अंग्रेजी (English): भाषा, वर्णमाला, लिपि, उत्पत्ति और बोलियां, Angreji Bhasha

अंग्रेजी (English): इंग्लैण्ड नामक देश के निवासियों की भाषा को अंग्रेजी कहते हैं। अंग्रेज़ी (English) हिन्द-यूरोपीय भाषा-परिवार में आती है और इस दृष्टि से हिन्दी, उर्दू, फ़ारसी आदि के साथ इसका दूर का संबंध बनता है। ये हिन्द-यूरोपीय परिवार की जर्मनिक शाखा में रखी जाती है।

अंग्रेजी को विश्व की प्रमुख भाषा माना जाता है। यह दुनिया के कई देशों की मुख्य राजभाषा है। आज के दौर में कई देशों में विज्ञान, कंप्यूटर, साहित्य, राजनीति और उच्च शिक्षा की भी मुख्य भाषा भी अंग्रेज़ी ही है। अंग्रेज़ी रोमन लिपि में लिखी जाती है।

अंग्रेजी वर्णमाला

Angreji Alphabets

अंग्रेजी वर्णमाला एक लैटिन आधारित वर्णमाला है। जिसमें 26 वर्ण होते हैं। अंग्रेज़ी वर्णमाला ‘रोमन लिपि‘ में लिखी जाती है।

A a • B b • C c • D d • E e • F f • G g • H h • I i • J j • K k • L l • M m • N n • O o • P p • Q q • R r • S s • T t • U u • V v • W w • X x • Y y • Z z.

Angreji Varnamala

अंग्रेज़ी लिपि

अंग्रेज़ी की आधिकारिक लिपि “रोमन लिपि” होती है। रोमन लिपि लिखावट का वो तरीका है जिसमें अंग्रेज़ी सहित पश्चिमी और मध्य यूरोप की सारी भाषाएँ लिखी जाती हैं, जैसे जर्मन, फ़्रांसिसी, स्पैनिश, पुर्तगाली, इतालवी, डच, नॉर्वेजियन, स्वीडिश, रोमानियाई, इत्यादि। ये बायें से दायें लिखी और पढ़ी जाती है। अंग्रेज़ी के अलावा लगभग सारी यूरोपीय भाषाएँ रोमन लिपि के कुछ अक्षरों पर अतिरिक्त चिन्ह भी प्रयुक्त करते हैं।

Angreji Lipi - Roman

रोमन लिपि में लिखी हुई अंग्रेज़ी और उसके उच्चारण में बहुत ज़्यादा अंतर है। इसकी वजह है :

  • रोमन लिपि को प्राचीन अंग्रेज़ों ने उधार लिया था अपनी भाषा लिखने के लिये। ये अंग्रेज़ी की अपनी लिपि नहीं है।
  • मध्ययुग में अंग्रेज़ी भाषा में महा स्वर समारोपण (Great vowel shift) हुआ। इस वजह से ज़्यागातर मध्ययुगीन अंग्रेज़ी के शब्दों में विवृत स्वर उटकर संवृत स्वर में बदल गये।
  • संवृत स्वर नीचे गिरकर द्विमात्रिक स्वरों में बदल गये। पर उन शब्दों की स्पेलिंग वैसी की वैसी ही रहीं।
  • अंग्रेज़ी का मानकीकरण होने के बाद स्पेलिंग परिवर्तन और भी कठिन हो गया।

अन्य यूरोपीय भाषाओं में लिखावट और उच्चारण में उतना भेद नहीं है और अगर है भी तो उसके अच्छे ख़ासे नियम कनून होते हैं।

असल में रोमन लिपि लातिनी भाषा के लिये ही बनी थी, यानी कि लातिनी की अपनी लिपि है। इसलिये इसका हरेक अक्षर लगभग हमेशा एक ही उच्चारण देता है।

अंग्रेज़ी की उत्पत्ति

अंग्रेज़ी की उत्पत्ति 5वीं शताब्दी की शुरुआत से इंग्लैंड में बसने वाले एंग्लो-सेक्सन लोगों द्वारा लायी गयी अनेक बोलियों, जिन्हें अब पुरानी अंग्रेज़ी कहा जाता है, से हुई है। वाइकिंग हमलावरों की प्राचीन नोर्स भाषा का अंग्रेज़ी भाषा पर गहरा प्रभाव पड़ा है।

