“प्रदूषण का कारण एवं निवारण” नामक निबंध के निबंध लेखन (Nibandh Lekhan) से अन्य सम्बन्धित शीर्षक, अर्थात “प्रदूषण का कारण एवं निवारण” से मिलता जुलता हुआ कोई शीर्षक आपकी परीक्षा में पूछा जाता है तो इसी प्रकार से निबंध लिखा जाएगा।
‘प्रदूषण का कारण एवं निवारण’ से मिलते जुलते शीर्षक इस प्रकार हैं-
- प्रदूषण : समस्या और समाधान
- प्रदूषण की समस्या
- पर्यावरण प्रदूषण
- प्रदूषण का दुष्प्रभाव
- प्रदूषण और पर्यावरण
- पर्यावरण की समस्या और प्रदूषण
निबंध की रूपरेखा
- प्रस्तावना
- प्रदूषण का अर्थ
- प्रदूषण के प्रकार
- वायु प्रदूषण
- जल प्रदूषण
- ध्वनि प्रदूषण
- मृदा प्रदूषण
- रेडियोधर्मी प्रदषण
- प्रदूषण के कारण
- प्रदूषण से बचने का उपाय
- उपसंहार
प्रदूषण के कारण एवं निवारण
प्रस्तावना
प्रदूषण आज की प्रमुख समस्या है। महानगरों में प्रदूषण इस सीमा तक बढ़ गया है कि लोगो के लिए सांस लेना भी दूभर हो गया है। यदि प्रदूषण पर समय रहते अंकुश न लगाया गया तो यह समस्या अत्यन्त भयावह रूप धारण कर लेगी। आवश्यकता इस बात की है कि लोगों को इस सम्बन्ध में सचेत एवं जागरूक किया जाए।
प्रदूषण का अर्थ
प्राकृतिक असुंतलन का ही दूसरा नाम प्रदूषण है। मानवीय हस्तक्षेप से जब प्रकृति के किसी एक घटक (तत्व) की मात्रा निश्चित मानकों से कम या अधिक हो जाती है, तो प्रकृति में असन्तुलन उत्पन्न हो जाता है, जिसे प्रदूषण कहा जाता है।
पृथ्वी पर प्रदूषण क्यों प्रारम्भ हुआ, इस सम्बन्ध में विद्वानों में मत वैभिन्य है, किन्तु यह सभी स्वीकार करते हैं कि इसका एक प्रमुख कारण जनसंख्या विस्फोट है। जैसे-जैस जनसंख्या बढ़ती गई, जंगल कटते गए, नगर बसते गए, औद्योगीकरण प्रारम्भ हुआ और प्रदूषण की समस्या उत्पन्न हो गई।
प्रदूषण के प्रकार
सामान्यतः प्रदूषण पांच प्रकार का होता है
- वायु प्रदूषण
- जल प्रदूषण
- ध्वनि
प्रदूषण - मृदा प्रदूषण
- रेडियोधर्मी प्रदूषण
इनमें से प्रत्येक मानव जीवन के लिए हानिकारक है, अतः प्रदूषण के इन प्रकारों के बारे में जानना और उनकी रोकथाम के लिए उपाय करना परम आवश्यक है।
वायु प्रदूषण
वायु प्रदूषण का तात्पर्य है- वायु में हानिकारक गैसों का अनुपात अधिक होना। सामान्यतः वायु में अनेक प्रकार की गैसें एक निश्चित अनुपात में होती हैं किन्तु यदि किसी कारण से यह अनुपात बिगड़ जाए अर्थात वायु की भौतिक रासायनिक संरचना में गड़बड़ी आ जाए तो पारिभाषिक दृष्टि से यह कहा जाएगा कि वायु प्रदूषित हो गई है। स्वच्छ वायु जीवन के लिए परम आवश्यक है। यदि दूषित सांस ली जाएगी तो मानव के स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ेगा और वह अनेक प्रकार के रोगों से ग्रस्त हो जाएगा।
वायु प्रदूषण के प्रमुख कारक
औद्योगीकरण एवं वृक्षों का कटना। उद्योग धन्धों के विकास के साथ-साथ जहरीला धुआँ उगलती चिमनियां प्रतिदिन लाखों टन कार्बन डाई-ऑक्साइड एवं सल्फर डाई-ऑक्साइड जैसी गैमें वायुमण्डल में मिला रही हैं। कार्बन मोनो ऑक्साइड गैस जहरीली है जिससे सांस लेने पर आदमी का दम घुट जाता है। कोयला जलने से यह गैस पर्याप्त मात्रा में बनती है जो वायु को प्रदूषित करती है।
वायु प्रदूषण के रोकथाम के उपाय
पेड़-पौधे वायु प्रदषण को रोकने में सर्वाधिक महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वाह करते हैं। वृक्ष कार्बन डाई ऑक्साइड जैसी हानिकारक गैस को वायुमण्डल से सोख लेते है और जीवनदायिनी ऑक्सीजन गैस निकालते हैं। जितने अधिक वृक्ष एवं हरीतिमा होगी उतना ही वायु प्रदूषण कम होगा।
