इकाई प्रविधि (Unit Technique)
विभिन्न विद्वानों ने इकाई शिक्षण प्रविधि की परिभाषाएँ विभिन्न प्रकार से दी हैं:-
डॉ. माथुर के अनुसार, “इकाई का अर्थ वास्तव में अनुभव या ज्ञान को एक सूत्र में पिरोना है। यूनिट (इकाई) शिक्षण की वह योजना है, जो कि सीखने के किसी महत्त्वपूर्ण क्षेत्र पर केन्द्रित होती है।“
हैनरी हैरप के शब्दों में, “इकाई किसी विषय का एक बड़ा उप-विभाग होता है, जिसका कोई मूलभूत सिद्धान्त या प्रकरण होता है। छात्रों की प्रक्रियाओं को इस सिद्धान्त या प्रकरण के अनुसार ऐसे ढंग से नियोजित किया जाता है, जिससे कि उन्हें विषय के आवश्यक तत्त्वों का पूर्ण ज्ञान हो जाय। इकाई ज्ञान की किसी शाखा का तार्किक विभाजन है, जिससे क्रियाओं तथा इन्द्रियानुभवों को केवल युक्तियुक्तता की दृष्टि से स्थान दिया जाता है।“
थॉमस एम. रिस्क के अनुसार, “इकाई किरी समस्या या योजना से सम्बन्ध जोड़ने वाली क्रियाओं की समग्रता या एकता को प्रकट करती है।“
मॉरीसन के अनुसार, “इकाई वातावरण-संगठित विज्ञान, कला या आचरण का एक व्यापक एवं महत्त्वपूर्ण अंग होती है। इसे सीखने के फलस्वरूप व्यक्तित्व में सामंजस्य आ जाता है।“
इकाई शिक्षण प्रविधि के प्रकार
इकाई के निम्नलिखित प्रकार हैं:-
1. पाठ्य-विषय इकाई
इस प्रकार की इकाइयों का विभाजन निम्नलिखित ढंग से होता है:-
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नियमीकरण की इकाई– यह इकाई समस्त विषयों में प्रयोग की जाती है। प्रत्येक इकाई का कोई न कोई सिद्धान्त अवश्य होता है। इकाई के सिद्धान्त के आधार पर ही पाठ का विकास किया जाता है।
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प्रासंगिक इकाई– इसमें पाठ के प्रसंगों का उल्लेख किया जाता है। जहाँ तक सम्भव हो प्रसंगों का विभाजन एकता के सिद्धान्तों के आधार पर ही करना चाहिये।
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वातावरण पर आधारित इकाई– इस प्रकार की इकाई जीवन की सामान्य परिस्थितियाँ होती हैं। वातावरण के किसी पहलू को इकाई मानकर छात्र को शिक्षण प्रदान किया जाता है।
2. अनुभव-केन्द्रित इकाई
अनेक विद्वान् इकाई योजना बनाने में एवं छात्रों के सीखने में उन अनुभवों पर बल देते हैं, जिनकी आवश्यकता छात्रों को ज्ञात होती है। दूसरे शब्दों में भावी-जीवन से सम्बन्धित अनेक बातों का ज्ञान अनुभव-केन्द्रित इकाई के द्वारा कराया जाता है। विषय-वस्तु का चुनाव भी इस प्रकार से किया जाता है कि उनका आधार मुख्य रूप से जीवन के अनुभवों पर हो।
अनुभव-केन्द्रित इकाई तीन प्रकार की होती है:-
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उद्देश्य पर आधारित इकाई।
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रुचि पर आधारित इकाई।
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आवश्यकता पर आधारित इकाई।
इकाई प्रविधि के सोपान (Steps of unit technique)
इकाई प्रविधि के सोपान निम्नलिखित प्रकार हैं:-
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प्रथम सोपान– प्रथम सोपान में पाठ्य-विषय के सामान्य उद्देश्यों का निश्चय किया जाता है।
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द्वितीय सोपान– इस सोपान में नियमों, सिद्धान्तों और प्रमुख प्रसंगों पर चिन्तन किया जाता है।
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तृतीय सोपान– इस सोपान के तीन पक्ष हैं। प्रथम पक्ष में निश्चित ध्येयों का चुनाव किया जाता है। दूसरे पक्ष में पाठ्य-विषय के भागों को निश्चित किया जाता है। अन्त में तृतीय पक्ष में छात्रों की विभिन्न क्रियाओं का आयोजन किया जाता है।
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चतुर्थ सोपान– चतुर्थ सोपान में छात्रों को गृह-कार्य प्रदान किया जाता है। गृह-कार्य प्रदान करने में छात्रों की रुचियों तथा बौद्धिक क्षमताओं का भी ध्यान रखा जाता है।
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पंचम् सोपान– पंचम् सोपान में छात्रों को इकाई का बाह्य स्वरूप बताकर प्रस्तावना का उद्घाटन किया जाता है।
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षष्ठम्सोपान– इस सोपान में छात्रों के ज्ञान का मूल्यांकन किया जाता है। अध्यापक विभिन्न साधनों द्वारा यह पता लगाने का प्रयास करता है कि छात्रों ने अपने कार्य में किस सीमा तक सफलता प्राप्त की है?
