वर्तनी – शब्द एवं वाक्य शुद्धीकरण, Shuddh ashuddh – हिन्दी व्याकरण

Vartani

वर्तनी: किसी शब्द को लिखने मे प्रयुक्त वर्णो के क्रम को वर्तनी या अक्षरी कहते हैं। अँग्रेजी मे वर्तनी को ‘Spelling’ तथा उर्दू मे हिज्जे कहते हैं। किसी भाषा की समस्त ध्वनियोँ को सही ढंग से उच्चारित करने हेतु वर्तनी की एकरुपता स्थापित की जाती है। जिस भाषा की वर्तनी मे अपनी भाषा के साथ अन्य भाषाओ की ध्वनियो को ग्रहण करने की जितनी अधिक शक्ति होगी, उस भाषा की वर्तनी उतनी ही समर्थ होगी। अतः वर्तनी का सीधा सम्बन्ध भाषागत ध्वनियोँ के उच्चारण से है।

शुद्ध वर्तनी लिखने के प्रमुख नियम निम्न प्रकार है

  • हिन्दी मे विभक्ति चिह्न सर्वनामोँ के अलावा शेष सभी शब्दो से अलग लिखे जाते हैं। जैसे–
  1. मोहन ने पुत्र को कहा।
  2. श्याम को रुपये दे दो।
  • परन्तु सर्वनाम के साथ विभक्ति चिह्न हो तो उसे सर्वनाम में मिलाकर लिखा जाना चाहिए। जैसे–

हमने, उसने, मुझसे, आपको, उसको, तुमसे, हमको, किससे, किसको, किसने, किसलिए आदि।

  • सर्वनाम के साथ दो विभक्ति चिह्न होने पर पहला विभक्ति चिह्न सर्वनाम में मिलाकर लिखा जाएगा एवं दूसरा अलग लिखा जाएगा। जैसे–

आपके लिए, उसके लिए, इनमें से, आपमें से, हममें से आदि।

  • सर्वनाम और उसकी विभक्ति के बीच ‘ही’ अथवा ‘तक’ आदि अव्यय होँ तो विभक्ति सर्वनाम से अलग लिखी जायेगी। जैसे–

आप ही के लिए, आप तक को, मुझ तक को, उस ही के लिए।

  • संयुक्त क्रियाओँ में सभी अंगभूत क्रियाओँ को अलग–अलग लिखा जाना चाहिए। जैसे–

जाया करता है, पढ़ा करता है, जा सकते हो, खा सकते हो, आदि।

  • पूर्वकालिक प्रत्यय ‘कर’ को क्रिया से मिलाकर लिखा जाता है।

जैसे– सोकर, उठकर, गाकर, धोकर, मिलाकर, अपनाकर, खाकर, पीकर, आदि।

  • द्वन्द्व समास में पदोँ के बीच योजन चिह्न (–) हाइफन लगाया जाना चाहिए। जैसे–

माता–पिता, राधा–कृष्ण, शिव–पार्वती, बाप–बेटा, रात–दिन आदि।

  • तक, साथ आदि अव्ययोँ को पृथक लिखा जाना चाहिए। जैसे–

मेरे साथ, हमारे साथ, यहाँ तक, अब तक आदि।

  • जैसा’ तथा ‘सा’ आदि सारूप्य वाचकोँ के पहले योजक चिह्न (–) का प्रयोग किया जाना चाहिए। जैसे–

चाकू–सा, तीखा–सा, आप–सा, प्यारा–सा, कन्हैया–सा आदि।

  • जब वर्णमाला के किसी वर्ग के पंचम अक्षर के बाद उसी वर्ग के प्रथम चारोँ वर्णोँ में से कोई वर्ण हो तो पंचम वर्ण के स्थान पर अनुस्वार (ं ) का प्रयोग होना चाहिए। जैसे–

कंकर, गंगा, चंचल, ठंड, नंदन, संपन्न, अंत, संपादक आदि।

  • परंतु जब नासिक्य व्यंजन (वर्ग का पंचम वर्ण) उसी वर्ग के प्रथम चार वर्णोँ के अलावा अन्य किसी वर्ण के पहले आता है तो उसके साथ उस पंचम वर्ण का आधा रूप ही लिखा जाना चाहिए। जैसे–

पन्ना, सम्राट, पुण्य, अन्य, सन्मार्ग, रम्य, जन्म, अन्वय, अन्वेषण, गन्ना, निम्न, सम्मान आदि परन्तु घन्टा, ठन्डा, हिण्दी आदि लिखना अशुद्ध है।

  • अ, ऊ एवं आ मात्रा वाले वर्णोँ के साथ अनुनासिक चिह्न (ँ ) को इसी चन्द्रबिन्दु (ँ ) के रूप में लिखा जाना चाहिए। जैसे–

आँख, हँस, जाँच, काँच, अँगना, साँस, ढाँचा, ताँत, दायाँ, बायाँ, ऊँट, हूँ, जूँ आदि।

  • परन्तु अन्य मात्राओँ के साथ अनुनासिक चिह्न को अनुस्वार (ं ) के रूप में लिखा जाता है। जैसे–

मैँने, नहीँ, ढेँचा, खीँचना, दायेँ, बायेँ, सिँचाई, ईँट आदि।

  • संस्कृत मूल के तत्सम शब्दोँ की वर्तनी में संस्कृत वाला रूप ही रखा जाना चाहिए, परन्तु कुछ शब्दोँ के नीचे हलन्त (् ) लगाने का प्रचलन हिन्दी में समाप्त हो चुका है। अतः उनके नीचे हलन्त न लगाया जाये। जैसे–

महान, जगत, विद्वान आदि। परन्तु संधि या छन्द को समझाने हेतु नीचे हलन्त लगाया जाएगा।

  • अँग्रेजी से हिन्दी में आये जिन शब्दोँ में आधे ‘ओ’ (आ एवं ओ के बीच की ध्वनि ‘ऑ’) की ध्वनि का प्रयोग होता है, उनके ऊपर अर्द्ध चन्द्रबिन्दु लगानी चाहिए। जैसे–

