व्यंजन संधि (हल् संधि)
व्यंजन का स्वर या व्यंजन के साथ मेल होने पर जो परिवर्तन होता है , उसे व्यंजन संधि कहते है। व्यंजन संधि को हल् संधि भी कहते हैं। उदाहरण- उत + उल्लास = उल्लास, अप + ज = अब्ज।
व्यंजन संधि की परिभाषा
व्यंजन संधि के उदाहरण
दिक् + भ्रम = दिग्भ्रम
वाक् + मय = वाङमय
अप् + मयः = अम्मय
शरत् + चंद्र = शरच्च्तद्र
व्यंजन संधि के प्रकार
संस्कृत में संधि के इतने व्यापक नियम हैं कि सारा का सारा वाक्य संधि करके एक शब्द स्वरुप में लिखा जा सकता है। उदाहरण –
अर्थात् – ततः तम् उपकारकम् आचार्यम् आलोक्य ईश्वर-भावनया आह ।
व्यंजन संधि के नियम
व्यंजन संधि के कई प्रकार हैं, पर सभी प्रकार के जरीये इन्हें सीखना इन्हें अत्यधिक कठिन बनाने जैसा होगा। इसलिए केवल कुछ नियमों के ज़रीये इन्हें समझने का प्रयत्न करते हैं।
नियम 1.
- ग्रामम् + अटति = ग्राममटति
- देवम् + वन्दते = देवं वन्दते
नियम 2.
- ग्रामात् + आगच्छति = ग्रामादागच्छति
- सम्यक् + आह = सम्यगाह
- परिव्राट् + अस्ति = परिव्राडस्ति
नियम 3.
- सन् + अच्युतः = सन्नच्युतः
- अस्मिन् + अरण्ये = अस्मिन्नरण्ये
नियम 4.
- छात्रान् + तान् = छात्रांस्तान्
नियम 5.
- अपश्यत् + लोकः = अपश्यल्लोकः
- तान् + लोकान् = ताँल्लोकान्
नियम 6.
- एतत् + श्रुत्वा = एतत्छ्रुत्वा
- वृक्ष + छाया = वृक्षच्छाया
- आ + छादनम् = आच्छादनम्
नियम 7.
- अवदत् + च = अवदच्च
- षट् + मासाः = षण्मासाः
नियम 8.
- सम्यक् + हतः = सम्यग्घतः / सम्यग् हतः
- एतद् + हितम् = एतद्धितम् / एतद्हितम्