जिस समास में प्रथम पद अव्यय होता है और जिसका अर्थ प्रधान होता है उसे अव्ययीभाव समास कहते हैं। इसमें अव्यय पद का प्रारूप लिंग, वचन, कारक, में नहीं बदलता है वो हमेशा एक जैसा रहता है। दूसरे शब्दों में कहा जाये तो यदि एक शब्द की पुनरावृत्ति हो और दोनों शब्द मिलकर अव्यय की तरह प्रयोग हों वहाँ पर अव्ययीभाव समास होता है संस्कृत में उपसर्ग युक्त पद भी अव्ययीभाव समास ही माने जाते हैं। उदाहरण के लिए- यथाशक्ति = शक्ति के अनुसार, यथाक्रम = क्रम के अनुसार।
Index Avyayibhav Samas-
अव्ययीभाव समास की परिभाषा – संस्कृत
“अनव्ययम् अव्ययं भवति इत्यव्ययीभावः” अव्ययीभाव समास में पूर्वपद ‘अव्यय और उत्तरपद अनव्यय होता है; किन्तु समस्तपद अव्यय हो जाता है। इसमें पूर्वपद की प्रधानता होती है – ‘पूर्वपदप्रधानोऽव्ययीभावः’।
अव्ययीभाव समास का मुख्य पाणिनि सूत्र
पश्चाद्यथाऽऽनुपूर्व्ययौगपद्यसादृश्यसम्पत्तिसाकल्यान्तवचनेषु ।”
अर्थ – विभक्ति, सामीप्य, समृद्धि, व्यृद्धि (ऋद्धि का अभाव), अर्थाभाव, अत्यय (अतीत होता), असम्पति (वर्तमान काल में यक्त न होना), शब्द प्रादुर्भाव (प्रसिद्धि), पश्चात् यथार्थ, आनुपर्थ्य (अनुक्रम), यौगपद्य (एक ही समय में होना), सादृश्य, सम्पत्ति (आत्मानुरूपता), साकल्य (सम्पूर्णता) और अन्त–इन अर्थों में से किसी भी अर्थ में वर्तमान अव्यय का समर्थ सुबन्त के साथ समास होता है।
अव्ययीभाव समास के उदाहरण संस्कृत में
1. विभक्ति
- हरौ इति = अधिहरि (हरि में)।
- आत्मनि इति = अध्यात्म (आत्मा में)।
2. समीप
- नद्याः समीपम् = उपनदम् (नदी के समीप)
- गङ्गायाः समीपम् = उपगङ्गम् (गंगा के समीप)
- नगरस्य समीपम् = उपनगरम् (नगर के समीप)
3. समृद्धि
- मद्राणां समृद्धि = सुमन्द्रम् (मद्रवासियों की समृद्धि)
- भिक्षाणां समृद्धि = सुभिक्षम् (भिक्षाटन की समृद्धि)
व्यृद्धि - यवनानां व्युद्धि = दुर्यवनम् (चवनों की दुर्गति)
- भिक्षाणां व्वृद्धि = दुर्भिक्षम् (भिक्षा का अभाव)
4. अर्थाभाव
- मक्षिकाणाम् अभाव = निर्मक्षिकम् (मक्खियों का अभाव)
- विघ्नानाम् अभाव = निर्विघ्नम् (विघ्नों का अभाव) ।
5. अत्यय
- हिमस्य अत्ययः = अतिहिमम् (हिम का नाश)
- रोगस्य अत्ययः = अतिरोगम् (रोग का नाश)
6. असंप्रति
- निद्रा सम्प्रति न युज्यते = अतिनिद्रम् (इस समय नींद उचित नहीं)
- स्वप्नः सम्प्रति न युज्यते = अतिस्वप्नम् (इस समय सोना उचित नहीं)
7. शब्द – प्रादुर्भाव
- हरि शब्दस्य प्रकाशः = इतिहरि (‘हरि’ शब्द का प्रकट होना)
- विष्णुशब्दस्य प्रकाशः = इतिविष्णु (‘विष्णु’ शब्द का प्रकट होना)
8. पश्चात्
- विष्णोः पश्चात् = अनुविष्णु (विष्णु के पीछे)
- रामस्य पश्चात् = अनुरामम् (राम के पीछे)
9. यथा
- रूपस्य योग्यम् = अनुरूपम् (रूप के योग्य)
- गुणस्य योग्यम् = अनुगुणम् (गुण के योग्य).
