भारतीय राजनीति
भारतीय राजनीति का अध्ययन करना बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि यह दुनिया का सबसे बड़ा समाजवादी लोकतांत्रिक गणराज्य है और इसकी राजनीतिक प्रणाली बहुत जटिल और विविधतापूर्ण है। भारतीय राजनीति का विकास और उसकी संरचना भारतीय संविधान (Bharat Ka Samvidhan), विभिन्न राजनीतिक दलों, चुनावी प्रक्रिया और शासन व्यवस्था पर आधारित है।
भारत का संविधान (Indian Constitution)
इण्डिया अर्थात् भारत राज्यों का एक संघ है। यह संसदीय प्रणाली की सरकार वाला एक स्वतंत्र प्रभुसत्ता सम्पन्न समाजवादी लोकतांत्रिक गणराज्य है। तीनों शब्दों का अर्थ क्रमशः निम्नलिखित है-
- समाजवादी एक ऐसी सरकार होती है जिसमें संसाधनों और उत्पादन के साधनों पर राज्य का नियंत्रण होता है, लेकिन व्यक्तिगत स्वतंत्रता की भी अनुमति होती है।
- लोकतंत्र एक ऐसी प्रणाली है जिसमें सरकार का चुनाव जनता करती है। इसमें सभी नागरिकों को बराबर मताधिकार का अधिकार होता है।
- गणराज्य में राज्य प्रमुख चुना हुआ होता है और सत्ता का प्रमुख केंद्र जनता होती है। इसमें कोई वंशानुगत राजा नहीं होता।
यह समाजवादी लोकतांत्रिक गणराज्य भारत के संविधान के अनुसार शासित है जिसे संविधान सभा द्वारा 26 नवम्बर 1949 को ग्रहण किया गया तथा जो 26 जनवरी 1950 को लागू हुआ।
संविधान में सरकार के संसदीय स्वरूप की व्यवस्था की गई है जिसकी संरचना कतिपय एकात्मक विशिष्टताओं सहित संघीय हो। केन्द्रीय कार्यपालिका का सांविधानिक प्रमुख राष्ट्रपति है। भारत के संविधान की धारा 79 के अनुसार, केन्द्रीय संसद की परिषद में राष्ट्रपति तथा दो सदन है जिन्हें राज्यों की परिषद (राज्य सभा) तथा लोगों का सदन (लोक सभा) के नाम से जाना जाता है।
संविधान की धारा 74 (1) में यह व्यवस्था की गई है कि राष्ट्रपति की सहायता करने तथा उसे सलाह देने के लिए एक मंत्री परिषद होगी जिसका प्रमुख प्रधान मंत्री होगा, राष्ट्रपति सलाह के अनुसार अपने कार्यों का निष्पादन करेगा। इस प्रकार वास्तविक कार्यकारी शक्ति मंत्रिपरिषद में निहित है जिसका प्रमुख प्रधानमंत्री है।
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भारतीय राजनीतिक प्रणाली की संरचना (Structure of Indian Political System)
- संविधान (Constitution): भारतीय संविधान विश्व का सबसे लंबा लिखित संविधान है। यह देश की राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक संरचना का आधार है। इसमें नागरिकों के मौलिक अधिकार, राज्य की नीति निर्देशक तत्व, और संघीय ढांचा जैसे महत्वपूर्ण प्रावधान शामिल हैं।
- संघीय ढांचा (Federal Structure): भारत एक संघीय गणराज्य है, जिसमें सत्ता का विभाजन केंद्र और राज्य सरकारों के बीच किया गया है।
- लोकतंत्र (Democracy): भारत एक संसदीय लोकतंत्र है, जहाँ शासन के सभी महत्वपूर्ण निर्णय जनता द्वारा चुने गए प्रतिनिधियों के माध्यम से किए जाते हैं।
भारतीय संविधान में सरकार का संसदीय स्वरूप
- संसद (Parliament): यह विधायिका की सर्वोच्च संस्था है, जो दो सदनों- लोकसभा (संसद का निचला सदन) और राज्यसभा (संसद का उच्च सदन), में विभाजित है।
- राष्ट्रपति (President): भारत का प्रमुख संवैधानिक पद। राष्ट्रपति देश के प्रमुख होते हैं, लेकिन वास्तविक कार्यकारी शक्ति प्रधानमंत्री और मंत्रिपरिषद के पास होती है।
- प्रधानमंत्री (Prime Minister): कार्यकारी का प्रमुख, जो सरकार का नेतृत्व करता है और मंत्रिपरिषद का मुखिया होता है।
- राज्य सरकारें (State Governments): प्रत्येक राज्य की अपनी सरकार होती है, जिसमें मुख्यमंत्री और मंत्रिपरिषद होते हैं।
- न्यायपालिका (Judiciary): सुप्रीम कोर्ट, उच्च न्यायालय और अन्य अधीनस्थ न्यायालय शामिल हैं। यह संविधान की व्याख्या करता है और नागरिकों के अधिकारों की रक्षा करता है।
भारतीय राजनीति में प्रमुख राजनीतिक दल (Major Political Parties in India)
- भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (Indian National Congress): सबसे पुरानी राजनीतिक पार्टी, जिसने स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
- भारतीय जनता पार्टी (Bharatiya Janata Party): वर्तमान में प्रमुख राष्ट्रीय पार्टी, जो हिंदुत्व और राष्ट्रवाद की विचारधारा को बढ़ावा देती है।
