देशभक्ति कविताएं: हमारी राष्ट्रीय भावना को प्रेरित करने वाली कविताएँ
देशभक्ति कविता हिंदी में एक अद्भुत माध्यम है, जिसके द्वारा हम अपने देश के प्रति अपनी भावनाओं को व्यक्त कर सकते हैं। चाहे वह easy desh bhakti poem in hindi हो या heart touching desh bhakti poem in hindi, ये कविताएँ हमारे दिलों में देशप्रेम की एक नई ऊर्जा भर देती हैं। इन कविताओं के माध्यम से हम अपने महान देश की वीरता, संघर्ष और समृद्ध इतिहास को याद कर सकते हैं। यह कविताएँ न सिर्फ हमारे कर्तव्यों को उजागर करती हैं, बल्कि हमें अपने देश के प्रति जिम्मेदारियों का अहसास भी कराती हैं।
Deshbhakti poem in hindi के जरिए हम अपने देश के प्रति अपनी निष्ठा और प्रेम को व्यक्त कर सकते हैं। इन कविताओं में छुपे भावनाओं का संदेश हर दिल को छूने वाला होता है। विशेष रूप से easy desh bhakti poem in hindi उन लोगों के लिए आदर्श होती हैं, जो देशप्रेम के महत्व को सरल और प्रभावशाली तरीके से समझना चाहते हैं। यही नहीं, heart touching desh bhakti poem in hindi एक गहरी प्रेरणा देती हैं, जो हर भारतीय को अपने देश के प्रति गर्व और सम्मान का अहसास कराती हैं। इन कविताओं के माध्यम से हम अपने देश की स्वतंत्रता, समृद्धि और सुरक्षा के महत्व को समझते हैं और इस दिशा में सकारात्मक कदम उठाने की प्रेरणा पाते हैं।
आगे ऐसी ही ‘20+ Desh Bhakti Poem in Hindi‘ दीं गईं हैं, जिन कविताओं के माध्यम से देशप्रेम छलकता है:-
1. सारे जहाँ से अच्छा, हिन्दोस्ताँ हमारा – गुलाम अहमद (Iqbāl)
सारे जहाँ से अच्छा, हिन्दोस्ताँ हमारा
हम बुलबुलें हैं इसकी, यह गुलिस्ताँ हमारा
ग़ुरबत में हों अगर हम, रहता है दिल वतन में
समझो वहीं हमें भी, दिल हो जहाँ हमारा
परबत वो सबसे ऊँचा, हमसाया आसमाँ का
वो संतरी हमारा, वो पासबाँ हमारा
गोदी में खेलती हैं, जिसकी हज़ारों नदियाँ
गुलशन है जिसके दम से, रश्क-ए-जिनाँ हमारा
ऐ आब-ए-रूद-ए-गंगा! वो दिन है याद तुझको
उतरा तेरे किनारे, जब कारवाँ हमारा
मज़हब नहीं सिखाता, आपस में बैर रखना
हिन्दी हैं हम, वतन है हिन्दोस्ताँ हमारा
यूनान-ओ-मिस्र-ओ- रोमा, सब मिट गए जहाँ से
अब तक मगर है बाकी, नाम-ओ-निशाँ हमारा
कुछ बात है कि हस्ती मिटती नहीं हमारी
सदियों रहा है दुश्मन, दौर-ए-जहाँ हमारा
‘इक़बाल’ कोई महरम, अपना नहीं जहाँ में
मालूम क्या किसी को, दर्द-ए-निहाँ हमारा
सारे जहाँ से अच्छा, हिन्दोस्ताँ हमारा
हम बुलबुलें हैं इसकी, यह गुलिसताँ हमारा
2. ये देश है वीर जवानों का – साहिर लुधियानवी
ये देश है वीर जवानों का, अलबेलों का मस्तानों का
इस देश का यारों क्या कहना, ये देश है दुनिया का गहना
यहाँ चौड़ी छाती वीरों की, यहाँ भोली शक्लें हीरों की
यहाँ गाते हैं राँझे मस्ती में, मचती में धूमें बस्ती में
पेड़ों पे बहारें झूलों की, राहों में कतारें फूलों की
यहाँ हँसता है सावन बालों में, खिलती हैं कलियाँ गालों में
कहीं दंगल शोख जवानों के, कहीं करतब तीर कमानों के
यहाँ नित नित मेले सजते हैं, नित ढोल और ताशे बजते हैं
दिलबर के लिये दिलदार हैं हम, दुश्मन के लिये तलवार हैं हम
मैदां में अगर हम डट जाएं, मुश्किल है कि पीछे हट जाएं
3. हिंदी हैं हम वतन है, हिंदोस्तां हमारा – इक़बाल
हिंदी हैं हम वतन हैं हिंदुस्तान हमारा
याद दिलाओं स्वयं को, दोबारा चौबारा
हिंदी हैं हम वतन है, हिंदुस्तान हमारा
मंसा, वाचा, कर्मणा में हरदम लगाओ नारा
हिंदी हैं हम वतन है, हिंदुस्तान हमारा
स्कूलों में हमारे अनिवार्य है, अंग्रेजी में बतियाना
बोलोगें अगर तुम हिंदी, तो लगेगा भारी जुर्माना
स्कूल में आते-जाते बच्चे होते हैं, बहुत ही सादा सच्चे
मिट्टी के हैं ये सांचे, जो ढालो वैसा वतन हमारा
याद दिलाओं स्वयं को, दोबारा चौबारा
हिंदी हैं हम वतन हैं हिंदुस्तान हमारा
बोलो तुम अंग्रेजी, पहनों तो तुम अंग्रेजी
तुम्हारी शान बढ़ेगी, दिखोगे अगर विदेशी
ये माथे की बिंदिया, यह इठलाती हुई चुनरिया
उसपे शब्द हिंदी के क्या गवारों का तुम्हारा घराना?