- गृहम् गृहम् = प्रतिगृहम् (घर-घर)
- दिनम् दिनम् = प्रतिदिनम् (दिन-दिन) ।
- शक्तिम् अनतिक्रम्य = यथाशक्तिम् (शक्ति भर)
- बलम् अनतिक्रम्य = यथाबलम् (बल भर)
- हरेः सादृश्यम् = सहरि (हरि की समानता)
- रूपस्य सादृश्यम् = सरूपम् (रूप की समानता)
10. आनुपूर्व्य
- ज्येष्ठस्य आनुपूण = अनुज्येष्ठम् (ज्येष्ठ के क्रम से)
- वर्णस्य आनुपूण = अनुवर्णन् (वर्ण के क्रम से)
11. यौगपद्य
- चक्रेण युगपत् = सचक्रम् (चक्र के साथ)
- हर्षेण युगपत् = सहर्षम् (हर्ष के साथ)
12. सादृश्य
- सदृशः सख्या = ससखि (मित्र जैसा)
- सदृशः वर्णेन = सवर्णम् (वर्ण के समान)
13. सम्पत्ति
- क्षत्राणां सम्पत्तिः = सुक्षत्रम् (राजाओं की सम्पत्ति)
- क्षत्रियाणां सम्पत्तिः = सुक्षत्रियम् (क्षत्रियों की सम्पत्ति)
14. साकल्य
- तृणम् अपि अपरित्यज्य = सतृणम् (तिनके को बिना छोड़े)
15. मर्यादा
- आ मरणात् = आमरणम् (मरने तक)
- आ जीवनात् = आजीवनम् (जीवन भर)
16. अन्तवचन
- अग्नि (ग्रंथ) पर्यन्तम् = साग्नि (‘अग्नि’ ग्रंथ तक) ।
अव्ययीभाव समास सूची
# | समस्तपद | समास-विग्रह |
---|---|---|
1. | अतिबाधम् | बाधाया/आययः |
2. | अतिशोकम् | शोकः सम्प्रति न युज्यते |
3. | अनुरथम् | रथस्य पश्चात् |
4. | अनुकूलम् | कूलस्य योग्यम्। |
5. | यथाज्ञानम् | ज्ञानमनतिक्रम्य |
6. | प्रत्यग्नि | अग्नि प्रति |
7. | पारेसमुद्रम् | समुद्रस्य पारं |
8. | मध्येगङ्गम् | गङ्गाया मध्यं |
9. | त्रिगङ्गम् | तिसृणां गङ्गानां समाहारः |
10. | उन्मत्तगंगम् | उन्मत्ता गंगा यस्मिन् |
11. | अनुगवम् | गोः पश्चात् |
12. | अनुगिरम् | गिरेः पश्चात् |
13. | अन्वक्षम् | अक्ष्णः अनु |
14. | समक्षम् | अक्ष्णः समम् |
15. | परोक्षम् | अक्ष्णः परम् |
16. | प्रत्यक्षम् | अक्ष्णः प्रति |
17. | आबालम् | आबालेभ्यः इति |
18. | आमुक्ति | आमुक्तेः इति |
हिन्दी में अव्ययीभाव समास
अव्ययीभाव समास अव्यय और संज्ञा के योग से बनता है और इसका क्रिया विशेष के रूप में प्रयोग किया जाता है। इसमें प्रथम पद (पूर्व पद) प्रधान होता है। इस समस्त पद का रूप किसी भी लिंग, वचन आदि के कारण नहीं बदलता है। अव्ययीभाव समास में समस्त पद ‘अव्यय’ बन जाता है, अर्थात् समास लगाने के बाद उसका रूप कभी नहीं बदलता है। इसके साथ विभक्ति चिह्न भी नहीं लगता। अव्ययीभाव समास के पहले पद में अनु, आ, प्रति, यथा, भर, हर आदि आते है।
उदाहरण
- प्रतिदिन – प्रत्येक दिन
- आजन्म – जन्म से लेकर
- भरपेट – पेट भरकर
- निडर – डर के बिना
- प्रतिवर्ष – हर वर्ष
- बेमतलब – मतलब के बिना
- अनुरूप – रूप के योग्य
- निस्संदेह : बिना संदेह के
- बेशक : बिना शक के
- बेनाम : बिना नाम के
- बेकाम : बिना काम के
- बेलगाम : लगाम के बिना
- भरपेट : पेट भर कर
- भरपूर : पूरा भर के
- रातभर : पूरी रात
- दिनभर : पूरे दिन
- रातोंरात : रात ही रात में
