इस लेख में आप शिक्षण अधिगम सामग्री के प्रकार और उसके वर्गीकरण के बारे में जानेंगे-
पहले यह जान लेते हैं कि ‘शिक्षण अधिगम सामग्री कहते किसे हैं?‘ जो सामग्री पाठ को रोचक तथा सुबोध बनाने और किसी संकल्प अथवा प्रत्यय विशेष के अर्थ को सुनिश्चित रूप से अधिक स्पष्ट करने में सहायक सिद्ध होती है, उसे शैक्षणिक सहायक सामग्री (Teaching aid) कहा जाता है।
शिक्षण अधिगम सामग्री के प्रकार या वर्गीकरण (Classification of Teaching Learning Material)
शिक्षण अधिगम सामग्री का वर्गीकरण निम्नलिखित प्रकार है-
- अध्यापकों एवं बालकों द्वारा निर्मित सामग्री (Teachers and students made material)
- बाजार से क्रय सामग्री (Purchased material from market)
- विभाग द्वारा प्रदत्त सामग्री (Teaching aids given by department)
- प्रकृति से प्राप्त वस्तुएँ या सामग्री (Obtained material from nature)
1. अध्यापकों एवं बालकों द्वारा निर्मित सामग्री
दृश्य सामग्री के अन्तर्गत कुछ शिक्षण अधिगम सामग्री इस प्रकार की है जो कि शिक्षकों एवं छात्रों के द्वारा तैयार की जा सकती है तथा जिनका प्रयोग शिक्षण के समय किया जा सकता है।
छोटे बालकों को मिट्टी के खिलौनों से एवं मिट्टी से खेलने में बहुत आनन्द आता है। अध्यापक द्वारा बालकों से कहा जाय कि आप अपने घरों से 10 मिट्टी की गोली बनाकर लायेंगे। यह मिट्टी की गोली बनाने में छात्रों को बहुत आनन्द आयेगा। इसके बाद अध्यापक गोलियों को अपने पास एकत्रित करके उनका प्रयोग गणित विषय में गिनती पढ़ाने के लिये कर सकता है। 2 से 10 तक के पहाड़े सिखाने में भी इन मिट्टी की गोलियों का प्रयोग करके गणित जैसे दुरूह एवं नीरस विषय को रुचिपूर्ण विधि से प्रस्तुत किया जा सकता है।
इसी प्रकार छात्रों से कागज की नाव, चार्ट एवं चित्र आदि बनाने को कहा जा सकता है। इसका प्रयोग शिक्षण को रुचिपूर्ण एवं प्रभावी बनाने में सरलतापूर्वक किया जा सकता है।
ठीक इसी प्रकार शिक्षक द्वारा भी अनेक प्रकार की शिक्षण सामग्री का निर्माण किया जा सकता है; जैसे-गत्ते के चौकोर टुकड़ों पर हिन्दी वर्णमाला के सम्पूर्ण अक्षरों को पृथक् रूप से लिखना। इस सामग्री का प्रयोग हिन्दी शिक्षण में किया जा सकता है। छात्रों से कहा जाय कि इस वर्णमाला के अक्षरों में से ‘क’ अक्षर का कार्ड निकालो। दूसरे छात्र से कहा जाय ‘म’ अक्षर का कार्ड निकालो। इसी प्रकार तीसरे छात्र से कहा जाय कि ‘ल’ अक्षर का कार्ड निकालो। तीनों कार्डों को एक लाइन में रखकर छात्रों से पूछा जाय कि क्या अक्षर निर्मित हुआ? छात्रों द्वारा उत्तर दिया जायेगा कि ‘कमल’। इस प्रकार हिन्दी शिक्षण को रुचिपूर्ण एवं प्रभावी बनाया जा सकता है।
अध्यापक द्वारा अंग्रेजी शिक्षण, गणित शिक्षण एवं विज्ञान शिक्षण आदि विषयों में चार्ट, पोस्टर, रेखाचित्र एवं वृत्त आदि के चित्र निर्मित करके तथा उनका प्रयोग करके शिक्षण अधिगम प्रक्रिया को सारगर्भित बनाया जा सकता है।
2. बाजार से क्रय सामग्री
शिक्षण अधिगम सामग्री के निर्माण में समय की बचत के लिये बाजार से भी सामग्री क्रय करके उसका प्रयोग किया जा सकता है। बाजार से क्रय सामग्री खरीदते समय निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिये-
- बाजार से उस शिक्षण अधिगम सामग्री को क्रय किया जाय जिसके निर्माण में अधिक समय लगता है।
- बाजार से क्रय सामग्री की गुणवत्ता का परीक्षण करके ही उसका प्रयोग किया जाय।
- पाठ्यक्रम के अनुसार ही शिक्षण अधिगम सामग्री को बाजार से क्रय करना चाहिये जिससे कि उद्देश्य की पूर्ति की जा सके।
