आत्मकथा – आत्मकथा क्या है? आत्मकथा का अर्थ, भेद, अंतर और उदाहरण

ATMAKATHA - LEKHAK, PRAMUKH ATMAKATHAYE

आत्मकथा

लेखक जब स्वयं अपने जीवन को लेखाकार अथवा पुस्तकाकार रूप में हमारे सामने रखता है, तब उसे आत्मकथा कहा जाता है। आत्मकथा गद्य की एक नवीन विधा है। यह उपन्यासकहानी, जीवनी की भाँति लोकप्रिय है। इसमें लेखक अपनी अन्तरंग जीवन-झाँकी चित्रित करता है। परंतु इस आत्मकथा में वह अपने विवेकानुसार अनावश्यक आवश्यक घटनाओं का चुनाव करता है।

आत्मकथा क्या है?

इस संबंध में राय पेस्कल का विचार है, आत्मकथा में जीवन की उलझी हुई प्रक्रिया के बीच में तथ्यों का चुनाव, महत्त्वपूर्ण घटनाओं का विभाजन, विश्लेषण, अभिव्यक्ति का चुनाव इन सबका आधार लेखकीय दृष्टिकोण से निश्चित होता है।

आत्मकथा में अतीत और वर्तमान में अंतर्संबंध होना भी अनिवार्य है। आत्मकथा अन्तत: कथा ही है, इसलिए प्राय: इसमें औपन्यासिक शैली का प्रयोग किया जाता है।

आत्मकथा में एक बड़ी आशंका लेखक के तटस्थ न रह पाने की होती है। कोई भी आत्मकथा जितनी तटस्थ दृष्टि से लिखी जायेगी वह उतनी ही सफल होगी। साथ ही, इस कथा को लेखकीय जीवन-दृष्टि की परिचायिका का भी अवश्य होना चाहिए।

आत्मकथा, जीवनी और डायरी में संबंध

आत्मकथा, जीवनी और डायरी तीनों के माध्यम से किसी व्यक्ति विशेष का सम्पूर्ण अथवा आंशिक जीवन हमारे सम्मुख प्रस्तुत किया जाता है। आत्मकथा में भी व्यक्ति जीवन वृतांत लिखता हैं। परन्तु वह स्वयं द्वारा लिखा जाता है जबकि जीवनी में लेखक किसी दूसरे के जीवन के जीवन वृत को लिखता है। जीवनी में लेखन की शैली वर्णात्मक होती है।

आत्मकथा और जीवनी में अंतर

जीवनी और आत्मकथा का उद्देश्य प्रायः समान होते हुए भी दोनों में अंतर यह है कि जीवनी दूसरे व्यक्ति द्वारा लिखी जाती है और इसलिए उसकी प्रामाणिकता अपेक्षाकृत कम होती है। इसमें बहुत-सी बातें अनुमानाश्रित रहती हैं जबकि आत्मकथा में सभी तथ्य सत्याश्रित होते हैं। साथ ही जीवनी वस्तुनिष्ठ होती है और आत्मकथा आत्मनिष्ठ।

आत्मकथा और डायरी में अंतर

  • आत्मकथा और डायरी में सब कुछ सत्याश्रित और आत्मनिष्ठ होते हुए भी पूर्ण साम्य नहीं है।
  • डायरी काल क्रमानुसार होती है, आत्मकथा नहीं।
  • डायरी में लेखक सभी तथ्यों को तुरंत ही अंकित कर लेता है जबकि आत्मकथा में जीवन का थोड़ा बहुत अंश तो अवश्य ही स्मृति जन्य होता है।
  • इसके अतिरिक्त डायरी में सदैव ताजा अनुभव ही निबद्ध रहते हैं, जबकि आत्मकथा में ताजा अनुभवों को नहीं अपितु रचनाकाल तक हुए सभी अनुभवों को एक माला में विपरीत प्रस्तुत किया जाता है।

आत्मकथा लेखक और आत्मकथायें

हिन्दी में बनारसी दास जैन की पद्यबद्ध आत्मकथा ‘अर्धकथानक’ (1941) पहली आत्मकथा स्वीकार की जाती है, परंतु गद्य में भवानी दयाल संन्यासी-कृत प्रवासी की आत्मकथा इस विधा की पहली महत्त्वपूर्ण कृति मानी जाती है।

अन्य आत्मकथा लेखकों में महात्मा गाँधी, जवाहर लाल नेहरू, श्याम सुन्दर दास (मेरी आत्म कहानी), वियोगी हरि, विनोद शंकर व्यास, बच्चन, पांडेय बेचन शर्मा, ‘उग्र’, देवेन्द्र सत्यार्थी आदि विशेष प्रसिद्ध हैं।

आत्मकथा के भेद

हिन्दी के आत्मकथाएं रचनाओं के आधार पर चार प्रकार के भागों में बांटा गया है। जो निम्नलिखित है-

  1. मौलिक आत्मकथाएं
  2. महिला लेखन धारा की आत्मकथाएं
  3. दलित लेखन धारा की आत्मकथाएं
  4. अनुदित आत्मकथाएं

