मानसिक तनाव (Mental Tension)
मानसिक तनाव, शारीरिक एवं मानसिक असामान्यता के कारण उत्पन्न होता है। तनाव की परिस्थिति में व्यक्ति इतना अधिक उत्तेजित हो जाता है कि वह परिस्थिति का सामना उचित प्रकार से नहीं कर पाता है।
जैसे– थॉर्नडाइक ने बिल्ली को भूखा रखा तो उसमें क्रिया के प्रति उत्तेजना बढी और शीघ्रातिशीघ्र लक्ष्य को प्राप्त करने का प्रयास किया। अत: तनाव, आवश्यकताएँ, इच्छा, लक्ष्य, अपमान, शारीरिक दोष आदि के कारण उत्पन्न होते हैं।
गेट्स एवं अन्य के अनुसार मानसिक तनाव की परिभाषा
“तनाव, असन्तुलन की दशा है, जो प्राणी को अपनी उत्तेजित दशा का अन्त करने के लिये कोई कार्य करने को प्रेरित करती है।“
इलियेट के शब्दों में मानसिक तनाव की परिभाषा
“तनाव से हमारा अभिप्राय किसी संघर्षात्मक परिस्थिति से है, जो विरोधी या विपरीत मनोवृत्तियों को उत्पन्न करती है।“
अत: यह स्पष्ट होता है कि तनाव व्यक्ति का असामान्य मनोदशा या व्यवहार का परिचायक होता है। इसमें वह उपयुक्त लक्ष्य प्राप्त करने में स्वयं को असफल पाता है। कभी-कभी यह भी देखा गया है कि जो कार्य हम सामान्य दशा में नहीं कर पाते, उसे तनाव की स्थिति में आसानी से कर डालते हैं।
मानसिक तनाव से बचने के उपाय
आज के समय में यह समस्या हर दूसरे व्यक्ति को होती है। परिवार को लेकर ऑफिस को लेकर यह छोटी-छोटी चीजों को लेकर व्यक्ति काफी कुछ सोचता है। छोटी-छोटी समस्याओं को इतनी बड़ी बना लेता है कि वह खुद उन समस्याओं में इतना गिर जाता है कि उसके लिए बाहर निकलना बड़ा मुश्किल हो जाता है।
सुबह जल्दी उठे
तनाव कम करने में सबसे सहायक है कि आप सुबह जल्दी उठे क्योंकि यह वह काम है जिससे आपके कई सारे काम बिगड़ सकते हैं। आपने देखा होगा कि देर तक सोने की आदत आपको कई मुश्किलों में डाल सकती है। देर से उठना देर से सारे काम करना या ऑफ़िस देर से पहुँचना जिसके कारण आपको कई तरह की परेशानियां हो सकती है।
बे-वजह किसी भी काम को ना टाले
हर बार आपने महसूस किया होगा कि आप कि दिनचर्या में होने वाले कामों को आप कुछ समय के लिए टाल देते हैं। जो ऐसा सोचते हैं कि आज नहीं कल कर लेंगे या कल नहीं परसों कर लेंगे तो ऐसा बिल्कुल ना करें जब जिस काम की आवश्यकता हो उस काम को तुरंत निपटा लें।
एक साथ काम करना बंद करें
कई बार हम सोचते हैं कि हम सारे काम कर सकते हैं कई लोगों को किसी दूसरे का काम पसंद नहीं आता वह उस काम को खुद करना पसंद करता है। लेकिन ऐसा बिल्कुल भी ना करें जिसका जो काम है उसे वह काम करने दें अगर उसे नहीं आता है तो उसे सिखाए या उसे बताएं कि इस काम को किस तरह किया जाता है। अगर आप ही करने लग जाएंगे तो दूसरों की जरूरत ही नहीं पड़ेगी।
अपने लिए समय निकालें
भागदौड़ भरी जिंदगी में आज किसी के पास भी समय नहीं है टेक्नोलॉजी के इस नए दौर में इंसान सब कुछ जल्दी पा लेना चाहता है। आजकल ज्यादा से ज्यादा युवा अपना समय सोशल मीडिया पर व्यस्त करते हैं। जिनसे उनकी सोचने समझने की शक्ति समाप्त होने लगती है वह अपने लिए टाइम नहीं निकाल पाते हैं।