बॉल, कॉलेज, डॉक्टर, कॉफी, हॉल, हॉस्पिटल आदि।

  • संस्कृत भाषा के ऐसे शब्दोँ, जिनके आगे विसर्ग ( : ) लगता है, यदि हिन्दी में वे तत्सम रूप में प्रयुक्त किये जाएँ तो उनमें विसर्ग लगाना चाहिए। जैसे–

दुःख, स्वान्तः, फलतः, प्रातः, अतः, मूलतः, प्रायः आदि। परन्तु दुखद, अतएव आदि में विसर्ग का लोप हो गया है।

  • विसर्ग के पश्चात् श, ष, या स आये तो या तो विसर्ग को यथावत लिखा जाता है या उसके स्थान पर अगला वर्ण अपना रूप ग्रहण कर लेता है। जैसे–
  1. दुः + शासन = दुःशासन या दुश्शासन
  2. निः + सन्देह = निःसन्देह या निस्सन्देह।

वर्तनी संबंधी अशुद्धियाँ एवं उनमें सुधार

उच्चारण दोष अथवा शब्द रचना और संधि के नियमोँ की जानकारी की अपर्याप्तता के कारण सामान्यतः वर्तनी अशुद्धि हो जाती है। वर्तनी की अशुद्धियोँ के प्रमुख कारण निम्न हैं–

उच्चारण दोष

कई क्षेत्रोँ व भाषाओँ में, स–श, व–ब, न–ण आदि वर्णोँ में अर्थभेद नहीँ किया जाता तथा इनके स्थान पर एक ही वर्ण स, ब या न बोला जाता है जबकि हिन्दी में इन वर्णोँ की अलग–अलग अर्थ–भेदक ध्वनियाँ हैं। अतः उच्चारण दोष के कारण इनके लेखन में अशुद्धि हो जाती है। जैसे–

#अशुद्धशुद्ध
1.कोसिसकोशिश
2.सीदासीधा
3.सबीसभी
4.सोरशोर
5.अरामआराम
6.पाणीपानी
7.बबालबवाल
8.पाठसालापाठशाला
9.शबशव
10.निपुननिपुण
11.प्रानप्राण
12.बचनवचन
13.ब्यवहारव्यवहार
14.रामायनरामायण
15.गुनगुण
  • जहाँ ‘श’ एवं ‘स’ एक साथ प्रयुक्त होते हैं वहाँ ‘श’ पहले आयेगा एवं ‘स’ उसके बाद। जैसे–

शासन, प्रशंसा, नृशंस, शासक ।

  • इसी प्रकार ‘श’ एवं ‘ष’ एक साथ आने पर पहले ‘श’ आयेगा फिर ‘ष’, जैसे–

शोषण, शीर्षक, विशेष, शेष, वेशभूषा, विशेषण आदि।

  • स् के स्थान पर पूरा ‘स’ लिखने पर या ‘स’ के पहले किसी अक्षर का मेल करने पर अशुद्धि हो जाती है, जैसे–

इस्त्री (शुद्ध होगा– स्त्री), अस्नान (शुद्ध होगा– स्नान), परसपर अशुद्ध है जबकि शुद्ध है परस्पर।

अक्षर रचना की जानकारी का अभाव

देवनागरी लिपि में संयुक्त व्यंजनोँ में दो व्यंजन मिलाकर लिखे जाते हैं, परन्तु इनके लिखने में त्रुटि हो जाती है, जैसे–

#अशुद्धशुद्ध
1.आर्शीवादआशीर्वाद
2.निमार्णनिर्माण
3.पुर्नस्थापनापुनर्स्थापना

बहुधा ‘र्’ के प्रयोग में अशुद्धि होती है। जब ‘र्’ (रेफ़) किसी अक्षर के ऊपर लगा हो तो वह उस अक्षर से पहले पढ़ा जाएगा। यदि हम सही उच्चारण करेँगे तो अशुद्धि का ज्ञान हो जाता है। आशीर्वाद में ‘र्’ , ‘वा’ से पहले बोला जायेगा– आशीर् वाद। इसी प्रकार निर्माण में ‘र्’ का उच्चारण ‘वा’ से पहले होता है, अतः ‘र्’ वा के ऊपर आयेगा।

जिन शब्दोँ में व्यंजन के साथ स्वर, ‘र्’ एवं आनुनासिक का मेल हो उनमें उस अक्षर को लिखने की विधि है–

  • अक्षर स्वर र् अनुस्वार (ं )। जैसे–
  1. त् ए र् अनुस्वार=शर्तेँ
  2. म् ओ र् अनुस्वार=कर्मोँ।

इसी प्रकार औरोँ, धर्मोँ, पराक्रमोँ आदि को लिखा जाता है।

  • कोई, भाई, मिठाई, कई, ताई आदि शब्दोँ को कोयी, भायी, मिठायी, तायी आदि लिखना अशुद्ध है। इसी प्रकार अनुयायी, स्थायी, वाजपेयी शब्दोँ को अनयाई, स्थाई, वाजपेई आदि रूप में लिखना भी अशुद्ध होता है।
  • सम् उपसर्ग के बाद य, र, ल, व, श, स, ह आदि ध्वनि हो तो ‘म्’ को हमेशा अनुस्वार (ं ) के रूप में लिखते हैं, जैसे–

संयम, संवाद, संलग्न, संसर्ग, संहार, संरचना, संरक्षण आदि।

इन्हेँ सम्शय, सम्हार, सम्वाद, सम्रचना, सम्लग्न, सम्रक्षण आदि रूप में लिखना सदैव अशुद्ध होता है।

  • आनुनासिक शब्दोँ में यदि ‘अ’ या ‘आ’ या ‘ऊ’ की मात्रा वाले वर्णोँ में आनुनासिक ध्वनि (ँ ) आती है तो उसे हमेशा (ँ ) के रूप में ही लिखा जाना चाहिए। जैसे–

