ष्टुत्व संधि
ष्टुत्व संधि का सूत्र स्तो ष्टुनाष्टु होता है। यह संधि व्यंजन संधि के भागो में से एक है। संस्कृत में व्यंजन संधियां कई प्रकार की होती है। इनमें से श्चुत संधि, ष्टुत्व संधि, जश्त्व संधि प्रमुख हैं। इस पृष्ठ पर हम ष्टुत्व संधि का अध्ययन करेंगे !
ष्टुत्व संधि के नियम
जब ‘स’ के बाद ‘ष’ आए अथवा ‘स’ के बाद ट-वर्ग (ट, ठ, ड, ढ, ण ) आए तो संधि करते समय ‘स’ को ‘ष’ मे बदल देते हैं ।
ष्टुत्व संधि के उदाहरण
- धनुष् + टकार: = धनुष्टन्कार:
- रमस् + षष्ठ: = रामष्षष्टः
- रामस् + टीकते = रामष्टीकते
- बालास् + टीकते = बालष्टीकते
ष्टुत्व संधि के कुछ अन्य उदाहरन्
- द्रश् + त : = द्रष्ट:
- उद् + ऽयम् = उडऽयम्
- तत् + टीका = तट्टीका ( त् / द् + ट / ठ = ट् )
- महान् + डामर := महाण्डामर: ( न् + ड / ठ = ण )
- उत् + डीन : = उड्डीन : (त् / द + ठ / ड़ = ड् )
- महत् + ठालं = महड्ठालं (त् / द + ठ / ड़ = ड् )
व्यंजन संधि (हल् संधि) के प्रकार –
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Shtutva Sandhi in Sanskrit
ष्टुत्व सन्धि का सूत्र- ष्टुना ष्टुः’।
जब सकार एवं तवर्ग वर्गों से पहले (व्यंजन) अथवा बाद में षकार एवं टवर्ग वर्ण आते हैं तो सकार व तवर्ग (स्, त्, थ्, द्, ध्, न्) वर्गों के स्थान पर क्रमशः षकार एवं टवर्ग (ष, ट, ठ, ड्, द, ण) वर्ण होते हैं। जैसे-
ष्टुत्व संधि के उदाहरण (Shtutva Sandhi Sanskrit Examples):
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aaj hi pepar h ँmera but samjh aa gyi sandhi
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