प्रबन्ध काव्य (Prabandh Kavya) में कोई प्रमुख कथा काव्य के आदि से अंत तक क्रमबद्ध रूप में चलती है। कथा का क्रम बीच में कहीं नहीं टूटता और गौण कथाएँ बीच-बीच में सहायक बन कर आती हैं। जैसे- रामचरित मानस।
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प्रबंध काव्य की परिभाषा
प्रबन्ध काव्य में एक कथा विभिन्न सर्गों के माध्यम से जुड़ी रहती है। इसमें कोई प्रमुख कथा काव्य के आदि से अंत तक क्रमबद्ध रूप में चलती है। इसमें मुख्य रुप से किसी एक व्यक्ति के संपूर्ण जीवन चरित्र का वर्णन किया जाता है। कथा का क्रम बीच में कहीं नहीं टूटता और गौण कथाएँ बीच-बीच में सहायक बन कर आती हैं।
प्रबन्ध काव्य के भेद
प्रबंध काव्य के तीन प्रकार के भेद होते हैं: महाकाव्य, खण्डकाव्य, और आख्यानक गीतियाँ।
- महाकाव्य
- खण्डकाव्य
- आख्यानक गीतियाँ
1. महाकाव्य
जिस काव्य में किसी महापुरुष के संपूर्ण जीवन वृतांत का व्यापक वर्णन होता है, उसे महाकाव्य कहते हैं। जैसे- तुलसीदास कृत- ‘रामचरितमानस‘, एवं जयशंकर प्रसाद कृत- ‘कामायनी‘, आदि महाकाव्य के उदाहरण हैं। चंदबरदाई कृत “पृथ्वीराज रासो” को हिंदी का प्रथम महाकाव्य कहा जाता है।
प्राचीन आचार्यों के अनुसार महाकाव्य के लक्षण इस प्रकार हैं-
- महाकाव्य में जीवन का चित्रण व्यापक रूप में होता है।
- इसकी कथा इतिहास-प्रसिद्ध होती है।
- इसका नायक उदात्त और महान् चरित्र वाला होता है।
- इसमें वीर, शृंगार तथा शान्तरस में से कोई एक रस प्रधान तथा शेष रस गौण होते हैं।
- महाकाव्य सर्गबद्ध होता है, इसमें कम से कम आठ सर्ग होने चाहिए।
- महाकाव्य की कथा में धारावाहिकता तथा हृदय को भाव-विभोर करने वाले मार्मिक प्रसंगों का समावेश भी होना चाहिए।
आधुनिक युग में महाकाव्य के प्राचीन प्रतिमानों में परिवर्तन हुआ है। अब इतिहास के स्थान पर मानव-जीवन की कोई भी घटना, कोई भी समस्या, इसका विषय हो सकती है। महान् पुरुष के स्थान पर समाज का कोई भी व्यक्ति इसका नायक हो सकता है। परन्तु उस पात्र में विशेष क्षमताओं का होना अनिवार्य है। हिन्दी के कुछ प्रसिद्ध महाकाव्य हैं- ‘पद्मावत‘, ‘रामचरितमानस‘, ‘साकेत‘, ‘प्रियप्रवास‘, ‘कामायनी‘, ‘उर्वशी‘, ‘लोकायतन‘ आदि।
2. खण्डकाव्य
खण्डकाव्य में नायक के जीवन के व्यापक चित्रण के स्थान पर उसके किसी एक पक्ष, अंश अथवा रूप का चित्रण होता है। लेकिन महाकाव्य का संक्षिप्त रूप अथवा एक सर्ग, खण्डकाव्य नहीं होता है। खण्डकाव्य में अपनी पूर्णता होती है। पूरे खण्डकाव्य में एक ही छन्द का प्रयोग होता है।
‘पंचवटी’, ‘जयद्रथ-वध’, ‘नहुष’, ‘सुदामा-चरित’, ‘पथिक’, ‘गंगावतरण’, ‘हल्दीघाटी’, ‘जय हनुमान’ आदि हिन्दी के कुछ प्रसिद्ध खण्डकाव्य हैं।
3. आख्यानक गीतियाँ