दाँत, पूँछ, ऊँट, हूँ, पाँच, हाँ, चाँद, हँसी, ढाँचा आदि।

  • परन्तु जब वर्ण के साथ अन्य मात्रा हो तो (ँ ) के स्थान पर अनुस्वार (ं ) का प्रयोग किया जाता है, जैसे–

फेँक, नहीँ, खीँचना, गोँद आदि।

विराम चिह्नोँ का प्रयोग न होने पर भी अशुद्धि हो जाती है और अर्थ का अनर्थ हो जाता है। जैसे–

  • रोको, मत जाने दो।
  • रोको मत, जाने दो।

इन दोनोँ वाक्योँ में अल्प विराम के स्थान परिवर्तन से अर्थ बिल्कुल उल्टा हो गया है।

  • ष’ वर्ण केवल षट् (छह) से बने कुछ शब्दोँ, यथा– षट्कोण, षड़यंत्र आदि के प्रारंभ में ही आता है। अन्य शब्दोँ के शुरू में ‘श’ लिखा जाता है। जैसे–

शोषण, शासन, शेषनाग आदि।

  • संयुक्ताक्षरोँ में ‘ट्’ वर्ग से पूर्व में हमेशा ‘ष्’ का प्रयोग किया जाता है, चाहे मूल शब्द ‘श’ से बना हो, जैसे–

सृष्टि, षष्ट, नष्ट, कष्ट, अष्ट, ओष्ठ, कृष्ण, विष्णु आदि।

  • ‘क्श’ का प्रयोग सामान्यतः नक्शा, रिक्शा, नक्श आदि शब्दोँ में ही किया जाता है, शेष सभी शब्दोँ में ‘क्ष’ का प्रयोग किया जाता है। जैसे–

रक्षा, कक्षा, क्षमता, सक्षम, शिक्षा, दक्ष आदि।

  • ‘ज्ञ’ ध्वनि के उच्चारण हेतु ‘ग्य’ लिखित रूप में निम्न शब्दोँ में ही प्रयुक्त होता है – ग्यारह, योग्य, अयोग्य, भाग्य, रोग से बने शब्द।

जैसे–आरोग्य आदि में।

इनके अलावा अन्य शब्दोँ में ‘ज्ञ’ का प्रयोग करना सही होता है, जैसे– ज्ञान, अज्ञात, यज्ञ, विशेषज्ञ, विज्ञान, वैज्ञानिक आदि।

हिन्दी भाषा सीखने के चार मुख्य सोपान हैं

सुनना, बोलना, पढ़ना, लिखना, हिन्दी भाषा की लिपि देवनागरी है जिसकी प्रधान विशेषता है कि जैसे बोली जाती है वैसे ही लिखी जाती है। अतः शब्द को लिखने से पहले उसकी स्वर-ध्वनि को समझकर लिखना समीचीन होगा। यदि ‘ए’ की ध्वनि आ रही है तो उसकी मात्रा का प्रयोग करें। यदि ‘उ’ की ध्वनि आ रही है तो ‘उ’ की मात्रा का प्रयोग करें।

Shudh Ashudh Shabd Evam Vakya
वाक्य शुद्धि

हिन्दी में अशुद्धियों के विविध प्रकार

शब्द–संरचना तथा वाक्य प्रयोग में वर्तनीगत अशुद्धियोँ के कारण भाषा दोषपूर्ण हो जाती है। प्रमुख अशुद्धियाँ निम्नलिखित हैं–

1. भाषा (अक्षर या मात्रा) सम्बन्धी अशुद्धियाँ

#अशुद्धशुद्ध
1.बृटिशब्रिटिश
2.त्रगुणत्रिगुण
3.रिषीऋषि
4.बृह्माब्रह्मा
5.बन्धबँध
6.पैत्रिकपैतृक
7.जाग्रतीजागृति
8.स्त्रीयाँस्त्रियाँ
9.स्रष्टिसृष्टि
10.अतीअति
11.तैय्यारतैयार
12.आवश्यकीयआवश्यक
13.उपरोक्तउपर्युक्त
14.श्रोतस्रोत
15.जाइयेजाइए
16.लाइयेलाइए
17.लियेलिए
18.अनुगृहअनुग्रह
19.अकाशआकाश
20.असीसआशिष
21.देहिकदैहिक
22.कवियत्रिकवयित्री
23.द्रष्टिदृष्टि
24.घनिष्टघनिष्ठ
25.व्यवहारिकव्यावहारिक
26.रात्रीरात्रि
27.प्राप्तीप्राप्ति
28.सामर्थसामर्थ्य
29.एकत्रितएकत्र
30.ईर्षाईर्ष्या
31.पुन्यपुण्य
32.कृतघ्नीकृतघ्न
33.बनितावनिता
34.निरिक्षणनिरीक्षण
35.पतीपति
36.आक्रष्टआकृष्ट
37.सामिलशामिल
38.मष्तिस्कमस्तिष्क
39.निसारनिःसार
40.सन्मानसम्मान
41.हिन्दुहिन्दू
42.गुरूगुरु
43.दान्तदाँत
44.चहिएचाहिए
45.प्रथकपृथक्
46.परिक्षापरीक्षा
47.षोडषीषोडशी
48.परीवारपरिवार
49.परीचयपरिचय
50.सौन्दर्यतासौन्दर्य
51.अज्ञानताअज्ञान
52.गरीमागरिमा
53.समाधीसमाधि
54.बूड़ाबूढ़ा
55.ऐक्यताएक्य,एकता
56.पूज्यनीयपूजनीय
57.पत्निपत्नी
58.अतीशयअतिशय
59.संसारिकसांसारिक
60.शताब्दिशताब्दी
61.निरोगनीरोग
62.दुकानदूकान
63.दम्पतिदम्पती
64.अन्तर्चेतनाअन्तश्चेतना

2. लिंग सम्बन्धी अशुद्धियाँ

हिन्दी में लिंग सम्बन्धी अशुद्धियाँ प्रायः दिखाई देती हैं। इस दृष्टि से निम्न बातोँ का ध्यान रखना चाहिए—