याद दिलाओं स्वयं को, दोबारा चौबारा
हिंदी हैं हम वतन हैं हिंदुस्तान हमारा
दिमाग से हो चाहे पैदल, घिरे अनैतिकता के बादल
पर हो अंग्रेजी का एक्सेंट, चाहे करो मेढ़कों सी टर्र-टर्र
भाए न अपना सादा भोजन, खाना है दूजे की थाली का खाना
स्वेदेश पे अपनी शर्मिंदगी, विदेश पर तुम्हें है इतराना
याद दिलाओं स्वयं को, दोबारा चौबारा
हिंदी हैं हम वतन हैं हिंदुस्तान हमारा
हिंदी में काम कर लो, हिंदी में काम कर लो
मिलेगा सरकारी प्रोत्साहन, कुछ तो लिहाज़ कर लो
अंग्रेजों के शासन से तो मिल गई हमको मुक्ति,
बीत गए इतने वर्ष, अंग्रेजी न छोड़े दामन हमारा
याद दिलाओं स्वयं को, दोबारा चौबारा
हिंदी हैं हम वतन हैं हिंदुस्तान हमारा
जब मान ही नहीं है मन में
तो देश की शान बढ़ेगी कैसी,
मातृ-भूमि को तज के बोलो
प्रगति की रफ्तार बढ़ेगी कैसे,
जिस मिट्टी में जी रहे हैं, जिस मिट्टी का खा रहे हैं
रखते हैं उसी धरा से खुद को हमेशा अंजाना
याद दिलाओं स्वयं को, दोबारा चौबारा
हिंदी हैं हम वतन हैं हिंदुस्तान हमारा
कहता है बच्चा-बच्चा
कुछ भी नहीं है यहां अच्छा,
गंदगी यहां बहुत है,
भ्रष्टाचारी पहने विजय का तमगा
कुछ करते तो हम नहीं हैं
बस है शिकायतों का ताना-बाना
याद दिलाओं स्वयं को, दोबारा चौबारा
हिंदी हैं हम वतन हैं हिंदुस्तान हमारा
4. मेरे देश की धरती सोना उगले, उगले हीरे मोती – इन्दीवर
मेरे देश की धरती सोना उगले, उगले हीरे मोती,
मेरे देश की धरती..
बैलों के गले में जब घुंघरू जीवन का राग सुनाते हैं,
ग़म कोस दूर हो जाता है खुशियों के कंवल मुस्काते हैं,
सुनके रहट की आवाज़ें यूं लगे कहीं शहनाई बजे,
आते ही मस्त बहारों के दुल्हन की तरह हर खेत सजे,
मेरे देश की धरती सोना उगले, उगले हीरे मोती,
मेरे देश की धरती…
जब चलते हैं इस धरती पे हल ममता अंगड़ाइयाँ लेती है,
क्यूं ना पूजे इस माटी को जो जीवन का सुख देती है,
इस धरती पे जिसने जनम लिया, उसने ही पाया प्यार तेरा,
यहां अपना पराया कोई नहीं है सब पे है मां उपकार तेरा,
मेरे देश की धरती सोना उगले, उगले हीरे मोती,
मेरे देश की धरती…
ये बाग़ है गौतम नानक का खिलते हैं चमन के फूल यहां,
गांधी, सुभाष, टैगोर, तिलक, ऐसे हैं अमन के फूल यहां,
रंग हरा हरी सिंह नलवे से रंग लाल है लाल बहादुर से,
रंग बना बसंती भगत सिंह रंग अमन का वीर जवाहर से,
मेरे देश की धरती सोना उगले, उगले हीरे मोती,
मेरे देश की धरती,
5. माँ तुझे सलाम – लता मंगेशकर
वन्दे मातरम !!
वन्दे मातरम !!
एहसास थोड़ा तो जगाये,
अपने दिलों में हम,
वन्दे मातरम !!
वन्दे मातरम !!
क्या नाम है अपना जहां में,
खड़े हैं कहाँ पे हम,
वन्दे मातरम !!
