साल 2025 में होली का त्योहार 14 मार्च को मनाया जाएगा। होलिका दहन 13 मार्च 2025 को किया जाएगा। पंचांग के अनुसार, फाल्गुन पूर्णिमा तिथि 13 मार्च की सुबह 10:35 बजे से 14 मार्च की दोपहर 12:23 बजे तक रहेगी। होलिका दहन का शुभ मुहूर्त 13 मार्च को रात 11:26 बजे से 12:29 बजे तक रहेगा।
होली: रंगों का त्योहार
होली भारत का एक प्रमुख और रंग-बिरंगा त्योहार है, जिसे रंगों का त्योहार भी कहा जाता है। यह पर्व फाल्गुन मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है और सर्दी के मौसम के अंत और वसंत ऋतु के आगमन का प्रतीक है। होली सिर्फ रंगों का नहीं बल्कि प्यार, भाईचारे और आपसी सौहार्द्र का भी उत्सव है। इस दिन लोग गिले-शिकवे भुलाकर एक-दूसरे को रंग लगाते हैं और खुशियां बांटते हैं।
होली का महत्व
होली का महत्व सामाजिक, सांस्कृतिक और आध्यात्मिक रूप से बहुत गहरा है। यह बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक है, जिसे होलिका दहन की कथा दर्शाती है। रंगों का यह पर्व आपसी प्रेम, सौहार्द और भाईचारे को बढ़ावा देता है। होली नई ऊर्जा, उमंग और खुशी का संचार करती है। 🎨🔥
होली मनाने की परंपराएं
होली का उत्सव दो दिनों तक मनाया जाता है: होलीका दहन और रंगवाली होली।
होलिका दहन 🔥
होली से एक दिन पहले होलिका दहन किया जाता है, जिसे छोटी होली भी कहते हैं। इस दिन लकड़ियां, उपले और सूखी पत्तियां जलाकर होलिका दहन किया जाता है और बुरी शक्तियों को नष्ट करने की कामना की जाती है।
रंगों वाली होली 🎨
होलिका दहन के अगले दिन रंगों की होली खेली जाती है। इस दिन लोग एक-दूसरे को गुलाल, अबीर और रंगों से सराबोर करते हैं। बच्चे पिचकारियों और पानी के गुब्बारों से खेलते हैं, और पूरा माहौल रंगीन और उत्साह से भरा होता है।
होलिका दहन की कहानी एवं कथा 🔥
कहानी (पौराणिक कथा): इस पर्व से जुड़ी प्रमुख पौराणिक कथा प्रह्लाद, हिरण्यकश्यप और होलिका से संबंधित है। राजा हिरण्यकश्यप ने भगवान विष्णु से घृणा करने के कारण अपने पुत्र प्रह्लाद को विष्णु भक्ति से रोकने के लिए कई प्रयास किए। परंतु सफल ना रहा अंत में विष्णु की भक्ति से रोकने के लिए अपनी बहन होलिका की मदद ली। होलिका को वरदान था कि अग्नि उसे जला नहीं सकती, लेकिन जब वह प्रह्लाद को गोद में लेकर अग्नि में बैठी, तो भगवान विष्णु की कृपा से होलिका जल गई और प्रह्लाद सुरक्षित बच गए। इस घटना की याद में होलिका दहन की परंपरा चली आ रही है, जो बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है।
परंपरा: आज भी इस घटना की याद में लकड़ियों, उपलों और सूखी टहनियों का ढेर जलाकर होलिका दहन किया जाता है और बुरी शक्तियों के नाश की कामना की जाती है। होलिका दहन होली से एक दिन पहले मनाया जाता है और यह बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है।
भारत में होली कैसे मनाई जाती है?
