अतिश्योक्ति अलंकार
परिभाषा- जहाँ किसी वस्तु का इतना बढ़ा-चढ़ाकर वर्णन किया जाए कि सामान्य लोक सीमा का उल्लंघन हो जाए वहाँ अतिशयोक्ति अलंकार होता है। अर्थात जब किसी व्यक्ति या वस्तु का वर्णन करने में लोक समाज की सीमा या मर्यादा टूट जाये उसे अतिश्योक्ति अलंकार कहते हैं।
यह अलंकार, Hindi Grammar के Alankar के भेदों में से एक हैं।
अतिश्योक्ति अलंकार के उदाहरण
1.
सगरी लंका जल गई , गये निसाचर भागि।
स्पष्टीकरण– इस उदाहरण में कहा गया है कि अभी हनुमान की पूंछ में आग लगने से पहले ही पूरी लंका जलकर खाख हो गयी और सभी राक्षस भाग खड़े हुए। ये बात बिलकुल असंभव है। अतः यह अतिशयोक्ति के अंतर्गत आएगा।
2.
स्पष्टीकरण– यहाँ समुद्र की लहरों को आकाश चूमते हुए कहकर उनकी अतिशय ऊँचाई का उल्लेख अतिशयोक्ति के माध्यम से किया गया है।
3.
घोडा कैसे उतरे पार।
राणा ने सोचा इस पार
तब तक चेतक था उस पार।
4.
और चढ़ाया उस पर बाण
धरा–सिन्धु नभ काँपे सहसा,
विकल हुए जीवों के प्राण।
Examples of Atisanyokti Alankar
5.
लगे उठावन टरत न टारा।।
6.
7.
चन्द्रिका पर्व में जैसे
उस पावन तन की शोभा
आलोक मधुर थी ऐसे।।
8.
स्वर्ग से मिलने गगन में जा रही।
9.
पंखुरी लगे गुलाब की, परि है गात खरौंट।
10.
मणिवाले फणियों का मुख क्यों भरा हुआ है हीरों से।
अतिशयोक्ति अलंकार के भेद
(i) रूपकातिशयोक्ति, (ii) सम्बन्धातिशयोक्ति,(iii) भेदकातिशयोक्ति, (iv) चपलातिशयोक्ति, (v) अति-
क्रमातिशयोक्ति, (vi) असम्बन्धातिशयोक्ति।
अतिशयोक्ति अलंकारः
‘उपमानेनान्तर्निगीर्णस्योपमेयस्य यदध्यवसानं सैका’ – इस अलंकार में लोक सीमा से बढ़कर तारीफ या निंदा की जाती है।
उदाहरण:
1.
सा च सुकुमारसुभगेत्युत्पातपरम्परा केयम् ।।।
स्पष्टीकरण– यहाँ उपमानरूप कमलादि के द्वारा उपमेयभूत मुखादि का निगरण करककमलादि
रूप से अभिन्नतया निश्चित किए गए हैं।
2.
श्यामा सामान्यप्रजापतेः रेखैव च न भवति ।।
स्पष्टीकरण– यहाँ लोकप्रसिद्ध सौन्दर्य तथा शरीर कान्ति का ही कवि ने ‘अन्य’ अर्थात् अलौकिक
लोकोत्तर रूप वर्णन किया है।
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