भक्ति काल की रचनाएं
भक्तिकाल का साहित्य अनेक अमूल्य रचनाओं का सागर है, इतना समृद्ध साहित्य किसी भी दूसरी भाषा का नहीं है और न ही किसी अन्य भाषा की परम्परा का साहित्य एवं रचनाएँ अविच्छिन्न प्रवाह के रूप में इतने दीर्घ काल तक रहने पाई है। भक्ति काल की मुख्य रचना एवं रचयिता या रचनाकार इस list में नीचे दिये हुए हैं।
भक्ति काल (Bhakti Kaal Hindi Sahitya – 1350 ई० – 1650 ई०) : भक्तिकाल को हिंदी साहित्य का स्वर्ण काल कहा जाता है। भक्ति काल के उदय के बारे में सबसे पहले जॉर्ज ग्रियर्सन ने मत व्यक्त किया वे इसे “ईसायत की देंन” मानते हैं। भक्तिकाल को चार भागों में विभक्ति किया गया है- 1. संत काव्य, 2. सूफी काव्य, 3. कृष्ण भक्ति काव्य, 4. राम भक्ति काव्य। (विस्तार से जानें- Bhakti Kaal Hindi Sahitya)
भक्ति काल के कवि
भक्तिकाल के प्रमुख कवियों में कबीरदास, रैदास, मलूक दास, असाइत, मुल्ला दाऊद, कुतबन, जायसी, सूरदास, छीत स्वामी, नरोत्तमदास, रसखान, मीराबाई, रामानंद, तुलसीदास, छीहल, केशव दास आदि आते हैं।
भक्ति काल के कवि और उनकी रचनाएं
भक्ति काल की मुख्य रचना एवं रचयिता या रचनाकार को चार भागों में विभक्ति किया गया है। जो इस प्रकार हैं-
1. संत काव्य
क्रम |
कवि(रचनाकर) |
काव्य (रचनाएँ) |
1. |
कबीरदास (निर्गुण पंथ के प्रवर्तक) |
बीजक (1. रमैनी 2. सबद 3. साखी; संकलन धर्मदास) |
2. |
रैदास |
बानी |
3. |
नानक देव |
ग्रंथ साहिब में संकलित (संकलन- गुरु अर्जुन देव) |
4. |
सुंदर दास |
सुंदर विलाप |
5. |
मलूक दास |
रत्न खान, ज्ञानबोध |
2. सूफी काव्य
क्रम |
कवि(रचनाकर) |
काव्य (रचनाएँ) |
1. |
असाइत |
हंसावली |
2. |
मुल्ला दाऊद |
चंदायन या लोरकहा |
3. |
मंझन |
मधुमालती |
4. |
कुतबन |
मृगावती |
5. |
उसमान |
चित्रावती |
6. |
जायसी |
पद्मावत, अखरावट, आखिरी कलाम, कन्हावत |
7. |
आलम |
माधवानल कामकंदला |
8. |
शेख नबी |
ज्ञान दीपक |
9. |
पुहकर |
रस रतन |
10. |
दामोदर कवि |
लखमसेन पद्मावती कथा |
11. |
नंद दास |
रूप मंजरी |
12. |
ईश्वर दास |
सत्यवती कथा |
13. |
नूर मुहम्मद |
इंद्रावती, अनुराग बाँसुरी |
3. कृष्ण भक्ति काव्य
क्रम |
कवि(रचनाकर) |
काव्य (रचनाएँ) |
1. |
सूरदास |
सूरसागर, सूरसारावली, साहित्य लहरी, भ्रमरगीत (सूरसागर से संकलित अंश) |
2. |
परममानंद दास |
परमानंद सागर |
3. |
कृष्ण दास |
जुगलमान चरित्र |
4. |
कुंभन दास |
फुटकल पद |
5. |
छीत स्वामी |
फुटकल पद |