मौलिक आत्मकथाएं

क्रम आत्मकथा आत्मकथाकार
1. अर्द्धकथानक (1641 ई.) बनारसीदास जैन
2. स्वरचित आत्मचरित (1879 ई.) दयानंद सरस्वती
3. मुझमें देव जीवन का विकास (1909 ई.) सत्यानंद अग्निहोत्री
4. मेरे जीवन के अनुभव (1914 ई.) संत राय
5. फिजी द्वीप में मेरे इक्कीस वर्ष (1914 ई.) तोताराम सनाढ्य
6. मेरा संक्षिप्त जीवन चरित्र-मेरा लिखित (1920 ई.) राधाचरण गोस्वामी
7. आपबीता : काले पानी के कारावास की कहानी (1921 ई.) भाई परमानंद
8. कल्याण मार्ग का पथिक (1925 ई.) स्वामी श्रद्धानंद
9. आपबीती (1933 ई.) लज्जाराम मेहता शर्मा
10. मैं क्रांतिकारी कैसे बना (1933 ई.) राम विलास शुक्ल

महिला लेखन धारा की आत्मकथाएं

क्रम आत्मकथा लेखिका
1. दस्तक जिन्दगी की (1990ई.); मोड़ जिन्दगी का (1996 ई.) प्रतिभा अग्रवाल
2. जो कहा नहीं गया (1996 ई.) कुसुम अंसल
3. लगता नहीं है दिल मेरा (1997 ई.) कृष्णा अग्निहोत्री
4. बूंद बावड़ी (1999 ई.) पद्मा सचदेव
5. कुछ कही कुछ अनकही (2000 ई.) शीला झुनझुनवाला
6. कस्तूरी कुण्डल बसै (2002 ई.); गुड़िया भीतर गुड़िया (2008 ई.) मैत्रेयी पुष्पा
7. हादसे (2005 ई.) रमणिका गुप्ता
8. एक कहानी यह भी (2007 ई.) मन्नू भण्डारी
9. अन्या से अनन्या (2007 ई.) प्रभा खेतान
10. पिंजड़े की मैना (2008 ई.) चन्द्रकिरण सौनरेक्सा

दलित लेखन धारा की आत्मकथाएं

1. अपने-अपने पिंजरे (भाग 1– 1995 ई. भाग 2– 2000 ई.) मोहन नैमिशराय
2. जूठन (1997 ई.) ओम प्रकाश वाल्मीकि
3. तिरस्कृत (2002 ई.); संतप्त (2006 ई.) सूरजपाल चौहान
4. मेरा बचपन मेरे कंधों पर (2009 ई.) श्योराज सिंह बेचैन
5. मुर्दहिया (2010 ई.) डॉ. तुलसीराम
6. शिकंजे का दर्द (2012 ई.) सुशीला टाकभौरे

अनुदित आत्मकथाएं

क्रम आत्मकथाकार आत्मकथा का मूल नाम, भाषा, प्रकाशन वर्ष हिन्दी अनुवाद का नाम
1. मीर तकी मीर जिक्र-ए-मीर, उर्दू, 1783 ई. जिक्रे-मीर
2. मुंशी लुत्फुल्ला एन ऑटोबायोग्राफी, अंग्रेजी, 1848 ई. एक आत्मकथा
3. महात्मा गाँधी आत्मचरित, गुजराती, 1926 ई. आत्मकथा अथवा सत्य के प्रयोग
4. सुभाष चंद्र बोस तरुणे सपन, बांग्ला, 1935 ई. तरुण के स्वप्न
5. जवाहर लाल नेहरू माई स्टोरी, अङ्ग्रेज़ी, 1936 ई. मेरी कहानी
6. वेद मेहता फेस टू फेस, अंग्रेजी, 1958 ई. मेरा जीवन संघर्ष
7. शचीन्द्र नाथ सान्याल बंदी जीवन, बांग्ला, 1963 ई. बंदी जीवन
8. हंसा वाडकर सांगत्ये एका, मराठी, 1972 ई. आभिनेत्री की आपबीती
9. जोश मलीहाबादी अमृता प्रीतम यादों की बारात, उर्दू, 1972 ई. रसीदी टिकट, पंजाबी, 1977 ई. यादों की बारात रसीदी टिकट
10. कमला दास माई स्टोरी, अंग्रेजी, 1977 ई. मेरी कहानी

देखें सम्पूर्ण सूची – प्रमुख आत्मकथा लेखक और आत्मकथायें। देंखें अन्य हिन्दी साहित्य की विधाएँनाटकएकांकीउपन्यासकहानीआलोचनानिबन्धसंस्मरणरेखाचित्रआत्मकथाजीवनीडायरीयात्रा व्रत्तरिपोर्ताजकविता आदि।

डायरी लेखकों में महात्मा गाँधी, जमनालाल बजाज, बच्चन, मोहन राकेश, धीरेन्द्र वर्मा, मुक्ति बोध (एक साहित्यिक की डायरी), दिनकर, जय प्रकाश के नाम विशेष रूप से उल्लेखनीय हैं।

हिन्दी की प्रसिद्ध जीवनियों में निराला की साहित्य साधना भाग 1 व 2 (राम विलास शर्मा), कलम का सिपाही (अमृत राय), कलम का जादूगर (मदन गोपाल) तथा आवारा मसीहा (विष्णु प्रभाकर) पर्याप्त चर्चा का विषय रही है।