वन्दे मातरम !!
हैं हमे जाना कहाँ और,
चले हैं कहाँ पे हम ,
हम से पूछे है ये बात रे वतन ,
वन्दे मातरम !!
वन्दे मातरम !!
हो..हो..हो..हो..
सुजलाम,सुफलाम्,मलयज,शीतलाम,
शष्य श्यामलं मातरम..वन्दे…
जाना है तारों से आगे,
अब ना रुकेंगे हम,
वन्दे मातरम !!
वन्दे मातरम !!
एक नयी सुबह जगाएं,
सारे जहां पे हम,
हिमायत करें आगे बढ़ें अब,
नये रास्तों पे हम,
वन्दे मातरम !!
वन्दे मातरम !!
सारी दुनिया अभिवादरे वतन,
माँ तुझे सलाम…माँ तुझे सलाम..
माँ तुझे सलाम…माँ तुझे सलाम..
एहसास थोड़ा तो जगाये,
क्या नाम है अपना जहां में,
एक नयी सुबह जगाएं,
अरे इंतज़ार है जहां को….
6. अब तुम्हारे हवाले वतन साथियों – कैफ़ी आज़मी
कर चले हम फ़िदा, जान-ओ-तन साथीयों
अब तुम्हारे हवाले वतन साथीयों …
सांस थमती गई, नब्ज जमती गई,
फिर भी बढ़ते कदम को ना रुकने दिया
कट गये सर हमारे तो कुछ ग़म नहीं
सर हिमालय का हमने न झुकने दिया
मरते मरते रहा बाँकपन साथीयों
अब तुम्हारे हवाले वतन साथीयों …
जिन्दा रहने के मौसम बहुत हैं मगर
जान देने की रुत रोज आती नहीं
हुस्न और इश्क दोनो को रुसवा करे
वो जवानी जो खूँ में नहाती नहीं
बाँध लो अपने सर पर कफ़न साथीयों
अब तुम्हारे हवाले वतन साथीयों …
राह कुर्बानियों की ना वीरान हो
तुम सजाते ही रहना नये काफ़िले
फ़तह का जश्न इस जश्न के बाद है
जिन्दगी मौत से मिल रही है गले
आज धरती बनी है दुल्हन साथीयों
अब तुम्हारे हवाले वतन साथीयों …
खेंच दो अपने खूँ से जमीं पर लकीर
इस तरफ आने पाये ना रावण कोई
तोड़ दो हाथ अगर हाथ उठने लगे
छूने पाये ना सीता का दामन कोई
राम भी तुम तुम्हीं लक्ष्मण साथीयों
अब तुम्हारे हवाले वतन साथीयों …
7. ऐ मेरे वतन के लोगों ज़रा आंख में भर लो पानी – कवि प्रदीप
ऐ मेरे वतन के लोगों
तुम खूब लगा लो नारा
ये शुभ दिन है हम सब का
लहरा लो तिरंगा प्यारा
पर मत भूलो सीमा पर
वीरों ने हैं प्राण गँवाए
कुछ याद उन्हें भी कर लो -2
जो लौट के घर न आये -2
ऐ मेरे वतन के लोगों
ज़रा आँख में भर लो पानी
जो शहीद हुए हैं उनकी
ज़रा याद करो क़ुरबानी
जब घायल हुआ हिमालय
खतरे में पड़ी आज़ादी
जब तक थी साँस लड़े वो
फिर अपनी लाश बिछा दी
संगीन पे धर कर माथा
सो गये अमर बलिदानी
जो शहीद हुए हैं उनकी
ज़रा याद करो क़ुरबानी
जब देश में थी दीवाली
वो खेल रहे थे होली
जब हम बैठे थे घरों में
वो झेल रहे थे गोली
थे धन्य जवान वो अपने
थी धन्य वो उनकी जवानी
जो शहीद हुए हैं उनकी
ज़रा याद करो क़ुरबानी
कोई सिख कोई जाट मराठा
कोई गुरखा कोई मदरासी
सरहद पर मरनेवाला
हर वीर था भारतवासी
जो खून गिरा पर्वत पर
वो खून था हिंदुस्तानी
जो शहीद हुए हैं उनकी
ज़रा याद करो क़ुरबानी
थी खून से लथ-पथ काया
फिर भी बन्दूक उठाके
दस-दस को एक ने मारा
फिर गिर गये होश गँवा के
जब अन्त-समय आया तो
कह गये के अब मरते हैं
खुश रहना देश के प्यारों
अब हम तो सफ़र करते हैं
क्या लोग थे वो दीवाने
क्या लोग थे वो अभिमानी
जो शहीद हुए हैं उनकी
ज़रा याद करो क़ुरबानी
तुम भूल न जाओ उनको
इसलिये कही ये कहानी
जो शहीद हुए हैं उनकी
ज़रा याद करो क़ुरबानी
जय हिन्द…
जय हिन्द की सेना… -2
जय हिन्द, जय हिन्द, जय हिन्द
8. दिल दिया है जान भी देंगे, ऐ वतन तेरे लिए – लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल
मेरा कर्मा तू, मेरा धर्मा तू
तेरा सब कुछ मै, मेरा सब कुछ तू
हम्म… आ आ…
हर करम अपना करेंगे,
ऐ वतन तेरे लिए
दिल दिया है,
जां भी देंगे ऐ वतन तेरे लिए
तू मेरा कर्मा, तू मेरा धर्मा,
तू मेरा अभिमान है
ऐ वतन महबूब मेरे तुझपे दिल कुर्बान है
हम जियेंगे और मरेंगे, ऐ वतन तेरे लिए
दिल दिया है जान भी देंगे…
हिन्दू, मुस्लिम, सिक्ख, ईसाई,
हम वतन हम नाम हैं
जो करे इनको जुदा मज़हब नही इल्जाम है
हम जियेंगे और मरेंगे ऐ वतन तेरे लिए
दिल दिया है जां भी देंगे ऐ वतन तेरे लिए
आ आ….