नॉर्मन विजय के बाद पुरानी अंग्रेज़ी का विकास मध्य अंग्रेज़ी के रूप में हुआ, इसके लिए नॉर्मन शब्दावली और वर्तनी के नियमों का भारी मात्र में उपयोग हुआ। वहां से आधुनिक अंग्रेज़ी का विकास हुआ और अभी भी इसमें अनेक भाषाओँ से विदेशी शब्दों को अपनाने और साथ ही साथ नए शब्दों को गढ़ने की प्रक्रिया निरंतर जारी है। एक बड़ी मात्र में अंग्रेज़ी के शब्दों, खासकर तकनीकी शब्दों, का गठन प्राचीन ग्रीक और लैटिन की जड़ों पर आधारित है।

अंग्रेज़ी की बोलियां

ब्रिटिश साम्राज्य के विस्तार और द्वितीय विश्व युद्ध के बाद से अमेरिका के प्रभुत्व के कारण दुनिया भर में अंग्रेज़ी का प्रसार हुआ। इस वैश्विक प्रसार के कारण अनेक अंग्रेज़ी बोलियों और अंग्रेज़ी आधारित क्रीओल भाषाओँ और पिजिंस का विकास हुआ।

अंग्रेज़ी की दो शिक्षित स्थानीय बोलियों को दुनिया के अधिकांश हिस्सों में एक मानक के तौर पर स्वीकृत किया जाता है-

  1. एक शिक्षित दक्षिणी ब्रिटिश पर आधारित है और
  2. दूसरी शिक्षित मध्यपश्चिमी अमेरिकन पर आधारित है।

शिक्षित दक्षिणी ब्रिटिश

इसको कभी कभार BBC (या रानी की) अंग्रेज़ी कहा जाता है, “प्राप्त उच्चारण” के प्रति अपने झुकाव की वजह से यह कबीले गौर है; यह कैम्ब्रिज मॉडल का अनुसरण करती है। यह मॉडल यूरोप, अफ्रीका भारतीय उपमहाद्वीप और अन्य क्षेत्रों जो की या तो ब्रिटिश राष्ट्रमंडल से प्रभावित हैं या फिर अमेरिका के साथ पहचानकृत होने के उनिच्चुक हैं, में अन्य भाषाओँ को बोलने वालों को अंग्रेज़ी सिखाने के लिए एक मानक के तौर पर काम करती है।

शिक्षित मध्यपश्चिमी अमेरिकन

यह बोली, जनरल अमेरिकी, संयुक्त राज्य अमेरिका और कनाडा के अधिकांश हिस्सों में फैली हुई है। यह अमेरिकी महाद्वीपों और अमेरिका के निकट सम्बन्ध में रहे अथवा उसकी इच्छा रखने वाले क्षेत्रों (जैसे की फिलीपींस) के लिए एक मॉडल के तौर पर इस्तेमाल होती है।

इन दो प्रमुख बोलियों के आलावा अंग्रेज़ी की अनेक किस्में हैं, जिनमे से अधिकांश में कई उप-प्रकार शामिल हैं, जैसे की-

ब्रिटिश अंग्रेज़ी-

  • कोकनी,
  • स्काउस और
  • जिओर्डी;

कनाडियन अंग्रेज़ी-

  • न्यूफ़ाउंडलैंड अंग्रेज़ी;

अमेरिकी अंग्रेज़ी-

  • अफ्रीकन अमेरिकन स्थानीय अंग्रेज़ी (“एबोनिक्स”) और
  • दक्षिणी अमेरिकी अंग्रेज़ी.

अंग्रेज़ी एक बहुकेंद्रित भाषा है और इसमें फ्रांस की ‘एकेदिमिया फ्रान्काई‘ की तरह कोई केन्द्रीय भाषा प्राधिकरण नहीं है; इसलिए किसी एक किस्म को “सही” अथवा “गलत” नहीं माना जाता है।

स्कॉटिश अंग्रेज़ी

स्कॉट्स का विकास, मुख्यतः स्वतन्त्र रूप से, समान मूल से हुआ था लेकिन संघ के अधिनियम 1707, के पश्चात् भाषा संघर्षण की एक प्रक्रिया आरंभ हुई जिसके तहत उत्तरोत्तर पीढियों ने अंग्रेज़ी के ज्यादा से ज्यादा लक्षणों को अपनाया इसके परिणामस्वरूप यह अंग्रेज़ी की एक बोली के रूप में विकसित हो गयी।