  1. विशेषण शब्दों का लिंग सदैव विशेष्य के समान होता है।
  2. दिनों, महीनों, ग्रहों, पहाड़ों, आदि के नाम पुल्लिंग में प्रयुक्त होते हैं, किन्तु तिथियों, भाषाओं और नदियों के नाम स्त्रीलिंग में प्रयोग किये जाते हैं।
  3. प्राणिवाचक शब्दोँ का लिंग अर्थ के अनुसार तथा अप्राणिवाचक शब्दों का लिंग व्यवहार के अनुसार होता है।
  4. अनेक तत्सम शब्द हिन्दी में स्त्रीलिंग में प्रयुक्त होते हैं।

लिंग संबंधी अशुद्धियों के उदाहरण

#अशुद्ध लिंग प्रयोगशुद्ध शब्द
1.दही बड़ी अच्छी है।बड़ा अच्छा
2.आपने बड़ी अनुग्रह कीबड़ा, किया
3.मेरा कमीज उतार लाओ।मेरी
4.लड़के और लड़कियाँ चिल्ला रहे हैं।रही
5.कटोरे में दही जम गईगया
6.मेरा ससुराल जयपुर में है।मेरी
7.महादेवी विदुषी कवि हैं।कवयित्री
8.आत्मा अमर होता है।होती
9.उसने एक हाथी जाती हुई देखीजाता हुआ देखा
10.मन की मैल काटती है।का, काटता
11.हाथी का सूंड केले के समान होता है।की, होती
12.सीताजी वन को गएगयीं
13.विद्वान स्त्रीविदुषी स्त्री
14.गुणवान महिलागुणवती महिला
15.माघ की महीनामाघ का महीना
16.मूर्तिमान् करुणामूर्तिमयी करुणा
17.आग का लपटआग की लपट
18.मेरा शपथमेरी शपथ
19.गंगा का धारागंगा की धारा
20.चन्द्रमा की मण्डलचन्द्रमा का मण्डल

3. समास सम्बन्धी अशुद्धियाँ

दो या दो से अधिक पदोँ का समास करने पर प्रत्ययोँ का उचित प्रयोग न करने से जो शब्द बनता है, उसमें कभी-कभी अशुद्धि रह जाती है। जैसे–

#अशुद्धशुद्ध
1.दिवारात्रिदिवारात्र
2.निरपराधीनिरपराध
3.ऋषीजनऋषिजन
4.प्रणीमात्रप्राणिमात्र
5.स्वामीभक्तस्वामिभक्त
6.पिताभक्तिपितृभक्ति
7.महाराजामहाराज
8.भ्राताजनभ्रातृजन
9.दुरावस्थादुरवस्था
10.स्वामीहितस्वामिहित
11.नवरात्रानवरात्र

4. संधि सम्बन्धी अशुद्धियाँ

#अशुद्धशुद्ध
1.उपरोक्तउपर्युक्त
2.सदोपदेशसदुपदेश
3.वयवृद्धवयोवृद्ध
4.सदेवसदैव
5.अत्याधिकअत्यधिक
6.सन्मुखसम्मुख
7.उधृतउद्धृत
8.मनहरमनोहर
9.अधतलअधस्तल
10.आर्शीवादआशीर्वाद
11.दुरावस्थादुरवस्था

5. विशेष्य–विशेषण सम्बन्धी अशुद्धियाँ

#अशुद्धशुद्ध
1.पूज्यनीय व्यक्तिपूजनीय व्यक्ति
2.लाचारवशलाचारीवश
3.महान् कृपामहती कृपा
4.गोपन कथागोपनीय कथा
5.विद्वान् नारीविदुषी नारी
6.मान्यनीय मन्त्रीजीमाननीय मन्त्रीजी
7.सन्तोष-चित्तसन्तुष्ट-चित्त
8.सुखमय शान्तिसुखमयी शान्ति
9.सुन्दर वनिताएँसुन्दरी वनिताएँ
10.महान् कार्यमहत्कार्य

6. प्रत्यय–उपसर्ग सम्बन्धी अशुद्धियाँ

#अशुद्धशुद्ध
1.सौन्दर्यतासौन्दर्य
2.लाघवतालाघव
3.गौरवतागौरव
4.चातुर्यताचातुर्य
5.ऐक्यताऐक्य
6.सामर्थ्यतासामर्थ्य
7.सौजन्यतासौजन्य
8.औदार्यताऔदार्य
9.मनुष्यत्वतामनुष्यत्व
10.अभिष्टअभीष्ट
11.बेफिजूलफिजूल
12.मिठासतामिठास
13.अज्ञानताअज्ञान
14.भूगौलिकभौगोलिक
15.इतिहासिकऐतिहासिक
16.निरसनीरस

7. वचन सम्बन्धी अशुद्धियाँ

  1. हिन्दी में बहुत से शब्दोँ का प्रयोग सदैव बहुवचन में होता है, ऐसे शब्द हैं—हस्ताक्षर, प्राण, दर्शन, आँसू, होश आदि।
  2. वाक्य में ‘या’ , ‘अथवा’ का प्रयोग करने पर क्रिया एकवचन होती है। लेकिन ‘और’ , ‘एवं’ , ‘तथा’ का प्रयोग करने पर क्रिया बहुवचन होती है।
  3. आदरसूचक शब्दोँ का प्रयोग सदैव बहुवचन में होता है।

वाक्यों की वचन संबंधी अशुद्धियों के उदाहरण

#अशुद्ध वचन प्रयोगशुद्ध शब्द
1.दो चादर खरीद लाया।चादरेँ
2.एक चटाइयाँ बिछा दो।चटाई
3.मेरा प्राण संकट में हैमेरे, हैं
4.आज मैंने महात्मा का दर्शन कियाके, किये
5.आज मेरा मामा आये।मेरे
6.फूल की माला गूँथो।फूलोँ
7.यह हस्ताक्षर किसका है?ये, किसके, हैं
8.विनोद, रमेश और रहीम पढ़ रहा हैरहे हैं