ब्रज और मथुरा-वृंदावन की होली
यहां लट्ठमार होली और फूलों की होली विशेष रूप से प्रसिद्ध है, जो भगवान कृष्ण और राधा के प्रेम को दर्शाती है।
शांति निकेतन की होली
पश्चिम बंगाल में बसंत उत्सव के रूप में होली का अनोखा आयोजन किया जाता है, जिसमें नृत्य, संगीत और सांस्कृतिक कार्यक्रम होते हैं।
पंजाब की होला मोहल्ला
सिख समुदाय होला मोहल्ला मनाता है, जिसमें दंगल, घुड़सवारी और परेड होती है।
होली पर बनाए जाने वाले प्रसिद्ध पकवान 🍡🍧
होली सिर्फ रंगों का त्योहार ही नहीं, बल्कि स्वादिष्ट पकवानों का भी पर्व है। इस दिन कई विशेष मिठाइयां और व्यंजन बनाए जाते हैं, जिनमें से कुछ प्रमुख हैं:
1. गुजिया 🥟: होली का सबसे प्रसिद्ध पकवान गुजिया है, जिसे मैदा, खोया, सूखे मेवे और चीनी से तैयार किया जाता है।
2. ठंडाई 🥛: ठंडाई एक खास पेय है, जिसे दूध, बादाम, काजू, सौंफ, इलायची और केसर से बनाया जाता है।
3. मालपुआ 🍯: यह एक मीठा पकवान है, जिसे आटे, दूध और चीनी से तैयार किया जाता है और घी में तला जाता है।
4. दही भल्ले 🥙: यह उत्तर भारत में बहुत लोकप्रिय होता है, जिसमें नरम भल्लों को दही और चटनी के साथ परोसा जाता है।
5. पापड़ी चाट और नमकीन स्नैक्स 🍽️: चटपटे और कुरकुरे स्नैक्स जैसे पापड़ी चाट, नमक पारे और मठरी भी होली पर खूब पसंद किए जाते हैं।
होली पर किए जाने वाले क्रियाकलाप
घरों में पकवान जैसे गुजिया, मालपुआ, दही भल्ले बनाए जाते हैं।
होली से एक दिन पहले होलिका दहन किया जाता है।
बच्चे और बड़े सभी होलिका दहन के बाद उस पर आखत डालने जाते हैं।
इसके बाद लोग एक दूसरे के गले मिलते हैं, और छोटे बड़ों के पैर छूकर आशीर्वाद लेते हैं।
लोग आपसी मनमुटाव भूलकर एक-दूसरे को रंग-गुलाल लगाते हैं।
बच्चे और युवा पानी के रंगों और पिचकारियों से होली खेलते हैं।
होली के गीतों पर नाच-गाना और मेल-मिलाप इस त्योहार का मुख्य आकर्षण होता है।
उत्तर भारत में जगह-जगह फाग आयोजित होती है।
होली पर कहानियाँ 📖
होली से जुड़ी कई पौराणिक और ऐतिहासिक कहानियां प्रचलित हैं:
1. राधा-कृष्ण की होली 🌸
भगवान कृष्ण और राधा की होली बहुत प्रसिद्ध है। कृष्ण अपनी गहरी रंगत को लेकर चिंतित रहते थे, तब उनकी मां यशोदा ने सुझाव दिया कि वह राधा को रंग लगा सकते हैं। इस प्रकार बरसाने और मथुरा की लट्ठमार होली की परंपरा शुरू हुई।
2. कामदेव और शिव की कथा 🏹
एक अन्य कथा के अनुसार, जब भगवान शिव गहरी तपस्या में लीन थे, तब कामदेव ने पार्वती की सहायता के लिए उन्हें जगाने का प्रयास किया। शिव ने क्रोधित होकर कामदेव को भस्म कर दिया, लेकिन बाद में उनकी पत्नी रति के विलाप से प्रसन्न होकर उन्हें पुनः जीवनदान दिया।
होली पर कविताएं
- केशर की, कलि की पिचकारी – सूर्यकांत त्रिपाठी निराला
- साजन! होली आई है! – फणीश्वर नाथ रेणु
- रंग बरसत ब्रज में होरी का – शिवदीन राम जोशी
