‘परिवार नियोजन या जनसंख्या वृद्धि को रोकने के उपाय’ से मिलते जुलते शीर्षक इस प्रकार हैं-
- जनसंख्या वृद्धि को रोकने के उपाय
- परिवार नियोजन की आवश्यकता
- परिवार नियोजन की विधियां
- जनसंख्या विस्फोट : समस्या और निदान
- बढ़ती जनसंख्या को रोकने के उपाय
निबंध की रूपरेखा
- प्रस्तावना
- परिवार नियोजन का अर्थ
- नियोजित परिवार की आवश्यकता
- परिवार नियोजन की विधियां
- जनजागरण की आवश्यकता
- परिवार नियोजन में बाधाएं
- उपसंहार
परिवार नियोजन या जनसंख्या वृद्धि को रोकने के उपाय
प्रस्तावना
भारत की सबसे बड़ी समस्या है जनसंख्या विस्फोट। तेजी से बढ़ती हुई जनसंख्या ने देश के समक्ष अनेक विकराल समस्याएं खड़ी कर दी है, जिनका समाधान तब तक सम्भव नहीं जब तक जनसंख्या वृद्धि पर अंकुश न लगा दिया जाए।
सन् 1947 में भारत की कुल जनसंख्या 35 करोड़ थी जिसमें पाकिस्तान और बांग्लादेश की जनसंख्या भी शामिल है। सन 2001 में यह जनसंख्या एक अरब को पार कर चुकी थी। वर्तमान समय में (2019 में) भारत की जनसंख्या 130 करोड़ को पार कर चुकी है।
विश्व में चीन के बाद भारत ही सबसे अधिक आबादी वाला देश है। यदि जनसंख्या वृद्धि की इस दर को रोका न गया, तो यह आंकड़ा चीन से भी आगे निकल जाएगा और तो और भीषण परिणाम भी भुगतने पडेंगे।
तीव्र गति से बढ़ती हुई इस जनसंख्या के लिए भोजन, वस्त्र और आवास जैसी सुविधाओं को जुटा पाना भारत जैसे सीमित साधनों वाले देश के लिए सम्भव नहीं है अतः यह परमावश्यक है कि जनसंख्या वृद्धि की गति पर अंकुश लगाया जाए।
परिवार नियोजन का अर्थ
परिवार नियोजन इस बढ़ती हई जनसंख्या पर काबू पाने का सबसे बेहतर उपाय है। परिवार नियोजन का अभिप्राय है परिवार को इस प्रकार नियोजित करना जिससे अधिक संतान उत्पन्न न हो और परिवार के सभी सदस्यों की मूलभत आवश्यकताओं की पूर्ति की जा सके।
परिवार नियोजन के द्वारा दम्पति अपने परिवार को अपनी इच्छा से सीमित रख सकते हैं। बच्चों के जन्म के बीच में पर्याप्त अन्तराल रखने हेतु भी परिवार नियोजन की विधियों को अपनाया जा सकता है।
आज इस बात को समझने की महती आवश्यकता है कि परिवार नियोजन केवल वैयक्तिक प्रश्न नहीं रह गया है, अपितु यह राष्ट्रीय समस्या है और देश के उज्ज्वल भविष्य से जुड़ा प्रश्न है, अतः इसे व्यक्तिगत इच्छा पर नहीं छोड़ा जा सकता। यदि लोग स्वेच्छा से अपने परिवार को सीमित नहीं रखेंगे, तो कानून बनाकर उन्हें सीमित परिवार के लिए बाध्य किया जाना चाहिए।
नियोजित परिवार की आवश्यकता
आज आवश्यकता इस बात की है कि प्रत्येक भारतीय अपना परिवार नियोजित कर उसे मात्र दो बच्चों तक सीमित रखे। प्रत्येक दम्पति अधिक से अधिक दो सन्तानों को जन्म दे और प्रथम सन्तान तब उत्पन्न हो जब माता की आयु कम से कम 21 वर्ष हो तथा द्वितीय सन्तान के जन्म में लगभग चार या पांच वर्ष का अन्तराल हो।
नियोजित परिवार होने से जहां माता-पिता बच्चों का पालन-पोषण भली-भांति कर पाएंगे, उन्हें अच्छी शिक्षा दिला पाएंगे, वहीं राष्ट्र की बढ़ती हुई जनसंख्या पर भी अंकुश लगेगा। पुराने समय में बच्चे भगवान की देन माने जाते थे और अधिक बड़ा परिवार अच्छा माना जाता था।
किन्तु अब समय की मांग है कि हम स्वेच्छा से अपने परिवार को सीमित रखें। यह केवल सरकार का ही दायित्व नहीं है कि वह परिवार नियोजन का प्रचार करे अपितु प्रत्येक सजग नागरिक का कर्तव्य है कि वह परिवार नियोजन की आवश्यकता एवं उपयोगिता से अधिकाधिक लोगों को परिचित कराए, प्रेरित करे एवं प्रोत्साहित करे।
परिवार नियोजन की विधियां
