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राजभाषा का शाब्दिक अर्थ है- “राज-काज की भाषा।” अर्थात जो भाषा देश के राजकीय कार्यों के लिए प्रयुक्त होती है, वह ‘राजभाषा‘ कहलाती है। राजाओं-नवाबों के जमाने में इसे ‘दरबारी भाषा‘ कहा जाता था। राजभाषा सरकारी कामकाज चलाने की आवश्यकता की उपज होती है। राजभाषा का एक निश्चित मानक स्वरूप होता है जिसके साथ छेड़छाड़ या प्रयोग नहीं किया जा सकता। राजभाषा एक संवैधानिक शब्द है, जबकि राष्ट्रभाषा नहीं।
भारत की राजभाषा (Official Language of India)
भारत की राजभाषा के रूप में “हिंदी भाषा” के साथ-साथ “अंग्रेजी भाषा” को सम्मिलित किया गया है। भारतीय संविधान में राज्यों और केन्द्रशासित प्रदेशों के लिए हिन्दी सहित, 22 भारत की भाषाएं राजभाषा के रूप स्वीकार की गई हैं। राज्यों की विधानसभाएं बहुमत के आधार पर किसी एक भाषा को अथवा चाहें तो एक से अधिक भाषाओं को अपने राज्य की राजभाषा घोषित कर सकती हैं।
भारतीय संविधान के ‘भाग 17‘ एवं ‘8वीं अनुसूची‘ में ‘अनुच्छेद 343 से 351‘ में वर्तमान में 22 राजभाषाओं का उल्लेख है- कश्मीरी, सिन्धी, पंजाबी, हिन्दी, बंगाली, आसामी, उडिया, गुजराती, मराठी, कन्नड़, तेलुगू, तमिल, मलयालम, उर्दू, संस्कृत, नेपाली, मणिपुरी, कोंकणी, बोडो, डोगरी, मैथिली, संथाली।
भारत में केंद्र सरकार की राजभाषा के रूप में ‘हिन्दी‘ और ‘अंग्रेजी‘ को स्वीकार किया गया है। राज्य सरकारों की अपनी-अपनी राज्यभाषाएँ (राजभाषा) हैं।
हिन्दी को 14 सितम्बर 1949 ई० को संवैधानिक रूप से राजभाषा घोषित किया गया। इसीलिए प्रत्येक वर्ष 14 सितम्बर को ‘हिन्दी दिवस‘ के रूप में मनाया जाता है।
राजभाषा देश को अपने प्रशासनिक लक्ष्यों के द्वारा राजनीतिक-आर्थिक इकाई में जोड़ने का काम करती है। अर्थात् राजभाषा की प्राथमिक शर्त राजनीतिक प्रशासनिक एकता कायम करना है।
राजभाषा का प्रयोग-क्षेत्र सीमित होता है, यथा- वर्तमान समय में भारत सरकार के कार्यालयों एवं कुछ राज्यों हिन्दी क्षेत्र के राज्यों में राज-काज हिन्दी में होता है। अन्य राज्य सरकारें अपनी-अपनी भाषा में कार्य करती हैं, हिन्दी में नहीं- महाराष्ट्र मराठी में, पंजाब पंजाबी में, गुजरात गुजराती में आदि।
राजभाषा कोई भी भाषा हो सकती है स्वभाषा या परभाषा। जैसे, मुगल शासक अकबर के समय से लेकर मैकाले के काल तक फारसी राजभाषा तथा मैकाले के काल से लेकर स्वतंत्रता प्राप्ति तक अंग्रेजी राजभाषा थी जो कि विदेशी भाषा थी। जबकि स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद हिन्दी को राजभाषा का दर्जा दिया गया जो कि स्वभाषा है।
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भारत के राज्यों की राजभाषाएं
भारत के राज्य की राजभाषाएं उनकी स्थानीय भाषाएं होती हैं, ये राजभाषाएं एक से अधिक हो सकते हैं। भारत के राज्य और उनकी प्रमुख राजभाषाएं, राजधानी सहित अग्रलिखित तालिका में दी गईं हैं-
राज्य | राजभाषा | राजधानी का नाम |
---|---|---|
आंध्र प्रदेश | तेलुगू | हैदराबाद/अमरावती |
अरुणाचल प्रदेश {एपी} | अंग्रेज़ी | ईटानगर |
असम | असमिया | दिसपुर |
बिहार | हिंदी | पटना |
छत्तीसगढ | हिंदी | रायपुर |
गोवा | कोंकणी | पणजी |
गुजरात | गुजराती | गांधीनगर |
हरयाणा | हिंदी | चंडीगढ़ |
हिमाचल प्रदेश {एचपी} | हिंदी | शिमला |
झारखंड | हिंदी | रांची |
कर्नाटक | कन्नडा | बैंगलोर |
केरल | मलयालम | तिरुवनंतपुरम |
मध्य प्रदेश {एमपी} | हिंदी | भोपाल |
महाराष्ट्र | मराठी | मुंबई |
मणिपुर | मेइतिलोन (मणिपुरी) | इंफाल |
मेघालय | अंग्रेज़ी | शिलांग |
मिजोरम | मिज़ो, अंग्रेजी और हिंदी | आइजोल |
नगालैंड | अंग्रेज़ी | कोहिमा |
ओडिशा | उड़िया | भुवनेश्वर |
पंजाब | पंजाबी | चंडीगढ़ |
राजस्थान | हिंदी | जयपुर |
सिक्किम | अंग्रेज़ी | गंगटोक |
तमिलनाडु | तामिल | चेन्नई |
तेलंगाना | तेलुगु और उर्दू | हैदराबाद |