- सामग्री का आकार इस प्रकार का होना चाहिये जिससे कि सम्पूर्ण कक्षा के छात्रों को दृष्टिगोचर हो सके।
- बाजार से क्रय सामग्री क्रय करते समय उपलब्ध धन तथा बजट का भी ध्यान रखना चाहिये।
अध्यापक अपने विषय के अध्यापन को सुगम एवं प्रभावी बनाते हेतु आसपास उपलब्ध हो सकने वाली तथा कुछ बेकार की वस्तुओं को एकत्रित कर प्रकरण (Topic) से सम्बन्धित सम्प्रत्यों का शिक्षण करने हेतु सहायक समाग्री का निर्माण कर लेते हैं। इस प्रकार की सामग्री स्वरचित अधिगम सामग्री कहलाती है। जो सस्ती तथा अधिगम परिस्थितियों के अनुकूल होतीहै।
स्वरचित सामग्री निम्नलिखित वस्तुओं के माध्यम से तैयार की जा सकती है- घास-फूस, सरकण्डे, फटे-पुराने कपड़े, चिकनी मिट्टी, मिट्टी के दीवले, टूटे-फूटे मटके, सुराही एवं मिट्टी के पुराने खिलौने आदि। इस प्रकार की सामग्री का निर्माण करने में छात्रों का भी सहयोग लेना अनिवार्य है। जब छात्र एवं अध्यापक इस प्रकार की सामग्री का मिलकर निर्माण करेंगे तो छात्र इसके प्रयोग में अधिक रुचि लेंगे। इनका निर्माण करने में छात्रों की सभी इन्द्रियों एवं माँसपेशियों का समुचित उपयोग होने से उनमें कौशल विकसित होगा तथा इससे सीखी हुई विषयवस्तु का ज्ञान स्थायी हो सकेगा।
3. विभाग द्वारा प्रदत्त सामग्री
उत्तर प्रदेश शिक्षा विभाग द्वारा भी शैक्षिक सामग्री उपलब्ध करायी जाती है। इसमें ऑपरेशन ब्लैक बोर्ड, गणित किट, विज्ञान किट, पाठ्य-पुस्तकें, प्रशिक्षण साहित्य, अनुपूरक अध्ययन सामग्री तथा शिक्षक सन्दर्शिकाएँ आदि प्रमुख होती हैं। इन शिक्षण सामग्रियों द्वारा छात्रों का शिक्षण अधिगम स्तर पर्याप्त सरल हो जाता है।
4. प्रकृति से प्राप्त वस्तुएँ या सामग्री (Obtained Material from Nature)
प्रकृति से प्राप्त अनेक वस्तुएँ ऐसी होती हैं जिसका प्रयोग सरलता से शिक्षण अधिगम सामग्री के रूप में किया जा सकता है। इस प्रकार की वस्तुओं को प्राप्त करने में किसी प्रकार का व्यय नहीं होता तथा वास्तविक रूप में वस्तुओं का ज्ञान होता है। भारतीय विद्यालयों में प्रकृति से प्राप्त वस्तुओं को शिक्षण अधिगम सामग्री के रूप में प्रयोग करने पर अधिक बल दिया जाता है क्योंकि भारत एक विशाल जनसंख्या वाला देश है। प्रत्येक कार्य के लिये धन की उपलब्धता सम्भव नहीं होती। अतः इस स्थिति में प्रकृति प्रदत्त वस्तुओं के प्रयोग को सर्वोत्तम माना जाता है।
प्रकृति से प्राप्त प्रमुख वस्तुओं का प्रयोग निम्नलिखित रूप में किया जा सकता है-
1. पत्तियाँ (Leaves)– विभिन्न प्रकार के पेड़ एवं पौधों की पत्तियों को सरलतापूर्वक प्राप्त किया जा सकता है। इनका प्रयोग विज्ञान में पत्तियों का ज्ञान प्रदान करते समय शिक्षण अधिगम सामग्री के रूप में किया जा सकता है। छात्रों द्वारा प्रत्यक्ष रूप से पत्तियों को देखकर अधिगम स्तर में वृद्धि होगी। छात्रों को विभिन्न प्रकार की पत्तियों के संग्रह के लिये भी प्रेरित किया जा सकता है इससे उनकी विज्ञान विषय में रुचि उत्पन्न होगी।
2. टहनियाँ (Sprigs)– यदि विज्ञान विषय में पौधों के भाग का वर्णन किया जा रहा है तो टहनी को दिखाकर उसे शिक्षण अधिगम सामग्री के रूप में प्रस्तुत किया जा सकता है।विभिन्न प्रकार के पौधों की टहनियाँ सरलता से उपलब्ध हो जाती हैं। वनस्पति विज्ञान एवं कृषि विज्ञान में टहनियों का प्रयोग आवश्यक रूप से किया जा सकता है।
3. जड़े (Roots)– पौधों में जड़े महत्त्वपूर्ण स्थान रखती हैं। जड़ के द्वारा ही पौधों का उचित विकास सम्भव होता है। शिक्षण अधिगम प्रक्रिया में जड़ के कार्य एवं स्वरूप प्रकरण में हम वास्तविक रूप से पौधे की जड़ को कक्षा में ले जाकर प्रदर्शन कर सकते हैं। छात्रों को वास्तविक रूप से प्रदत्त ज्ञान के द्वारा विज्ञान विषय में रुचि उत्पन्न होगी तथा वे जड़ के कार्यों को उचित रूप में समझ सकेंगे।