तेरी गलियों में चलाकर नफरतो को गोलियाँ
लूटते है कुछ लुटेरे दुल्हनों की डोलियाँ
लूट रहे हैं आप वो आपने घरों को लूट कर
खेलते है बेखबर अपने लहू से होलियां
हम जियेंगे और मरेंगे ऐ वतन तेरे लिए
दिल दिया है जां भी देंगे…
9. आओ बच्चों तुम्हें दिखाएं झांकी हिंदुस्तान की – कवि प्रदीप
आओ बच्चों तुम्हें दिखाएं झांकी हिंदुस्तान की
इस मिट्टी से तिलक करो ये धरती है बलिदान की
वंदे मातरम, बंदे मातरम
उत्तर में रखवाली करता पर्वतराज विराट है
दक्षिण में चरणों को धोता सागर का सम्राट है
जमुना जी के तट को देखो गंगा का ये घाट है
बाट-बाट में हाट-हाट में यहाँ निराला ठाठ है
देखो ये तस्वीरें अपने गौरव की अभिमान की
इस मिट्टी से तिलक करो ये धरती हैं बलिदान की
वंदे मातरम, वंदे मातरम
ये हैं अपना राजपूताना नाज़ इसे तलवारों पे
इसने सारा जीवन काटा बरछी तीर कटारों पे
ये प्रताप का वतन पला है आजादी के नारों पे
कूद पड़ी थी यहाँ हजारों पदिमनियाँ अंगारों पे
बोल रही है कण कण से कुर्बानी राजस्थान की
इस मिट्टी से तिलक करो ये धरती है बलिदान की
वंदे मातरम, वंदे मातरम
जलियाँवाला बाग ये देखो यहीं चली थी गोलियां
ये मत पूछो किसने खेली यहाँ खून की होलियां
एक तरफ बंदूकें दन दन एक तरफ थी टोलियां
मरनेवाले बोल रहे थे इंकलाब की बोलियां
यहां लगा दी बहनों ने भी बाजी अपनी जान की
इस मिट्टी से तिलक करो ये धरती है बलिदान की
वंदे मातरम, वंदे मातरम
ये देखो बंगाल यहां का हर चप्पा हरियाला हैं
यहां का बच्चा-बच्चा अपने देश पे मरनेवाला है
ढाला है इसको बिजली ने भूचालों ने पाला है
मुट्ठी में तूफान बंधा है और प्राण में ज्वाला है
जन्मभूमि है यही हमारे वीर सुभाष महान की
इस मिट्टी से तिलक करो ये धरती है बलिदान की
वंदे मातरम, वंदे मातरम
10. है प्रीत जहां की रीत सदा – इन्दीवर
जब ज़ीरो दिया मेरे भारत ने, दुनिया को तब गिनती आई
तारों की भाषा भारत ने, दुनिया को पहले सिखलाई
देता ना दशमलव भारत तो, यूँ चाँद पे जाना मुश्किल था
धरती और चाँद की दूरी का, अंदाज़ लगाना मुश्किल था
सभ्यता जहाँ पहले आई, पहले जनमी है जहाँ पे कला
अपना भारत वो भारत है, जिसके पीछे संसार चला
संसार चला और आगे बढ़ा, ज्यूँ आगे बढ़ा, बढ़ता ही गया
भगवान करे ये और बढ़े, बढ़ता ही रहे और फूले-फले
है प्रीत जहाँ की रीत सदा, मैं गीत वहाँ के गाता हूँ
भारत का रहने वाला हूँ, भारत की बात सुनाता हूँ
काले-गोरे का भेद नहीं, हर दिल से हमारा नाता है
कुछ और न आता हो हमको, हमें प्यार निभाना आता है
जिसे मान चुकी सारी दुनिया, मैं बात वही दोहराता हूँ
भारत का रहने वाला हूँ, भारत की बात सुनाता हूँ
जीते हो किसी ने देश तो क्या, हमने तो दिलों को जीता है
जहाँ राम अभी तक है नर में, नारी में अभी तक सीता है
इतने पावन हैं लोग जहाँ, मैं नित-नित शीश झुकाता हूँ
भारत का रहने वाला हूँ, भारत की बात सुनाता हूँ
इतनी ममता नदियों को भी, जहाँ माता कहके बुलाते हैं
इतना आदर इन्सान तो क्या, पत्थर भी पूजे जाते हैं
उस धरती पे मैंने जन्म लिया, ये सोच के मैं इतराता हूँ
भारत का रहने वाला हूँ, भारत की बात सुनाता हूँ
11. मेरा मुल्क मेरा देश मेरा ये वतन – जावेद अख़्तर
मेरा मुल्क, मेरा देश, मेरा ये वतन
शांति का उन्नति का प्यार का चमन
