निबंध के प्रकार या भेद – Nibandh Lekhan Ke Prakar, Hindi

Nibandh Lekhan Ke Prakar, Bhed

निबंध के प्रमुख रूप से 5 प्रकार के भेद होते हैं- वर्णनात्मक निबंध, भावात्मक निबंध, विचारात्मक निबंध, व्यंग्यात्मक निबंध और आत्मपरक निबंध। इन सभी प्रकार के निबंध का विवरण निम्नलिखित है-

1. वर्णनात्मक निबंध

किसी भी स्थान, घटना, वस्तु या दृश्य का आंखों देखा अथवा परोक्ष वर्णन इस प्रकार हो कि वह यथार्थ चित्रण लगे। इसमें वर्ण्य विषय की प्रमुखता रहती है। लेखक की भावनाओं का पुट भी दृष्टिगोचर होता है। ऐसे निबंध विषयगत होते हैं। परोक्ष वर्णन (जो प्रत्यक्ष यथार्थ लगे) वाले निबंध विवरणात्मक होते हैं। अतः वर्णनात्मक निबंध लेखन के समय इन तथ्यों का ध्यान रखना चाहिए।

वर्णनात्मक निबंध लेखन के अंतर्गत- होली, दीपावली, ईद या क्रिसमस, यात्रा, दृश्य, स्थान या घटना, गणतंत्र दिवस की परेड, ताजमहल, विभिन्न प्रकार के खेलों आदि पर लिखे गए निबंध प्राय: वर्णनात्मक निबंध कहलाते है।

2. भावात्मक निबंध

ऐसे निबंधों में भावों अर्थात् हृदय पक्ष की प्रधानता रहती है। लेखक निर्द्वन्द्व रूप से भावनाओं की उत्ताल तरंगों में डूबता-उतराता बहता जाता है, किन्तु बुद्धि तत्व को भी नहीं छोड़ता है। वह स्वयं रस-विभोर होकर पाठक को भी रससिक्त कर देता है। इस श्रेणी में वियोगी हरि, रायकृष्ण दास के निबंध उल्लेखनीय हैं। अतः भावात्मक निबंध लेखन के समय इन बातों का ध्यान रखना जरूरी है।

भावात्मक निबंध लेखन के अंतर्गत- वसंतोत्सव, चांदनी रात, बुढ़ापा, बरसात का पहला दिन, मेरे सपनों का भारत आदि। इसमें कल्पनात्मक निबंध भी आते हैं।

कल्पनात्मक निबंध लेखन के उदाहरण है– ‘यदि मैं प्रधानमंत्री होता’ मेरी अभिलाषा, ‘नदी की आत्मकथा’, यदि मोबाइल ना होता, यदि ऐनक ना होता आदि जैसे निबंध कल्पनात्मक निबंध लेखन के उदाहरण है।

3. विचारात्मक निबंध

ऐसे निबंधों में लेखक के अपने विचार, मत और धारणाएं तार्किक ढंग से बुद्धि सम्मत होते हैं। ये निबंध कभी तर्क प्रधान और कभी भावना प्रधान होते हैं। अतः विचारात्मक निबंध लेखन के समय इन विचारों और तर्कों का ध्यान रखना जरूरी है। विचारात्मक निबंध लेखन में विभिन्न प्रकार के विषय, जैसे-

  1. सामजिक विषय– भूदान-यज्ञ, अहिंसा परमो धर्म:, अछतोद्धार विधवा-विवाह;
  2. राजनीतिक विषय– राष्ट्रीय एकता, विश्वबंधुत्व;
  3. दार्शनिक विषय– ईश्वर, आत्मा;
  4. वैज्ञानिक विषय– समाचार पत्र, विज्ञान, कंप्युटर आदि विषय आते हैं।

4. व्यंग्यात्मक निबंध

समाज की विद्रूपता, राजनीतिक छल-प्रपंच, आर्थिक विषमता, धार्मिक पाखण्ड, आदि पर व्यंग्य के कठोर प्रहार करके जनमानस को उद्वेलित करना तथा परोक्ष रूप से सुधार करने के साथ-साथ साहित्यिक मनोरंजन करना भी व्यंग्यात्मक निबंधों का उद्देश्य होता है। अतः व्यंग्यात्मक निबंध लेखन के समय इन तथ्यों को ध्यान में चाहिए।

