कहानी-कथन प्रविधि (Story Telling Technique)
कहानी-कथन प्रविधि भाषा शिक्षण की, प्राथमिक स्तर पर बड़ी उपयोगी प्रविधि है, क्योंकि छोटे बालकों को कहानी सुनने का बड़ा शौक होता है। वे छोटी अवस्था से ही अपने माता-पिता, दादा-दादी आदि से कहानी सुनते आये हैं।
अत: कहानी के माध्यम से उन्हें कोई भी ज्ञान बड़ी सरलता से दिया जा सकता है। भाषा की विषयवस्तु का ज्ञान भी उन्हें कहानियों के माध्यम से दिया जा सकता है। अध्यापक को कहानी कहने एवं बनाने की कला में निपुण होना चाहिये।
इस शिक्षण प्रविधि का उपयोग करते समय अध्यापक को निम्नलिखित सावधानियाँ बरतनी चाहिये:-
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कहानी बनाते समय उसके उद्देश्यों से अध्यापक को पूर्ण अवगत होना चाहिये।
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उसे छात्र के स्तर का ध्यान रखना चाहिये।
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कहानी की भाषा सरल एवं बालकों की आयु के अनुसार होनी चाहिये।
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अध्यापक की शैली प्रभावपूर्ण होनी चाहिये।
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कहानी इस प्रकार की हो कि विद्यार्थियों की जिज्ञासा बढ़े।
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प्रसंग के अनुसार उपलब्ध शिक्षण सामग्री का प्रयोग करना चाहिये।
कहानी कथन प्रविधि के गुण (Merits of story telling technique)
इस प्रविधि में निम्नलिखित गुण पाये जाते हैं:-
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इस प्रविधि से शिक्षण में बालकों की रुचि एवं जिज्ञासा बनी रहती है।
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यह मनोवैज्ञानिक प्रविधि है।
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इस प्रविधि से ज्ञान सरलता से दिया जाना सम्भव होता है।
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ज्ञान प्राप्ति के साथ-साथ बालकों का मनोरंजन भी होता है।
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इस प्रविधि द्वारा नीरस एवं उबाऊ विषयवस्तु को भी प्रभावपूर्ण ढंग से पढ़ाया जा सकता है।
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इस प्रविधि में वास्तविक तथ्यों को ही छात्रों के सम्मुख रखा जाता है।
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छात्र कक्षा से भागना नहीं चाहते हैं, बल्कि कहानी सुनने की प्रतीक्षा करते रहते हैं।
कहानी कथन प्रविधि के दोष (Demerits of story telling technique)
उक्त गुणों के होते हुए भी इसमें निम्नलिखित दोष हैं:-
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प्रत्येक अध्यापक कहानी बनाने एवं कहने की कला में प्रवीण नहीं होता।
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उच्च स्तर पर इसका उपयोग करना कठिन है।
उक्त आधार पर यह निष्कर्ष निकलता है कि इसमें अधिकांश गुण ही हैं। अच्छा कुशल कहानी कहने वाला अध्यापक न मिलना इस प्रविधि का दोष तो है नहीं, यह तो अच्छे अध्यापकों की कमी में आता है। यन्त्र का चलाना न आना किसी यन्त्र का दोष नहीं है। अतः कहा जा सकता है कि प्राथमिक स्तर पर कहानी प्रविधि बहुत उपयोगी है। अत: इस प्रविधि का ही उपयोग करना अपेक्षित है।