इसके वास्ते निसार है मेरा तन, मेरा मन
ऐ वतन, ऐ वतन, ऐ वतन
जानेमन जानेमन जानेमन
मेरा मुल्क मेरा देश…
इसकी मिट्टी से बने, तेरे मेरे ये बदन
इसकी धरती तेरे-मेरे वास्ते गगन
इसने ही सिखाया हमको जीने का चलन
इसके वास्ते निसार है…
अपने इस चमन को स्वर्ग हम बनायेंगे
कोना-कोना अपने देश का सजायेंगे
जश्न होगा ज़िन्दगी का होंगे सब मगन
इसके वास्ते निसार है…
12. मां तुझे सलाम – ए आर रहमान
यहाँ वहाँ सारा जहाँ देख लिया
अब तक भी तेरे जैसा कोई नहीं
मैं ऐसे ही नहीं सौ दिन दुनिया घूमा हूँ
नहीं कहीं तेरे जैसा कोई नहीं
मै गया जहाँ भी, बस तेरी याद थी
जो मेरे साथ थी मुझको तड़पाती रुलाती
सब से प्यारी तेरी सूरत
प्यार है बस तेरा, प्यार ही
माँ तुझे सलाम, माँ तुझे सलाम
अम्मा तुझे सलाम, माँ तुझे सलाम
वन्दे मातरम्, वन्दे मातरम् -3
जन्म-जन्म तेरा हूँ दीवाना मैं
झूमूँ नाचूँ गाऊँ तेरे प्यार का तराना
मै जीना नहीं सोच नहीं दुनिया की दौलत नहीं
बस लूटूँगा तेरे प्यार का खजाना
एक नजर जब तेरी होती है प्यार की
दुनिया तब तो मेरी चमके दमके महके रे
तेरा चेहरा सूरज जैसा चांद सी ठंड है प्यार में
वन्दे मातरम्, वन्दे मातरम् -3
तेरे पास ही मै आ रहा हूँ
अपनी बाँहे खोल दे
जोर से मुझको गले लगा ले
मुझको फिर वो प्यार दे
तू ही जिन्दगी है, तू ही मेरी मोहब्बत है
तेरे ही पैरों में जन्नत है
तू ही दिल, तू जान, अम्मा
माँ तुझे सलाम, माँ तुझे सलाम
अम्मा तुझे सलाम, माँ तुझे सलाम
वन्दे मातरम्, वन्दे मातरम् -4
आगे आसान देशभक्ति कविता हिंदी में सभी उम्र के लिए ‘Easy Desh Bhakti Poem in Hindi for All Ages‘ दी गईं हैं:
13. भारत मेरा देश – अंशुमन दुबे (बाल कवि)
जहां ज्ञान का अथाह भंडार है,
लोगों में सतगुणों का अंबार है।
प्रकृति की कृपा जहां अपार है,
वो मेरा भारत देश निर्विकार है।
जहां रोम-रोम में बसता प्यार है,
जहां वीरों की भरमार है।
जहां प्रभु कृपा बेशुमार है,
इस देश के बहुत उपकार हैं।
भारत मां ने अन्न-पानी देकर हमें पाला-पोसा,
उस मां का है अपने वीर पुत्रों पर बड़ा भरोसा।
हे मां! हम तेरी खातिर अपना शीश कटाएंगे,
अपनी जान देकर भी हम तेरी लाज बचाएंगे।
जब मां मांग रही थी आहुति स्वतंत्रता की ज्वाला में,
हमने शीश पिरो दिए आजादी की जयमाला में।
जब उठी आवाज पूरे हिन्दुस्तान की,
रोक न पाई इसे ताकत इंग्लिस्तान की।
यह है अमर गाथा,
हमारे देश महान की।
बलिदान देकर भी रक्षा करेंगे,
अपने हिन्दुस्तान की।
हमें अपनी जान से बढ़कर,
है अपना यह वतन प्यारा।
हम सीना तानकर कहते हैं,
सारे जहां से अच्छा हिन्दुस्तां हमारा।
14. देश की माटी का तिलक – शंभू नाथ
मैं भारतमाता का पुत्र प्रतापी,
सीमा की रक्षा करता हूं।
जो आ के टकराता है,
अहं चूर भी करता हूं।
दुश्मन की कोई भी,
दाल न गलती।
लड़कर दूर भगाता हूं,
अपने भारत के वीर गीत को,
हर मौके पर गाता हूं।
आतंकवादी अवसरवादी,
आने से टकराते हैं।
आ गए मेरी भूमि में,
तहस-नहस हो जाते हैं।
अपने देश की माटी का,
माथे पर तिलक लगाता हूं।
15. सत्य और अहिंसा का मंत्र – ठाकुरदास कुल्हारा
सत्य और अहिंसा का, देता जो मंत्र है
हर्षोल्लास भरा, दिवस गणतंत्र है।
आबाल वृद्ध, नर नारी के, ह्रदय में
देश प्रेम, प्रसारता, हमारा गणतंत्र है।