वचन के शुद्ध-अशुद्ध शब्दों के उदाहरण

#अशुद्धशुद्ध
1.स्त्रीयाँस्त्रियाँ
2.मातायोँमाताओँ
3.नारिओँनारियोँ
4.अनेकोँअनेक
5.बहुतोँबहुत
6.मुनिओँमुनियोँ
7.सबोँसब
8.विद्यार्थीयोँविद्यार्थियोँ
9.बन्धुएँबन्धुओँ
10.दादोँदादाओँ
11.सभीओँसभी
12.नदीओँनदियोँ

8. कारक सम्बन्धी अशुद्धियाँ

#अशुद्ध वाक्यशुद्ध वाक्य
1.राम घर नहीँ है।राम घर पर नहीँ है।
2.अपने घर साफ रखो।अपने घर को साफ रखो।
3.उसको काम को करने दो।उसे काम करने दो।
4.आठ बजने को पन्द्रह मिनट हैं।आठ बजने में पन्द्रह मिनट हैं।
5.मुझे अपने काम को करना है।मुझे अपना काम करना है।
6.यहाँ बहुत से लोग रहते हैं।यहाँ बहुत लोग रहते हैं।

9. शब्द क्रम सम्बन्धी अशुद्धियाँ

#अशुद्ध वाक्य क्रमशुद्ध वाक्य क्रम
1.वह पुस्तक है पढ़ता।वह पुस्तक पढ़ता है।
2.आजाद हुआ था यह देश सन् 1947 में।यह देश सन् 1947 में आजाद हुआ था।
3.‘पृथ्वीराज रासो’ रचना चन्द्रवरदाई की है।चन्द्रवरदाई की रचना ‘पृथ्वीराज रासो’ है।

10. वाक्य रचना सम्बन्धी अशुद्धियाँ एवं सुधार

वाक्य-रचना में कभी विशेषण का विशेष्य के अनुसार उचित लिंग एवं वचन में प्रयोग न करने से या गलत कारक–चिह्न का प्रयोग करने से अशुद्धि रह जाती है।

उचित विराम-चिह्न का प्रयोग न करने से अथवा शब्दोँ को उचित क्रम में न रखने पर भी अशुद्धियाँ रह जाती हैं।

अनर्थक शब्दोँ का अथवा एक अर्थ के लिए दो शब्दोँ का और व्यर्थ के अव्यय शब्दोँ का प्रयोग करने से भी अशुद्धि रह जाती है।

शुद्ध-अशुद्ध वाक्यों के उदाहरण

#अशुद्ध वाक्यशुद्ध वाक्य
1.सीता राम की स्त्री थी।सीता राम की पत्नी थी।
2.मंत्रीजी को एक फूलोँ की माला पहनाई।मंत्रीजी को फूलोँ की एक माला पहनाई।
3.महादेवी वर्मा श्रेष्ठ कवि थीँ।महादेवी वर्मा श्रेष्ठ कवयित्री थीँ।
4.शत्रु मैदान से दौड़ खड़ा हुआ था।शत्र मैदान से भाग खड़ा हुआ।
5.मेरे भाई को मैँने रुपये दिए।अपने भाई को मैँने रुपये दिये।
6.यह किताब बड़ी छोटी है।यह किताब बहुत छोटी है।
7.उपरोक्त बात पर मनन कीजिए।उपर्युक्त बात पर मनन करिये।
8.सभी छात्रोँ में रमेश चतुरतर है।सभी छात्रोँ में रमेश चतुरतम है।
9.मेरा सिर चक्कर काटता है।मेरा सिर चकरा रहा है।
10.शायद आज सुरेश जरूर आयेगा।शायद आज सुरेश आयेगा।
11.कृपया हमारे घर पधारने की कृपा करेँ।हमारे घर पधारने की कृपा करेँ।
12.उसके पास अमूल्य अँगूठी है।उसके पास बहुमूल्य अँगूठी है।
13.गाँव में कुत्ते रात भर चिल्लाते हैं।गाँव में कुत्ते रात भर भौँकते हैं।
14.पेड़ोँ पर कोयल बोल रही है।पेड़ पर कोयल कूक रही है।
15.वह प्रातःकाल के समय घूमने जाता है।वह प्रातःकाल घूमने जाता है।
16.जज ने हत्यारे को मृत्यु दण्ड की सजा दी।जज ने हत्यारे को मृत्यु दण्ड दिया।
17.वह विख्यात डाकू था।वह कुख्यात डाकू था।
18.वह निरपराधी था।वह निरपराध था।
19.आप चाहो तो काम बन जायेगा।आप चाहेँ तो काम बन जायेगा।
20.माँ–बच्चा दोनोँ बीमार पड़ गयीँ।माँ–बच्चा दोनोँ बीमार पड़ गए।
21.बेटी पराये घर का धन होता है।बेटी पराये घर का धन होती है।
22.भक्तियुग का काल स्वर्णयुग माना जाता है।भक्ति–काल स्वर्ण युग माना गया है।
23.बचपन से मैँ हिन्दी बोली हूँ।बचपन से मैँ हिन्दी बोलती हूँ।
24.वह मुझे देखा तो घबरा गया।उसने मुझे देखा तो घबरा गया।
25.अस्तबल में घोड़ा चिँघाड़ रहा है।अस्तबल में घोड़ा हिनहिना रहा है।
26.पिँजरे में शेर बोल रहा है।पिँजरे में शेर दहाड़ रहा है।
27.जंगल में हाथी दहाड़ रहा है।जंगल में हाथी चिँघाड़ रहा है।
28.कृपया यह पुस्तक मेरे को दीजिए।यह पुस्तक मुझे दीजिए।
29.बाजार में एक दिन का अवकाश उपेक्षित है।बाजार में एक दिन का अवकाश अपेक्षित है।
30.छात्र ने कक्षा में पुस्तक को पढ़ा।छात्र ने कक्षा में पुस्तक पढ़ी।
31.आपसे सदा अनुग्रहित रहा हूँ।आपसे सदा अनुगृहीत हूँ।
32.घर में केवल मात्र एक चारपाई है।घर में एक चारपाई है।
33.माली ने एक फूलोँ की माला बनाई।माली ने फूलोँ की एक माला बनाई।
34.वह चित्र सुन्दरतापूर्ण है।वह चित्र सुन्दर है।
35.कुत्ता एक स्वामी भक्त जानवर है।कुत्ता स्वामिभक्त पशु है।
36.शायद आज आँधी अवश्य आयेगी।शायद आज आँधी आये।
37.दिनेश सांयकाल के समय घूमने जाता है।दिनेश सायंकाल घूमने जाता है।
38.यह विषय बड़ा छोटा है।यह विषय बहुत छोटा है।
39.अनेकोँ विद्यार्थी खेल रहे हैं।अनेक विद्यार्थी खेल रहे हैं।
40.वह चलता-चलता थक गया।वह चलते-चलते थक गया।
41.मैँने हस्ताक्षर कर दिया है।मैँने हस्ताक्षर कर दिये हैं।
42.लता मधुर गायक है।लता मधुर गायिका है।
43.महात्माओँ के सदोपदेश सुनने योग्य होते हैं।महात्माओँ के सदुपदेश सुनने योग्य होते हैं।
44.उसने न्याधीश को निवेदन किया।उसने न्यायाधीश से निवेदन किया।
45.हम ऐसा ही हूँ।मैँ ऐसा ही हूँ।
46.पेड़ोँ पर पक्षी बैठा है।पेड़ पर पक्षी बैठा है। या पेड़ोँ पर पक्षी बैठे हैं।
47.हम हमारी कक्षा में गए।हम अपनी कक्षा में गए।
48.आप खाये कि नहीँ?।आपने खाया कि नहीँ?।
49.वह गया।वह चला गया।
50.हम चाय अभी-अभी पिया है।हमने चाय अभी-अभी पी है।
51.इसका अन्तःकरण अच्छा है।इसका अन्तःकरण शुद्ध है।
52.शेर को देखते ही उसका होश उड़ गया।शेर को देखते ही उसके होश उड़ गये।
53.वह साहित्यिक पुरुष है।वह साहित्यकार है।
54.रामायण सभी हिन्दू मानते हैं।रामायण सभी हिन्दुओँ को मान्य है।
55.आज ठण्डी बर्फ मँगवानी चाहिए।आज बर्फ मँगवानी चाहिए।
56.मैच को देखने चलो।मैच देखने चलो।
57.मेरा पिताजी आया है।मेरे पिताजी आये हैं।