- हाथोंहाथ : एक हाथ से दुसरे हाथ में
- घडी-घडी :हर घडी
- साफ़-साफ़ : बिलकुल स्पष्ट
जैसा कि आप ऊपर दिए गए कुछ उदाहरणों में देख सकते हैं कि समास के प्रथमपद में आ, यथा, प्रति आदि आते हैं। यहाँ समास होने पर से, के आदि चिन्हों का लोप हो जाता है।
- यथाशक्ति : शक्ति के अनुसार
- अनजाने : बिना जाने
उदाहरण में जैसा कि आप देख सकते हैं कि प्रथम पद में ‘यथा’, ‘अन’ आदि आते हैं जो कि अव्यय हैं एवं समास होने पर ‘के’ चिन्ह का लोप हो रहा है।
- घर-घर : प्रत्येक घर
- प्रत्यक्ष : आँखों के सामने
- निस्संदेह : संदेह रहित
- बेखटके : बिना खटके
ऊपर दिए गए उदाहरणों में देख सकते हैं कि प्रथम पद में ‘नि’, ‘प्र’, ‘बे’ आदि प्रयोग हो रहे हैं जो अव्यय हैं एवं शब्द के साथ जुड़ने के बाद पूरा शब्द अव्यय हो जाता है। अतः यह अव्ययीभाव समास के अंतर्गत आयेंगे।
- यथासमय : समय के अनुसार
- प्रतिवर्ष : प्रत्येक वर्ष
- प्रतिसप्ताह : प्रत्येक सप्ताह
- यथारुचि : रूचि के अनुसार
इन उदाहरणों में यथा, प्रति आदि शब्दों का प्रयोग क्या जा रहा है जो अव्यय हैं एवं जब ये शब्द के साथ जुड़ते हैं तो उन्हें भी अव्यय बना देते हैं। इन अव्ययों का अर्थ ही प्रधान होता है। इन समास में पूर्वपद प्रधान है। अतः यह अव्ययीभाव समास के अंतर्गत आयेंगे।
- प्रतिपल : पल-पल
- यथाक्रम : क्रम के अनुसार
- यथानाम : नाम के अनुसार
- प्रत्येक : हर एक
- आजीवन : जीवन भर
- आमरण : मृत्यु तक
- निडर : बिना डर के
जैसा कि आपने देखा कि सभी समस्त्पदों में पूर्व प्रधान हैं एवं ‘प्रति’, ‘आ’ एवं ‘नि’ आदि शब्दों का प्रयोग किया जा रहा है जो कि अव्यय हैं।
शब्दों के साथ मिलकर ये अव्यय समस्तपद को भी अव्यय बना देते हैं। अतः यह उदाहरण अव्ययीभाव समास के अंतर्गत आयेंगे।
- प्रतिमास : प्रत्येक मास
- हाथों हाथ : एक हाथ से दुसरे हाथ
- हरघडी : घडी-घडी
- सहसा : एक दम से
जैसा की आप देख सकते हैं यहां हर उदाहरण में पूर्वपद का अर्थ ही प्रधान है। इन सभी शब्दों में पूर्वपद में हर, प्रति आदि शब्दों का प्रयोग किया जा रहा है जोकि अव्यय हैं। जब ये अव्यय अन्य शब्दों के साथ मिलते हैं तो परिणाम स्वरुप समस्त पद को ही अव्यय बना देते हैं।
अतः यह उदाहरण अव्ययीभाव समास के अंतर्गत आएंगे।
- बेरहम : बिना रहम के
- अकारण : बिना कारण के
- धड़ाधड़ : जल्दी से
- बकायदा : कायदे के साथ
- बेकाम : बिना काम का
- अध्यात्म : आत्मा से सम्बंधित
दिए गए उदाहरणों में देख सकते हैं यहां हर एक शब्द में पूर्व पद एक अव्यय है। अव्यय होने के बाद भी पूर्वपद का अर्थ ही प्रधान है। इन सभी शब्दों में पूर्वपद में अ, बे, ब, आदि अव्ययों का प्रयोग किया गया है जोकि अव्यय हैं। जब ये अव्यय अन्य शब्दों के साथ मिलते हैं तो ये समस्त पद को ही अव्यय बना देते हैं।
Samas in Sanskrit,Samas in Hindi
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