सेवा, समर्पण और, त्याग भरी भावना
तन मन, धन वारना, सिखाता गणतंत्र है।
नफरत बुराई बैर आदि को मेटता
जन मन में, प्यार को, बढ़ाता गणतंत्र है।
जाति मजहब के, भेद कोई, पाले नहीं
मानवता धर्म, सिखलाता गणतंत्र है।
मानवीय, मूल्यों का, दुनिया में सर्वश्रेष्ठ
संदेश, विश्व शांति का, देता गणतंत्र है।
सुख दुख के, साथी बन, भाईचारा पालें
समरसता पाठ, हमें, पढ़ाता गणतंत्र है।
सर्वजन हिताय है, सर्वजन सुखाय
प्रगति पथ पर अग्रसर, हमारा गणतंत्र है।
16. हम भारत के प्यारे बच्चे – शंभू नाथ
हम भारत देश के, प्यारे बच्चे।
सारे जग से, न्यारे बच्चे।
ज्ञान का सागर, लहराता है।
जब अंबर, मुस्काता है।
सब कहते हैं, मुझको अच्छे।
हम कर्तव्यनिष्ठा के, सच्चे बच्चे।
देव बेला में, उठ जाते हैं।
नित्य क्रिया से, फुरसत होके।
पढ़ने पर ध्यान, लगाते हैं।
सबको करते हम, सदा नमस्ते।
हम भारत देश के, प्यारे बच्चे।
सारे जग से, न्यारे बच्चे।
17. जन-गण-मन गीत गाएं – संजय वर्मा ‘दृष्टि’
आओ सब मिलके
जन-गण-मन गीत गाएं
स्वतंत्रता की खुशियों को
मिल-जुलकर मनाएं।
राष्ट्रीय त्योहारों पर
तिरंगे को लहराएं
आओ सब मिलके
जन-गण-मन गीत गाएं।
हिन्दू, मुस्लिम, सिख, ईसाई
आपस में हम सब भाई-भाई
भारतमाता है
हम सबकी माई।
फख्र से हम सब
सर ऊपर उठाएं
आओ सब मिलके
जन-गण-मन गीत गाएं।
शहीदों को पुष्प चढ़ाएं
उनके सम्मुख शीश नवाएं
दिलाई हमें अंग्रेजों से आजादी
दुनिया को हम ये बताएं।
आओ सब मिलके
जन-गण-मन गीत गाएं।
देश के सीमा प्रहरी बन जाएं
देश की रक्षा का दायित्व निभाएं
युवा पीढ़ी को ये मूल मंत्र समझाएं
आओ सब मिलके
जन-गण-मन गीत गाएं।
आगे दिल छू लेने वाली देशभक्ति कविता हिंदी में ‘Heart-Touching Desh Bhakti Poem in Hindi‘ दी जा रहीं हैं:
18. मेरा वतन वही है, मेरा वतन वही है – इकबाल
चिश्ती ने जिस जमीं पे पैगामे हक सुनाया
नानक ने जिस चमन में बदहत का गीत गाया
तातारियों ने जिसको अपना वतन बनाया
जिसने हेजाजियों से दश्ते अरब छुड़ाया
मेरा वतन वही है, मेरा वतन वही है।
सारे जहां को जिसने इल्मो-हुनर दिया था,
यूनानियों को जिसने हैरान कर दिया था
मिट्टी को जिसकी हक ने जर का असर दिया था
तुर्कों का जिसने दामन हीरों से भर दिया था
मेरा वतन वही है, मेरा वतन वही है
टूटे थे जो सितारे फारस के आसमां से
फिर ताब दे के जिसने चमकाए कहकशां से
बदहत की लय सुनी थी दुनिया ने जिस मकां से
मीरे-अरब को आई ठण्डी हवा जहां से
मेरा वतन वही है, मेरा वतन वही है।
19. इलाही खैर! – राम प्रसाद बिस्मिल
इलाही खैर! वो हरदम नई बेदाद करते हैं,
हमें तोहमत लगाते हैं, जो हम फरियाद करते हैं
कभी आजाद करते हैं, कभी बेदाद करते हैं
मगर इस पर भी हम सौ जी से उनको याद करते हैं
असीराने-कफस से काश, यह सैयाद कह देता
रहो आजाद होकर, हम तुम्हें आजाद करते हैं
रहा करता है अहले-गम को क्या-क्या इंतजार इसका
कि देखें वो दिले-नाशाद को कब शाद करते हैं
यह कह-कहकर बसर की, उम्र हमने कैदे-उल्फत में
वो अब आजाद करते हैं, वो अब आजाद करते हैं
सितम ऐसा नहीं देखा, जफा ऐसी नहीं देखी,
वो चुप रहने को कहते हैं, जो हम फरियाद करते हैं
यह बात अच्छी नहीं होती, यह बात अच्छी नहीं करते
हमें बेकस समझकर आप क्यों बरबाद करते हैं?
