नञ् समास की परिभाषा
नञ् (न) का सुबन्त के साथ समास ‘नञ् समास‘ कहलाता है। यदि उत्तर पद का अर्थ प्रधान हो तो ‘नञ् तत्पुरुष‘ और यदि अन्य पद की प्रधानता हो तो ‘नञ् बहुव्रीहि समास‘ होता है। जैसे- अमोधः = न मोघः – नञ् तत्पुरुष, अपुत्रः = न पुत्रः यस्य सः – नञ् बहुव्रीहि।
नञ् समास के उदाहरण
‘न’ के बाद यदि व्यंजन वर्ण हो तो न का ‘अ’ और स्वर वर्ण रहे तो ‘अन’ हुआ करता है। जैसे-
‘न’ के बाद व्यंजन वर्ण होने पर-
- न स्वस्थः = अस्वस्थः । (व्यंजन रहने के कारण ‘अ’ हुआ ।)
- न सिद्धः = असिद्धः । (व्यंजन रहने के कारण ‘अ’ हुआ ।)
- न ब्राह्मणः = अब्राह्मणः । (व्यंजन रहने के कारण ‘अ’ हुआ ।)
‘न’ के बाद स्वर वर्ण होने पर-
- न अश्वः = अनश्वः । (स्वर रहने के कारण ‘अन्’ हुआ।)
- न ईश्वरः = अनीश्वरः । (स्वर रहने के कारण ‘अन्’ हुआ।)
- न भगतः = अनागतः । (स्वर रहने के कारण ‘अन्’ हुआ।)
- न अर्थः = अनर्थः । (स्वर रहने के कारण ‘अन्’ हुआ।)
कुछ नञ् समास में ‘न’ अपने वास्तविक रूप में ही रह जाता है। जैसे-
- न आस्तिकः = नास्तिकः न गच्छति = नगः
- न क्षरति = नक्षत्रम्
- न स्त्रीन् पुमान् च = नपुंसकम्
- न धर्मः = अधर्मः।
- न योग्यः = अयोग्यः ।
- न अन्तः = अनन्तः
- न उपकारः = अनुपकारः
Samas in Sanskrit, Samas in Hindi
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