- होरी खेलत हैं गिरधारी – मीराबाई
- आओ खेलें होली – रंजना भाटिया
- मोहन हो-हो, हो-हो होरी (राग सारंग) – रसखान
- होरी खेलूँगी तोते नाय – फाग
- होरी खेल रहे नंदलाल – शिवदीन राम जोशी
- होरी खेलन आयो स्याम (ब्रजभाषा)
- बरसाने की होली में – अवनीश सिंह चौहान
पढ़ें होली पर सभी कविताएं: Poems on Holi in Hindi।
होली पर गाने 🎶
होली पर कई शानदार गीत गाए जाते हैं, जिनमें कुछ प्रमुख हैं:
- रंग बरसे भीगे चुनर वाली (सिलसिला)
- होली खेले रघुवीरा अवध में (बागबान)
- बलम पिचकारी जो तूने मुझे मारी (ये जवानी है दीवानी)
- जय जय शिवशंकर (वॉर)
- आयो रे आयो रे होरी रे (ज़ख्मी)
होली पर शायरी ✍️
- “रंगों से भी रंगीन जिंदगी है हमारी, रंगीली रहे ये बंदगी है हमारी।” 💖
- “गुलाल की खुशबू, पिचकारी का पानी, होली का त्योहार, रंगों की रवानी!” 🎨
- “रंग बरसे खुशियां आई, होली की मस्ती सबके मन को भाए।” 🌸
होली पर निबंध 📝
होली भारत का एक रंग-बिरंगा और हर्षोल्लास से भरा त्योहार है, जिसे फाल्गुन मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। यह पर्व बुराई पर अच्छाई की जीत और प्रेम, सौहार्द्र और भाईचारे का प्रतीक है।
होली की परंपरा और महत्व:
- होलिका दहन: बुराई के नाश की कामना।
- रंगों वाली होली: आपसी प्रेम और मेलजोल को बढ़ाने का संदेश।
- मिठाइयां और पकवान: पारंपरिक व्यंजन बनाकर खुशियां बांटी जाती हैं।
होली सिर्फ रंगों का त्योहार नहीं, बल्कि प्रेम, भाईचारे और सौहार्द्र का संदेश भी देता है।
होली पर भाषण 🎤
नमस्कार, आदरणीय शिक्षकगण, अभिभावक और प्रिय मित्रों,
आज हम सब यहाँ रंगों के पर्व होली के उपलक्ष्य में एकत्रित हुए हैं। होली भारत का एक महत्वपूर्ण सांस्कृतिक और पारंपरिक त्योहार है। यह पर्व रंगों, प्रेम और एकता का प्रतीक है।
होली के महत्व पर एक दृष्टि:
- बुराई पर अच्छाई की जीत (होलिका दहन की कथा)
- सांस्कृतिक एकता और भाईचारा
- पर्यावरण-अनुकूल होली खेलने की जरूरत
आइए इस होली को प्राकृतिक रंगों, प्यार और सद्भावना के साथ मनाएं और इसे सौहार्द्रपूर्ण और पर्यावरण-अनुकूल बनाएं।
🎊 “होली है!” 🎊
होली पर भेजें ये खूबसूरत शुभकामनाएं
- “रंगों की बारिश हो, खुशियों की फुहार हो, इस होली पर हर ओर बस प्यार ही प्यार हो!” 🌼🌸
- “होली के रंग आपके जीवन में खुशियों का उजाला भर दें। होली मुबारक!” 🎉🎨
- “गुलाल की खुशबू, पिचकारी का पानी, होली का त्योहार, रंगों की रवानी!” 💦💖
और अधिक पढ़ें और भेजें: होली पर शुभकामनाएं (Wish Messages on Holi)।
होली सिर्फ रंगों का पर्व नहीं, बल्कि प्यार, भाईचारे और आनंद का त्योहार है। यह त्योहार हमें सिखाता है कि हम बुराई को जलाकर अच्छाई को अपनाएं और एकता को बनाए रखें। इस होली को सुरक्षित, खुशहाल और पर्यावरण-अनुकूल बनाएं और सबके साथ मिलकर इस उत्सव का आनंद लें!
“आपको और आपके परिवार को होली की हार्दिक शुभकामनाएं!” 🎨🎉