जो पसंद हो वह करें
हमें जो भी काम अच्छा लगता है हमारी जिसने भी रुचि है हमें वह करना चाहिए। चाहे वह डांस करना हो पेंटिंग बनाना हो म्यूजिक सुनना हो कविताएं लिखना हो जो भी आपको अच्छा लगे आप वह कर सकते हैं।
नशे से दूर रहें
अधिकतर आपने देखा होगा कि युवा वर्ग सबसे ज्यादा नशे की चपेट में है सिगरेट शराब व कई प्रकार के नशे ने युवाओं को घेर रखा है चाहे खुशी का मौका हो या कोई गम में हो शराब का सेवन हर कोई करता है। वही डिप्रेशन के अगर बात की जाए हर दूसरा व्यक्ति शराब का सेवन करता है अगर आप भी डिप्रेशन में शराब पीते हैं तो सावधान हो जाएं यह गलती बिल्कुल ना करें किसी भी प्रकार का नशा आपके तनाव को और बढ़ा सकता है।
आराम जरूरी
काम की भाग दौड़ में समय न मिलने के कारण आप मानसिक तौर पर काफी व्यस्त रह सकते हैं। जिसके चलते आपके शरीर पर कई प्रभाव हो सकते हैं काम के दौरान हर थोड़ी देर में आपको ब्रेक लेना चाहिए।
व्यायाम करें
अपने आप को फिट रखने के लिए सुबह जल्दी उठकर कसरत करना बहुत लाभकारी है। आप देखेंगे कि आप की पूरी दिनचर्या एक छोटी सी कसरत या व्यायाम से कुछ हद तक ठीक हो सकती है अपने आप को फिट रखने के लिए आजकल हर कोई योगा करता है जिम जाता है।
देर तक सोना
जैसा की हमने पहले भी बताया है कि आपको सुबह जल्दी उठना है अगर आप सुबह जल्दी उठना चाहते हैं तो आपको जल्दी सोना भी पड़ेगा देर रात तक जागने से आपकी नींद पूरी नहीं होगी और आप सुबह जल्दी नहीं उठ पाएंगे।
समायोजन: मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है। वह अन्त समय तक समाज में ही रहना चाहता है। वह उसी समय अधिक प्रसन्न दिखायी देता है, जबकि वह स्वयं की रुचि, पसन्द और अभिवृत्तियों वाले समूह को प्राप्त कर लेता है। इस व्यावहारिक गतिशीलता का ही नाम समायोजन है। जब व्यक्ति अप्रसन्न दिखायी देता है तो यह उसके व्यवहार का कुसमायोजन होता है।…Read More!
भग्नाशा या कुण्ठा: भग्नाशा उस आवश्यकता की पूर्ति या लक्ष्य की प्राप्ति में विफल होने या अवरुद्ध होने की भावना है, जिसे व्यक्ति महत्त्व देता है।…Read More!
रक्षातन्त्र कवच या रक्षा युक्ति: यह व्यक्तियों की प्रतिक्रिया के वह विचार हैं, जिनसे व्यक्ति में उपयुक्तता की भावना बनी रहती है तथा इनकी सहायता से व्यक्ति प्रत्यक्ष रूप से दबावपूर्ण परिस्थितियों से सामना करता है, बहुधा परिक्रियाएँ चेतन तथा वास्तविकता को विकृत करने वाली होती हैं।…Read More!
मानसिक संघर्ष: मानसिक संघर्ष को मानसिक द्वन्द्व के नाम से भी पकारा जाता है। यह संघर्ष पूर्ण रूप से मानसिक होता है और व्यक्ति जब तक किसी निश्चित उद्देश्य का चुनाव नहीं कर लेता यह मानसिक या विचारों का संघर्ष समाप्त नहीं होता। मानसिक संघर्ष विरोधी भावनाओं के कारण उत्पन्न होता है।…Read More!