प्रमुख शुद्ध-अशुद्ध शब्द

#अशुद्धशुद्ध
1.अतिथीअतिथि
2.अतिश्योक्तिअतिशयोक्ति
3.अमावश्याअमावस्या
4.अनुगृहअनुग्रह
5.अन्तर्ध्यानअन्तर्धान
6.अन्ताक्षरीअन्त्याक्षरी
7.अनूजाअनुजा
8.अन्धेराअँधेरा
9.अनेकोँअनेक
10.अनाधिकारअनधिकार
11.अधिशाषीअधिशासी
12.अन्तरगतअन्तर्गत
13.अलोकितअलौकिक
14.अगमअगम्य
15.अहारआहार
16.अजीविकाआजीविका
17.अहिल्याअहल्या
18.अपरान्हअपराह्न
19.अत्याधिकअत्यधिक
20.अभिशापितअभिशप्त
21.अंतेष्टिअंत्येष्टि
22.अकस्मातअकस्मात्
23.अर्थातअर्थात्
24.अनूपमअनुपम
25.अंतर्रात्माअंतरात्मा
26.अन्वितीअन्विति
27.अध्यावसायअध्यवसाय
28.आभ्यंतरअभ्यंतर
29.अन्वीष्टअन्विष्ट
30.आखरअक्षर
31.आवाहनआह्वान
32.आयूआयु
33.आदेसआदेश
34.अभ्यारण्यअभयारण्य
35.अनुग्रहीतअनुगृहीत
36.अहोरात्रिअहोरात्र
37.अक्षुण्यअक्षुण्ण
38.अनुसूयाअनुसूर्या
39.अक्षोहिणीअक्षौहिणी
40.अँकुरअंकुर
41.आहूतिआहुति
42.आधीनअधीन
43.आशिर्वादआशीर्वाद
44.आद्रआर्द्र
45.आरोगआरोग्य
46.आक्रषकआकर्षक
47.इष्ठइष्ट
48.इर्ष्याईर्ष्या
49.इस्कूलस्कूल
50.इतिहासिकऐतिहासिक
51.इक्षाईक्षा
52.इप्सितईप्सित
53.इकठ्ठाइकट्ठा
54.इन्दूइन्दु
55.ईमारतइमारत
56.एच्छिकऐच्छिक
57.उज्वलउज्ज्वल
58.उतरदाईउत्तरदायी
59.उतरोत्तरउत्तरोत्तर
60.उध्यानउद्यान
61.उपरोक्तउपर्युक्त
62.उपवाशउपवास
63.उदहारणउदाहरण
64.उलंघनउल्लंघन
65.उपलक्षउपलक्ष्य
66.उन्नतिशालीउन्नतिशील
67.उच्छवासउच्छ्वास
68.उज्जयनीउज्जयिनी
69.उदीप्तउद्दीप्त
70.ऊधमउद्यम
71.उछिष्टउच्छिष्ट
72.ऊषाउषा
73.ऊखलीओखली
74.उष्माऊष्मा
75.उर्मिऊर्मि
76.उरुउरू
77.उहापोहऊहापोह
78.ऊंचाईऊँचाई
79.ऊखईख
80.रिधिऋद्धि
81.एक्यऐक्य
82.एतरेयऐतरेय
83.एकत्रितएकत्र
84.एश्वर्यऐश्वर्य
85.ओषधऔषध
86.ओचित्यऔचित्य
87.औधोगिकऔद्योगिक
88.कनिष्टकनिष्ठ
89.कलिन्दीकालिन्दी
90.करूणाकरुणा
91.कविन्द्रकवीन्द्र
92.कवियत्रीकवयित्री
93.कलीदासकालिदास
94.कार्रवाईकार्यवाही
95.केन्द्रियकेन्द्रीय
96.कैलासकैलाश
97.किरनकिरण
98.किर्याक्रिया
99.किँचितकिँचित्
100.कीर्तीकीर्ति
101.कुआकुँआ
102.कुटम्बकुटुम्ब
103.कुतुहलकौतूहल
104.कुशाणकुषाण
105.कुरूतिकुरीति
106.कुसूरकसूर
107.केकयीकैकेयी
108.कोतुककौतुक
109.कोमुदीकौमुदी
110.कोशल्याकौशल्या
111.कोशलकौशल
112.क्रतिकृति
113.क्रतार्थकृतार्थ
114.क्रतज्ञकृतज्ञ
115.कृत्घनकृतघ्न
116.क्रत्रिमकृत्रिम
117.खेतीहरखेतिहर
118.गरिष्टगरिष्ठ
119.गणमान्यगण्यमान्य
120.गत्यार्थगत्यर्थ
121.गुरूगुरु
122.गूंगागूँगा
123.गोप्यनीयगोपनीय
124.गूंजगूँज
125.गौरवतागौरव
126.गृहणीगृहिणी
127.ग्रसितग्रस्त
128.गृहताग्रहीता
129.गीतांजलीगीतांजलि
130.गत्यावरोधगत्यवरोध
131.गृहस्थिगृहस्थी
132.गर्भिनीगर्भिणी
133.घन्टाघण्टा, घंटा
134.घबड़ानाघबराना
135.चन्चलचंचल, चञ्चल
136.चातुर्यताचातुर्य, चतुराई
137.चाहरदीवारीचहारदीवारी, चारदीवारी
138.चेत्रचैत्र
139.तदानुकूलतदनुकूल
140.तत्त्वाधानतत्त्वावधान
141.तनखातनख्वाह