वर्तमान में इस बात पर विवाद चल रहा है कि यह एक पृथक भाषा है अथवा अंग्रेज़ी की एक बोली मात्र है जिसे स्कॉटिश अंग्रेज़ी का नाम दिया गया है। पारंपरिक प्रकारों के उच्चारण, व्याकरण और शब्द भंडार अंग्रेज़ी की अन्य किस्मों से भिन्न, कभी कभार भारी मात्रा में हैं।

अंग्रेज़ी के दूसरी भाषा के रूप में व्यापक प्रयोग के कारण इसके वक्ताओं के लहजे भी भिन्न प्रकार के होते हैं जिनसे वक्ता की स्थानीय बोली अथवा भाषा का पता चलता है। क्षेत्रीय लहजों की अधिक विशिष्ट विशेषताओं के लिए ‘अंग्रेज़ी के क्षेत्रीय लहजों‘ को देखें और क्षेत्रीय बोलियों की अधिक विशिष्ट विशेषताओं के लिए अंग्रेज़ी भाषा की बोलियों की सूचि को देखें।

अंग्रेजी में, व्याकरण या शब्दकोश के बजाय अंतर अब उच्चारण तक ही सीमित रह गया है। अंग्रेज़ी बोलियों के सर्वेक्षण के दौरान देश भर में व्याकरण और शब्कोष में भिन्नता पाई गयी, परन्तु शब्द भण्डारण के एट्रिशन की एक प्रक्रिया के कारण अधिकांश भिन्नताएं समाप्त हो गयी हैं।

जिस प्रकार अंग्रेज़ी ने अपने इतिहास के दौरान स्वयं दुनिया के कई हिस्सों से शब्दों का इस्तेमाल किया है, उसी प्रकार अंग्रेज़ी के उधारशब्द भी दुनिया की कई भाषाओँ में दिखाई देते हैं। यह इसके वक्ताओं के तकनीकी और सांस्कृतिक प्रभाव को इंगित करता है। अंग्रेज़ी आधारित अनेक पिजिन और क्रेओल भाषाओँ का गठन किया गया है, जैसे की जमैकन पेटोईस, नाइजीरियन पिजिन और टोक पिसिन. अंग्रेज़ी शब्दों की भरमार वाली गैर अंग्रेज़ी भाषाओँ के प्रकारों का वर्णन करने के लिए अंग्रेज़ी भाषा में अनेक शब्दों की रचना की गयी है।

अंग्रेज़ी साहित्य

अंग्रेज़ी का जो साहित्य उपलब्ध है, उसके आधार पर पता लगता है कि प्राचीन युग के लेखकों और कवियों की विशेष रुचि यात्रावर्णन तथा रोचक कहानी कहने में थी। उस युग की प्रमुख रचनाएँ हैं ‘विडसिथ’, ‘दी वाण्डरर’ तथा ‘बिओल्फ’। मध्य अंग्रेज़ी की दो भाषाएँ थी।

  1. पश्चिमी अंग्रेज़ी
  2. दक्षिण-पूर्वी अंग्रेज़ी

पश्चिमी भाषा में पूर्ववर्ती एंग्लो-सैक्सन साहित्य की परम्परा अक्षुण्ण बनी रही। इस शाखा की प्रतिनिधि रचनाएँ हैं विलियम लैगलैण्ड की ‘दी विज़न आफ पीपर्स प्लाउमैन’ और किसी अज्ञात कवि के द्वारा विरचित ‘गेवेत एण्ड दी ग्रीन नाइट’ तथा ‘दी पर्ल’।

दूसरी अर्थात् दक्षिण-पूर्वी शाखा के प्रतिनिधि लेखक थे- जॉन गोवर (1325-1408 ई.) तथा चॉसर (1340-1400 ई.)।

चॉसर को आधुनिक अंग्रेज़ी का प्रथम कवि माना जाता है और उसकी रचनाओं का अंग्रेज़ी साहित्य में विशेष महत्त्व है। इसके उपरान्त प्राय: डेढ़ सौ वर्षों तक उसका अनुसरण होता रहा और कोई महान् कवि नहीं पैदा हुआ।

16वीं शती के मध्य से इंग्लैण्ड में यूरोपीय नवजागरण (रिनेसाँ) का प्रभाव प्रकट होने लगा। प्राचीन साहित्य के अध्ययन के साथ ही साथ फ़्रेच तथा इटैलियन साहित्य का भी अध्ययन होने लगा और इन तीनों के सम्मिलित प्रभाव से अंग्रेज़ी साहित्य का नवोत्थान हुआ।

अंग्रेजी कविता

प्राचीन काल (650-1350 ई.)