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सप्तम् सोपान– यह अन्तिम सोपान है, जिसमें विभिन्न सूचियों और लेखों का निर्माण किया जाता है।
इकाई योजना के सिद्धान्त
इकाई योजना के प्रमुख सिद्धान्त निम्नलिखित हैं:-
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इकाइयाँ छात्र के सांस्कृतिक तथा स्थानीय जीवन से सम्बन्ध रखने वाली हों।
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इकाई अधिक लम्बी न हो। उसका समय पर समाप्त हो जाना आवश्यक है।
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इकाई योजना लचीली होनी चाहिये, जिससे उसमें आवश्यकता पड़ने पर परिवर्तन किये जा सकें।
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यथासम्भव इकाई छात्रों की व्यक्तिगत आवश्यकता, रुचियों तथा बौद्धिक क्षमता को ध्यान में रखकर बनायी जाय।
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प्रत्येक इकाई का प्रयोग इस प्रकार से किया जाय कि छात्र में सामाजिकता की भावना का विकास हो। सामाजिक तथ्यों को विशेष स्थान दिया जाय।
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उन वस्तुओं का प्रयोग मुख्य रूप से किया जाय जो जीवन से सम्बन्धित हों।
इकाई प्रविधि के लाभ (Advantages of unit technique)
इकाई प्रविधि की उपयोगिता पर प्रकाश डालते हुए रिस्क लिखते हैं-“छात्र परम्परागत प्रविधियों की अपेक्षा इकाई प्रविधि के द्वारा अधिक प्रभावशाली ढंग से ज्ञान अर्जित करता है। इकाई प्रविधि वातावरण सम्बन्धी इकाइयों का प्रयोग करके छात्रों में वातावरण से समायोजन करने की क्षमता उत्पन्न करती है। यह प्रविधि छात्रों की रुचियों, प्रवृत्तियों तथा आवश्यकताओं की पूर्ति करने में सहायता प्रदान करती है। इकाई प्रविधि कक्षा-कार्य को अपेक्षाकृत अधिक रोचक तथा क्रियात्मक बनाती है।”
इकाई प्रविधि के गुण (Merits of unit technique)
इस प्रविधि के गुण इस प्रकार हैं:-
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यह प्रविधि छात्रों के ज्ञान का विस्तार करती है।
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इसके प्रयोग से छात्रों की चिन्तन तथा तर्क-शक्ति का विकास होता है।
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यह प्रविधि लचीली है। इस कारण यह छात्रों को उनकी वैयक्तिक भिन्नता के अनुसार शिक्षा प्रदान करती है।
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इस प्रविधि से समाज और व्यक्ति के मध्य सामंजस्य स्थापित होता है।
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यह एक मनोवैज्ञानिक प्रविधि है। इसमें छात्र की बौद्धिक तथा सामाजिक रुचियों को ध्यान में रखकर शिक्षा प्रदान की जाती है।
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यह प्रविधि छात्रों को सामाजिक बनाती है। छात्र सामाजिक क्रियाओं का ज्ञान प्राप्त करते हैं।
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प्राथमिक कक्षाओं के लिये यह प्रविधि विशेषतया उपयोगी है।
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इकाई-प्रविधि प्रजातन्त्र के सिद्धान्तों पर आधारित है।
इकाई प्रविधि के दोष (Demerits of unit technique)
उपर्युक्त गुणों के होते हुए भी इकाई प्रविधि विभिन्न दोषों से मुक्त नहीं है। इसके निम्नलिखित दोष हैं:-
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इस प्रविधि के शिक्षण-पद निश्चित नहीं होते। उनके लिये समय की सीमा निश्चित नहीं है।
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सामान्य योग्यता रखने वाले अध्यापक इस प्रविधि का प्रयोग ठीक प्रकार से नहीं कर सकते।
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कभी-कभी इकाई का विभाजन नहीं हो पाता।
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सामान्य विद्यालयों में उन समस्त क्रियाओं को स्थान नहीं मिल सकता, जिनकी इस प्रविधि में आवश्यकता होती है।
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अन्य प्रविधियों की अपेक्षा यह प्रविधि अधिक जटिल है।