- अन्य प्रमुख दल: बहुजन समाज पार्टी (BSP), समाजवादी पार्टी (SP), तृणमूल कांग्रेस (TMC), और क्षेत्रीय दल जैसे डीएमके, एआईएडीएमके, शिवसेना, आदि।
भारतीय चुनावी प्रणाली (Indian Electoral System)
- लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Elections): हर पांच साल में होने वाले आम चुनाव, जिनमें देश के प्रत्येक निर्वाचन क्षेत्र से एक सांसद चुना जाता है।
- विधानसभा चुनाव (State Assembly Elections): राज्यों के लिए विधायक चुनने के लिए आयोजित किए जाने वाले चुनाव।
- राष्ट्रपति और राज्यसभा चुनाव (Presidential and Rajya Sabha Elections): राष्ट्रपति का चुनाव निर्वाचक मंडल (इलेक्टोरल कॉलेज) द्वारा और राज्यसभा सदस्यों का चुनाव राज्य विधानसभाओं द्वारा होता है।
भारतीय राजनीति के प्रमुख मुद्दे (Major Issues in Indian Politics)
- धर्म और जाति की राजनीति (Religion and Caste Politics): भारतीय राजनीति में धर्म और जाति का गहरा प्रभाव है, जो वोट बैंक की राजनीति को प्रभावित करता है।
- विकास और गरीबी (Development and Poverty): आर्थिक विकास, गरीबी उन्मूलन, और सामाजिक न्याय भारतीय राजनीति के मुख्य मुद्दे हैं।
- भ्रष्टाचार (Corruption): भ्रष्टाचार भारतीय राजनीति की एक बड़ी समस्या है, जिसे लेकर समय-समय पर आंदोलन और सुधार की माँग उठती रही है।
- राष्ट्रीय सुरक्षा (National Security): सीमाओं की सुरक्षा, आतंकवाद, और आंतरिक सुरक्षा से जुड़े मुद्दे भी राजनीतिक एजेंडे का हिस्सा होते हैं।
भारतीय राजनीति में नागरिक भागीदारी (Citizen Participation in Indian Politics)
- मतदान (Voting): लोकतांत्रिक प्रक्रिया में नागरिकों की भागीदारी का प्रमुख माध्यम।
- सामाजिक आंदोलन (Social Movements): जनहित से जुड़े मुद्दों पर नागरिकों द्वारा किए गए आंदोलन, जैसे चिपको आंदोलन, नर्मदा बचाओ आंदोलन, अन्ना हजारे का भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन, आदि।
- मीडिया और सोशल मीडिया: राजनीतिक मुद्दों पर चर्चा, जागरूकता और नागरिक भागीदारी बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
भारतीय संविधान की संरचना (Structure of Indian Constitution)
भारतीय संविधान की संरचना भारत के लोकतांत्रिक ढांचे की नींव है, जिसे 26 जनवरी 1950 को लागू किया गया था। भारतीय संविधान की संरचना को समझने के लिए इसका वर्गीकरण किया गया है, जिसमें भाग, अनुच्छेद, अनुसूचियाँ, और परिशिष्ट शामिल हैं।
भारत के मूल संविधान में 22 भाग के 395 अनुच्छेद, और 8 अनुसूचियाँ थीं। वर्तमान भारतीय संविधान 25 भाग के 465 अनुच्छेद, तथा 12 अनुसूचियों में विभाजित है।
भारत के संविधान का लचीला और कठोर दोनों प्रकार का स्वरूप यह सुनिश्चित करता है कि आवश्यकतानुसार इसे समय-समय पर संशोधित किया जा सके, जिससे यह देश की बदलती जरूरतों और चुनौतियों के अनुरूप बना रहे।
इतिहास (History) – भारतीय संविधान का इतिहास
भारतीय संविधान 1757 ईस्वी की प्लासी की लड़ाई और 1764 ईस्वी के बक्सर के युद्ध को अंग्रेजों द्वारा जीत लिए जाने के बाद बंगाल पर ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने शासन का शिकंजा कसा। इसी शासन को अपने अनुकूल बनाए रखने के लिए अंग्रेजों ने समय-समय पर कई एक्ट पारित की जो भारतीय संविधान के विकास की सीढ़ियां बनी जो निम्न प्रकार है-
- रेगुलेटिंग एक्ट 1773
- पिट्स इंडिया अधिनियम 1784
- 1786 का अधिनियम
- 1793 का चार्टर अधिनियम
- 1813 का चार्टर अधिनियम
- 1833 का चार्टर अधिनियम
- 1853 का चार्टर अधिनियम
- 1858 का भारत शासन अधिनियम
- 1861 का भारत शासन अधिनियम
- 1892 का भारत शासन अधिनियम
- 1935 का भारत सरकार अधिनियम
- 1947 का भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम
प्रस्तावना (Preamble) – भारतीय संविधान की प्रस्तावना
भारतीय संविधान की प्रस्तावना संविधान की आत्मा मानी जाती है। इसमें संविधान के उद्देश्य और लक्ष्यों का संक्षिप्त वर्णन किया गया है। इसके प्रमुख तत्व- संप्रभुता, समाजवाद, धर्मनिरपेक्षता, लोकतंत्र, गणराज्य, न्याय, स्वतंत्रता, समानता, और बंधुत्व आदि हैं।