त्रिपुरा | बंगाली, अंग्रेजी और कोकबोरोक | अगरतला |
उत्तर प्रदेश | हिंदी | लखनऊ |
उत्तराखंड | हिंदी | देहरादून |
पश्चिम बंगाल | बंगाली | कोलकाता |
केंद्र शासित प्रदेश और उनकी राजभाषा:
केंद्र शासित प्रदेश का नाम | राजभाषा | राजधानी का नाम |
---|---|---|
अंडमान और निकोबार द्वीप | हिंदी और अंग्रेजी | पोर्ट ब्लेयर |
चंडीगढ़ | अंग्रेज़ी | चंडीगढ़ |
दादरा और नगर हवेली और दमन और दीव | गुजराती, मराठी, कोंकणी और हिंदी | दमन |
जम्मू और कश्मीर | कश्मीरी, डोगरी, अंग्रेजी, हिंदी, उर्दू | श्रीनगर (ग्रीष्मकालीन राजधानी), जम्मू (शीतकालीन राजधानी) |
दिल्ली | हिंदी | दिल्ली |
लद्दाख | लद्दाखी, पुर्गी, हिंदी, अंग्रेजी | लेह, कारगिल |
लक्षद्वीप | मलयालम और अंग्रेजी | कावारत्ती |
पांडिचेरी | तामिल | पांडिचेरी |
ब्रिटिश भारत में मुख्य भाषा अंग्रेजी, उर्दू और बाद में हिंदी थी, जिसमें अंग्रेजी प्राथमिक भाषा के रूप में कार्यरत थी। आधिकारिक हिंदी का उपयोग 1900 से शुरू होता है, जब मैकडॉनेल ने उत्तर-पश्चिमी प्रांत की अदालतों में हिंदुस्तानी के रूप में देवनागरी के “अनुमेय – लेकिन एकमात्र नहीं – उपयोग” की अनुमति देने वाले आदेश पर हस्ताक्षर किए थे। 1950 में स्थापित इसके भारतीय संविधान में 15 साल की अवधि में हिंदी के पक्ष में अंग्रेजी को चरणबद्ध तरीके से समाप्त करने का प्रावधान था, लेकिन संसद को उसके बाद भी अंग्रेजी के उपयोग को जारी रखने की व्यवस्था करने का अधिकार दिया गया। देश के कई हिस्सों में हिंदी को गणतंत्र की एकमात्र आधिकारिक भाषा बनाने की योजना का विरोध किया गया।
1963 का राष्ट्रीय भाषा अधिनियम, और 1976 का राष्ट्रीय भाषा विनियम, और अन्य राज्य कानून, और केंद्रीकृत सरकार के साथ-साथ राज्यों द्वारा अधिनियमित नियम और विनियम, अब आधिकारिक उद्देश्यों के लिए भाषा के उपयोग को नियंत्रित करते हैं।
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संसद और विधानमंडल में प्रयोग होने वाली भाषा
संसद और विधानमंडल में प्रयोग होने वाली भाषा का वर्णन अनुच्छेद 120 और अनुच्छेद 210 में है।
- अनुच्छेद 120: संसद में प्रयोग की जाने वाली भाषा (संसद में कार्य हिंदी में या अंग्रेजी में किया जाएगा)।
- अनुच्छेद 210: विधान-मंडल में प्रयोग की जाने वाली भाषा (विधान-मंडल में कार्य राज्य की राजभाषा या राजभाषाओं में या हिंदी में या अंग्रेजी में किया जाएगा)।
संविधान में भारत की राजभाषाओं का उल्लेख
भारत के संविधान में अनुच्छेद 343 से 351 तक राजभाषा के सम्बन्ध में व्यवस्था की गयी है। 14 सितम्बर 1949 को संविधान सभा में हुई बहस के समापन के बाद संविधान का भाषा सम्बन्धी अनुच्छेद “भाग 14क” में थे, और वर्तमान में राजभाषा संबंधी प्रावधान भारत के संविधान के “भाग 17” में है।
- अनुच्छेद 343: संघ की राजभाषा (संघ की राजभाषा हिंदी और लिपि देवनागरी होगी, संघ के शासकीय प्रयोजनों के लिए प्रयोग होने वाले अंकों का रूप भारतीय अंकों का अंतर्राष्ट्रीय रूप होगा)।
- अनुच्छेद 344: राजभाषा के संबंध में आयोग और संसद की समिति।
- अनुच्छेद 345: राज्य की राजभाषा या राजभाषाएं।
- अनुच्छेद 346: एक राज्य और दूसरे राज्य के बीच या किसी राज्य और संघ के बीच पत्रादि की राजभाषा।
- अनुच्छेद 347: किसी राज्य की जनसंख्या के किसी भाग द्वारा बोली जाने वाली भाषा के संबंध में विशेष उपबंध।
- अनुच्छेद 348: उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालयों में और अधिनियमों, विधेयकों आदि के लिए प्रयोग की जाने वाली भाषा।
- अनुच्छेद 349: भाषा से संबंधित कुछ विधियां अधिनियमित करने के लिए विशेष प्रक्रिया।
- अनुच्छेद 350: व्यथा के निवारण के लिए अभ्यावेदन में प्रयोग की जाने वाली भाषा।
- अनुच्छेद 350 क: प्राथमिक स्तर पर मातृभाषा में शिक्षा की सुविधाएं।
- अनुच्छेद 350 ख: भाषाई अल्पसंख्यक-वर्गों के लिए विशेष अधिकारी।
- अनुच्छेद 351: हिंदी भाषा के विकास के लिए निदेश।