142.तरिकातरीका
143.तखततख्त
144.तड़िज्योतितड़िज्ज्योति
145.तिलांजलीतिलांजलि
146.तीर्थकंरतीर्थंकर
147.त्रसितत्रस्त
148.तत्वतत्त्व
149.दंपतिदंपती
150.दारिद्रयतादारिद्रय, दरिद्रता
151.दुखदुःख
152.दृष्टाद्रष्टा
153.देहिकदैहिक
154.दोगुनादुगुना
155.धनाड्यधनाढ्य
156.धुरंदरधुरंधर
157.धैर्यताधैर्य
158.ध्रष्टधृष्ट
159.झौँकाझोँका
160.तदन्तरतदनन्तर
161.जरुरतजरूरत
162.दयालूदयालु
163.धुम्रधूम्र
164.दुरुहदुरूह
165.धोकाधोखा
166.नैसृगिकनैसर्गिक
167.नाइकानायिका
168.नर्कनरक
169.संगृहसंग्रह
170.गोतमगौतम
171.झुंपड़ीझोँपड़ी
172.तस्तरीतश्तरी
173.छुद्रक्षुद्र
174.छमा,समाक्षमा
175.तोलतौल
176.जजर्रजर्जर
177.जागृतजाग्रत
178.श्रृगालशृगाल
179.श्रृंगारशृंगार
180.गिधगिद्ध
181.चाहियेचाहिए
182.तदोपरान्ततदुपरान्त
183.क्षुदाक्षुधा
184.चिन्हचिह्न
185.तिथीतिथि
186.तैय्यारतैयार
187.धेनूधेनु
188.नटिनीनटनी
189.बन्धूबन्धु
190.द्वन्दद्वन्द्व
191.निरोगनीरोग
192.निश्कलंकनिष्कलंक
193.निरवनीरव
194.नैपथ्यनेपथ्य
195.परिस्थितीपरिस्थिति
196.परलोकिकपारलौकिक
197.नीतीज्ञनीतिज्ञ
198.नृसंसनृशंस
199.न्यायधीशन्यायाधीश
200.परसुरामपरशुराम
201.बढ़ाईबड़ाई
202.प्रहलादप्रह्लाद
203.बुद्धवारबुधवार
204.पुन्यपुण्य
205.बृजब्रज
206.पिपिलिकापिपीलिका
207.बैदेहीवैदेही
208.पुर्नविवाहपुनर्विवाह
209.भीमसैनभीमसेन
210.मच्छिकामक्षिका
211.लखनउलखनऊ
212.मुहुर्तमुहूर्त
213.निरसतानीरसता
214.बुढ़ाबूढ़ा
215.परमेस्वरपरमेश्वर
216.बहुब्रीहबहुब्रीहि
217.नेत्रत्वनेतृत्व
218.भीत्तिभित्ति
219.प्रथकपृथक
220.मंत्रिमन्त्री
221.पर्गल्भप्रगल्य
222.ब्रहमान्डब्रहमाण्ड
223.महात्म्यमाहात्म्य
224.ब्राम्हणब्राह्मण
225.मैथलीशरणमैथिलीशरण
226.बरातबारात
227.व्यावहारव्यवहार
228.भेरवभैरव
229.भगीरथीभागीरथी
230.भेषजभैषज
231.मंत्रीमंडलमन्त्रिमण्डल
232.मध्यस्तमध्यस्थ
233.यसोदायशोदा
234.विरहणीविरहिणी
235.यायाबरयायावर
236.मृत्यूलोकमृत्युलोक
237.राज्यभिषेकराज्याभिषेक
238.युधिष्ठरयुधिष्ठिर
239.रितीकालरीतिकाल
240.यौवनावस्थायुवावस्था
241.रचियतारचयिता
242.लघुत्तरलघूत्तर
243.रोहीताश्वरोहिताश्व
244.वनोषधवनौषध
245.वधुवधू
246.व्याभिचारीव्यभिचारी
247.सूश्रुषासुश्रूषा/शुश्रूषा
248.सौजन्यतासौजन्य
249.संक्षिप्तिकरणसंक्षिप्तीकरण
250.संसदसदस्यसंसत्सदस्य
251.सतगुणसद्गुण
252.सम्मतीसम्मति
253.संघठनसंगठन
254.संततीसंतति
255.समिक्षासमीक्षा
256.सौँदर्यतासौँदर्य/सुन्दरता
257.सौहार्द्रसौहार्द
258.सहश्रसहस्र
259.संगृहसंग्रह
260.संसारिकसांसारिक
261.सत्मार्गसन्मार्ग
262.सदृश्यसदृश
263.सदोपदेशसदुपदेश
264.समरथसमर्थ
265.स्वस्थ्यस्वास्थ्य/स्वस्थ
266.स्वास्तिकस्वस्तिक
267.समबंधसंबंध
268.सन्यासीसंन्यासी
269.सरोजनीसरोजिनी
270.संपतिसंपत्ति
271.समुंदरसमुद्र
272.साधूसाधु
273.समाधीसमाधि
274.सुहागनसुहागिन
275.सप्ताहिकसाप्ताहिक
276.सानंदपूर्वकआनंदपूर्वक, सानंद