संविधान के भाग (Parts of the Constitution)
भारतीय संविधान को 25 भागों में विभाजित किया गया है, जिनमें हर भाग में विशेष प्रकार के प्रावधानों का उल्लेख है।
क्रम | भाग | विषय | अनुच्छेद |
---|---|---|---|
1. | भाग I | संघ और उसका राज्यक्षेत्र | अनुच्छेद 1 से 4 |
2. | भाग II | नागरिकता | अनुच्छेद 5 से 11 |
3. | भाग III | मौलिक अधिकार | अनुच्छेद 12 से 35 |
4. | भाग IV | राज्य के नीति निदेशक तत्व | अनुच्छेद 36 से 51 |
5. | भाग IV(क) | मूल कर्तव्य | अनुच्छेद 51 क |
6. | भाग V | संघ की शासन व्यवस्था (राष्ट्रपति, मंत्रिपरिषद, संसद और सर्वोच्च न्यायालय आदि) |
अनुच्छेद 52 से 151 |
7. | भाग VI | राज्यों का शासन | अनुच्छेद 152 से 237 |
8. | भाग VII | संविधान (सातवाँ संशोधन) अधिनियम, 1956 द्वारा निरसित कर दिया गया। | – |
9. | भाग VIII | संघ राज्य क्षेत्र | अनुच्छेद 239 से 242 |
10. | भाग IX | पंचायतें | अनुच्छेद 243 से 243ण. |
11. | भाग IX(क) | नगरपालिकाएं | अनुच्छेद 243त. से 243य. |
12. | भाग X | अनुसूचित और जनजाति क्षेत्र | अनुच्छेद 244 से 244क. |
13. | भाग XI | संघ और राज्यों के बीच संबंध | अनुच्छेद 245 से 263 |
14. | भाग XII | वित्त, संपत्ति, संविदाएं और वाद | अनुच्छेद 264 से 300क. |
15. | भाग XIII | भारत के राज्य क्षेत्र के भीतर व्यापार, वाणिज्य और समागम | अनुच्छेद 301 से 307 |
16. | भाग XIV | संघ और राज्यों के अधीन लोक सेवाएं | अनुच्छेद 308 से 323 |
17. | भाग XIV(क) | अधिकरण | अनुच्छेद 323क. से 323ख. |
18. | भाग XV | निर्वाचन | अनुच्छेद 324 से 329 |
19. | भाग XVI | कुछ वर्गों के लिए विशेष उपबंध | अनुच्छेद 330 से 342 |
20. | भाग XVII | राजभाषा | अनुच्छेद 343 से 351 |
21. | भाग XVIII | आपात उपबंध | अनुच्छेद 352 से 360 |
22. | भाग XIX | प्रकीर्ण | अनुच्छेद 361 से 367 |
23. | भाग XX | संविधान के संशोधन | अनुच्छेद 368 |
24. | भाग XXI | अस्थाई संक्रमणकालीन और विशेष उपबंध | अनुच्छेद 369 से 392 |
25. | भाग XXII | संक्षिप्त नाम, प्रारंभ, हिन्दी में प्राधिकृत पाठ और निरसन | अनुच्छेद 393 से 395 |
अनुच्छेद (Articles)
भारतीय संविधान में कुल 395 अनुच्छेद थे, जो अब संशोधनों के साथ बढ़कर 465 हो चुके हैं। प्रत्येक अनुच्छेद एक विशिष्ट प्रावधान से संबंधित है, जैसे कि:
- अनुच्छेद 1: संघ का नाम और राज्य क्षेत्र
- अनुच्छेद 3: नए राज्यों का निर्माण और वर्तमान राज्यों के क्षेत्रों, सीमाओं या मौजूदा राज्यों के नामों में परिवर्तन
- अनुच्छेद 13: मौलिक अधिकारों को असंगत या उनका अल्पीकरण करने वाली विधियों के बारे में
- अनुच्छेद 14: कानून के समक्ष समानता
- अनुच्छेद 16: सरकारी नौकरियों में सभी को अवसर की समानता
- अनुच्छेद 17: अस्पृश्यता का उन्मूलन
- अनुच्छेद 19: अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकारों का संरक्षण
- अनुच्छेद 21: प्राण और दैहिक स्वतंत्रता का संरक्षण
- अनुच्छेद 21A: प्राथमिक शिक्षा का अधिकार
- अनुच्छेद 25: अंतरात्मा की स्वतंत्रता, मनचाहा काम और धर्म के प्रचार-प्रसार की स्वतंत्रता
- अनुच्छेद 30: अल्पसंख्यकों को शैक्षिक संस्थानों को स्थापित करने, उनका प्रशासन करने का अधिकार
- अनुच्छेद 31C: कुछ निर्देशक सिद्धांतों को प्रभावी करने वाली विधियों की व्याख्या
- अनुच्छेद 32: मौलिक अधिकारों को लागू के लिए “रिट” सहित अन्य उपचार
- अनुच्छेद 38: राज्य, लोगों के कल्याण को बढ़ावा देने के लिए एक सामाजिक व्यवस्था को बनाएगा
- अनुच्छेद 40: ग्राम पंचायतों का संगठन
- अनुच्छेद 44: नागरिकों के लिए एक समान नागरिक संहिता
- अनुच्छेद 45: 6 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए अनिवार्य शिक्षा का प्रावधान
- अनुच्छेद 46: अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातिओं और अन्य कमजोर वर्गों के शैक्षिक और आर्थिक हितों को बढ़ावा
- अनुच्छेद 50: कार्यपालिका से न्यायपालिका को अलग किया जाना
- अनुच्छेद 51: अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा को बढ़ावा देना
- अनुच्छेद 51A: मौलिक कर्तव्य
- अनुच्छेद 72: राष्ट्रपति की शक्तियों जैसे: क्षमा देना, सजा का निलंबन, कुछ मामलों में सजा को कम करना आदि का प्रावधान