वायु को स्वच्छ बनाए रखने के लिए यह आवश्यक है कि जंगलों की कटाई बन्द कर दी जाए और प्रत्येक व्यक्ति वृक्षारोपण में सक्रीय योगदान करे। इस सम्बन्ध में जनजागृति की आवश्यकता है। लोगों को प्रदूषण के बारे में बताकर इसके निवारण हेतु शिक्षित करने की अत्यधिक आवश्यकता है। यह कार्य, सरकार, संचार माध्यम, स्वयं सेवी संस्थाओं एवं विद्यालयों का है कि वे प्रदूषण के बारे में लोगों को समय से सचेत करें।
“देश में तेजी से औद्योगीकरण हो रहा है, सड़क यातायात में वृद्धि हो रही है। दोपहिए, तिपहिए एवं चार वाले वे वाहन जो पेट्रोल या डीजल का उपयोग करते हैं, सड़कों पर निरन्तर धुआं उगल रहे हैं। वातावरण प्रदूषित है कि लोगों को साफ हवा भी सांस लेने को उपलब्ध नहीं हो पा रही है। आज इस बात की आवश्यकता अनुभव की जाने लगी है कि प्रत्येक नागरिक प्रदूषण की समस्या को दूर करने में अपना योगदान करे।
जल प्रदूषण
जल प्रदूषण का प्रमुख कारण है नदियों में कारखानों के द्वारा उपयोग में लाए गए दूषित जल का मिल जाना। कानपुर में गंगा नदी में तमाम नाले ऐसा गन्दा पानी डालते हैं जो चमड़े के कारखानों से निकलकर आता है और जिसमें तमाम रासायनिक पदार्थों के अवशेष रहते हैं।
इसी प्रकार मथुरा में यमुना नदी में जल प्रदूषित है क्योंकि मथुरा में साड़ी छपाई में प्रयुक्त होने वाले रसायन गन्दे पाने के साथ मिलकर नालों द्वारा यमुना जल में मिल जाते हैं।
यही नहीं, अपितु बहुत सारे सडे-गले शव भी इन नदियों में प्रवाहित कर दिए जाते हैं जिससे जल प्रदूषित हो जाता है और फिर इसे पेयजल के रूप में प्रयुक्त नहीं किया जा सकता।
कभी-कभी तो यह दूषित जल सिंचाई के लिए सब्जी के खेतों में प्रयुक्त होता है और तब उस सब्जी में घुल मिलकर ये रसायन मनुष्य को पीलिया, हैजा जैसा रोग दे देते हैं।
जल प्रदूषण के रोकथाम के उपाय
जल प्रदूषण को रोकने के लिए सरकार को कानून बनाकर गन्दे पानी को नदियों में डालने पर रोक लगा देनी चाहिए। सरकार इस दिशा में प्रयत्नशील है और गंगा सफाई अभियान के अन्तर्गत सरकार ने टैनरी आदि से निकले जल को साफ करने के बाद ही नदियों में डालने के लिए औद्योगिक इकाइयों को विवश किया है।
इसी प्रकार वायु प्रदूषण को रोकने हेतु सरकार ने कानून बनाए हैं जिसमें कारखानों की चिमनी की एक न्यूनतम ऊचाई निर्धारित की गई है तथा ऐसे फिल्टर लगाने का प्रावधान किया गया है जो हानिकारक रसायन एवं गैसों को रोककर शेष गैसों को वायु में मिलाते हैं। इन कानूनों का कडाई से पालन किया जाना चाहिए। सरकार यद्यपि इस दिशा में सचेष्ट है, तथापि अभी अपेक्षित जनजागृति नहीं हो सकी है।
ध्वनि प्रदूषण
ध्वनि प्रदूषण का सामान्य अर्थ है- शोरगुल। बेतहाशा बढ़ती हुई जनसंख्या ने ध्वनि प्रदूषण को जन्म दिया है। शोर जब एक निश्चित सीमा से अधिक हो जाता है तो व्यक्ति उसे सहन नहीं कर पाता तथा तनाव, बेचैनी को जन्म देता है। इससे मनुष्य के नाड़ी तन्त्र पर तथा दिमाग पर बुरा असर पड़ता है, श्रवण शक्ति भी प्रभावित होती है। कारखानों में जहां शोर अधिक होता है तथा हवाई अड्डों के आस-पास रहने वाले लोगों में ध्वनि प्रदूषण के कारण अनेक प्रकार के रोग उत्पन्न होते देखे गए हैं।
कारखाने की मशीनों का शोर, सड़क पर चलते वाहनों के इन्जनों की आवाज, हार्न, लाउडस्पीकर, म्यूजिक सिस्टम आदि से ध्वनि प्रदूषण होता है। अतः इसे रोकने के लिए शोर के मूल स्रोत पर ही रोक लगानी चाहिए तभी ध्वनि प्रदूषण से मुक्ति मिल सकती है।
मृदा प्रदूषण
