मॉण्टेसरी प्रविधि (Montessori Technique)
मॉण्टेसरी पद्धति की प्रवर्तिका इटली की महिला डॉ. मॉण्टेसरी हैं। उन्होंने मनोवैज्ञानिक प्रशिक्षण को शिक्षा में बड़ा महत्त्व दिया है। उनके मतानुसार छात्र स्वेच्छा से उठे-बैलें,खेले एवं कार्य करें। उसे आदेश देना अथवा बन्धित करना उपयुक्त नहीं है। उन्होंने ज्ञानेन्द्रियों की शिक्षा पर भी बल दिया है।
मॉण्टेसरी का पाठशाला कार्यक्रम निम्नलिखित तीन वर्गों में विभाजित होता है:-
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व्यावहारिक जीवन की क्रियाएँ,
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ज्ञानेन्द्रियों की शिक्षा,
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प्रारम्भिक पाठ्य-विषय।
डॉ. मॉण्टेसरी ने लिखने की शिक्षा को पढ़ने के पूर्व उपयुक्त माना है। उनके अनुसार लिखने की क्रिया शारीरिक तथा पढ़ने की क्रिया मानसिक है। अत: छात्र को लेखनी पकड़ने, अक्षरों का स्वरूप जानने एवं अक्षरों का ध्वन्यात्मक विश्लेषण करने का क्रमशः अभ्यास मिलना चाहिये।
इसके लिये उन्होंने कागज पर आकृतियों का निर्माण, रेगमाल के कटे शब्दों पर अँगुलियों को फेरना तथा अँगुलियों को फेरते समय ध्वनि उच्चारण की क्रियाओं पर बल दिया है।
शब्दोच्चारण को उन्होंने श्यामपट्ट पर लिखे भागों को पढ़कर सीखने योग्य माना है तथा कार्ड्स पर दिये गये निर्देशों को छात्र मानते हैं तथा अपना कार्य करते हैं।