- अनुच्छेद 74: राष्ट्रपति को सहायता और सलाह देने के लिए मंत्रिपरिषद
- अनुच्छेद 76: भारत के महान्यायवादी
- अनुच्छेद 78: राष्ट्रपति को जानकारी देने आदि के लिए प्रधानमंत्री के कर्तव्य
- अनुच्छेद 85: संसद के सत्र की कार्यवाही
- अनुच्छेद 110: धन विधेयकों की परिभाषा
- अनुच्छेद 112: वार्षिक वित्तीय विवरण (बजट)
- अनुच्छेद 123: संसद के मध्यावकाश के दौरान राष्ट्रपति की अध्यादेश प्रख्यापित करने शक्ति
- अनुच्छेद 143: सुप्रीम कोर्ट से परामर्श करने की राष्ट्रपति की शक्ति
- अनुच्छेद 148: भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक
- अनुच्छेद 149: भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक की शक्तियां
- अनुच्छेद 155: राज्यपाल की नियुक्ति
- अनुच्छेद 161: क्षमा को कम करने, टालने और निलंबित करने की राज्यपाल की शक्ति
- अनुच्छेद 163: राज्यपाल की सहायता और सलाह के लिए मंत्रिपरिषद
- अनुच्छेद 165: राज्य के महाधिवक्ता
- अनुच्छेद 167: राज्यपाल को जानकारी देने के लिए मुख्यमंत्री के कर्तव्य
- अनुच्छेद 168: राज्यों में विधानमंडलों की व्यवस्था
- अनुच्छेद 169: राज्यों में विधान परिषदों की रचना या उन्मूलन
- अनुच्छेद 170: राज्यों में विधान सभाओं की संरचना
- अनुच्छेद 171: राज्यों में विधान परिषदों की संरचना
- अनुच्छेद 172: राज्य विधानमंडलों की अवधि
- अनुच्छेद 173: राज्य विधानमंडल की सदस्यता के लिए योग्यता
- अनुच्छेद 174: राज्य विधायिका का सत्र, सत्रावसान और राज्य विधायिका का विघटन
- अनुच्छेद 178: विधान सभा के स्पीकर और डिप्टी स्पीकर
- अनुच्छेद 194: महाधिवक्ता की शक्तियां, विशेषाधिकार और प्रतिरोधक क्षमता (Immunity)
- अनुच्छेद 200: राज्यपाल द्वारा बिल को स्वीकृति
- अनुच्छेद 202: राज्य विधानमंडल का वार्षिक वित्तीय विवरण (राज्य बजट)
- अनुच्छेद 210: राज्य विधानमंडल में इस्तेमाल की जाने वाली भाषा
- अनुच्छेद 212: न्यायालयों को राज्य विधानमंडल की कार्यवाही के बारे में पूछताछ करने का अधिकार नहीं
- अनुच्छेद 213: राज्य विधानमंडल के अवकाश में राज्यपाल द्वारा अध्यादेश प्रख्यापित करने की शक्ति
- अनुच्छेद 214: राज्यों के लिए उच्च न्यायालयों की व्यवस्था
- अनुच्छेद 217: उच्च न्यायालय के न्यायाधीश की नियुक्ति की शर्तें
- अनुच्छेद 226: उच्च न्यायालयों की रिट जारी करने की शक्ति
- अनुच्छेद 239AA: दिल्ली के संबंध में विशेष उपबंध
- अनुच्छेद 243B: पंचायतों का गठन
- अनुच्छेद 243C: पंचायतों की संरचना
- अनुच्छेद 243G: पंचायतों की जिम्मेदारियां, शक्तियां और अधिकार
- अनुच्छेद 243K: पंचायतों के चुनाव
- अनुच्छेद 249: राज्य सूची के विषय के सम्बन्ध में राष्ट्रीय हित में कानून बनाने की संसद की शक्ति
- अनुच्छेद 262: अंतर-राज्यीय नदियों या नदी घाटियों के बारे में पानी से संबंधित विवादों का अधिनिर्णय
- अनुच्छेद 263: अंतर-राज्यीय परिषद् के सम्बन्ध में प्रबंध
- अनुच्छेद 265: कानून के प्राधिकार के बिना करों का अधिरोपण न किया जाना
- अनुच्छेद 275: कुछ राज्यों को संघ से अनुदान
- अनुच्छेद 280: वित्त आयोग की स्थापना
- अनुच्छेद 300: वाद और कार्यवाहियां
- अनुच्छेद 300A: विधि के प्राधिकार के बिना व्यक्तियों को संपत्ति से वंचित न किया जाना (संपत्ति का अधिकार)
- अनुच्छेद 311: संघ या किसी राज्य के अधीन सिविल क्षमताओं में कार्यरत व्यक्तियों के रैंक में कमी बर्खास्तगी।
- अनुच्छेद 312: अखिल भारतीय सेवाएँ
- अनुच्छेद 315: संघ और राज्यों के लिए लोक सेवा आयोग की स्थापना
- अनुच्छेद 320: लोक सेवा आयोगों के कार्य
- अनुच्छेद 323A: प्रशासनिक न्यायाधिकरण
- अनुच्छेद 324: निर्वाचनों के अधीक्षण, निर्देशन और नियंत्रण का निर्वाचन आयोग में निहित किया जाना
- अनुच्छेद 330: लोकसभा में अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के लिए सीटों का आरक्षण
- अनुच्छेद 335: सेवाओं और पदों के लिए अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के दावे
- अनुच्छेद 352: आपात की उद्घोषणा (राष्ट्रीय आपात)
- अनुच्छेद 356: राज्य में संवैधानिक मशीनरी की विफलता के मामले में प्रावधान (राष्ट्रपति शासन)