बहुत समय तक 14वीं सदी के कवि चॉसर को ही अंग्रेजी कविता का जनक माना जाता था। अंग्रेजी कविता की केंद्रीय परंपरा की दृष्टि से यह धारणा सर्वथा निर्मूल भी नहीं है। लेकिन वंशानुगतिकता के आधार पर अब चॉसर के पूर्व की सारी कविता का अध्ययन प्राचीनकाल के अंतर्गत किया जाने लगा है।

नार्मन विजय ने इंग्लैंड की प्राचीन ऐंग्लो-सैक्सन संस्कृति पर गहरा प्रभाव डाला और उसे नई दिशा दी। इसलिए प्राचीन काल के भी दो स्पष्ट विभाजन किए जा सकते हैंउद्भव से नार्मन विजय तक (650-1066 ई.) और नार्मन विजय से चॉसर के उदय तक (1066-1350 ई.) भाषा की दृष्टि से हम इन्हें क्रमश: ऐंग्लो-सैक्सन या प्राचीन अंग्रेजी काल और प्रारंभिक मध्यदेशीय अंग्रेजी (मिडिल इंग्लिश) काल भी कह सकते हैं।

प्राचीन अंग्रेजी कविता लगभग 500 वर्षों तक प्राचीन अंग्रेजी में कविताएँ लिखी जाती रहीं लेकिन आज उनका अधिकांश केवल चार हस्तलिखित प्रतियों में प्राप्त है। उस काल की सारी कविता का ज्ञान इनके अतिरिक्त दो-चार और रचनाओं तक ही सीमित है।

प्रारंभिक मध्यदेशीय अंग्रेजी काल

नार्मन विजय इंग्लैंड पर फ्रांस की सांस्कृतिक विजय भी थी। इसके बाद लगभग 200 वर्षों तक फ्रेंच भाषा अभिजातों की भाषा बनी रही। पुरानी आनुप्रासिक कविता की परंपरा लगभग समाप्त हो गई।

12वीं शताब्दी में इस प्रकार की नई कविता का अद्भुत विकास फ्रांस और स्पेन में हुआ। यह युग इस्लाम के विरूद्ध ईसाइयों के धर्मयुद्धों (क्रुसेंडों) का था और प्रत्येक ईसाई सरदार अपने की नाइट (सूरमा) के रूप में चित्रित देखना चाहता था।

फ्रांस के वैतालिकों और कवियों ने गाथाओं का निर्माण किया। इनके प्रधान तत्व शौर्य, प्रेम, ईश्वर भक्ति, अज्ञात के प्रति आकर्षण और कभी-कभी कवि की व्यक्तिगत अनुभूतियों की अभिव्यक्ति थे। फ्राँस के रोलाँ और इंग्लैंड के आर्थर की गाथाओं तथा केल्टी दंतकथाओं के अतिरिकत लातीनी प्रेमगाथाओं ने भी इस काल की कविता को समृद्ध किया। इस तरह 13वीं शताब्दी में लौकिक और धार्मिक दोनों तरह की गीतिप्रधान कविताओं के कुछ उत्कृष्ट नमूने प्रस्तुत हुए।

यूरोपीय संगीत, फ्रेंच छंद और पदरचना तथा वैतालिकों और कवियों की उदात्त कल्पना ने मिलकर इस युग की कविता को सँवारा। 12वीं और 13वीं सदी की कुछ प्रसिद्ध रचनाओं में ‘द आउल ऐंड दि नाइटइंगेल’, ‘आरम्युलम’, ‘कर्सर मंडाइ’, ‘हैवेलाक दि डेन’, ‘आर्थर ऐंड मर्लिन’, ‘ग्रिक ऑव कान्शंस’, ‘डेम सिरिथ’, ब्रुट इत्यादि हैं। ले