4. बीज (Seeds)– प्राथमिक स्तर से लेकर उच्च स्तर तक विज्ञान विषय में विभिन्न प्रकार के बीजों का वर्णन होता है। खाद्यान्न में गेहूँ, चावल, चना एवं दालों का उत्पादन बीजों के अंकुरण पर ही निर्भर करता है। बीज से पौधों किस प्रकार बनता है? इसका प्रयोग छात्रों द्वारा बीज प्रदान करके कर सकते हैं। छात्रों से कहा जाये कि यह बीज आप ले जाकर अपने घर के किसी गमले में मिट्टी के नीचे दबा दो जिससे यह कुछ दिनों में अंकुरित होकर पौधे का रूप धारण कर लेगा। इससे छात्रों की जिज्ञासा सर्वोत्तम विधि से शान्त हो जायेगी। इसी प्रकार बीजों के रूप, रंग एवं आकार का ज्ञान कराने के लिये छात्रों के समक्ष बीजों को प्रस्तुत किया जा सकता है।
5. सींकें (Wickers)– विभिन्न प्रकार की सींकों का प्रयोग भी शिक्षण अधिगम सामग्री के रूप में किया जा सकता है। गणित शिक्षण में समान्तर रेखा, वर्ग, आयत एवं तिर्यक रेखा आदि की आकृति को छात्रों को सींकों द्वारा बनाने के लिये दिया जा सकता है। इससे छात्रों का मनोरंजन भी होगा तथा छात्र गणित की उपरोक्त आकृतियों को सरलतापूर्वक बनाना भी सीख सकेंगे। सींक सरलता से उपलब्ध होने वाली वस्तु है।
6. मिट्टी (Soil)– परिवेश, भूगोल एवं कृषि आदि विषयों में विभिन्न प्रकार की मिट्टियों का वर्णन होता है। मिट्टियों की उपलब्धता के आधार पर ही फसल का उत्पादन सुनिश्चित किया जाता है क्योंकि सभी फसल एक ही प्रकार की मिट्टी में पैदा नहीं की जा सकतीं। छात्रों के समक्ष दोमट मिट्ट, बलुई मिट्टी एवं मटियार आदि मिट्टियों के नमूने प्रस्तुत किये जाने चाहिये जिससे कि छात्र मिट्टियों के रूप एवं रंग से परिचित हो सकें। इस प्रकार से प्रदत्त मिट्टी सम्बन्धी ज्ञान छात्रों को स्थायी रूप से होगा तथा शिक्षण अधिगम प्रक्रिया भी रोचक हो जायेगी।
7. कंकड़ (Pebbler)– कंकड़ों का सर्वोत्तम प्रयोग छात्रों को प्राथमिक स्तर पर गिनती एवं पहाड़े सिखाने में किया जा सकता है। छात्रों को कंकड़ प्रदान करके उन्हें गिनने के लिये दिया जा सकता है। कंकड़ों के ढेर में निश्चित मात्रा में कंकड़ उठाकर लाने के लिये छात्रों को पृथक्-पृथक् निर्देश दिया जा सकता है। इससे छात्र खेल-खेल में ही गिनती सीख सकते हैं।
8. पत्थर (Stones)– विभिन्न प्रकार के पत्थरों के टुकड़ों को भी शिक्षण अधिगम सामग्री के रूप में प्रयोग किया जा सकता है। भूगोल शिक्षण में चट्टानों के विविध प्रकार एवं उनका वर्गीकरण प्रकरण के अन्तर्गत विभिन्न प्रकार की चट्टानों से सम्बन्धित पत्थरों के टुकड़ों को प्रस्तुत किया जा सकता है। इससे छात्रों को विभिन्न प्रकार की चट्टानों के स्वरूप का ज्ञान होता है कि चट्टानों में किस प्रकार के पत्थर पाये जाते हैं।
उपरोक्त विवेचन से यह स्पष्ट होता है कि प्रकृति प्रदत्त वस्तुओं का प्रयोग शिक्षण अधिगम सामग्री के रूप में किया जा सकता है।
इस सन्दर्भ में डॉ. बरौलिया कहती हैं कि “भारतीय प्राथमिक विद्यालयों में प्रकृति प्रदत्त वस्तुएँ शिक्षण अधिगम सामग्री का सर्वोत्तम विकल्प हैं क्योंकि इन वस्तुओं में श्रेष्ठ शिक्षण अधिगम सामग्री के गुण उपस्थित हैं। शिक्षक में इन्हें प्रयोग करने की योग्यता होनी चाहिये।”
इस प्रकार यह स्पष्ट होता है कि शिक्षकों में प्रकृति प्रदत्त वस्तुओं को शिक्षण अधिगम सामग्री के रूप में प्रयोग करने की योग्यता विकसित करनी होगी। इसके लिये उन्हें सेवारत एवं सेवापूर्व दोनों प्रकार से प्रशिक्षित करना चाहिये।