- अनुच्छेद 360: वित्तीय आपातकाल के बारे में उपबंध
- अनुच्छेद 365: संघ द्वारा दिए गए निर्देशों का पालन करने में या उनको प्रभावी करने में असफलता का प्रभाव (राष्ट्रपति शासन)
- अनुच्छेद 368: संविधान में संशोधन करने की संसद की शक्ति और इसकी प्रक्रिया
- अनुच्छेद 370: जम्मू- कश्मीर राज्य के संबंध में अस्थायी प्रावधान
अनुसूचियाँ (Schedules)
संविधान के मूल पाठ में 8 अनुसूचियां थी लेकिन वर्तमान समय में भारतीय संविधान में 12 अनुसूचियां हैं। संविधान की इन अनुसूचियों का विवरण इस प्रकार है-
- प्रथम अनुसूची: इसमें भारतीय संघ के घटक राज्य और संघीय क्षेत्रों का उल्लेख है।
- द्वितीय अनुसूची: इसमें भारतीय राजव्यवस्था के विभिन्न पदाधिकारियों (राष्ट्रपति, राज्यपाल, लोकसभा के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष, राज्यसभा के सभापति और उपसभापति, विधानसभा के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष, विधान परिषद के सभापति और उपसभापति, उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों और भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक) आदि को प्राप्त होने वाले वेतन, भत्ते और पेंशन आदि का उल्लेख किया गया है। द्वितीय अनुसूची में इन पदों के उल्लेख का आशय यह है कि इन पदों को संवैधानिक स्थिति प्राप्त है।
- तृतीय अनुसूची: इसमें विभिन्न पद धारियों (राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, मंत्री, संसद सदस्य, उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों आदि) द्वारा पद ग्रहण के समय ली जाने वाली शपथ का उल्लेख है।
- चतुर्थ अनुसूची: इसमें विभिन्न राज्यों तथा संघीय क्षेत्रों के राज्यसभा में प्रतिनिधित्व का विवरण दिया गया है।
- पांचवी अनुसूची: इसमें विभिन्न अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के प्रशासन और नियंत्रण के बारे में उल्लेख है।
- छठी अनुसूची: इसमें असम, मेघालय, त्रिपुरा और मिजोरम राज्यों के जनजाति क्षेत्रों के प्रशासन के बारे में प्रावधान है।
- सातवीं अनुसूची: इसमें केंद्र और राज्यों के बीच शक्तियों के बंटवारे के बारे में दिया गया है। इसके अंतर्गत तीन सूचियां हैं– संघ सूची, राज्य सूची और समवर्ती सूची .
- आठवीं अनुसूची: इसमें भारत की 22 भाषाओं का उल्लेख किया गया है। मूल रूप से आठवीं अनुसूची में 14 भाषाएं थी,1967 ईस्वी में सिंधी को और 1992 ईस्वी में कोंकणी, मणिपुरी तथा नेपाली को आठवीं अनुसूची में शामिल किया गया। 2004 में मैथिली, संथाली, डोगरी एवं बोडो को आठवीं अनुसूची में शामिल किया गया।
- नौवीं अनुसूची: संविधान में यह अनुसूची प्रथम संविधान संशोधन अधिनियम, 1951 के द्वारा जोड़ी गई। इसके अंतर्गत राज्य द्वारा संपत्ति के अधिग्रहण की विधियों का उल्लेख किया गया है। इस अनुसूची में सम्मिलित विषयों को न्यायालय में चुनौती नहीं दी जा सकती है। वर्तमान में इस अनुसूची में 284 अधिनियम है।
- दसवीं अनुसूची: यह संविधान में 52 वें संशोधन, 1985 के द्वारा जोड़ी गई है। इसमें दल बदल से संबंधित प्रावधानों का उल्लेख है।
- ग्यारहवीं अनुसूची: यह अनुसूची संविधान में 73 वां संवैधानिक संशोधन, 1993 के द्वारा जोड़ी गई है। इसमें पंचायती राज्य संस्थाओं को कार्य करने के लिए 29 विषय प्रदान किए गए हैं।
- बारहवीं अनुसूची: यह अनुसूची संविधान में 74 वें संवैधानिक संशोधन, 1993 के द्वारा जोड़ी गई है। इसमें शहरी क्षेत्र की स्थानीय स्वशासन संस्थाओं को कार्य करने के लिए 18 विषय प्रदान किए गए हैं।
परिशिष्ट
संविधान संशोधन (Amendments)
भारतीय संविधान को लचीला और कठोर दोनों प्रकार से संशोधित किया जा सकता है। संविधान में अब तक 100 से अधिक संशोधन हो चुके हैं। प्रथम संशोधन वर्ष 1951 में अनंतिम संसद द्वारा पारित किया गया था। प्रथम संशोधन अधिनियम ने अनुच्छेद 15, 19, 85, 87, 174, 176, 341, 342, 372 और 376 में संशोधन किया। भूमि सुधारों और इसमें शामिल अन्य कानूनों को न्यायिक समीक्षा से बचाने के लिये नौवीं अनुसूची जोड़ी गई। इसके पश्चात अनुच्छेद 31 के बाद अनुच्छेद 31ए और 31बी जोड़े गए।
महत्वपूर्ण संविधान संशोधन-
- 13वां संविधान संशोधन (1962): इसके अंतर्गत नागालैंड के संबंध में विशेष प्रावधान अपनाकर उसे एक राज्य का दर्जा दे दिया गया।