चॉसर से पुनर्जागरण तक

चॉसर (1340 ई. – 1400 ई.) ने मध्यदेशीय अंग्रेजी कविता के अनेक तत्व ग्रहण किए। लेकिन उसने उसके रूप और वस्तु में क्रांति कर बाद के अंग्रेजी कवियों के लिए एक नई परंपरा स्थापित की। उसकी समृद्ध भाषा और शैली को स्पेंसर ने ळ् अंग्रेजी का पावन स्रोतळ् कहा और उसमें काव्य और जीवन की विविधता की ओर संकेत करते हुए ड्राइडन ने कहाः “यहाँ पर ईशसुलभ प्रचुरता है।”

चॉसर की कविता रस और अनुभवसिद्ध उदारचेता व्यक्ति की कविता है। उसे दरबार, राजनीति, कूटनीति, युद्ध, धर्म, समाज और इटली तथा फ्रांस जैसे सांस्कृतिक केंद्रों का व्यापक ज्ञान था। उसने अंग्रेजी कविता को एकांतिकता और संकुचित दृष्टिकोण से मुक्त किया। मध्ययुगीन यूरोप की सामंती संस्कृति के दो प्रमुख रोमानी तत्वों, दाक्षिण्य (कटसा) और माधुर्य (ग्रेस) का आदर्श फ्रेंच, जर्मन और स्पेनी भाषाओं में प्रस्तुत हो चुका था। इंग्लैंड में चॉसर और उसके समसामयिक कवि गॉवर (1330-1408) ने उस आदर्श को समान सफलता के साथ अंग्रेजी कविता में प्रतिष्ठित किया।

पुनर्जागरण युग

मध्ययुगीन संस्कृति के अवशेषों के बावजूद 16वीं शताब्दी इंग्लैंड में पुनर्जागरण के मानवतावाद का उत्कर्ष काल है। यह मानवतावाद सामंती व्यवस्था के धर्म, समाज, नैतिकता और दर्शन के विरूद्ध व्यापारी पूँजीपतियों के नए वर्ग की विचारधारा थी। इसी वर्ग की प्रेरणा से धर्म-सुधार-आंदोलन (रिफार्मेशन) हुआ, ज्योतिष और विज्ञान में क्रांतिकारी अनुसंधान हुए, धन और नए देशों की खोज में साहसिक सामुद्रिक यात्राएँ हुईं। मानवतावाद ने व्यक्ति के ज्ञान और कर्म की अमित संभावनाओं के साथ-साथ साहित्य में प्रयोगों और कल्पना की मुक्ति की घोषणा की।

16वीं सदी में अंग्रेजी कविता

इंग्लैंड में इटली, फ्रांस, स्पेन और जर्मनी के काफी बाद आने के कारण यहाँ का पुनर्जागरण इन देशों, विशेषतः इटली, से अत्यधिक प्रभावित हुआ। पुनर्जागरण के प्रथम दो कवियों में सर टॉमस वायट (1503-42) और अर्ल ऑव सरे (1517-47) हैं। वायलट ने पेत्रार्क के आधार पर अंग्रेजी में सॉनेट लिखे और इटली से अनेक छंद उधार लिए। सरे ने सॉनेट के अतिरिक्त इटली से अतुकांत छंद लिया। इन कवियों ने प्राचीन यूनानी साहित्य और पेत्रार्क इत्यादि को पैस्टरल कविता की रूढ़ियों को अंग्रेजी में आत्मसात् किया तथा अनेक सुंदर और तरल गीत लिखे।

17वीं सदी में अंग्रेजी कविता

17वीं सदी पूर्वार्ध एलिज़ाबेथ के बाद का समय धार्मिक, सामाजिक, राजनीतिक और वैज्ञानिक क्षेत्र में संघर्ष और संशय का था। कवि अपने परिवेश की अतिशय बौद्धिकता और अनुदारता से त्रस्त जान पड़ते हैं। स्पेंसर के शिष्य ड्रमंड, डैनियल, चैपमन और ग्रेविल भी इससे अछूते नहीं हैं। इस सदी के पूर्वार्ध में कविता का नेतृत्व वेन जॉन्सन (1572-1637) और जॉन डन (1572-1631) ने किया। उनकी काव्य धाराओं को क्रमशः फ़ कैवेलियरफ़ (दरबारी) और फ़ मेटाफ़िज़िकलफ़ (अध्यात्मवादी) कहा जाता है। इस विभाजन के बावजूद उनमें बौद्धिकता, कविताओं और गीतों की लघुता, रति और श्रृंगार, ईश्वर के प्रति भक्ति और उससे भय इत्यादि समान गुण हैं। एलिज़ाबेथ युग की कविता के औदार्य के स्थान पर उनमें घनत्व है।