277.समाजिकसामाजिक
278.स्त्रावस्राव
279.स्त्रोतस्रोत
280.सारथीसारथि
281.सुईसूई
282.सुसुप्तिसुषुप्ति
283.नयीनई
284.नहीनहीँ
285.निरुत्साहितनिरुत्साह
286.निस्वार्थनिःस्वार्थ
287.निराभिमाननिरभिमान
288.निरानुनासिकनिरनुनासिक
289.निरूत्तरनिरुत्तर
290.नीँबूनीबू
291.न्यौछावरन्योछावर
292.नबाबनवाब
293.निहारिकानीहारिका
294.निशंगनिषंग
295.नुपुरनूपुर
296.परिणितपरिणति, परिणीत
297.परिप्रेक्षपरिप्रेक्ष्य
298.पश्चात्तापपश्चाताप
299.परिषदपरिषद्
300.पुनरावलोकनपुनरवलोकन
301.पुनरोक्तिपुनरुक्ति
302.पुनरोत्थानपुनरुत्थान
303.पितावत्पितृवत्
304.पक्षिपक्षी
305.पूर्वान्हपूर्वाह्न
306.पुज्यपूज्य
307.पूज्यनीयपूजनीय
308.प्रगतीप्रगति
309.प्रज्ज्वलितप्रज्वलित
310.प्रकृतीप्रकृति
311.प्रतीलिपिप्रतिलिपि
312.प्रतिछायाप्रतिच्छाया
313.प्रमाणिकप्रामाणिक
314.प्रसंगिकप्रासंगिक
315.प्रदर्शिनीप्रदर्शनी
316.प्रियदर्शनीप्रियदर्शिनी
317.प्रत्योपकारप्रत्युपकार
318.प्रविष्ठप्रविष्ट
319.पृष्टपृष्ठ
320.प्रगटप्रकट
321.प्राणीविज्ञानप्राणिविज्ञान
322.पातंजलीपतंजलि
323.पौरुषत्वपौरुष
324.पौर्वात्यपौरस्त्य
325.बजारबाजार
326.वाल्मीकीवाल्मीकि
327.बेइमानबेईमान
328.ब्रहस्पतिबृहस्पति
329.भरतरीभर्तृहरि
330.भर्तसनाभर्त्सना
331.भागवानभाग्यवान्
332.भानूभानु
333.भारवीभारवि
334.भाषाईभाषायी
335.भिज्ञअभिज्ञ
336.भैय्याभैया
337.मनुषत्वमनुष्यत्व
338.मरीचकामरीचिका
339.महत्वमहत्त्व
340.मँहगाईमंहगाई
341.महत्वाकांक्षामहत्त्वाकांक्षा
342.मालुममालूम
343.मान्यनीयमाननीय
344.मुकंदमुकुंद
345.मुनीमुनि
346.मुहल्लामोहल्ला
347.माताहीनमातृहीन
348.मूलतयःमूलतः
349.मोहरमुहर
350.योगीराजयोगिराज
351.यशगानयशोगान
352.रविन्द्ररवीन्द्र
353.रागनीरागिनी
354.रुठनारूठना
355.रोहीतरोहित
356.लोकिकलौकिक
357.वस्तुयेँवस्तुएँ
358.वाँछनीयवांछनीय
359.वित्तेषणावित्तैषणा
360.व्रतांतवृतांत
361.वापिसवापस
362.वासुकीवासुकि
363.विधार्थीविद्यार्थी
364.विदेशिकवैदेशिक
365.विधीविधि
366.वांगमयवाङ्मय
367.वरीष्ठवरिष्ठ
368.विस्वासविश्वास
369.विषेशविशेष
370.विछिन्नविच्छिन्न
371.विशिष्ठविशिष्ट
372.वशिष्टवशिष्ठ, वसिष्ठ
373.वैश्यावेश्या
374.वेषभूषावेशभूषा
375.व्यंगव्यंग्य
376.व्यवहरितव्यवहृत
377.शारीरीकशारीरिक
378.विसरामविश्राम
379.शांतीशांति
380.शारांससारांश
381.शाषकीयशासकीय
382.श्रोतस्रोत
383.श्रापशाप
384.शाबासशाबाश
385.शर्बतशरबत
386.शंशयसंशय
387.सिरीषशिरीष
388.शक्तिशीलशक्तिशाली
389.शार्दुलशार्दूल
390.शौचनीयशोचनीय
391.शुरूआतशुरुआत
392.शुरुशुरू
393.श्रादश्राद्ध
394.श्रृंगशृंग
395.श्रृंखलाशृंखला
396.श्रृद्धाश्रद्धा
397.शुद्धीशुद्धि
398.श्रीमतिश्रीमती
399.श्मस्रुश्मश्रु
400.षटाननषडानन
401.सरीतासरिता
402.सन्सारसंसार
403.संश्लिष्ठसंश्लिष्ट
404.हरितिमाहरीतिमा
405.ह्रदयहृदय
406.हिरनहरिण
407.हितेषीहितैषी
408.हिँदुहिंदू
409.ऋषिकेशहृषिकेश
410.हेतूहेतु।