- 21वां संविधान संशोधन (1967): इसके द्वारा सिंधी भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची के अंतर्गत 15वीं भाषा के रूप में शामिल किया गया।
- 22वां संविधान संशोधन (1969): इसके द्वारा असम से अलग करके एक नया राज्य मेघालय बनाया गया।
- 42वां संशोधन (1976): इस संशोधन ने संविधान में ‘समाजवादी’, ‘धर्मनिरपेक्ष’ और ‘अखंडता’ जैसे शब्द जोड़े।
- 44वां संशोधन (1978): इसने संपत्ति के अधिकार को मौलिक अधिकारों की सूची से हटाया।
- 65वां संविधान संशोधन (1990): ST, SC आयोग की स्थापना (अनुच्छेद 338)।
- 73वां और 74वां संशोधन (1992): पंचायतों और नगर पालिकाओं को संवैधानिक दर्जा प्रदान किया गया।
- 101वां संविधान संशोधन (2017): GST को लागू किया।
- 103वां संविधान संशोधन (2019): EWS के लिए 10% आरक्षण।
- 105वां संविधान संशोधन (2021): राज्यों को OBC List बनाने का अधिकार।
- 106वां संविधान संशोधन (2023): लोकसभा और विधानसभा में महिलाओं को 1/3 आरक्षण।
मौलिक अधिकार (Fundamental Rights)
भारतीय संविधान का भाग III नागरिकों के मौलिक अधिकारों का विवरण है। मूल संविधान में 7 मौलिक अधिकार थे, लेकिन 44 वें संविधान संशोधन 1979 ईस्वी के द्वारा संपत्ति का अधिकार (अनुच्छेद 31 एवं 19 क) को मौलिक अधिकार की सूची से हटा कर इसे संविधान के अनुच्छेद 301 (A) के अंतर्गत कानूनी अधिकार के रूप में रख दिया गया।
6 मौलिक अधिकार:
- समता या समानता का अधिकार (अनुच्छेद 14 से अनुच्छेद18)
- स्वतंत्रता का अधिकार (अनुच्छेद 19 से अनुच्छेद 22)
- शोषण के विरुद्ध अधिकार (अनुच्छेद 23 से अनुच्छेद 24)
- धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार (अनुच्छेद 25 से अनुच्छेद 28)
- संस्कृति और शिक्षा संबंधी अधिकार (अनुच्छेद 29 से अनुच्छेद 30)
- संवैधानिक उपचारों का अधिकार (अनुच्छेद 32)
मूल कर्तव्य (Fundamental Duties)
42वें संविधान संशोधन 1976 के माध्यम से भाग IV-A में मूल कर्तव्यों को जोड़ा गया। इसमें 11 कर्तव्यों का उल्लेख है-
- प्रत्येक नागरिक का यह कर्तव्य होगा कि वह संविधान का पालन करे और उसके आदर्शों, संस्थाओं, राष्ट्र ध्वज और राष्ट्रगान का आदर करें।
- स्वतंत्रता के लिए हमारे राष्ट्रीय आंदोलन को प्रेरित करने वाले उच्च आदर्शों को हृदय में संजोए रखें और उनका पालन करें।
- भारत की प्रभुता, एकता और अखंडता की रक्षा करें।
- देश की रक्षा करें।
- भारत के सभी लोगों में समरसता और समान भ्रातृत्व की भावना का निर्माण करें।
- हमारी सामाजिक संस्कृति की गौरवशाली परंपरा का महत्व समझें और उसका परीक्षण करें।
- प्राकृतिक पर्यावरण की रक्षा और उसका संवर्धन करें।
- वैज्ञानिक दृष्टिकोण और ज्ञानार्जन की भावना का विकास करें।
- सार्वजनिक संपत्ति को सुरक्षित रखें।
- व्यक्तिगत एवं सामूहिक गतिविधियों के सभी क्षेत्रों में उत्कर्ष की ओर बढ़ने का सतत प्रयास करें।
- माता पिता या संरक्षक द्वारा 6 से 14 वर्ष के बच्चों हेतु प्राथमिक शिक्षा प्रदान करना। (86वें संविधान संशोधन द्वारा जोड़ा गया)
राज्य के नीति निदेशक तत्व (Directive Principles of State Policy)
यह संविधान का भाग 4 (अनुच्छेद 36 से 51 तक) है, जिसमें सरकार के लिए मार्गदर्शक सिद्धांत होते हैं। नीति निर्देशक तत्व को भारत के संविधान में आयरलैंड के संविधान से लिया गया है नीति निर्देशक तत्व (Directive Principles of State Policy) को न्यायालय द्वारा लागू नहीं किया जा सकता यानी कि नीति निर्देशक तत्वों को वैधानिक शक्ति प्राप्त नहीं है। यह सरकार पर निर्भर करता है कि वह इसे लागू करना चाहती हैं या नहीं करना चाहतीहैं।
नीति निर्देशक तत्व से संबंधित अनुच्छेद:
- राज्य की परिभाषा- अनुच्छेद 36
- न्यायालय में वाद योग्य नहीं – अनुच्छेद 37
- लोक कल्याण की वृद्धि- अनुच्छेद 38
- समान कार्य के लिए समान वेतन – अनुच्छेद 39(A)
- पैसों का स्वामित्व नियंत्रण – अनुच्छेद 39(B)
- धन का समान वितरण – अनुच्छेद 39(C)
- ग्राम पंचायतों का गठन – अनुच्छेद 40 (20 लाख से कम जनसंख्या वाले राज्य में ग्राम पंचायतों का गठन नहीं किया जाता है)
- काम, शिक्षा और लोक सहायता पाने का अधिकार – अनुच्छेद 41
