हिन्दी के रिपोर्ताज और रिपोर्ताज कार
हिन्दी का प्रथम रिपोर्ताज “लक्ष्मीपुरा (1938 ई.)” है। जिसके लेखक शिवदान सिंह चौहान हैं। हिन्दी साहित्य की अनेक गद्य विधाओं की तुलना में रिपोर्ताज अपेक्षाकृत नई विधा है। जिसका प्रादुर्भाव द्वितीय विश्व युद्ध (1936 ई.) से स्वीकार किया जाता है।
हिंदी की प्रमुख रिपोर्ताज और रिपोर्ताजकार एवं उनके लेखक की सूची निम्नलिखित है-
रिपोर्ताज और रिपोर्ताज कार
क्रम | रिपोर्ताज (प्रकाशन वर्ष) | लेखक (रिपोर्ताजकार) |
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1. | लक्ष्मीपुरा (1938 ई ‘रूपाभ’ पत्रिका में प्रकाशित होने वाली रिपोर्ट) | शिवदान सिंह चौहान |
2. | तूफानों के बीच (1946 ई., ‘हंस’ पत्रिका में बंगाल के अकाल से संबंधित रिपोट का पुस्तकाकार संकलन) | रांगेय राघव |
3. | देश की मिट्टी बुलाती है। | भदंत आनंद कौसल्यायन |
4. | प्लाट का मोर्चा (1952 ई.) | शमशेर बहादुर सिंह |
5. | क्षण बोले कण मुस्काए (1953 ई.) | कन्हैयालाल मिश्र ‘प्रभाकर’ |
6. | वे लड़ेगे हजारों साल (1966 ई.) | शिव सागर मिश्र |
7. | युद्ध यात्रा (1972 ई.) | धर्मवीर भारती |
8. | जुलूस रूका है (1977 ई.) | विवेकी राय |
9. | ऋण जल धन जल (1977 ई.), नेपाली क्रांति कथा (1978 ई.), श्रुत-अश्रुत पूर्व (1984 ई.) | फणीश्वरनाथ रेणु |
देखें अन्य महत्वपूर्ण विधाओ के रचनाकार और रचनाएँ (लेखक और रचनाएँ)
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