परिवार नियोजन के लिए जो विधियां सामान्यतः प्रयोग में लाई जाती हैं, वे दो प्रकार की हैं। पुरुषों के लिए नसबन्दी आपरेशन और निरोध का प्रयोग तथा महिलाओं के लिए कापर टी, लूप, जेलीक्रीम, गर्भ निरोधक गोलियां तथा नसबन्दी आपरेशन।
इन विधियों में से सबसे सरल और व्यावहारिक उपाय है- पुरुष नसबन्दी। यह एक छोटा-सा आपरेशन है जिसमें चिकित्सक अण्डकोष में बनने वाले शुक्राणुओं को वीर्य में प्रविष्ट होने से रोकने के लिए ‘नस बन्द’ कर देता है। आवश्यकता पड़ने पर इसे जोड़ा भी जा सकता है। नसबन्दी के उपरान्त पुरुष सामान्य रूप से अपना काम-काज कर सकता है।
अस्थायी उपायों में निरोध का प्रयोग तथा महिलाओं द्वारा अपनाए जाने वाले साधन हैं। सरकार ने सभी सरकारी अस्पतालों में एवं प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों पर परिवार नियोजन की सुविधाएं निःशुल्क उपलब्ध कराई हैं। स्वयंसेवी संस्थाएं भी ‘नसबन्दी’ कैम्प आयोजित करती हैं जिनमें इन आपरेशनों को कराने वाले दम्पतियों को आकर्षक उपहार भी दिए जाते हैं।
जन जागरण की आवश्यकता
परिवार नियोजन का विषय आज से कुछ वर्ष पूर्व ऐसा था कि लोग उस पर चर्चा करना भी शर्मनाक समझते थे, किन्तु अब संचार माध्यमों के प्रचार-प्रसार के द्वारा इस विषय को आम
जनता तक पहुंचाने में सरकार को सफलता मिली है।
दूरदर्शन तथा अन्य साधनों ने इस सम्बन्ध में महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वाह किया है। अब पढ़े-लिखे दम्पति नियोजित परिवार की उपयोगिता को अनुभव करने लगे हैं और यथासम्भव अपना परिवार सीमित रखने लगे हैं, किन्तु अशिक्षित ग्रामीण जनता पर अभी अपेक्षित प्रभाव नहीं पड़ा है। वे अभी तक परिवार को नियोजित करने की दिशा में अग्रसर नहीं हुए हैं। कुछ लोग इसे धर्म से जोड़कर परिवार को नियोजित करने से इनकार तक कर देते हैं।
सरकार ने यद्यपि इस दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। सरकारी कर्मचारियों को नियोजित परिसर रखने पर वेतन वृद्धि देकर प्रोत्साहित किया जा रहा है तथा परिवार कल्याण के मद पर आवश्यक धन जुटाने का प्रयास आठवीं पंचवर्षीय योजना में भी किया गया था, तथापि अभी तक अपेक्षित परिणाम प्राप्त नहीं हो सके हैं।
सरकार का लक्ष्य जनसंख्या वृद्धि की दर को 21 प्रति हजार तक सीमित करने का है, किन्तु यह कार्य सरल नहीं है। परिवार नियोजन को जोर जबर्दस्ती से लागू कर पाना लोकतान्त्रिक भारत में सम्भव नहीं है अतः स्वेच्छा से समझा-बुझाकर ही लोगों को नियोजित परिवार के लिए प्रेरित किया जा रहा है।
परिवार नियोजन को प्रभावी बनाने के लिए सरकार को अपने संचार माध्यमों का पूरा-पूरा उपयोग करना चाहिए। ऐसी फिल्में दिखाई जाएं जो आम जनता पर यह प्रभाव डालें कि जिनका परिवार सीमित है, वे अधिक सुखी हैं।
परिवार नियोजन में बाधाएं
परिवार नियोजन में अनेक बाधाएं भी हैं। अशिक्षा के कारण अनेक प्रकार के भ्रम व्याप्त हैं, वहीं बच्चों को भगवान की देन मानने वाले लोगों की भी कमी नहीं है। नसबन्दी के सम्बन्ध में
तमाम लोग यह भ्रम पाले रहते हैं कि नसबन्दी के उपरान्त पुरुष नपुंसक हो जाता है, जबकि यह बिल्कुल गलत है।
आपरेशन के नाम से भी लोग डरते हैं, अतः चाहते हुए भी आपरेशन नहीं करवाते। सरकार को चाहिए कि वह लोगों की निराधार आशंकाओं को दूर करे और ऐसी व्यवस्था करे जिससे लोग अपनी इच्छा से परिवार को नियोजित रखने की ओर ध्यान देने लगें।
उपसंहार
परिवार नियोजन समय की मांग है और इसे जन-जन को अपनाना होगा। इस कार्यक्रम को युद्ध स्तर पर लागू करने की आवश्यकता है, तभी हम बढ़ती हुई जनसंख्या पर अंकुश लगा सकेंगे और देश को विकास पथ पर अग्रसर करने में अपना योगदान कर सकेंगे।
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