कोई बिस्मिल बनाता है, जो मकतल में हमें ‘बिस्मिल’
तो हम डरकर दबी आवाज से फरियाद करते हैं।।
20. कस ली है कमर अब तो, कुछ करके दिखाएंगे – अशफाकउल्ला खां
कस ली है कमर अब तो, कुछ करके दिखाएंगे,
आजाद ही हो लेंगे, या सर ही कटा देंगे
हटने के नहीं पीछे, डरकर कभी जुल्मों से
तुम हाथ उठाओगे, हम पैर बढ़ा देंगे
बेशस्त्र नहीं हैं हम, बल है हमें चरखे का,
चरखे से जमीं को हम, ता चर्ख गुंजा देंगे
परवाह नहीं कुछ दम की, गम की नहीं, मातम की,
है जान हथेली पर, एक दम में गंवा देंगे
उफ तक भी जुबां से हम हरगिज न निकालेंगे
तलवार उठाओ तुम, हम सर को झुका देंगे
सीखा है नया हमने लड़ने का यह तरीका
चलवाओ गन मशीनें, हम सीना अड़ा देंगे
दिलवाओ हमें फांसी, ऐलान से कहते हैं
खूं से ही हम शहीदों के, फौज बना देंगे
मुसाफिर जो अंडमान के, तूने बनाए, जालिम
आजाद ही होने पर, हम उनको बुला लेंगे
इससे आगे ‘Best Desh Bhakti Poem in Hindi‘ दी जा रहीं हैं, जिनसे अपने देश से प्रेम व्यक्त कर सकते हैं:
21. गणतंत्र दिवस फिर आया है – अज्ञात
आज नई सज-धज से
गणतंत्र दिवस फिर आया है।
नव परिधान बसंती रंग का
माता ने पहनाया है।
भीड़ बढ़ी स्वागत करने को
बादल झड़ी लगाते हैं।
रंग-बिरंगे फूलों में
ऋतुराज खड़े मुस्काते हैं।
धरती मां ने धानी साड़ी
पहन श्रृंगार सजाया है।
गणतंत्र दिवस फिर आया है।
भारत की इस अखंडता को
तिलभर आंच न आने पाए।
हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई
मिलजुल इसकी शान बढ़ाएं।
युवा वर्ग सक्षम हाथों से
आगे इसको सदा बढ़ाएं।
इसकी रक्षा में वीरों ने
अपना रक्त बहाया है।
गणतंत्र दिवस फिर आया है।
22. सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है – बिस्मिल अज़ीमाबादी
सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है
देखना है ज़ोर कितना बाज़ू-ए-क़ातिल में है
ऐ शहीद-ए-मुल्क-ओ-मिल्लत मैं तिरे ऊपर निसार
ले तिरी हिम्मत का चर्चा ग़ैर की महफ़िल में है
वाए क़िस्मत पाँव की ऐ ज़ोफ़ कुछ चलती नहीं
कारवाँ अपना अभी तक पहली ही मंज़िल में है
रहरव-ए-राह-ए-मोहब्बत रह न जाना राह में
लज़्ज़त-ए-सहरा-नवर्दी दूरी-ए-मंज़िल में है
शौक़ से राह-ए-मोहब्बत की मुसीबत झेल ले
इक ख़ुशी का राज़ पिन्हाँ जादा-ए-मंज़िल में है
आज फिर मक़्तल में क़ातिल कह रहा है बार बार
आएँ वो शौक़-ए-शहादत जिन के जिन के दिल में है
मरने वालो आओ अब गर्दन कटाओ शौक़ से
ये ग़नीमत वक़्त है ख़ंजर कफ़-ए-क़ातिल में है
माने-ए-इज़हार तुम को है हया, हम को अदब
कुछ तुम्हारे दिल के अंदर कुछ हमारे दिल में है
मय-कदा सुनसान ख़ुम उल्टे पड़े हैं जाम चूर
सर-निगूँ बैठा है साक़ी जो तिरी महफ़िल में है
वक़्त आने दे दिखा देंगे तुझे ऐ आसमाँ
हम अभी से क्यूँ बताएँ क्या हमारे दिल में है
अब न अगले वलवले हैं और न वो अरमाँ की भीड़
सिर्फ़ मिट जाने की इक हसरत दिल-ए-‘बिस्मिल’ में है
संदेश एवं निष्कर्ष: भारतीय गणतंत्र दिवस और स्वतंत्रता दिवस
भारत के गणतंत्र दिवस और स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर देशभक्ति कविता का महत्व और भी बढ़ जाता है। यह हमें अपनी धरती से प्यार, सम्मान और प्रतिबद्धता की भावना से जोड़ती है। इन कविताओं के माध्यम से हम अपने महान स्वतंत्रता सेनानियों की शहादत, संघर्ष और बलिदान को याद करते हैं। देशभक्ति का असली अर्थ केवल ऐतिहासिक घटनाओं में निहित नहीं होता, बल्कि यह हमारे अंदर की एक गहरी भावना है, जो हमें देश के प्रति अपने कर्तव्यों को निभाने के लिए प्रेरित करती है।