- प्रसूति सहायता – अनुच्छेद 42
- मजदूरी और कुटीर उद्योगों को प्रोत्साहन – अनुच्छेद 43
- समान सिविल संहिता- अनुच्छेद 44 (सिर्फ गोवा राज्य है, जहां पर यह लागू है)
- बच्चों को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा – अनुच्छेद 45
- अन्य वर्गों के लिए शिक्षा और अर्थ संबंधी हितों – अनुच्छेद 46
- लोक स्वास्थ्य का सुधार – अनुच्छेद 47
- कृषि और पशुपालन का संगठन – अनुच्छेद 48
- पर्यावरण का संरक्षण तथा वन और वन्य जीवो की रक्षा करना – अनुच्छेद 48 (A)
- महत्वपूर्ण स्थानों और वस्तुओं का संरक्षण – अनुच्छेद 49
- कार्यपालिका और न्यायपालिका दोनों अलग-अलग – अनुच्छेद 50
- अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा- अनुच्छेद 51
संघ और राज्यों के बीच संबंध (Union-State Relations)
भारतीय संविधान संघीय ढांचे पर आधारित है, जिसमें संघ और राज्यों के बीच शक्तियों का वितरण किया गया है। संविधान में तीन सूचियाँ हैं:
- संघ सूची (Union List): इसमें रक्षा, विदेश मामले, मुद्रा जैसी विषयों पर केवल केंद्र सरकार कानून बना सकती है। इस सूची में 97 विषय शामिल हैं।
- राज्य सूची (State List): इसमें पुलिस, स्वास्थ्य, भूमि जैसे विषय होते हैं जिन पर राज्य सरकार कानून बना सकती है। इस सूची में प्रारम्भ में 66 विषय थे, किन्तु वर्तमान में इस सूची के 5 विषय समवर्ती सूची में रख दिये गये हैं, इसलिए वर्तमान में इस सूची में 61 विषय शामिल हैं।
- समवर्ती सूची (Concurrent List): इसमें शिक्षा, वन, विवाह आदि विषय होते हैं, जिन पर केंद्र और राज्य दोनों कानून बना सकते हैं। प्रारम्भ में इसमें शामिल विषयों की संख्या 47 थी, किन्तु वर्तमान में बढ़कर 52 हो गयी है।
संविधान के विभिन्न स्रोत (Different Sources of Constitution)
भारतीय संविधान विश्व का सबसे बड़ा लिखित संविधान है। इसे बनाने के लिए अलग-अलग देशों के संविधान की सहायता ली गई, इसीलिए भारतीय संविधान को “उधार का थैला” भी कहा जाता है। भारत के संविधान में विभिन्न देशों से विभिन्न प्रावधानों का को लिया गया है, जिनमें से प्रमुख निम्न हैं-
ब्रिटिश संविधान-
- संसदात्मक शासन प्रणाली
- कानून का शासन
- एकीकृत संस्थात्मक ढांचा
- एकल नागरिकता
- विधि निर्माण की प्रक्रिया
- संसद और विधानमंडल के सदस्यों के विशेषाधिकार एवं उनमयुक्तियां तथा मंत्रिमंडल के सामूहिक उत्तरदायित्व के सिद्धांत
- न्यायालय में रिट(Writ) संबंधी प्रावधान
अमेरिका का संविधान-
- मौलिक अधिकार
- राज्य की कार्यपालिका के प्रमुख तथा सशस्त्र सेनाओं के सर्वोच्च कमांडर के रूप में राष्ट्रपति के होने का प्रावधान
- उपराष्ट्रपति
- सर्वोच्च न्यायालय से संबंधित व्यवस्था
- संविधान की सर्वोच्चता
- न्यायपालिका की स्वतंत्रता
- निर्वाचित राष्ट्रपति
- राष्ट्रपति पर महाभियोग
- उपराष्ट्रपति, उच्चतम व उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों को हटाने की विधि
- वित्तीय आपात
कनाडा का संविधान-
- संघात्मक विशेषताएँ
- अवशिष्ट शक्तियाँ केंद्र के पास होना
- केंद्र द्वारा राज्य के राज्यपालों की नियुक्ति
- उच्चतम न्यायालय का परामर्शी न्याय निर्णयन
- राज्य सभा के सदस्यों का निर्वाचन
ऑस्ट्रेलिया का संविधान–
- प्रस्तावना की भाषा
- समवर्ती सूची का प्रावधान
- केन्द्र एवं राज्य के बीच संबंध तथा शक्तियो का विभाजन
- संसदीय विशेषाधिकार
आयरलैंड का संविधान-
- नीति निदेशक सिद्धांत
- राष्ट्रपति के निर्वाचक-मंडल की व्यवस्था
- राष्ट्रपति द्वारा राज्य सभा में साहित्य, कला, विज्ञान तथा समाज-सेवा इत्यादि के क्षेत्र में ख्याति प्राप्त व्यक्तियों का मनोनयन
जापान का संविधान-
- विधि द्वारा स्थापित प्रक्रिया
दक्षिण अफ्रीका का संविधान-
- संविधान संशोधन की प्रक्रिया का प्रावधान
- राज्यसभा सदस्यों के चुनाव संबंधी प्रावधान
जर्मनी का बीमर संविधान-
- भारतीय संविधान के अंतर्गत संकट काल में राष्ट्रपति को मौलिक अधिकारों के स्थगन संबंधी जो अधिकार दिए गए हैं वह जर्मनी के बीमर संविधान से लिए गए हैं।
संविधान सभा की प्रमुख समितियां एवं उनके अध्यक्ष
- संचालन समिति: डॉ राजेंद्र प्रसाद
- संघ संविधान समिति: पंडित जवाहरलाल नेहरू.
