जीवनी
किसी व्यक्ति के जीवन का चरित्र चित्रण करना अर्थात किसी व्यक्ति विशेष के सम्पूर्ण जीवन वृतांत को जीवनी कहते है। जीवनी का अंग्रेजी अर्थ “बायोग्राफी” है। जीवनी में व्यक्ति विशेष के जीवन में घटित घटनाओं का कलात्मक और सौन्दर्यता के साथ चित्रण होता है।
जीवनी इतिहास, साहित्य और नायक की त्रिवेणी होती है। जीवनी में लेखक व्यक्ति के सम्पूर्ण जीवन और यथेष्ट जीवन की जानकारी प्रमाणिकता के साथ प्रस्तुत करता है।
जीवनी क्या हैं?
डॉ रामप्रकाश (डी.यु प्रोफेसर) के अनुसार आधुनिक काल में “पद्य” के साथ-साथ “गद्य” की बहुलता और उसमे विविध विधाओं की रचना पद्धति की प्रचुरता होने के कारण पुराने ढंग के चरित-काव्य के स्थान पर भी नए ढंग के गद्यबध्द चरित्र अथवा जीवनवृत लिखने की परम्परा चली जिसका संक्षिप्त एवं सर्वेसम्मत परिभाषिक नाम “जीवनी” है।
जीवनी के भेद
जीवनी के अनेक प्रकार के भेद होते जैसे –
- आत्मीय जीवनी,
- लोकप्रिय जीवनी,
- ऐतिहासिक जीवनी,
- मनोवैज्ञानिक जीवनी,
- व्यक्तिगत जीवनी,
- कलात्मक जीवनी।
आत्मकथा, जीवनी और डायरी में संबंध
आत्मकथा, जीवनी और डायरी तीनों के माध्यम से किसी व्यक्ति विशेष का सम्पूर्ण अथवा आंशिक जीवन हमारे सम्मुख प्रस्तुत किया जाता है। आत्मकथा में भी व्यक्ति जीवन वृतांत लिखता हैं। परन्तु वह स्वयं द्वारा लिखा जाता है जबकि जीवनी में लेखक किसी दूसरे के जीवन के जीवन वृत को लिखता है। जीवनी में लेखन की शैली वर्णात्मक होती है।
आत्मकथा और जीवनी में अंतर
जीवनी और आत्मकथा का उद्देश्य प्रायः समान होते हुए भी दोनों में अंतर यह है कि जीवनी दूसरे व्यक्ति द्वारा लिखी जाती है और इसलिए उसकी प्रामाणिकता अपेक्षाकृत कम होती है। इसमें बहुत-सी बातें अनुमानाश्रित रहती हैं जबकि आत्मकथा में सभी तथ्य सत्याश्रित होते हैं। साथ ही जीवनी वस्तुनिष्ठ होती है और आत्मकथा आत्मनिष्ठ।
आत्मकथा और डायरी में अंतर
- आत्मकथा और डायरी में सब कुछ सत्याश्रित और आत्मनिष्ठ होते हुए भी पूर्ण साम्य नहीं है।
- डायरी काल क्रमानुसार होती है, आत्मकथा नहीं।
- डायरी में लेखक सभी तथ्यों को तुरंत ही अंकित कर लेता है जबकि आत्मकथा में जीवन का थोड़ा बहुत अंश तो अवश्य ही स्मृति जन्य होता है।
- इसके अतिरिक्त डायरी में सदैव ताजा अनुभव ही निबद्ध रहते हैं, जबकि आत्मकथा में ताजा अनुभवों को नहीं अपितु रचनाकाल तक हुए सभी अनुभवों को एक माला में विपरीत प्रस्तुत किया जाता है।
हिन्दी में बनारसी दास जैन की पद्यबद्ध आत्मकथा ‘अर्धकथानक’ (1941) पहली आत्मकथा स्वीकार की जाती है, परंतु गद्य में भवानी दयाल संन्यासी-कृत प्रवासी की आत्मकथा इस विधा की पहली महत्त्वपूर्ण कृति मानी जाती है।
अन्य आत्मकथा लेखकों में महात्मा गाँधी, जवाहर लाल नेहरू, श्याम सुन्दर दास (मेरी आत्म कहानी), वियोगी हरि, विनोद शंकर व्यास, बच्चन, पांडेय बेचन शर्मा, ‘उग्र’, देवेन्द्र सत्यार्थी आदि विशेष प्रसिद्ध हैं।
डायरी लेखकों में महात्मा गाँधी, जमनालाल बजाज, बच्चन, मोहन राकेश, धीरेन्द्र वर्मा, मुक्ति बोध (एक साहित्यिक की डायरी), दिनकर, जय प्रकाश के नाम विशेष रूप से उल्लेखनीय हैं।
जीवनी लेखक और जीवनी
हिन्दी की प्रसिद्ध जीवनियों में निराला की साहित्य साधना भाग 1 व 2 (राम विलास शर्मा), कलम का सिपाही (अमृत राय), कलम का जादूगर (मदन गोपाल) तथा आवारा मसीहा (विष्णु प्रभाकर) पर्याप्त चर्चा का विषय रही है।
उदाहरण
क्रम | जीवनी | जीवनीकार (लेखक) |
---|---|---|
1. | भक्तमाल (1585 ई.) | नाभा दास |
2. | चौरासी वैष्णवन की वार्ता, दो सौ बावन वैष्णवन की वार्ता (17 वी सदी ई.) | गोसाई गोकुलनाथ |
3. | दयानंद दिग्विजय (1881 ई.) | गोपाल शर्मा शास्त्री |
4. | नेपोलियन बोनापार्ट का जीवन चरित्र (1883 ई.) | रमाशंकर व्यास |
5. | महाराजा मान सिंह का जीवन चरित्र (1883 ई.), राजा मालदेव (1889 ई.), उदय सिंह महाराजा (1893 ई.), जसवंत सिंह (1896 ई.), प्रताप सिंह महाराणा (1903ई.), संग्राम सिंह राणा (1904 ई.) | देवी प्रसाद मुंसिफ |
6. | अहिल्याबाई का जीवन चरित्र (1887 ई.), छत्रपति शिवाजी का जीवन चरित्र (1890 ई.), मीराबाई का जीवन चरित्र (1893 ई.) | कार्तिक प्रसाद खत्री |
7. | श्री नागरीदास जी का जीवन चरित्र (1894 ई.), कविवर बिहारी लाल (1895 ई.), सूरदास (1900 ई.), भारतेन्दु हरिश्चन्द्र का जीवन चरित्र (1904 ई.) | राधाकृष्ण दास |
8. | स्वामी दयानंद महाराज का जीवन चरित्र (1896 ई.) | बलभद्र मिश्र |
9. | कर्नल जेम्स टॉड (1902 ई.) | गौरीशंकर हीराचंद ओझा |
10. | हरिश्चन्द्र (1905 ई.) | शिवनंदन सहाय |
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