- स्वरान्त- लता, मुनि, पति, भूपति, नदी, भानु, धेनु, मधु, पितृ, मातृ, गो, द्यौ, नौ और अक्षि।
- व्यञ्जनान्त- राजन्, भवत्, आत्मन्, विद्वस्, चन्द्रमस्, वाच, गच्छत्, पुम्, पथिन्, गिर्, अहन् और पयस्।
- सर्वनाम- सर्व, यत्, तत्, एतत्, किम्, इदम् (सभी लिङ्गों में) अस्मद्, युष्मद, अदस्, ईदृश, कतिपय, उभ और कीदृश।
- संख्याशब्द- एक, द्वि, त्रि, चतुर्, पञ्चन् आदि।