18वीं सदी में अंग्रेजी कविता

  1. तर्क या रीतिप्रधान युग
  2. रोमैंटिक युग
  3. विक्टोरिया युग

तर्क या रीतिप्रधान युग

18वीं शताब्दी अपेक्षाकृत राजनीति और सामाजिक स्थिरता का काल है। इसमें इंग्लैंड के साम्राज्य, वैभव और आंतरिक सुव्यवस्था का विस्तार हुआ। इस युग के दार्शनिकों और वैज्ञानिकों के अनुसार यंत्र की तरह नियमित सृष्टि तर्क और गणितगम्य है और धर्म की डीइस्ट (प्रकृति देववादी) विचारधारा के अनुसार धर्म श्रुतिसंमत न होकर नैसर्गिक और बुद्धिगम्य है। साहित्य में यह तर्कवाद रीति के आग्रह के रूप में प्रकट हुआ। कवियों ने अपने ढंग से यूनान और रोम के कवियों का अनुकरण करना अनिवार्य समझा। इसका अर्थ था कविता में तर्क, नीर-क्षीर-विवेक और संतुलित बुद्धि की स्थापना। काव्य में शुद्धता को उन्होंने अपना मूल मंत्र बनाया। इस शुद्धता की अभिव्यक्ति विषय वस्तु में सार्वजनीनता (ह्वाट ऑफ्ट वाज़ थॉट बट नेवर सो बेल एक्सप्रेस्ड), भाषा में पदलालित्य, छंद में दशवर्णी द्विपदी में अत्यधिक संतुलन और यतियों में अनुशासन के रूप में हुई।

रोमैंटिक युग

18वीं शताब्दी के कुछ कवियों में अनेक रोमानी तत्वों के अंकुरों के बावजूद रोमैंटिक युग का प्रारंभ 1798 में विलियम वर्ड्स्वर्थ (1770-1850) और सैमुएल टेलर कोलरिज (1772-1834) के संयुक्त संग्रह फ़ लिरिकल बैलड्सफ़ के प्रकाशन से माना जाता है। अंग्रेजी कविता के इस सबसे महान युग के साथ पर्सी बिशी शेली (1792-1822), जॉन कीट्स (1795-1821), जॉर्ज गॉर्डन बायरन (1788-1824), अलफ्रेड टेनिसन (1809-92), रॉबर्ट ब्राउनिंग (1812-89) और मैथ्यू आर्नल्ड (1822-88) के नाम भी जुड़े हुए हैं।

विक्टोरिया युग

रोमैंटिक कविता का उत्तरार्ध विक्टोरिया के शासनकाल के अंतर्गत आता है। विक्टोरिया के युग में मध्यवर्गीय प्रभुत्व की असंगतियाँ उभरने लगी थीं और उसकी शोषण व्यवस्था के विरुद्ध आंदोलन भी होने लगे। वैज्ञानिक समाजवाद के उदय के अतिरिक्त यह काल डार्विन के विकासवाद का भी है जिसने धर्म की भीतें हिला दीं। इन विषमताओं से बचने के लिए ही मध्यवर्गीय उपयोगितावाद, उदारतावाद और समन्वयवाद का जन्म हुआ। समन्वयवादी टेनिसन इस युग का प्रतिनिधि कवि है। उसकी कविता में अतिरंजित कलावाद है। ब्राउनिंग ने आशावाद की शरण ली। अपनी कविता के अनगढ़पन में वह आज की कविता के समीप है। आर्नल्ड और क्लफ़ संशय और अनास्थाजन्य विषाद के कवि हैं।