स्वतंत्रता के बाद, हमारा देश ने हमेशा अपनी स्वतंत्रता की रक्षा और समृद्धि के लिए प्रयास किए हैं। देशभक्ति कविताओं में यह संदेश छिपा होता है कि हमें अपने देश के लिए जीने और मरने का गर्व महसूस करना चाहिए। ये कविताएँ एक सशक्त राष्ट्र के निर्माण के लिए हमारे अंदर की शक्ति और विश्वास को जागृत करती हैं। इन कविताओं में न केवल देशप्रेम बल्कि एकता, अखंडता, और भाईचारे का संदेश भी होता है।
गणतंत्र दिवस और स्वतंत्रता दिवस का महत्व
गणतंत्र दिवस 26 जनवरी को मनाया जाता है, जब भारत ने संविधान अपनाया और एक लोकतांत्रिक गणराज्य के रूप में अपनी यात्रा शुरू की। वहीं, 15 अगस्त का स्वतंत्रता दिवस भारत के स्वतंत्रता संग्राम की विजय का प्रतीक है। इन दिनों हम उन स्वतंत्रता सेनानियों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं जिन्होंने अपने प्राणों की आहुति देकर हमें स्वतंत्रता दिलाई। यह अवसर हमारे राष्ट्र की एकता और विविधता का उत्सव है।
देशभक्ति कविता न केवल हमारे दिलों में देशप्रेम की भावना को जागृत करती है, बल्कि यह हमें यह समझाने का भी प्रयास करती है कि देश के प्रति हमारी जिम्मेदारी केवल भाषण देने या त्यौहारों पर झंडा फहराने तक सीमित नहीं है। हमें अपने कार्यों, विचारों और आचरण में देश के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दिखानी चाहिए। हम सभी का कर्तव्य है कि हम अपने देश को प्रगति की ओर अग्रसर करने में अपनी भूमिका निभाएं।
- देशभक्ति का असली रूप: हमें अपने देश के लिए सिर्फ भावनात्मक जुड़ाव महसूस नहीं करना चाहिए, बल्कि यह हमारे हर काम और निर्णय में झलके।
- संविधान और स्वतंत्रता: हम अपने अधिकारों और कर्तव्यों को समझकर एक जिम्मेदार नागरिक बने, ताकि राष्ट्र की प्रगति में योगदान कर सकें।
- संवेदनशीलता और एकता: गणतंत्र दिवस और स्वतंत्रता दिवस हमें यह याद दिलाते हैं कि हमें देश की विविधता में एकता बनाए रखनी है।
गणतंत्र और स्वतंत्रता दिवस पर देशभक्ति कविताओं का योगदान अत्यधिक महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह हमारे अंदर एक नई चेतना और जिम्मेदारी का आह्वान करता है। देश के लिए प्रेम और सम्मान हम सभी को एकजुट करता है और हमें अपने कार्यों के द्वारा राष्ट्र निर्माण में सहायक बनाता है। इन दिवसों पर पढ़ी जाने वाली कविताएँ हमें हमारे अधिकारों और कर्तव्यों के प्रति सजग और सचेत करती हैं, ताकि हम एक मजबूत और प्रगतिशील राष्ट्र के निर्माण में भागीदार बन सकें।
देशभक्ति कविता हमें प्रेरणा देती है और यह हमें यह सिखाती है कि केवल अपने व्यक्तिगत जीवन में ही नहीं, बल्कि राष्ट्र के निर्माण में भी हमें अपनी भूमिका निभानी चाहिए। गणतंत्र दिवस और स्वतंत्रता दिवस पर इन कविताओं का असर व्यापक होता है, क्योंकि ये हमें हमारे महान इतिहास और संघर्ष की याद दिलाती हैं और हमें एकजुट होकर अपने देश को आगे बढ़ाने के लिए प्रेरित करती हैं।
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