6. |
गोविंद स्वामी |
फुटकल पद |
7. |
चतुर्भुज दास |
द्वादशयश, भक्ति प्रताप, हितजू को मंगल |
8. |
नंद दास |
रास पंचाध्यायी, भंवर गीत (प्रबंध काव्य) |
9. |
श्री भट्ट |
युगल शतक |
10. |
हित हरिवंश |
हित चौरासी |
11. |
स्वामी हरिदास |
हरिदास जी के पद |
12. |
ध्रुव दास |
भक्त नामावली, रसलावनी |
13. |
मीराबाई |
नरसी जी का मायरा, गीत गोविंद टीका, राग गोविंद, राग सोरठ के पद |
14. |
रसखान |
प्रेम वाटिका, सुजान रसखान, दानलीला |
15. |
नरोत्तमदास |
सुदामा चरित |
4. राम भक्ति काव्य
क्रम |
कवि(रचनाकर) |
काव्य (रचनाएँ) |
1. |
रामानंद |
राम आरती |
2. |
अग्र दास |
रामाष्टयाम, राम भजन मंजरी |
3. |
ईश्वर दास |
भरत मिलाप, अंगद पैज |
4. |
तुलसीदास |
रामचरित मानस (प्र०), गीतावली, कवितावली, विनयपत्रिका, दोहावली, कृष्ण गीतावली, पार्वती मंगल, जानकी मंगल, बरवै रामायण (प्र०), रामाज्ञा प्रश्नावली, वैराग्य संदीपनी, राम लला नहछू |
5. |
नाभादास |
भक्त माल |
6. |
केशव दास |
रामचन्द्रिका (प्रबंध काव्य) |
7. |
नरहरि दास |
पौरुषेय रामायण |
5. विविध रचनाकर एवं रचनाएँ
क्रम |
कवि(रचनाकर) |
काव्य (रचनाएँ) |
1. |
छीहल |
पंचसहेली |
2. |
लालच दास |
हरिचरित, भागवत दशम स्कंध भाषा |
3. |
महापात्र नरहरि बंदीजन |
रुक्मिणी मंगल, छप्पय नीति, कवित्त संग्रह |
4. |
आलम |
माधवानल कामकंदला |
5. |
मनोहर कवि |
शत प्रश्नोत्तरी |
6. |
बलभद्र मिश्र |
हनुमन्नाटक |
7. |
केशव दास |
कविप्रिया, रसिक प्रिया, वीर सिंह देव चरित (प्र०), विज्ञान गीता, रतनबावनी, जहाँगीर जस चंद्रिका |
8. |
रहीम (अब्दुर्रहीम खाने खाना) |
रहीम दोहावली या सतसई, बरवै नायिका भेद, श्रृंगार सोरठा, मदनाष्टक, रास पंचाध्यायी, रहीम रत्नावली |
9. |
सेनापति |
काव्य कल्पद्रुम |
10. |
पुहकर कवि |
रस रतन |
11. |
सुंदर |
सुंदर श्रृंगार |
12. |
लालचंद |
पद्मिनी चरित्र |
अष्टछाप के कवि
वल्लभाचार्य के शिष्य |
1. सूरदास 2. कुंभन दास 3, परमानंद दास 4. कृष्ण दास |
विट्ठलनाथ के शिष्य |
5. छीत स्वामी 6. गोविंद स्वामी 7. चतुर्भुज दास 8. नंद दास |
भक्ति काल की रचनाएँ और रचनाकार उनके कालक्रम की द्रष्टि से बहुत महत्वपूर्ण हैं। इस पृष्ठ में भक्ति काल के साहित्य, काव्य, रचनाएं, रचनाकार, कवि, साहित्यकार या लेखक दिये हुए हैं। भक्ति काल की प्रमुख गद्य रचनाएँ एवं रचयिता या रचनाकार की table या list विभिन्न परीक्षाओं की द्रष्टि से बहुत ही उपयोगी है।