महाकाव्य और खण्डकाव्य से भिन्न पद्यबद्ध कहानी का नाम आख्यानक गीति है। इसमें वीरता, साहस, पराक्रम, बलिदान, प्रेम और करुणा आदि से सम्बन्धित प्रेरक घटनाओं का चित्रण होता है। इसकी भाषा सरल, स्पष्ट और रोचक होती है। गीतात्मकता और नाटकीयता इसकी विशेषताएँ हैं। ‘झाँसी की रानी’, ‘रंग में भंग’, “विकट भद’ आदि रचनाएँ आख्यानक गीतियों में आती हैं।
प्रबन्ध काव्य के भेद के उदाहरण
हिन्दी के प्रबन्ध काव्य में महाकाव्य के उदाहरण: ‘पद्मावत’, ‘रामचरितमानस’, ‘साकेत’, ‘प्रियप्रवास’, ‘कामायनी’, ‘उर्वशी’, ‘लोकायतन’ आदि हिन्दी के कुछ प्रसिद्ध महाकाव्य हैं।
संस्कृत के प्रबन्ध काव्य में महाकाव्य के उदाहरण: रामायण (वाल्मीकि) नायक -राम, महाभारत (वेद व्यास)- नायक-कर्ण, बुद्धचरित (अश्वघोष)-नायक-बुद्ध्, भट्टिकाव्य (भट्टि), कुमारसंभव (कालिदास), रघुवंश (कालिदास) नायक- राम, कर्णभारम (भास), शिशुपाल वध (माघ), नैषधीय चरित (श्रीहर्ष) आदि।
हिन्दी के प्रबन्ध काव्य में खण्डकाव्य के उदाहरण: ‘पंचवटी’, ‘जयद्रथ-वध’, ‘नहुष’, ‘सुदामा-चरित’, ‘पथिक’, ‘गंगावतरण’, ‘हल्दीघाटी’, ‘जय हनुमान’ आदि हिन्दी के कुछ प्रसिद्ध खण्डकाव्य हैं।
प्रबंध काव्य में गीतिकाव्य के उदाहरण: ‘झाँसी की रानी’, ‘रंग में भंग’, “विकट भद’ आदि रचनाएँ आख्यानक गीतियों में आती हैं।
प्रबंध काव्य की विशेषताएं
प्रबन्ध काव्य में एक कथा विभिन्न सर्गों के माध्यम से जुड़ी रहती है।
इसमें कोई प्रमुख कथा काव्य के आदि से अंत तक क्रमबद्ध रूप में चलती है।
इसमें मुख्य रुप से किसी एक व्यक्ति के संपूर्ण जीवन चरित्र का वर्णन किया जाता है।
कथा का क्रम बीच में कहीं नहीं टूटता और गौण कथाएँ बीच-बीच में सहायक बन कर आती हैं।
काव्य के दो भेद माने जाते हैं- दृश्य और श्रव्य।
1. श्रव्य काव्य: श्रव्य-काव्य वह काव्य है, जो कानों से सुना जाता है। श्रव्य-काव्य के दो भेद है-
- प्रबन्ध काव्य
- मुक्तक काव्य
- पाठ्य मुक्तक
- गेय मुक्तक
2. दृश्य काव्य: दृश्य-काव्य वह है, जो अभिनय के माध्यम से देखा-सुना जाता है, जैसे- नाटक। दृश्य काव्य को पुनः दो भेदों में विभक्त किया जाता है-
- रूपक
- उपरूपक
दृश्य काव्य या रूपक के 10 भेद स्वीकारे गए हैं और उपरूपक के 3 भेद बताए गए हैं।
FAQs
1. प्रबन्ध काव्य किसे कहते हैं? परिभाषा सहित लिखो।
प्रबन्ध काव्य में कोई प्रमुख कथा काव्य के आदि से अंत तक क्रमबद्ध रूप में चलती है। काव्य का क्रम बीच में कहीं नहीं टूटता और गौण कथाएँ बीच-बीच में सहायक बन कर आती हैं।
2. प्रबन्ध काव्य कितने प्रकार का होता है?
प्रबंध काव्य के तीन भेद होते हैं- महाकाव्य, खण्डकाव्य, और आख्यानक गीतियाँ।
3. प्रबन्ध काव्य के उदाहरण लिखो।
पद्मावत’, ‘रामचरितमानस’, ‘साकेत’, ‘प्रियप्रवास’, ‘कामायनी’, ‘उर्वशी’, ‘लोकायतन आदि।
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