20वीं शताब्दी में अंग्रेजी कविता

20वीं शताब्दी का प्रारंभ प्रश्नचिह्नों से हुआ, लेकिन उसकी प्रारंभिक कविता में, जिसे जॉर्जियन कविता कहते हैं, 19वीं शताब्दी के आदर्शों का ही प्रक्षेपण है। जॉर्जियन कविता में प्रकृतिप्रेम, अनुभवों की सामान्यतया और अभिव्यक्ति में स्वच्छता और कोमलता पर अधिक जोर है। इसीलिए उस पर अंतरहीनता का आक्षेप किया जाता है। इस शैली के महत्त्वपूर्ण कवियों में रॉबर्ट ब्रिजेज़ (1844-1930), मेसफील्ट (1878) वाल्टर डी ला मेयर, डेवीज़, डी.एच. लारेंस, लारेंस बिन्यन, हॉजसन, रॉबर्ट वेन, रूपर्ट ब्रुक, सैसून, एडमंड ब्लंडन, रॉबर्ट ग्रेव्स, अबरक्रूबी इत्यादि उल्लेखनीय हैं। निश्चय ही, इनमें से अनेक में विशिष्ट प्रतिभा है, सभी उथले भावों के कवि नहीं हैं।

अंग्रेजी गद्य

अंग्रेजी गद्य ने अंग्रेजी कविता, नाटक और उपन्यास के समान ही अंग्रेजी साहित्य को समृद्ध किया है। बाइबिल के अनेक वाक्य अंग्रेजी राष्ट्र के मानस पर सदा के लिए गहरे अंकित हो गए हैं। इसी प्रकार शेक्सपियर, मिल्टन, गिबन, जॉन्सन, न्यूमैन, कार्लाइल और रस्किन के वाक्य अंग्रेज जाति को स्मृति में गूंजते हैं। अंग्रेजी गद्य अनेक साहित्यिक विधाओं द्वारा समृद्ध हुआ है। इनमें उपन्यास, कहानी और नाटक के अतिरिक्त निबंध, जीवनी, आत्मकथा, आलोचना, इतिहास, दर्शन और विज्ञान भी सम्मिलित हैं।

अंग्रेजी नाटक

यूनान की तरह इंग्लैंड में भी नाटक धार्मिक कर्मकांडों से अंकुरित हुआ। मध्ययुग में चर्च (धर्म) की भाषा लातीनी थी और पादरियों के उपदेश भी इसी भाषा में होते थे। इस भाषा से अनभिज्ञ साधारण लोगों को बाइबिल और ईसा के जीवन की कथाएँ उपदेशों के साथ अभिनय का भी उपयोग कर समझाने में सुविधा होती थी। बड़े दिन और ईस्टर के पर्वों पर ऐसे अभिनयों का विशेष महत्व था। इससे धर्मशिक्षा के साथ मनोरंजन भी होता था।

पहले ये अभिनय मूक हुआ करते थे, लेकिन नवीं शताब्दी में लातीनी भाषा में कथोपकथन होने के भी प्रमाण मिलते हैं। कालांतर में बीच-बीच में लोकभाषा का भी प्रयोग किया जाने लगा। अंग्रेजी भाषा 1350 में राजभाषा के रूप में स्वीकृत हुई।

इसलिए आगे चलकर केवल लोकभाषा ही प्रयुक्त होने लगी। इस प्रकार आरंभ से ही नाटक का संबंध जनजीवन से था और समय के साथ वह और भी गहरा होता गया। ये सारे अभिनय गिरजाघरों के भीतर ही होते थे और उनमें उनसे संबद्ध साधु, पादरी और गायक ही भाग से सकते थे। नाटक के विकास के लिए जरूरी था कि उसे कुछ खुली हवा मिले। परिस्थितियों ने इसमें उसकी सहायता की।

अंग्रेजी उपन्यास

अंग्रेजी उपन्यास विश्व के महान साहित्य का विशिष्ट अंग है। फील्डिंग, जेन ऑस्टिन, जार्ज इलियट, मेरेडिथ, टॉमस हार्डी, हेनरी जेम्स, जॉन गाल्सवर्दी और जेम्स ज्वॉयस के समान उत्कृष्ट कलाकारों की कृतियों ने उसे समृद्ध किया है। अंग्रेजी उपन्यास जीवन पर मर्मभेदी दृष्टि डालता है, उसकी समुचित व्याख्या करता है, सामाजिक अनाचारों पर कठोर आघात करता है और जीवन के मर्म को ग्रहण करने का अप्रतिम प्रयास करता है। अंग्रेजी उपन्यास ने अमर पात्रों को एक लंबी पंक्ति भी विश्व साहित्य को दी है। वह इंग्लैंड के सामाजिक इतिहास को एक अपूर्व झाँकी प्रस्तुत करता है।

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