5. आत्मपरक (ललित) निबंध

आत्मपरक (ललित) निबंधों में अटपटे शीर्षक, विषम-सामान्य कल्पनाओं की उड़ान आदि होती है जिनमें लेखक का व्यक्तित्व अधिक मुखर, स्पष्ट और प्रभावी होता है। इन्हें ललित निबंध भी कहते हैं। अतः आत्मपरक या ललित निबंध लेखन के समय आत्मीयता को ध्यान में चाहिए। इसके अंतर्गत मेरा बचपन, मैं और मेरा जीवन, मेरा जीवन लक्ष्य, मेरी प्रथम रेल यात्रा आदि जैसे निबंध आते हैं।

साहित्यिक या आलोचनात्मक निबंध

किसी साहित्यकार, साहित्यिक विधा या साहित्यिक प्रवृत्ति पर लिखा गया निबंध साहित्यिक या आलोचनात्मक निबंध कहलाता है, जैसे मुंशी प्रेमचंद, तुलसीदास, आधुनिक हिन्दी कविता, छायावाद हिन्दी साहित्य का स्वर्णयुग आदि। इसमें ललित निबंध भी आते हैं। इनकी भाषा काव्यात्मक और रसात्मक होती है। ऐसे निबंध शोध पत्र के रूप में अधिक लिखे जाते हैं।

चारित्रात्मक निबंध

चारित्रात्मक निबंध लेखन के अंतर्गत किसी व्यक्ति विशेष या वस्तु पर लिखे जाते हैं। इस प्रकार के निबंधों में भाषा की शालीनता अति आवश्यक होती है। चारित्रात्मक निबंध लेखन के अंतर्गत- मेरा प्रिय रचनाकार, मेरा प्रिय कवि, मेरा प्रिय खिलाड़ी, मेरी प्रिय पुस्तक इत्यादि जैसे विषय आते हैं।

निबंध लेखन की विशेषताएं एवं गुण

सारी दुनिया की भाषाओं में निबंध लेखन को साहित्य की सृजनात्मक विधा के रूप में मान्यता आधुनिक युग में ही मिली है। आधुनिक युग में ही मध्ययुगीन धार्मिक, सामाजिक रूढ़ियों से मुक्ति का द्वार दिखाई पड़ा है। इस मुक्ति से निबंध का गहरा संबंध है।

एक अच्छे निबंध लेखन में विशेषता:

  1. एक अच्छे निबंध में संक्षिप्तता, एकसूत्रता तथा पूर्णता जैसे गुण विद्यमान होते हैं।
  2. निबंध लेखक को पुनरुक्ति से बचना चाहिए तथा अपनी बात को तर्कपूर्ण ढंग से व्यक्त करना चाहिए।
  3. तर्कों की पुष्टि हेतु आंकड़े, उद्धरण आदि इस प्रकार से प्रस्तुत करने चाहिए जिससे वे विषय के साथ एकरस हो जाएं, पैबन्द जुड़े हुए प्रतीत न हों।

हजारीप्रसाद द्विवेदी के अनुसार, “नए युग में जिन नवीन ढंग के निबंधों का प्रचलन हुआ है वे व्यक्ति की स्वाधीन चिन्ता की उपज है।” इस प्रकार निबंध में निबंधकार की स्वच्छंदता का विशेष महत्त्व है।

आचार्य रामचंद्र शुक्ल ने लिखा है, “निबंध लेखक अपने मन की प्रवृत्ति के अनुसार स्वच्छंद गति से इधर-उधर फूटी हुई सूत्र शाखाओं पर विचरता चलता है। यही उसकी अर्थ सम्बन्धी व्यक्तिगत विशेषता है। अर्थ-संबंध-सूत्रों की टेढ़ी-मेढ़ी रेखाएँ ही भिन्न-भिन्न लेखकों के दृष्टि-पथ को निर्दिष्ट करती हैं। एक ही बात को लेकर किसी का मन किसी सम्बन्ध-सूत्र पर दौड़ता है, किसी का किसी पर। इसी का नाम है एक ही बात को भिन्न दृष्टियों से देखना। व्यक्तिगत विशेषता का मूल आधार यही है।”

इसका तात्पर्य यह है कि निबंध में किन्हीं ऐसे ठोस रचना-नियमों और तत्वों का निर्देश नहीं दिया जा सकता जिनका पालन करना निबंधकार के लिए आवश्यक है। ऐसा कहा जाता है कि निबंध एक ऐसी कलाकृति है जिसके नियम लेखक द्वारा ही आविष्कृत होते हैं। निबंध में सहज, सरल और आडम्बरहीन ढंग से व्यक्तित्व की अभिव्यक्ति होती है।

