डायरी
डायरी लेखन व्यक्ति के द्वारा अपने अभुभवों, सोच और भावनाओं को लिखित रूप में अंकित करके बनाया गया एक संग्रह है। विश्व में हुए महान व्यक्ति डायरी लेखन का कार्य करते थे और उनके अनुभवों से उनके निधन के बाद भी कई लोगों को प्रेरणा मिलती थी।
डायरी गद्य साहित्य की एक प्रमुख विधा है इसमें लेखक आत्म साक्षात्कार करता है। वह अपने आपसे सम्प्रेषण की स्थिति में होता है।
डायरी क्या है?
‘डायरी’ अर्थात ‘जो प्रतिदिन लिखी जाए’। हर दिन की विशेष घटनाएँ-प्रिय अथवा अप्रिय, जिन्होंने भी मन पर प्रभाव छोड़ा हो, डायरी में लिखी जाती हैं।
डायरी कैसे लिखें?
डायरी, अपने भावनाओं को व्यक्त करने का, अपने सपनों और विचारों को रिकॉर्ड करने का और अपनी दैनिक-जीवन के ऊपर एक निजी, सुरक्षित जगह में रखने का एक बेहद खूबसूरत जरिया होती है।
हालांकि डायरी लिखने का कोई एक अकेला, निश्चित तरीका नहीं होता है, लेकिन ऐसे आधारभूत योजनाए जरूर हैं, जिन्हें प्रयोग करके आप अपने लेखन से ज्यादा से ज्यादा पा सकते हैं। अगर आपको समझ नहीं आ रहा है, कि क्या लिखा जाए, तो फिर इन्स्पिरेशनल कोट्स लिखना, नई एंट्रीज की शुरुआत करने में मदद दे सकता है।
डायरी लिखते समय ध्यान रखने योग्य बातें-
- इसे प्रायः सोने जाने से पहले लिखें, ताकि पूरे दिन में घटित सभी विशेष घटनाओं को लिख सकें।
- पृष्ठ में सबसे ऊपर तिथि, दिन तथा लिखने का समय अवश्य लिखें।
- डायरी के अंत में अपने हस्ताक्षर करें, ताकि वह आपके व्यक्तिगत दस्तावेज बन सकें।
- अपने अनुभव को स्पष्टता से व्यक्त किया जाना चाहिए।
- डायरी में स्थान और तिथि का जिक्र होना चाहिए।
- इसमें अपना विश्लेषण, समाज आदि पर प्रभाव और निष्कर्ष दर्ज होना चाहिए।
- डायरी लिखते समय सरल व स्पष्ट भाषा का प्रयोग करें।
- डायरी में दर्ज विवरण संक्षिप्त होना चाहिए।
आत्मकथा, जीवनी और डायरी में संबंध
आत्मकथा, जीवनी और डायरी तीनों के माध्यम से किसी व्यक्ति विशेष का सम्पूर्ण अथवा आंशिक जीवन हमारे सम्मुख प्रस्तुत किया जाता है। आत्मकथा में भी व्यक्ति जीवन वृतांत लिखता हैं। परन्तु वह स्वयं द्वारा लिखा जाता है जबकि जीवनी में लेखक किसी दूसरे के जीवन के जीवन वृत को लिखता है। जीवनी में लेखन की शैली वर्णात्मक होती है।
आत्मकथा और जीवनी में अंतर
जीवनी और आत्मकथा का उद्देश्य प्रायः समान होते हुए भी दोनों में अंतर यह है कि जीवनी दूसरे व्यक्ति द्वारा लिखी जाती है और इसलिए उसकी प्रामाणिकता अपेक्षाकृत कम होती है। इसमें बहुत-सी बातें अनुमानाश्रित रहती हैं जबकि आत्मकथा में सभी तथ्य सत्याश्रित होते हैं। साथ ही जीवनी वस्तुनिष्ठ होती है और आत्मकथा आत्मनिष्ठ।
आत्मकथा और डायरी में अंतर
- आत्मकथा और डायरी में सब कुछ सत्याश्रित और आत्मनिष्ठ होते हुए भी पूर्ण साम्य नहीं है।
- डायरी काल क्रमानुसार होती है, आत्मकथा नहीं।
- डायरी में लेखक सभी तथ्यों को तुरंत ही अंकित कर लेता है जबकि आत्मकथा में जीवन का थोड़ा बहुत अंश तो अवश्य ही स्मृति जन्य होता है।
- इसके अतिरिक्त डायरी में सदैव ताजा अनुभव ही निबद्ध रहते हैं, जबकि आत्मकथा में ताजा अनुभवों को नहीं अपितु रचनाकाल तक हुए सभी अनुभवों को एक माला में विपरीत प्रस्तुत किया जाता है।
हिन्दी में बनारसी दास जैन की पद्यबद्ध आत्मकथा ‘अर्धकथानक‘ (1941) पहली आत्मकथा स्वीकार की जाती है, परंतु गद्य में भवानी दयाल संन्यासी कृत ‘प्रवासी की आत्मकथा‘ इस विधा की पहली महत्त्वपूर्ण कृति मानी जाती है।
अन्य आत्मकथा लेखकों में महात्मा गाँधी, जवाहर लाल नेहरू, श्याम सुन्दर दास (मेरी आत्म कहानी), वियोगी हरि, विनोद शंकर व्यास, बच्चन, पांडेय बेचन शर्मा ‘उग्र’, देवेन्द्र सत्यार्थी आदि विशेष प्रसिद्ध हैं।
हिन्दी की प्रसिद्ध जीवनियों में “निराला की साहित्य साधना भाग 1 व 2” – राम विलास शर्मा, कलम का सिपाही (अमृत राय), कलम का जादूगर (मदन गोपाल) तथा आवारा मसीहा (विष्णु प्रभाकर) पर्याप्त चर्चा का विषय रही है।
डायरी लेखक और डायरी
डायरी लेखकों में महात्मा गाँधी, जमनालाल बजाज, बच्चन, मोहन राकेश, धीरेन्द्र वर्मा, मुक्ति बोध (एक साहित्यिक की डायरी), दिनकर, जय प्रकाश के नाम विशेष रूप से उल्लेखनीय हैं।
देंखें अन्य हिन्दी साहित्य की विधाएँ– नाटक , एकांकी , उपन्यास , कहानी , आलोचना , निबन्ध , संस्मरण , रेखाचित्र , आत्मकथा, जीवनी , डायरी , यात्रा व्रत्त , रिपोर्ताज , कविता आदि।