मृदा प्रदूषण का अभिप्राय है मिट्टी में दूषित रसायनों का मिल जाना। कीटनाशक दवाइयों का प्रयोग करने से तथा नाना प्रकार के उर्वरकों का प्रयोग करने से मृदा प्रदूषण होता है। यदि इनका संयमित प्रयोग किया जाए और निश्चित सीमा से अधिक प्रदूषित मिट्टी को उपज के लिए प्रयुक्त न किया जाए तो इसके दुष्प्रभावों से बचा जा सकता है।
रेडियोधर्मी प्रदूषण
रेडियोधर्मी प्रदूषण सबसे अधिक हानिकारक है। परमाणु ऊर्जा के लिए जब परमाणु विखण्डन किया जाता तो उससे अनेक प्रकार की रेडियोधर्मी किरणें निकलती हैं जो वातावरण को प्रदूषित कर
देती हैं। इनका प्रभाव मानव जाति के लिए अत्यन्त हानिकारक है। रूस में चेरनोबिल में परमाणु बिजलीघर में हुई दुर्घटना से जो प्रदूषण फैला, उसने सैकड़ों आदमियों की जान ले ली।
परमाणु बम का प्रयोग करने से जापान के दो नगर द्वितीय महायुद्ध में नष्ट हो गए तथा वहां फैली रेडियोधर्मिता का प्रभाव अब भी समाप्त नहीं हो सका है। परमाणु बिजलीघरों में सुरक्षा के बेहतर उपाय करके तथा परमाणु अस्त्रों के निर्माण और प्रयोग पर पाबन्दी लगाकर इस प्रदूषण से बचा जा सकता है।
प्रदूषण के प्रमुख कारण
प्रदूषण का प्रमुख कारण है औद्योगीकरण की तीव्र गति एवं वैज्ञानिक प्रगति। जैसे-जैसे जनसंख्या वृद्धि हो रही है, वैसे-वैसे हमें अधिक कृषि उत्पादन की आवश्यकता पड़ रही है। परिणामतः
जंगल काटे जा रहे हैं और खेती की भूमि का विस्तार हो रहा है। नए घरों को बनाने के लिए इमारती लकड़ी, चाहिए, जिससे वन-सम्पदा का विनाश हो रहा है। औद्योगीकरण के कारण कोयले का प्रयोग अधिक हो रहा है। जिससे आसमान में धुआँ उगलती चिमनियां वायु को प्रदूषित कर रही हैं तथा नदियों में हानिकारक रसायन मिलने से जल प्रदूषित हो रहा है।
उधर कीटनाशक दवाइयां एवं रासायनिक खादों के प्रयोग ने मिट्टी को प्रदूषित कर दिया है। पेट्रोल एवं डीजल वाहनों से निकलने वाले धुएं ने महानगरों में लोगों का सांस लेना दूभर कर दिया
है परमाणु ऊर्जा से होने वाले हानिकारक रेडियोधर्मी प्रदूषण ने भी वातावरण को जहरीला बना रखा है। मशीनों के शोर ने तथा दिन भर चलने वाले यातायात के शोर ने आम आदमी की शान्ति को भंग कर दिया है।
प्रदूषण से बचने के उपाय
प्रदूषण से बचने के लिए कुछ कारगर उपाय निम्नवत हो सकते हैं –
- सरकार कानून बनाकर लोगों को प्रदूषण फैलाने से रोके तथा इन कानूनों का उल्लंघन करने पर कड़े दण्ड का प्रावधान हो।
- अधिक से अधिक वृक्षारोपण किया जाए।
- हरे पेड़ों एवं जंगलों की कटाई पर अंकुश लगाया जाए।
- उद्योगों को प्रदूषण रोकने वाले यन्त्र लगाने पर ही लाइसेन्स दिया जाए।
- नदियों में प्रदूषित पदार्थों को मिलाने वाले उद्योगों पर रोक लगाई जाए।
- परमाणु रिएक्टरों में कड़ी सुरक्षा व्यवस्था की जाए जिससे रेडियो एक्टिव प्रदूषण न फैले।
- कीटनाशक दवाइयों एवं रासायनिक खादों का उपयोग कम से कम किया जाए।
- पेट्रोल एवं डीजल चालित वाहनों को धीरे धीरे बन्द करके सी.एन.जी. एवं बैटरी चालित वाहनो को महानगरों में चलाया जाए।
- जन जागरण द्वारा प्रदूषण की रोकथाम हेतु सतत प्रयास किए जाएं।
उपसंहार
भारत सरकार ने प्रदूषण की रोकथाम के लिए सन 1974 एवं 1981 में कानून बनाए हैं तथा पर्यावरण मन्त्रालय भी इस दिशा में सचेष्ट है तथापि प्रदूषण की रोकथाम करना प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य है। विकास की गति को जारी रखते हुए यथासम्भव प्रदूषण से बचा जाए यही हमारा प्रयास होना चाहिए, तभी हमारी वर्तमान एवं भावी पीढ़ियों का भविष्य सुरक्षित हो सकेगा।
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