किशोरावस्था में विकास के सिद्धान्त
किशोरावस्था में विकास से सम्बन्धित दो सिद्धान्त प्रचलित हैं-
- आकस्मिक विकास का सिद्धान्त (Theory fo rapid development)
- क्रमशः विकास का सिद्धान्त (Theory of gradual development)
आकस्मिक विकास का सिद्धान्त
(Theory fo rapid development)
इस सिद्धान्त के प्रतिपादक स्टेनले हाल (Stanely Hall) हैं। उनके अनुसार – “किशोरावस्था के परिवर्तन का सम्बन्ध न तो शैशवावस्था से होता है और न ही बाल्यावस्था से। इस प्रकार किशोरावस्था एक नया जन्म कहा जा सकता है। इस अवस्था में बालक में जो परिवर्तन आते हैं, वे परिवर्तन आकस्मिक होते हैं।”
क्रमशः विकास का सिद्धान्त
(Theory of gradual development)
इस सिद्धान्त के अनुसार – किशोरावस्था के परिवर्तन अचानक न होकर क्रमशः होते हैं। किंग (King) का कथन है, “जिस प्रकार एक ऋतु का आगमन दूसरी ऋतु के पश्चात् होता है, परन्तु पहली ऋत में दूसरी ऋतु के आने के लक्षण प्रतीत होने लगते हैं, उसी प्रकार बालक के विकास की अवस्थाएँ भी एक-दूसरे से सम्बन्धित होती हैं।”