बालोद्यान शिक्षण प्रविधि (Child Garden Teaching Technique)
बालोद्यान शिक्षण प्रविधि के जन्मदाता जर्मनी के प्रसिद्ध शिक्षाशास्त्री फ्रॉबेल हैं। इन्होंने पाठशाला को एक उद्यान की संज्ञा दी है। इनके अनुसार, “जिस प्रकार पौधे के विकास के लिये खाद, पानी और उपयुक्त वातावरण की आवश्यकता होती है और इन्हें पाकर पौधे में स्वयं विकास होता है, उसी प्रकार छात्र भी उपयुक्त संरक्षण एवं सुविधाओं में विकसित होता है।”
फ्रॉबेल ने शिक्षण पद्धति में खेल को महत्त्वपूर्ण स्थान दिया है। इस पद्धति की अग्रलिखित विशेषताएँ हैं-
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स्वतन्त्रता,
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आत्म-क्रिया,
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सहज क्रियात्मकता,
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मनोरंजन।
छात्र खेलों या उपहारों से अक्षरों का बनाना और लिखना सरलता से सीख जाते हैं। नयी-नयी वस्तुओं के नाम एवं आकार की जानकारी इन्हें हो जाती है।
फ्रॉबेल ने अपनी शिक्षा पद्धति में दो अन्य साधनों का उपयोग और किया है, जो इस प्रकार हैं-
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गीत, कथा तथा
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कहानी या अभिनय हैं।
उपहारों के आदान-प्रदान के समय लययुक्त पद्यों का गान होता है, जिससे छात्रों को भाषा का मौखिक ज्ञान हो जाता है। छात्रों को शुद्ध उच्चारण का अभ्यास तथा कविता पाठ का अभ्यास हो जाता है।
छात्रों को कथा एवं कहानी सुनायी जाती है तथा उनका मनोरंजन किया जाता है इससे उनमें कल्पना शक्ति का विकास होता है और शब्द भण्डार की वृद्धि होती है। इस पद्धति से छात्रों को खेल का आनन्द अवश्य मिलता है और वे हँसते-हँसते कठिन प्रकरणों को जान जाते हैं परन्तु इसमें समय बहुत लगता है।