- प्रांतीय संविधान समिति: सरदार वल्लभ भाई पटेल
- प्रारूप समिति– डॉ भीमराव अंबेडकर
- संघ शक्ति समिति: पंडित जवाहरलाल नेहरू
भारतीय संविधान की प्रमुख विशेषताएँ
- सबसे विस्तृत लिखित संविधान
- विभिन्न स्रोतों से प्रेरित
- कठोरता और लचीलेपन का मिश्रण
- एकात्मकता के साथ संघीय प्रणाली
- संसदीय शासन प्रणाली
- संसदीय संप्रभुता और न्यायिक सर्वोच्चता का समन्वय
- एकीकृत और स्वतंत्र न्यायपालिका
- मौलिक अधिकार
- राज्य नीति के निर्देशक सिद्धांत
- मौलिक कर्तव्य
- धर्मनिरपेक्ष राज्य
- सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार
- एकल नागरिकता
- स्वतंत्र निकाय
- आपातकालीन प्रावधान
- त्रि-स्तरीय सरकार
- सहकारी समितियाँ
भारतीय संविधान का महत्त्व
- विधि का शासन: भारतीय संविधान विधि के शासन की नींव पर आधारित है, जहाँ कोई भी व्यक्ति, चाहे वह नागरिक हो या सरकारी अधिकारी, कानून से ऊपर नहीं है। यह सुनिश्चित करता है कि सभी के लिए समान कानून लागू हो।
- अधिकारों की सुरक्षा: संविधान नागरिकों को मौलिक अधिकारों की गारंटी देता है, जैसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, धर्म की स्वतंत्रता, आदि। साथ ही, इन अधिकारों के उल्लंघन होने पर कानूनी संरक्षण और निवारण का प्रावधान भी करता है।
- सरकार की संरचना: संविधान सरकार के कार्यकारी, विधायी और न्यायिक अंगों की शक्तियों और सीमाओं को परिभाषित करता है। शक्तियों का यह विभाजन जांच और संतुलन की प्रक्रिया को बढ़ावा देता है, जिससे लोकतांत्रिक शासन सुदृढ़ होता है।
- लोकतांत्रिक सिद्धांत: सार्वभौम वयस्क मताधिकार के माध्यम से संविधान यह सुनिश्चित करता है कि सभी नागरिक शासन में भाग ले सकें। यह निःशुल्क और निष्पक्ष चुनावों के माध्यम से लोकतांत्रिक सिद्धांतों को मजबूती प्रदान करता है।
- स्थिरता और निरंतरता: संविधान राजनीतिक स्थिरता बनाए रखता है और शासन में निरंतरता का मार्गदर्शन करता है। यह सुनिश्चित करता है कि सत्ता परिवर्तन के बावजूद, प्रशासनिक ढांचा स्थिर बना रहे और अचानक किसी बड़ी राजनीतिक उथल-पुथल से बचा जा सके।
- राष्ट्रीय एकता: संविधान भारत की विविधता को स्वीकार करता है और इसे सम्मान देते हुए राष्ट्रीय एकता को मजबूत करता है। यह प्रावधानों के माध्यम से सभी नागरिकों में एक समान नागरिकता और राष्ट्र के प्रति निष्ठा की भावना का विकास करता है।
- कानूनी ढांचा: संविधान सभी कानूनों और विनियमों के लिए आधारशिला का कार्य करता है। यह कानूनी प्रणाली में निरंतरता और सुसंगतता सुनिश्चित करता है, जिससे देश में एक सुदृढ़ कानून व्यवस्था बनी रहती है।
- अनुकूलनशीलता: संविधान, एक स्थिर ढांचा प्रदान करते हुए, समय के साथ बदलती सामाजिक आवश्यकताओं और मूल्यों के अनुसार खुद को संशोधित करने की क्षमता रखता है। यह इसकी प्रासंगिकता को बनाए रखने में सहायक है।
भारतीय संविधान न केवल कानून का दस्तावेज है, बल्कि यह भारत की आत्मा और उसकी लोकतांत्रिक भावना का प्रतीक है। यह एक ऐसे समाज की स्थापना की दिशा में मार्गदर्शन करता है जहाँ प्रत्येक व्यक्ति के अधिकार सुरक्षित हों और सभी को समान अवसर मिलें।