हिन्दी साहित्य कोश के अनुसार, “लेखक बिना किसी संकोच के अपने पाठकों को अपने जीवन-अनुभव सुनाता है और उन्हें आत्मीयता के साथ उनमें भाग लेने के लिए आमंत्रित करता है। उसकी यह घनिष्ठता जितनी सच्ची और सघन होगी, उसका निबंध पाठकों पर उतना ही सीधा और तीव्र असर करेगा। इसी आत्मीयता के फलस्वरूप निबंध-लेखक पाठकों को अपने पांडित्य से अभिभूत नहीं करना चाहता।”

इस प्रकार निबंध के दो विशेष गुण होते हैं-

  1. व्यक्तित्व की अभिव्‍यक्ति,
  2. सहभागिता का आत्मीय या अनौपचारिक स्तर।

Nibandh Ke Ang

निबंध लेखन के तीन प्रमुख अंग होते हैं- (1) भूमिका, (2)विषय-वस्तु, और (3)उपसंहार। जबकि निबंध (विधा) के चार अंग होते हैं- (1)शीर्षक या विषय, (2)भूमिका (प्रस्तावना), (3)विषय-वस्तु (विषय-विस्तार) और (4)उपसंहार।

  • शीर्षक या विषय– यह लेखन का अंग नहीं होता है, बल्कि यह किसी विधा (निबंध) का सबसे जरूरी अंग है। जिसका प्रत्येक विधा में एक अलग से स्थान होता है। यह लेखन के बाद में या पहले निर्धारित किया जाता है, परीक्षाओं में निबंध के विषय या शीर्षक पहले से ही दिए हुए होते हैं।
  • भूमिका (प्रस्तावना)– हिंदी निबंध लेखन के इस भाग (अंग) में दिए गए शीर्षक से पाठकों का परिचय कराया जाता है। भूमिका या प्रस्तावना का आकर्षक होना ज़रूरी है, जिससे पाठकों में पूरा निबंध पढ़ने की उत्सुकता बढ़ती है।
  • विषय-वस्तु (विषय-विस्तार)– यह निबंध लेखन का मुख्य भाग होता है जिसमें विषय को आरंभ, मध्य और अंत इत्यादि उपभागों में बाँट लेना चाहिए और मुख्य विषय के उपशीर्षक बना लेने चाहिए। इसमें लेखक अपने समस्त विचारों को विस्तार से रखता है।
  • उपसंहार (निष्कर्ष)– यह निबंध लेखन का अंतिम भाग होता है, जिसे लेखक को इस प्रकार लिखना चाहिए कि विषय के मूलभाव को संतुलित तरीके से समेट सके।

पढ़ें हिंदी के प्रमुख निबंध-

  1. साहित्य और समाज
  2. राष्ट्र भाषा हिंदी
  3. मेरा प्रिय कवि : तुलसीदास
  4. मेरी प्रिय पुस्तक : रामचरितमानस
  5. भारतीय समाज में नारी का स्थान
  6. दहेज़ प्रथा : एक अभिशाप
  7. बेरोजगारी की समस्या
  8. युवा शक्ति में असंतोष : कारण और निवारण
  9. आरक्षण नीति
  10. आतंकवाद
  11. भ्रष्टाचार : कारण एवं निवारण
  12. नशाखोरी : एक अभिशाप
  13. विज्ञान की उपलब्धियां
  14. कंप्यूटर : महत्त्व एवं उपयोगिता
  15. दूरदर्शन का प्रभाव
  16. प्रदूषण : कारण एवं निवारण
  17. भारत में अंतरिक्ष अनुसन्धान : इसरो
  18. राष्ट्रीय एकता
  19. भारत की प्रमुख समस्याएं
  20. शिक्षा का निजीकरण
  21. परिवार नियोजन – जनसंख्या वृद्धि को रोकने के उपाय
  22. मंहगाई की समस्या
  23. साम्प्रदायिक सद्भाव – साम्प्रदायिकता की समस्या
  24. प्रौढ़ शिक्षा
  25. स्वदेश प्रेम
  26. समाचार पत्रों की उपयोगिता
  27. परोपकार : परहित सरिस धरम नहिं भाई
  28. स्वाधीनता का महत्त्व
  29. मन की शक्ति
  30. यदि मैं प्रधानमंत्री होता
  31. मेरा प्रिय लेखक : मुंशी प्रेमचंद
  32. नारी शिक्षा या महिला सशक्तिकरण
  33. पर उपदेश कुशल बहुतेरे

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